भारतीय रेल का विश्व में यह पहला इंजीनियरिंग रूपांतरण
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
रेलवे की कायाकल्प करने की दिशा में में जुटे भारतीय रेलवे ने डीजल से इलेक्ट्रक
लोकोमोटिव का रूपांतरण करने का रिकार्ड बनाया है। मसलन नया प्रोटोटाइप लोकोमोटिव विश्वभर
में डीजल लोकोमोटिव से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में अब तक का पहला रूपांतरण है, जो
केवल 69 दिनों के रिकार्ड समय पर किया गया है।

मेक इन इंडया को बढ़ावा
भारतीय रेलवे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने की दिशा में भारतीय
रेल का एक विशिष्ट निर्माण है और वित्त पर अधिक भार दिये बिना तैयार की गई है और विश्व
में अपनी तरह की पहली परियोजना है। इस लोकोमोटिव रूपांतरण परियोजना के तहत यह अपने
इन-हाउस संसाधनों एवं चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, डीजल लोको आधुनिकीकरण वर्क्स एवं अनुसंधान
अभिकल्प एवं मानक संगठन के सहयोग से डीएलडब्ल्यू में पूरी करने में जुटा हुआ है। डीजल
इंजन को 18 वर्ष की अवधि से आगे भी चलाने के लिए उसका मिड-लाइफ अनुरक्षण बेहद अपरिहार्य
एवं अनिवार्य है। डीजल इंजन को विद्युत इंजन में तबदील करने में इस लागत का मात्र
50 प्रतिशत व्यय होगा। नया स्वदेशी ’मेक इन इंडिया’ इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव 5 हजार एचपी
पावर डिलीवर करता है, जो कि पुराने लोकोमोटिव के 2600 एचपी रेल हॉर्स पावर से 92 प्रतिशत
अधिक है।
ये हैं परियोजना की विशेषताएं
* लोकोमोटिव पैक्स 10000 एचपी पावर लगभग 5000 टन तक लोड ढोने के लिए
पर्याप्त हैं जो लोड के तेजी से पारगमन के लिए उपयुक्त है और भारतीय रेल पर गतिशीलता
में सुधार के लिए उपयुक्त भार अनुपात 2-1 हॉर्स पावर शक्ति प्रदान करता है।
* यह उल्लेखनीय है कि रूपांतरण की लागत लगभग 2.5 करोड़ है जो कि डीजल
लोकोमोटिव व्यय के मिड-लाइफ पुनर्वास का केवल 50 प्रतिशत है, तथापि, इन लोको के मिड-लाइफ
पुनर्वास के निष्पादन के स्थान पर डीजल लोकोमोटिव को इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में रूपांतरित
करने से प्रति लोकोमोटिव 2.5-3.0 करोड की सीमा तक़ समग्र बचत होगी।
* इसलिए यह न केवल किफायती है बल्कि मालभाड़ा ट्रेनों की औसत गति
में भी वृद्धि करता है जैसा कि रूपांतरित लोकोमोटिव की हॉर्स पावर लगभग 100 प्रतिशत
तक बढ़ाई गई है।
* यह परियोजना निश्चित ही ट्रैक्शन ऊर्जा बचत की दिशा में एक बड़ा
कदम है जिससे भारतीय रेल के ईंधन बिल में कमी आयेगी और भारतीय रेल मे तकनीकी की शुरूआत
के अलावा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आयेगी।
* यह परियोजना कई मायनों में भारतीय रेल का एक विशिष्ट निर्माण है
और वित्त पर अधिक भार दिये बिना तैयार की गई है और विश्व में अपनी तरह की पहली परियोजना
है।
भारतीय रेल का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण मिशन
भारतीय रेल ने ब्रॉडगेज नेटवर्क के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण और डि-कार्बोनाइजेशन
मिशन पर विशेष जोर दिया है। वर्ष 2017-18 के दौरान इलेटिक्ट्रक ट्रैक्शन पर 4087 ब्रॉडगेज
रूट कि.मी. चालू किया गया है। यह अब तक किसी भी वर्ष में सबसे ज्यादा विद्युतीकरण है।
वर्ष 2018-19 के दौरान 6000 रूट किमी. विद्युतीकृत किया जाएगा।
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