रविवार, 27 जून 2021

विश्व पर्यावरण दिवस: भगवान को भूल रहे हैं हम

प्रकृति व संस्कृति के प्रति आस्था के बिना असंभव पर्यावरण संरक्षण -डॉ. राजेन्द्र सिंह, जल पुरुष विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने की सच्चा सकंल्प और सार्थकता तभी पूरी हो सकती है, जब तक हम प्रकृति और संस्कृति का सम्मान करने वाली आस्था में विश्वास को मजबूत नहीं कर लेते। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित पर्यावरण या अन्य घोषित दिवस मनाने की जरुरत इसलिए पड़ी, कि जब भी वैश्विक या राष्टीय संकट आए तो सरकारों का दायित्व और जिम्मेदारी है कि वे जनचेतना जगाने का काम करें। पर्यावरण दिवस पर्यावरण के संकट की तरफ लोगों का ध्यान खींचने और इस संकट के बारे में लोगों को याद दिलाने के लिए मनाया जाता है, लेकिन आज यह दिवस एक औपचारिकता महज बनकर रह गया है। हमारी सरकारें भी सिर्फ पर्यावरण जैसे दिवस मनाकर अपनी औपचारिकताएं पूरी कर रही हैं। हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हम उस भगवान को भूल रहे हैं जिसने हमे निर्मित किया है। यदि हमें कोरोना जैसे वैश्विक संकट से निपटना है तो जलवायु परिवर्तन जैसे संकट को समझकर अपनी धरती, प्रकृति के प्रति जागरुक रहना जरुरी है। प्रकृति ही भारतीय आस्था का मान, सम्मान और व्यवहार ही हमारी संस्कृति थी, जिसे हमे बचाना होगा। यदि लोगों के भीतर पर्यावरण के प्रति आस्था नहीं है, तो एक दिन के लिए पर्यावरण दिवस मना लेने का कोई अर्थ नहीं है और इससे कुछ बदलाव नहीं होने वाला है। पर्यावरण की स्थिति विनाश की ओर बढ़ चली है और जन-जन के भीतर आस्था जगाए बगैर इस विनाश को रोक पाना कठिन है। देश में ही नहीं विश्वभर में पर्यावरण का संकट कोई मामूली संकट नहीं, बल्कि यह जीवन से जुड़ा हुआ संकट है। यह संकट इसलिए पैदा हुआ है, क्योंकि पर्यावरण के प्रति राज, समाज की आस्था खत्म हो गई है। कोरोना महामारी का संकट भी इस पर्यावरण संकट के साथ जुड़ गया है, जिसकी चुनौतियों से निपटने के लिए प्राकृति और संस्कृति के प्रति खत्म होती जा रही आस्था में फिर से विश्वास जगाने की जरुरत है। यह भी तय है कि जब तक यह आस्था फिर से पैदा नहीं होगी, तब तक हम पर्यावरण के संकट को दूर नहीं कर सकते। यह सभी को पता है कि हर जीव को जीवन देने के लिए बने पर्यावरण का क्या महत्व है। इसमें पेड़ जो कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सिजन देता है तो सूर्य अपनी आभाओं से हर किसी को स्वस्थता का वरदान देता है। जल तथा वायु भी जीवन की समुन्नत के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन मानव अपनी लालसाओं के कारण पर्यावरण का दोहन कर रहा है, जिससे पर्यावरण पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण अपने ऊपर के प्रदुषण रुपी दबाव को कम करने के लिए रौद्र रूप धारण कर लेता है, जिससे इंसानों तथा अन्य जीवों को जान-माल की हानि उठानी पड़ती है। हमें अपने पर्यावरण की पुकार समझनी पड़ेगी। कोरोना संकट भी हमारे जीवन संकट से जुड़ा हुआ है, जहां जल, जंगल, जमीन संरक्षित करने के लिए प्रकृति व संस्कृति में आस्था रखने पर संकट की चुनौतियों से निपटना संभव है। हम आज भगवान को भूल गये है यानि भू, गगन, वायु, अग्नि और नीर से मिलकर ही पर्यावरण का निर्माण हुआ है। इन्हीं पंच महाभूतों से हमारे शरीर का भी निर्माण होता है। पर्यावरण संकट में है तो समझो पंच महाभूत संकट में हैं। पर्यावरण का यह संकट हमने खुद ही से पैदा किया है। अब इसका एक मात्र उपाय यही है कि इन पंच महाभूतों के प्रति फिर से अपने भीतर आस्था पैदा करें, वरना विनाश दस्तक दे रहा है। इस विकसित भारतीय आस्था में प्रकृति थी, जिसके सम्मान के लिए जीना होगा। भारत की आस्था अंधविश्वास नहीं, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर विकसित हुई थी, जिसमें जब तक प्रकृति व संस्कृति का सम्मान होता रहा तो हम विश्व गुरु थे। जैसे जैसे आस्थाएं खत्म हो गई, वैसे ही अनेक राष्ट्रीय व वैश्विक संकट के रूप में प्रदूषण और अनेक चुनौतियां सामने आ रही है। इस 21वीं शताब्दी में फिर से प्रकृति और संस्कृति में आस्था में विश्वास को पुनर्जीवित करके हम दुनिया को भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित कर सकते हैं। हमारी आस्था की इंजीनियरी प्रकृति और संस्कृति का दोहन करना नहीं सिखाती थी, लेकिन आज के आधुनिकी की तकनीक व इंजीनियरी में प्रकृति व संस्कृति का दोहन किया जा रहा है। इसी कारण से जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां सामने खड़ी है। इससे निपटने के लिए भी भौतिकवादी इंजीनियरी व तकनीक को अपनाया जा रहा है। ऐसे अब तो विनाश की तरफ ही बढ़ रहे हैं। सुधार की संभावना न के बराबर दिखाई देती है। लेकिन कोशिशें होती रहनी चाहिए, क्योंकि ये कोशिशें ही पुनर्निर्माण के बीज बनेंगी, और प्रकृति इन्हीं बीजों से एक बेहतर दुनिया का सृजन करेगी। विश्व पर्यावरण दिवस का संदेश देश के जन जन तक पहुंचाने की कौशिश होनी चाहिए, तभी पर्यावरण दिवस को सार्थक किया जा सकता है। कोरोना काल जैसे संकट के बीच विश्व पर्यावरण दिवस पर हमें और भी गंभीरता से सोचना होगा, कि प्रकृति के सम्मान के लिए एकजुटता के साथ सभी आगे आएं। -(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) 06June-2021

अस्पतालो में घटने लगी कोरोना मरीजों की संख्या

ऑक्सीजन बेड़ो पर रह गये केवल 212 मरीज पिछले 24 घंटे में 61 कोरोना मरीज हुए ठीक एक दिन में कोरोना के आए 21 नए मामले, दो ने गंवाई जान हरिभूमि न्यूज.रोहतक। जिले में कोरोना संक्रमण का प्रभाव धीरे धीरे कम होता नजर आ रहा है। अस्पतालों में फिलहाल 215 मरीज उपचाराधीन मरीज रह गये हैं, जिनमें 212 मरीज ऑक्सीजन बेडो पर रह गये हैं। पिछले 24 घंटे में 61 मरीज कोरोना वायरस को मात देने के बाद ठीक हुए है। जबकि जिले में इस दौरान 21 नए मामले सामने आए, तो वहीं दो मरीजों की मौत दर्ज की गई है। कोरोना को मात देने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 24,431 हो गई है, जिसके साथ ही रिकवरी दर बढ़कर में 95.48 प्रतिशत हो गई है। इनमें पिछले 24 घंटे में 61 कोरोना मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटे हैं। इसी प्रकार जिले में इस दौरान 21 लोग और पॉजिटिव आने के बाद जिले में कुल संक्रमितों की संख्या 25,587 हो गई है। जिले में ताजा आंकड़ो के अनुसार केवल दो कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई है, जिसके कारण जिले में अब तक कोरोना की वजह से 516 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमण की स्थिति की जानकारी देते हुए जो आंकड़े जारी किये हैं उसके अनुसार जिले में अब तक 440299 लोगों की जांच के बाद नमूने लिए गये, जिनमें से पर रखा गया, जिनमें 414109 की रिपोर्ट निगेटिव आई है। को को कोविड-19 के 1232 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। आंकड़ो के मुताबिक कोरोना संक्रमण की कम होती रफ्तार के कारण जिले के विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 215 रह गई है, जिनमें 212 मरीज ऑक्सीजन बेड पर उपचाराधीन है। हालांकि होम आईसोलेट मरीजों का भी इलाज चल रहा है, जिसके कारण मजिले में संक्रमितों की संख्या 640 रह गई है। -----मरीजों को सुविधाओं की कमी नहीं---- जिला प्रशासन ने दावा किया है कि जिले में जिस अस्पताल में संक्रमित मरीज अपना इलाज करा रहे हैं, वहां उनके इलाज के लिए सभी स्वास्थ्य सुविधाएं और संसाधन पर्याप्त संख्या में हैं। मसलन ऑक्सीजन और बेडों की कोई कमी नहीं है। प्रशासन के मुताबिक जिले के अस्पतालों में मौजूद अधिकृत आईसीयू बेड 376 में से 129 मरीजों का आईसीयू ऑक्सीजन बेड पर इलाज चल रहा है, एक दिन में ऐसे इलाजरत दस मरीज ठीक हुए हैं। आईसीयू बेड के अलावा 812 ऑक्सीजन बेड में से केवल 83 बेड पर ही उपचाराधीन मरीज रह गये हैं। इसी प्रकार अधिकृत वेंटिलेटर 200 में से 86 पर उपाराधीन मरीज हैं। इसी प्रकार जिले में 108 नोन ऑक्सीजन बेड अधिकृत है, जिनमें से केवल तीन पर मरीजो का इलाज हो रहा है। ------पीजीआई में पर्याप्त ऑक्सीजन---- जिला प्रशासन ने बताया कि रोहतक स्थित पीजीआईएमएस में 24 घंटे, ह्रदय नीलायम हर्ट लंग एंड वास्कुलर इंस्टीट्यूट में 100 घंटे, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिड़ी में 80 घंटे, कलानौर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटे, मान अस्पताल व मदीना सीएचसी में 12 घंटे तथा कायनोस अस्पताल, सिविल अस्पताल व ऑस्कर सुपर स्पैशलिटी ट्रामा सेंटर में 10-10 घंटे के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध है। जिले में कोरोना अस्पतालो के रूप में 13 अस्पतालों मे सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। ------------- आज 22 मरीजो ऑक्सीजन की होम डिलीवरी---- रोहतक। जिले में रह गये कुल संक्रमितों मे से अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों के अलावा बाकी अपने घरों पर ही इलाज करा रहे हैं। ऐसे मरीजों को आवश्यकता पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडरों की होम डिलीवरी कराई जा रही है। गुरुवार को ऐसे मरीजों के लिए 22 ऑक्सीजन सिलेंडरों की होम डिलीवरी की गई। इसके साथ ही जिला प्रशासन द्वारा जिला रेडक्रास सोसाइटी और उनके साथ इस कार्य में सहयोग कर रहे सती भाई सांई दास सेवादल रोहतक तथा हरिओम सेवादल रोहतक के माध्यम से अब तक 782 ऑक्सीजन सिलेंडरों की होम डिलीवरी कराई जा चुकी है। ----------- जिले में 3610 का टीकाकरण--- रोहतक। जिले में गुरुवार को 3610 लोगों को कोरोना बचाव के लिए वैक्सीन की डोज दी गई। अब तक कोरोना वैक्सीन 2,24,488 लोगों का टीकाकरण किया गया है। इस टीकाकरण में हेल्थ केयर वर्कर को 19214, फ्रंटलाइन वर्कर को 10771 टीके लगाए गये। जबकि जिले में 18 से 44 आयु वर्ग में 30172 डोज दी गई। इसी प्रकार 45 से 60 आयु वर्ग में 76598 तथा 60 वर्ष या इससे अधिक आयु वर्ग में 88271 लोगों का टीकाकरण किया गया। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ अनिलजीत त्रेहान के अनुसार गुरुवार को कोविशिल्ड की 2550 तथा को-वैक्सीन की 1060 टीके लगाए गये। ------------- बचाव के साथ पीये हुक्का--- रोहतक। जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने की दिशा में गांवों में की गई व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए अधिकारी लगातार दौरा कर रहे हैं। गुरुवार को रोहतक के एसडीएम राकेश कुमार सैनी ने गांव कटवाड़ा, खिड़वाली व जसिया का दौरा करके ग्रामीणों को कोरोना महामारी से बचाव के लिए जागरूक किया। उन्होंने ग्रामीणों को हुक्का पीने और ताश आदि खेलने में झुंड न बनाने की सलाह देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के प्रति सावधानी बरतने से ही सुरक्षित रहा जा सक है। इसलिए उन्होंने ग्रामीणों को ऐसे समय मास्क लगाने और सामाजिक दूरी बनाकर कोरोना दिशानिर्देशों का पालन करने का कहा। उन्होंने जन सेवा संस्थान का भी दौरा करके वहां टीकाकरण का निरीक्षण भी किया। 04June-2021

हरियाणा समेत आठ राज्यों में एमएसपी पर जारी रबी खाद्यान्न की खरीद

पीएमजीकेएवाई के तीसरे चरा में तेज होगी राशन कार्ड योजना नई दिल्ली/चंडीगढ़। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए प्रधानमंत्री गरीब अन्न योजना के तीसरे चरण में ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ योजना को तेजी से चलाने के राज्यों को दिशानिर्देश जारी किये हैं। वहीं रबी विपणन सत्र 2021-22 के लिए गेंहू जैसे खाद्यान्न की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हरियाणा समेत आठ राज्यों में खरीद को जारी रखने का निर्णया लिया गया है। यह जानकारी देते हुए गुरुवार को एक वेबिनार संवादाता सम्मेलन में केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने पीएमजीकेएवाई के तीसरे चरण के तहत खाद्यान्न वितरण की प्रगति, खाद्यान्न खरीद और एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना की विस्तार से जानकारी दी। डीएफपीडी सचिव ने कहा कि गेहूं की खरीद वर्तमान रबी विपणन सत्र 2021-22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली तथा जम्मू और कश्मीर राज्यों में सुचारु रूप से जारी है, जिसके तहत दो जून तक 411.12 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई, जबकि पिछले साल की इसी समान अवधि में 389.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था। सचिव पांडे ने कहा कि करीब 44.43 लाख किसान मौजूदा रबी विपणन सत्र में एमएसपी मूल्यों पर हुए खरीद कार्यों से लाभान्वित हो चुके हैं। ----हरियाणा के किसानों 16.71 लाख करोड़ की राशि हस्तांतरित---- उन्हेंने बताया कि इस दौरान किसानों से 81,196.20 करोड़ रुपये की खरीद की गई है, जिसमें से 76,055.71 करोड़ रुपये की राशि पहले ही देश भर के किसानों को हस्तांतरित की जा चुकी है। इसमें हरियाणा में 16,706.33 करोड़ रुपये तथा पंजाब में 26,103.89 करोड़ रुपये की राशि सीधे किसानों के खाते में भेजी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि यह भी एक खासबात है कि एक दिन पहले यानि दो जून तक 411.12 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की कुल खरीद में पंजाब का का 132.27 लाख मीट्रिक टन यानि 32.17 फीसदी, हरियाणा का 84.93 लाख मीट्रिक टन यानि 20.65 फीसदी योगदान रहा है। जबकि मध्य प्रदेश से 128.08 लाख मीट्रिक टन यानि 31.15 फीसदी खाद्यान्न की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गई है। -----हरियाणा व पंजाब को मिला लाभ---- हरियाणा और पंजाब ने भी एमएसपी का अप्रत्यक्ष भुगतान करने के स्थान पर सभी खरीद एजेंसियों द्वारा किसानों के बैंक खाते में सीधे ऑनलाइन हस्तांतरण के लिए भारत सरकार के निर्देश के अनुसार डिजिटल माध्यम को अपना लिया है। इन दोनों राज्यों के इस निर्णय से इस साल सार्वजनिक खरीद के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। इस डिजिटल तकनीक से किसानों को बिना किसी देरी और कटौती के ‘एक राष्ट्र, एक एमएसपी’, एक डीबीटी’ के तहत अपनी गेहूं की फसल की बिक्री का प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हुआ है। ----खरीफ फसल में धान की खरीद----- पाण्डेय ने कहा कि वर्तमान खरीफ 2020-21 में धान की खरीद इसकी बिक्री वाले राज्यों में सुचारू रूप से जारी है। जून तक 799.74 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान क्रय किया जा चुका है, इसमें खरीफ फसल का 706.69 लाख मीट्रिक टन और रबी फसल का 93.05 लाख मीट्रिक टन धान भी शामिल है। जबकि पिछले वर्ष की इसी समान अवधि में 728.49 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया था। मौजूदा खरीफ विपणन सत्र में लगभग 118.60 लाख किसानों को पहले ही एमएसपी मूल्य पर 1,50,990.91 करोड़ रुपये के खरीद कार्य से लाभान्वित किया जा चुका है। जिसमें से एमएसपी की 1,38,330.12 करोड़ रुपये की राशि 02 जून तक सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर की गई है। 04June-2021

हरियाणा के नौ मुक्केबाजों ने दिखाया अपना दम

एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत का अब तक का रिकार्ड प्रदर्शन हरिभूमि न्यूज.रोहतक। भारतीय मुक्केबाजों ने एशियन चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदकों समेत 15 पदक हासिल करके अब तक का रिकार्ड प्रदर्शन किया है। भारत के लिए बटोरे गये दोनों स्वर्ण पदकों समेत नौ पदक हरियाणा के मुक्केबाजों के नाम रहे। दुबई में इस चैंपियनशिप में दस महिलाओं समेत 20 सदस्य भारतीय मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया, जिनमें से सभी महिलाओं ने जबरदस्त पंच का दम दिखाते हुए दस पदक जीते, जबकि पुरुष वर्ग के पांच खिलाड़ियों ने अपने मुक्कों से पांच पदक भारत के लिए निकाले। भारत के इन 15 पदकों में दो स्वर्ण पदकों को हरियाणा में रोहतक के संजीत सगरोहा ने 91 किग्रा भार और भिवानी की पूजा बोहरा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए झटका। जबकि भारत को मिले पांच रजत पदकों में रोहतक के अमित पंघाल ने 52 किग्रा और पलवल की अनुपमा कुंडू ने 81 किग्रा से अधिक भार के मुकाबले में हासिल कर योगदान दिया। इसके अलावा भारत के लिए मिले आठ कांस्य पदकों में भी पांच पदकों का योगदान कर हरियाणा प्रमुख हिस्सेदार बना। ये पांच कांस्य पदक हिसार के विकास कृष्णा के महिला मुक्केबाजों रोहतक की मोनिका, भिवानी की साक्षी ढांडा और जैस्मीन लंबोरिया तथा हिसार की स्वीटी बुरा ने अपने प्रदर्शन की बदौलत हासिल किये। ----------*हरियाणा ने बढ़ाई भारत की शान: अनिल मान*----------- अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज अनिल मान ने एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय मुक्केबाजों द्वारा भारत के लिए बटोरे गये पदकों के लिए सभी प्रतिभागियों को बधाई दी है। खासतौर से इन 15 पदकों में नौ पदकों की हिस्सेदारी को हरियाणा के पुरुष और महिला मुक्केबाजों ने बढ़ाकर हरियाणा को गौरवान्वित करने पर अनिल मान ने कहा कि भारतीय दल में हरियाणा के मुक्केबाजों ने जिस प्रकार प्रदर्शन किया है। सबसे बड़ी बात है कि भारत के हिस्से में जो दो स्वर्ण पदक आए हैं वह भी हरियाणा के मुक्केबाजों के पंच से निकले हैं। वह इस बात का संकेत है कि खेल जगत में हरियाणा के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे है। मान ने उम्मीद जताई है कि भारतीय मुक्केबाज टोक्यो ओलंपिक में इससे भी बेहतर प्रदर्शन करके भारत के लिए नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे। -------------- *बॉक्सिंग संघों ने दी शुभकामनाएं*---- एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय मुक्केबाजों के प्रदर्शन और रिकार्ड पदक लेकर भारत को गौरवान्वित करने के लिए सभी खिलाड़ियों को भारतीय बॉक्सिंग फैडरेशन के अलावा हरियाणा बॉक्सिंग संघ के पदाधिकारियों ने शुभकामनाएं दी हैं। भारतीय मुक्केबाजों द्वारा दुबई में जबरदस्त प्रदर्शन से रिकार्ड पदक लेकर भारत को गौरवान्वित करने पर हरियाणा मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष मेजर सत्यपाल सिंधु ने इस बात पर खुशी जताई कि दुबई में हुई एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप मे भागीदारी करने गये 20 में से 15 मुक्केबाजों ने अपना शानदार प्रदर्शन करके भारत के लिए दो स्वर्ण पदक समेत 15 पदक लेकर अब तक का रिकार्ड बनाया है। उन्होंने इस रिकार्ड में छह महिलाओं समेत नौ हरियाणवी मुक्केबाजों के प्रदर्शन को लेकर कहा कि अभिभावकों और प्रशिक्षकों के प्रयासों द्वारा जिस प्रकार से प्रतिभाओं को तैयार जा रहा है, उसी का परिणाम है कि भारतीय रिकार्ड में हरियाणा की सर्वश्रेष्ठ हिस्सेदारी है, जिसे भविष्य में और भी बढ़ाने के प्रयास जारी रहेंगे। 02June-2021

रविवार, 6 जून 2021

हरियाणवी महिलाओं के दम पर मुक्केबाजी चमका भारत

दुबई में भारत के लिए बटोरे स्वर्ण पदक समेत दस पदक हरिभूमि न्यूज.रोहतक। दुबई मे चल रही एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय महिला मुक्केबाजों के दल ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए अपने पंच से भारत के लिए दस पदक हासिल किये हैं। दस सदस्यीय महिला दल में छह मुक्केबाज हरियाणा की रही, जिनमें भारत के लिए पूजा बोहरा ने स्वर्ण पदक हासिल किया, जिन्होंने थाईलैंड में भी स्वर्ण पदक हासिल करके हरियाणा का ही नहीं भारतवर्ष को गौरवान्वित किया था। भारतीय महिला दल को अपना दम दिखाकर पदक हासिल करने पर चौतरफा बधाई मिल रही है। हरियाणा के भिवानी की मुक्केबाज पूजा बोहरा ने 75 किग्रा भार वर्ग में भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया, तो वहीं 81 किग्रा से अधिक भार में पलवल की अनुपमा कुंडू ने रजत पदक लिया। रोहतक की मोनिका ने 48 किग्रा, भिवानी की साक्षी ढांडा ने 54 किग्रा और जैस्मीन लंबोरिया ने 57 किग्रा तथा हिसार की स्वीटी बूरा ने 81 किग्रा भार वर्ग में शानदार पंच का प्रदर्शन करते हुए भारत को कांस्य पदक दिलाये। वहीं मणिपुर की विश्व चैंपियन मैरी कॉम ने 51 किग्रा और असम की लालूबुतशी ने 64 किग्रा भार में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए भारत को रजत पदक दिलाए। पंजाब की सिमरनजीत कौर ने 60 किग्रा भार और असम की लवलिना ने 69 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक हासिल कर भारत के लिए अपना दम दिखाया। भारतीय महिला मुक्केबाजों को दुबई में जबरदस्त प्रदर्शन के दम पर भारत के लिए पदक हासिल करने पर भारतीय मुक्केबाजी संघ और व हरियाणा मुक्केबाजी संघ द्वारा बधाई दी गई है। हरियाणा बॉक्सिंग संघ के अध्यक्ष मेजर सत्यपाल सिंधु ने भारतीय महिला मुक्केबाजों को शानदार प्रदर्शन और उनके प्रशिक्षकों की मेहनत से पदक हासिल करने पर शुभकामनाएं दी। उन्होंने खासकर भारत के लिए एक मात्र स्वर्ण पदक हासिल करने वाली भिवानी की पूजा बोहरा समेत हरियाणा की महिला मुक्केबाजों के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके प्रदर्शन से निकले पदकों से भारत ही नहीं, बल्कि हरियाणा भी गौरवान्वित महसूस कर रहा है। ------------------ गुलशन पांचाल ने दी बधाई---- हरियाणा की महिला बॉक्सरों के प्रदर्शन की बदौलत दुबई में चल रही बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत को दस पदक मिले हैं। हरियाणा बॉक्सिंग संघ के रेपरी एंड जजिंग कमीशन के चेयरमैन गुलशन पांचाल ने हरियाणा की सभी छह मुक्केबाजों समेत भारतीय महिला मुक्केबाजी में भारत के हिस्से में आए दस पदकों के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इन पदको के लिए इन खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने वाले कोचों की भी अहम भूमिका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में भी प्रशिक्षक बेहतर खिलाड़ियों को आगे बढ़ाते रहेंगे, ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जीत में हरियाणा हिस्सेदार बनता रहे। -------------------------- हरियाणा के बढ़ते कदम: सांगवान---- पूर्व अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर राजकुमार सांगवान दुबई में एशियिन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हरियाणा की सभी छह महिला बॉक्सरों द्वारा पदक जीतने पर बधाई देते हुए कहा कि इन खिलाड़यों का प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि खेल जगत में हरियाणा के कदम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हटने के बाद एक समारोह में इन पदक विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। सांगवान ने रोहतक के अमित पंघाल व संजीत सगरोह को भी शुभकामनाएं दी। ------------------------- हरियाणा की बढ़ी हिस्सेदारी---- हरियाणा बॉक्सिंग संघ के कोषाध्यक्ष कैप्टन प्रवीर गहलोत ने सभी महिला मुक्केबाजों को पदक हासिल करने पर बधाई दी और उम्मीद जताई कि वे भविष्य में और भी बेहतर प्रदर्शन कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा के नाम को गौरवान्वित करती रहेंगी। भारत को महिला मुक्केबाजी में मिले दस पदकों में से छह में हरियाणा के हिस्सेदार बनने पर खुशी जाहिर की। इसके लिए खिलाड़ियों के साथ उन्होंने प्रशिक्षकों को भी बधाई दी है। ------------------------------ पूजा ने बढ़ाया हरियाणा का मान--- भारतीय महिला मुक्केबाजों को दुबई में चल रही बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पदक हासिल करने पर बधाई देते हुए मेवात बॉक्सिंग संघ के प्रधान यशवीर राघव ने कहा कि भिवानी की पूजा बोहरा ने स्वर्ण पदक झटककर भारत को ही नहीं हरियाणा का भी मान बढ़ाया है। हरियाणा की अन्य पांचों महिला बॉक्सरों ने भी पदक जीते हैं। इसके लिए हरियाणा बॉक्सिंग संघ और बॉक्सिंग कोच भी बधाई के पात्र हैं। ------------------------------------- स्वर्ण पदक के लिए हरियाणा योगदान--- कैथल जिजा बॉक्सिंग संघ के कोषाध्यक्ष विजय ढुल ने दुबई चैंपियनशिप में हरियाणा की महिला बॉक्सरों द्वारा पदक हासिल करने पर शुभकामनाएं दी और कहा कि इससे बढ़कर हरियाणा के लिए कोई खुशी नहीं हो सकती है, कि भारतीय महिलाओं को मुक्केबाजी में मिले दस पदकों में छह हरियाणा की खिलाड़ियों ने हासिल किये हैं। वहीं हरियाणा के लिए यह भी गौरव का विषय है कि भारत के लिए पूजा को मिले स्वर्ण पदक में हरियाणा का योगदान रहा। 01June-2021

मंडे स्पेशल: कोरोना ने खत्म किये रिश्ते-नाते और आस्थाओं की परंपराएं

शमशान घाटों में अपनों का इंतजार कर रही हैं अस्थियां संक्रमण से मौत के बाद अपनों का कंधा तक भी नसीब नहीं ओ.पी.पाल.रोहतक।--- कोरोना ने रिश्तों और मानवता पर दोहरा प्रहार किया है। जिसकी टीस हमारे सामाजिक ताने बाने पर उभरी नजर आ रही है। अनेक पीडित परिवारों का दर्द है कि वो अंतिम समय में अपनों का चेहरा तक नहीं देख पाए। कोरोना प्रोटोकाल के चलते अंतिम संस्कार में उन्हें जाने तक की अनुमति दी गई। यह हमारे रिश्तों और संस्कारों का उजला आईना है जिसका दूसरा पक्ष अंधकार भरा है। इस महामारी में अनेक ऐसे भी रहे जो अपने परिवार में मौत होने पर उसे मुखाग्नि देने को श्मशान घाट तक ही नहीं पहुंच सके। ऐसे में उनका अंतिम संस्कार सरकारी कर्मचारियों ने कर दिया। अब उनकी अस्थियां लेने भी कोई नहीं आया। ऐसे अनेक मृतक हैं जिनकी अस्तियां हरिद्वार ले जाने को समाजिक संस्थाएं आगे आई हैं। हरियाणा के ज्यादातर जिलों में कोरोना की दूसरी लहर के कोहराम के बीच संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा आसमान छूता नजर आ रहा है। अब धीरे धीरे कोरोना संक्रमण के मामलों में तो कमी आ रही है, लेकिन उसके हिसाब से मौतों के आंकड़े में वो कमी आने का नाम नहीं ले रही है। मसलन कोरोना वायरस ने दुनिया ही नहीं बदली, बल्कि सामाजिक और धार्मिक परंपराएं तक बदलने को मजबूर कर दिया। कोरोना की वजह से लोगों में इतना भय बना हुआ है कि उसके कारण अपनो की मौत होने पर वह शमशान घाटों तक नहीं जा पा रहे। कोरोना संक्रमण से मरने वालों को अपनो का कंधा तक नसीब नहीं हो पा रहा है और दाह संस्कार भी स्थानीय निकायों के कर्मचारियों या विभिन सामाजिक संस्थाओं को करना पड़ रहा है। यही नहीं शमशान घाटों में अस्थियां रखने के लिए लॉकर तक बनाने पड़ रहे हैं, जहां अस्थियों को रखा जा रहा है। हालांकि देर से ही सही प्रदेश के ज्यादातर जिलों में परिजन अस्थियां अपना रहे हैं। बाकी जो अपनो का इंतजार करती अस्थियों को शमशान घाटों का संचालन करने वाली समितयां अथवा धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं खुद विसर्जन करा रही हैं। सभी जगह ऐसा भी नहीं है, लॉकडाउन के कारण कुछ परिजन अपनों की अस्थियों को शमशान संचालकों के जरिए अस्थियों को शमशान घाट में ही सुरक्षित रखवा रहे, जिन्हें कुछ दिनों बाद उन्हें विसर्जन के लिए एकत्र करेंगे। ----प्रदेश में आठ हजार से ज्यादा मौतें---- प्रदेश में कोरोना संक्रमण की चपेट में आए आठ हजार से ज्यादा लोगों को मौत ने अपने आगोश में लिया है, लेकिन इनमें से पांच हजार से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना की दूसरी लहर यानि अप्रैल व मई में हुई है। मौजूदा मई का महीना तो हरियाणा के लिए ज्यादा ही खौफजदा रहा है, जिसमें चार हजार लोगों को कोरोना संक्रमण ने लीला है। जाहिर सी बात है कि कोरोना संक्रमण से मरने वालों का अंतिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत होता है। हालांकि हरियाणा में अकेले मई माह में अब तक चार हजार से ज्यादा लागों की संक्रमण से मौत हुई है, जिनमें कुछेक जिनकी अपने घर में ही मौत हुई है को छोड़कर ज्यादातर का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के हिसाब से हुआ है। ----ज्यादातर अपने कर रहे हैं अस्थियां विसर्जित---- हरियाणा में कोरोना के खौफ के बावजूद संक्रमण से मरे लोगों का भले ही अंतिम संस्कार नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग की टीमों या सामाजिक संस्थाओं ने कराया हो, लेकिन अपनों की अस्थियां लेने के लिए ज्यादातर परिवारों ने दिलचस्पी दिखाई है। मसलन हिसार में करीब आठ सौ लोगों का दाह संस्कार नगर निगम की टीमों ने कहराया, लेकिन ज्यादातर लोगों ने अपनों की अस्थियों को ग्रहण किया। इसी प्रकार करनाल में चार सौ लोगों का दाह संस्कार हुआ, जहां अनेक लोगों की अस्थियां शमशान घाटों के लॉकरों में बंद है। महेन्द्रगढ़ जिलें में भी करीब डेढ सौं लोगों की कोरोना से मौत हुई और परंपराओं के विपरीत कोरोना नियम से दाह संस्कार हुआ, ज्यादातर परिजनों ने अपनों की अस्थियों को अपनाया है। यमुनानगर में संक्रमण से मरने वाले करीब 350 का दाह संस्कार हुआ, जिनमें से एक को छोड़कर सभी परिजनों ने अस्थियां चुनी। कुरुक्षेत्र में करीब पौने दो सौं लोगों के दाह संस्कार के बाद अपनों ने अस्थियां चुनकर विसर्जित की। इस जिले में 193 ऐसे लावारिश शवों को दाह संस्कार हुआ, जिनकी अस्थियों को सामाजिक संस्थाओं ने हिंदू रीति रिवाज के साथ हरिद्वारा में विसर्जित किया। रेवाडी में अभी भी 15 लोगों की अस्थियां शमशान घाट के लॉकरों में बंद हैं, जबकि 115 लोगों की अस्थियों को उनके परिजन लेकर गये हैं। जबकि सोनीपत में सामाजिक संस्थाओं द्वारा 420 शवों का दाह संस्कार कराया, जिनमें केवल 15 लोगों की अस्थियां अपनों का इंतजार कर रही हैं। ---क्या है दाह संस्कार का प्रोटोकॉल---- कोरोना प्रोटोकॉल के तहत जिस भी कोरोना संक्रमित मरीज की इलाज के दौरान मौत होती है, तो उसकी सूचना परिजन को तो दी जाती है, लेकिन शव को चिकित्सकों की देखरेख में एंबुलेंस के साथ सीधे शमशान घाट पहुंचा जा रहा है, जहां परिजनों को सीमित संख्या में कोरोना दिशानिर्देशों की पालन की शर्त पर अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बुलाया जाता है। शमशान घाट पर नगर निगम और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पीपीई किट के तहत दाह संस्कार कराया जाता है, जिसमें परिजनों को अपने के अंतिम दर्शन करने की भी इजाजत नहीं है। यदि अंतिम दर्शन कराने होते हैं तो परिवार के केवल दो लोगों को पीपीई किट के साथ कोरोना प्रोटोकोल के पालन के साथ केवल चेहरा दिखाया जा सकता है। इस प्रोटोकॉल के तहत दाह संस्कार से पहले की कोई रस्म तक नहीं हो पा रही है। दाह संस्कार के बाद परिजन अस्थियां ले सकते हैं और यदि समय रहते नहीं ले पाते, तो उन्हें शमशान घाट के लॉकर में रख दिया जाता है। ---क्या रही प्राचीन परंपराएं---- सामान्य या गैर कारोना बीमारी से मरने वाले लोगों का परिजन दाह संस्कार और तेरहवीं जैसी सभी अन्य रस्मे धार्मिक परंपराओं के तहत करते हैं, जिनके अंतिम दर्शन के साथ शव यात्रा में रिश्ते-नाते वालों के अलावा पडोसी और अन्य जानकार भी शामिल होकर परिजनों के साथ अर्थी को कंधा तक देते हैं। शमशान घाट पर वहां की संचालन समिति में शामिल पंडित द्वारा चिता लगाने से पहले की जाने वाली धार्मिक रस्म और नहलाने जैसी परंपरा पूरी की जाती है। इसके बाद तीजा की रस्म से पहले यानि दाह संस्कार के तीसरे दिन सुबह ही परिजन चिता से अपनों की अस्थियां चुनकर ले जाते हैं, जिन्हें गंगा या अन्य जल प्रवाह में रीति रिवाज के साथ विसर्जित करते हैं। इसी प्रकार की बहुत सी परंपराएं हैं जो तीजा और तेरहवीं तक होता है। वहीं देवी देवताओं में आस्था बनाए रखने के लिए पिंड दान की परंपरा भी है। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण पडोसी और रिश्तेदार का तो कोई सवाल ही नहीं, बल्कि परिजन भी अपनो की अस्थियां तक अपनाने से दूर भाग रहे हैं। 31May-2021

साक्षात्कार: समाज हित में ही है साहित्य की सार्थकता

साक्षात्कार: ओ.पी. पाल ----- व्यक्तिगत परिचय--- नाम: डॉ. कमलेश मलिक--- जन्म: 3 अगस्त 1945--- गांव अकड़ोली, जिला हापुड़ (उत्तर प्रदेश)-- शिक्षा: एम.ए. हिंदी एवं संस्कृत, पीएचडी, विशारद (संगीत वादन)-- अनुभव:छोटू राम आर्य कॉलेज,सोनीपत में 26 वर्ष तक हिंदी-संस्कृत विभाग में प्रवक्ता व विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत।-- टीकाराम गर्ल्स कॉलेज सोनीपत में 13 वर्ष तक प्राचार्या के पद पर कार्यरत रह कर सेवानिवृत्त।-- ----------- साहित्य का तात्पर्य स-हित यानि सभी का हित अर्थात साहित्य का उपयोग समाज हित में होना चाहिए। ऐसा मानना हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2019 के लिए ‘श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान’ से सम्मानित महिला साहित्यकार एवं प्रख्यात रचनाकार डॉ. कमलेश मलिक का है। कि आज के इस आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सहारे लेखक बनने और शोहरत हासिल करने के लिए युवा पीढ़ी को पुराने और नामचीन लेखकों को पढ़कर अध्ययन करना चाहिए, तभी वे समाज को दिशा देने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं और साहित्य की प्रासांगिकता को बरकरार रखने में योगदान दे सकते हैं। हालांकि इस इंटरनेट, सोशलमीडिया और अन्य संचार साधनों के बढ़ते इस्तेमाल के बावजूद साहित्य की महत्ता का कम नहीं किया जा सकता। आज की युवा पीढ़ी साहित्य और उसमें रचनाओं के प्रति प्रेरित करने को लेकर डॉ. कमलेश मलिक ने हरिभूमि संवाददाता से खास बातचीत करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया। भारतीय संस्कृति एवं समाज को दिशा देने के लिए खासतौर से युवा पीढ़ी को उत्साहवर्धक रचनाएं, कहानियां, उपन्यास या कविता लिखने के लिए प्रेरित करने पर बल देते हुए डॉ. कमलेश मलिक ने कहा कि साहित्य समाज को दिशा देने का ऐसा माध्यम है जिसमें अपनी प्रतिभा का सकारात्मक कार्यो में उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बेटियों के लिए भी इस प्रकार आत्मनिर्भर बनने पर बल दिया और समाज के लिए आगे आने का आव्हान किया। इसमें महिला साहित्यकार डा. कमलेश ने अपनी दोनों बेटियों पर गर्व और खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भगवान ने वरदान के रूप में ऐसी प्रतिभाशाली बेटियों के रूप में खुशी दी है, जो उनसे भी बढ़कर ढेरों पुरस्कार और सम्मान हासिल कर उन्हें भी हौंसला दे रही है। मसलन एक बेटी मीमांसा मलिक हिंदी के न्यूज चैनल में एक सुप्रसिद्ध एंकरों में शुमार है, तो दूसरी बेटी मेघना मलिक रंगमंच तथा बॉलीवुड की सशक्त अभिनेत्री के रूप में सम्मान हासिल कर हौंसला बढ़ा रही है। इन्हीं प्रतिभाशाली दोनों बेटियों ने अपने पिता की अंतिम यात्रा में कंधा देकर बेटो की भूमिका निभाई। महिला साहित्यकार डा. कमलेश मलिक की प्राथमिक शिक्षा हाथरस के गुरूकुल में हुई और हापुड़ से स्कूली शिक्षा के बाद मेरठ के रघुनंदन कालेज से बीए और फिर हापुड़ के एएसएसवी कालेज से एमए हिंदी की डिग्री हासिल की। उसके बाद सोनीपत के अंग्रेजी प्राध्यापक आर एस मलिक से उनकी शादी हुई तो वहीं वे भी छोटूराम आर्य कालेज में हिंदी प्रध्यापिका नियुक्त हो गई और 26 साल तक हिंदी व संस्कृत विभाग में प्रवक्ता व विभाध्यक्ष के पद कार्य किया। इसके बाद उनकी नियुक्ति टीकाराम गर्ल्स कालेज सोनीपत में हुई, जहां 13 साल तक नौकरी करते हुए प्राचार्य पद से 2005 में सेवानिवृत हुई। वह अपने कार्यकाल में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण गतिविधियों में भी सक्रिय रही हैं। खासबात ये है नौकरी करते हुए बीच में ही उन्होंने एमए संस्कृत और पीएचडी भी की। सेवानिवृत्ति के बाद से डा. कमलेश स्वतंत्र लेखन करती आ रही है, जिनकी रचानाएं और कविताएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में छपती रही हैं। इसके अलावा आकाशवाणी रोहतक से कहानी वार्ता एवं कवि गोष्ठियों में उनकी सहभागिता निभाती आ रही डा. कमलेश मलिक छह साल तक तक दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मुरथल में वूमेन सेल की सदस्य रहीं। वह भगत फूलसिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर में 3 वर्ष तक एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मेंबर भी रही हैं। डा. मलिक अंतरराष्ट्रीय समाज सेवा संस्था इनरव्हील के विभिन्न पदों पर रहते हुए गरीब लड़कियों को शिक्षित करने एवं महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वे अदबी संगम एवं महिला काव्य मंच जैसी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े रहकर नारी लेखन को प्रोत्साहित कर रही हैं। ---प्रकाशित कृतियां---- साहित्य के क्षेत्र में डा. कमलेश के तीन कथा संग्रह और दो काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तक शंकर वेदांत एवं हरियाणा का संत साहित्य(आलोचना) के साथ उनके कहानी संग्रह ‘चक्रव्यूह’, ‘सिर्फ अपने लिए’, ‘एक मोर्चा और’ के अलावा कविता संग्रह ‘संवेदना के स्वर’ पुरस्कृत हो चुकी हैं। इसके अलावा भाव-कलश, स्त्री का आकाश, युगपुरुष नेहरू, लघुकथा वर्तिका, लघुकथा हरियाणा और संवाद जैसे अनेक संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। जबकि कहानी संग्रह ‘सोलह परिवार’ काव्य संग्रह ‘शब्दों का सिलसिला’, बाल कविता ‘बाल-मन’ प्रकाशनाधीन हैं। ---पुरस्कार व सम्मान--- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा अभिनंदन सम्मान योजना के तहत वर्ष 2019 की ‘श्रेष्ठ महिला रचनाकार’ का सम्मान पाने वाली डा. कमलेश मलिक को इससे पहले अकादमी उनके दोनों कथा संग्रहों पर वर्ष 2009 और 2018 में श्रेष्ठ कृति के पुरस्कार का सम्मान दे चुका है। साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 1984 की प्रतियोगित में उनकी कहानी ‘रिश्ता’ को प्रथम पुरस्कार और 2007 में कहानी ‘जीना सीख जाओगे’ को तृतीय पुरस्कार दिया जा चुका है। इसके अलावा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय साहित्यक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। ऐसे प्रमुख पुरस्कारों में श्रेष्ठ कृति पुरस्कार, एमिनेंट सिटीजन अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, गुरु द्रोणाचार्य अवार्ड, साहित्य सेवा सम्मान, प्रज्ञा साहित्य सम्मान, साहित्य सम्मान, महिला काव्य सम्मान शामिल हैं। 31May-2021

संपादकीय: कोरोना की तीसरी लहर का डर साजिश का हिस्सा

-डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा----- चेयरमैन, आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड, यूपी कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की संभावना है लेकिन कब आएगी इसका अभी अंदाजा नहीं है। फिर भी इन दो लहरों से सबक लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने पहले से पूरी तैयारी कर रही है। दरअसल वैश्विक कोरोना महामारी से निपटने के लिए जिस प्रकार मोदी सरकार कोरोना वैक्सीन और अन्य दवाई के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को पुख्ता करके चौतरफा चुनौतियों का मुकाबला कर रही है। वहीं राष्ट्रीय संकट में सकारात्मक भूमिका निभाने से ज्यादा नकारात्मक भूमिका में सामने आ रहे कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की चुनौती को स्वीकार करना पड़ रहा है। कोरोना की तीसरी लहर का डर भी अपनी सियासत में मशगूल विपक्षी बाज नहीं आ रहे, लेकिन इसकी परवाह किये बिना केंद्र की मोदी सरकार कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने पर फोकस किये हुए है। केंद्र सरकार ने पिछले साल कोरोना की पहली लहर में उसके वेरिएंट की जानकारी न होते हुए भी सफलता के साथ मुकाबला किया और कोरोना स्वदेशी वैक्सीन तैयार करके विश्व में भारत को पहचान दिलाई। मोदी सरकार की इस पहल का जहां विश्व के अन्य देश तारीफ करते नहीं थके, वहीं नकारात्मक सोच के साथ खासकर कोरोना की दूसरी लहर के कहर के बीच ऑक्सीजन, बेड, वेंटीलेटर और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की कमी का हाहाकार मचा, हालांकि देश में इन सुविधाओं की कमी नहीं थी, बल्कि दूसरी लहर का वेरिएंट ऐसा कहर बरपाएगा इसका अंदाज न होने से ऐसी तैयारियां नहीं थी। फिर भी जांच पड़ताल के बाद पता चला कि विश्व में मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर नकारात्मक भूमिका निभाने वालों ने खासकर ऑक्सीजन, बेडो और वेलटीनेटर की कमी का फर्जी तरीके से हाहाकार मचाकर भ्रमजाल बुनना शुरू किया। इसके बावजूद एक सप्ताह में मोदी सरकार ने ऑक्सीजन और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को जिस प्रकार से दुरुस्त किया, उसकी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत की पीठ थपथपाई है। जबकि अन्य देशों में भी कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है। अमेरिका के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है जहां जनसंख्या के लिहाज से जिस प्रकार कोरोना संक्रमण को काबू करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं उसका अन्य देशों से मुकाबला नहीं किया जा सकता। वहीं देश में कोरोना संकट में दूसरी लहर के कोरोना वेरिएंट को भारतीय करार देने के प्रयास भी नकारात्मक भूमिका निभाने वालों की साजिश के सहारे ही विदेशी मीडिया को वो मौका मिला जिसमें भारत की छवि को खराब किया जा सके। जहां तक मानवता का सवाल है उसमें दुनिया में किसी भी देश में संकट के समय सभी एकजुट होकर उससे उबरते देखे गये हैं। ऐसे देशों में भारत भी शामिल रहा है, लेकिन यहां कोरोना काल में पहले तो विपक्षी दल सरकार के साथ एकजुट होकर जंग लड़ने की दुहाई देते दिखे, लेकिन जब कोरोना की जंग में केंद्र सरकार के प्रयासों की गूंज विश्व में सुनाई देने लगी तो विपक्षी दलों ने कोरोना के बजाए केंद्र सरकार से ही जंग लड़ने की रणनीति बनाकर न जाने किस किस प्रकार की साजिशों के ताने बाने बुनने का प्रयास किया। लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने के बजाए वैक्सीन को लेकर भी सवाल तक खड़े किये, जिसे मानवता का संदेश कतई नहीं कहा जा सकता। देश में जहां तक कोरोना संकट की तीसरी लहर में बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव का सवाल है उसके लिए भी एम्स दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया और नीति आयोग के सदस्य(स्वास्थ्य) डा. विनोद कुमार पॉल बार बार यह कह रहे हैं कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर में उन बच्चों पर असर नहीं होगा, जिन बच्चों की प्रतिरोधात्मक क्षमता ठीक है। इसलिए जिस तरह का डर पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है, उसके झांसे में आने या डरने की आवश्ययकता नहीं है। वहीं केंद्र सरकार को कोरोना सुरक्षा कवच के रूप में बच्चों की वैक्सीन के ट्रायल का भी मिल चुकी है। तीसरी लहर की संभावना के मद्देनजर भारत की सभी तरह के संसाधनों को जुटान और उसके आधार पर वैक्सीनेशन के उत्पादन व टीकाकरण में तेजी लाने की रणनीति तैयार की गई है। मेरा मानना है कि पहली लहर के असर बेहद कम होने के बाद आमजन द्वारा बरती गई लापरवाही का ही नतीजा रहा कि दूसरी लहर आक्रमकता के साथ लोगों को ऐसे समय प्रभावित करती नजर आई, जब देश में वैक्सीनेशन का अभियान तेजी से चल रहा था। बाकी की कसर देश के सियासतदानों ने भय, भ्रम और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का भ्रामक तरीके से हाहाकार मचाकर लोगों की कीमत के मुकाबले राजनीति करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। इस सियासत में ऐसे सियासी दलों ने केंद्र में पदस्त मौजूदा सरकार के प्रधानमंत्री के प्रति संवैधानिक प्रॉटोकॉल की भी धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसमें अभद्र शब्दावली का भी इस्तेमाल होता देखा गया। इसलिए मेरा मानना है कि भविष्य की नई पीढ़ी के लिए जब कभी भा कोरोना का इतिहास लिखा जाएगा तो खासकर भारत में विपक्ष द्वारा इस संकटकाल में निभाई जा रही नकारात्मक भूमिका भी उसका हिस्सा बनेगी? -(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) 30May-2021

ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण पर काबू करने पर फोकस

अधिकारी लगातार सुविधाओं का ले रहे हैं जायजा हरिभूमि न्यूज.रोहतक। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को काबू करने की दिशा में जिला प्रशासन लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने और निगरानी करने में जुटा हुआ है। इसके लिए अधिकारियों के दल लगातार ग्रामीण क्षेत्रों मे भम्रण भी कर रहे हैं। राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा गठित की गई अधिकारियों की टीमें लगातार ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करके वहां बनाए गये कोविड केयर सेंटरों का निरीक्षण करके कोरोना मरीजों को दी जा रही स्वास्थ्य एवं अन्य सुविधाओं का जायजा लेने में लगे हुए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ प्रशासनिक अधिकारी गांव में लोगों को जागरूक करके कोरोना बचाव के उपायों की जानकारी देकर उन्हें सतर्कता बरतने का संदेश भी दे रहे हैं। जिला प्रशासन के निर्देश पर जिला राजस्व अधिकारी पूनम बब्बर ने गांव मदीना, अजायब, निंदाना व भराण का दौरा किया, जहां उन्होंने इन गांवो में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचकर वहां बनाए गये कोरोना केयर सेंटर पर स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होंने गांवों में वहां के निवर्तमान सरपंचों, नम्बरदारों व जनसाधारण से बातचीत करके प्रशासन द्वारा मुहैया कराई जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी हासिल की। अधिकारियों ने ग्रामीणों से कोरोना के बचाव के लिए सभी तरह के उपाय करने की अपील की। इस दल ने इन केंद्रों पर उपलब्ध स्वास्य एवं अन्य सुविधाओं के अलावा आशा कार्यकर्ताओं, निवर्तमान सरपंचों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मास्क भी उपलब्ध कराए। ---------------------- ऑक्सीजन सिलेंडर की होम डिलिवरी----- रोहतक। जिले में घरों में पृथकवास में रह रहे कोरोना संक्रमितों के लिए ऑक्सीजन मुहैया कराने की व्यवस्था के तहत अब तक 594 ऑक्सीजन सिलेंडरों की होम डिलिवरी की गई है। जिला प्रशासन की व्यवस्था में जुटी जिला रैडक्रास सोसायटी के सचिव देवेंद्र चहल के अनुसार जिले में ऐसे होम आईसोलेट मरीजों को मुहैया कराई गई 594 ऑक्सीजन सिलेंडरों की होम डिलिवरी में बुधवार को 31 ऐसे मरीज शामिल रहे, जिन्हें ऑक्सीजन सिलेंडरों की होम डिलिवरी रैडक्रास सोसायटी व विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से की गई है। ऑक्सीजन सिलेंडरों की होम डिलीवरी की इस व्यवस्था में सती भाई सांई दास सेवादल रोहतक तथा हरिओम सेवादल रोहतक द्वारा सहयोग दिया जा रहा है। 27May-2021

मंडे स्पेशल: कोरोना के साथ नई मुसीबत बना ‘फंगस’

प्रदेश में अब तक 421 मरीज, एक दर्जन से ज्यादा की मौत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में 20-20 बेड ब्लैक फंगस’ के लिए आरक्षित ओ.पी.पाल.रोहतक। प्रदेश में कोरोना संक्रमण का कहर अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं इसके साथ ही ‘ब्लैक फंगस’ ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया। प्रदेश में अब तक फंगस 421 मामले आ चुके है, जिनमें से एक दर्जन से ज्यादा मरीजों की मौत होने की खबर है, लेकिन सरकार की और से अभी तक इस बीमारी से मरने वालों का आंकड़ा जारी नहीं किया गया है। इस नई बीमारी के चलते राज्य सरकार को कोरोना की तर्ज पर इस बीमारी को भी महामारी घोषित करना पड़ा। इस नई बीमारी के नियंत्रण को राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में ‘ब्लैक फंगस’ के मरीजों के लिए 20-20 बेड आरक्षित करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं। हरियाणा में कोरोना संकट के बीच ब्लैक फंगस यानी ‘म्यूकरमाइकोसिस’ के बढ़ते मामलों ने राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। कोरोना वायरस के खिलाफ प्रदेश में लड़ी जा रही जंग के साथ अब सरकार को ब्लैक फंगस की इस नई बीमारी से निपटने की भी चुनौती होगी, जिसे सरकार महामारी अधिसूचित कर चुकी है। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के मेडिकल कालेजों में बनाए गये कोविड अस्पतालों में 20-20 बेड ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए आरक्षित करने के दिशानिर्देश दिये हैं। सरकार ने प्रदेश के मेडिकल कालेजों को जिले आवंटित किये है। मसलन मेडिकल कालेज आवंटित किये गये जिलों से आने वाले ब्लैक फंगस के मरीजों को ही बेड मुहैया कराएंगे। सरकार के आदेशों के अनुसार अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों की स्क्रीनिंग और प्रबंधन का जिम्मा 600 डेंटल सर्जन को सौंपा गया है। सरकार ने इसके लिए स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमली वेलफेयर द्वारा सरकारी डेंटल सर्जनों को बीमारी की जांच और प्रबंधन के बारे में विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस बीमारी के आंकड़े स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित मेडिकल कॉलेजों से तालमेल कर एकत्रित किए जाएंगे। सरकार कोरोना की वैक्सीन के साथ ही ब्लैक फंगस के इंजेक्शन के लिए भी वैश्विक निविदा जारी करेगी। इसका मकसद ब्लैक फंगस की रोकथाम करके इस नई चुनौती से निपटना है। ---इंजेक्शन के नाम पर ऊंट के मुहं में जीरा---- प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार से फिलहाल फंगल-रोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी के 12 हजार इंजेक्शन की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने केवल 1250 इंजेक्शन राज्य को दिये हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मुहैया कराए गये इंजेक्शन अपर्याप्त हैं, क्योंकि एक मरीज को एक दिन में चार इंजेक्शन लगाए जाते हैं। ऐसे हालातों में ब्लैक फंगस से निपटने की चुनौती खड़ी होती नजर आ रही है। ऐसे में राज्य सरकार ने विशेषज्ञों को वैकल्पिक एंटी फंगल इंजेक्शन की तलाश करने का भी सुझाव दिया है। ----प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीज---- अभी तक ब्लैक फंगस के अंबाला में 7 मरीज पाए गए हैं, जबकि भिवानी में 10, फरीदाबाद में 40, फतेहाबाद में 5, गुरुग्राम में 109, हिसार में 23, जींद में 2, करनाल में 11, पंचकूला में 4, पानीपत में 8, रेवाड़ी में 3, रोहतक में 20, सिरसा में 24 और सोनीपत-पलवल में 1-1 मामला सामने आया है। वहीं, विभाग के अनुसार, ब्लैक फंगस से सिरसा में 5, गुरुग्राम 3 और सोनीपत 1 मरीज की मौत हो चुकी है। ----व्हाइट और ब्लैक फंगस में अंतर--- विशेषज्ञों के अनुसार इस बात का कोई आधार नहीं है कि ‘व्हाइट फंगस’ ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक है। ब्लैक फंगस इससे ज्यादा आक्रामक है जो साइनस, आंखों, मस्तिष्क को बहुत नुकसान हो सकता है और जिसके लिए बड़ी सर्जरी की आवश्यकता होती है। यह फंगस एक से दूसरे मरीज में नहीं फैलता है, लेकिन यह इतना खतरनाक है कि इसके 54 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। जबकि व्हाइट फंगस (एस्परगिलोसिस) ब्लैग फंगस जितना खतरनाक नहीं है। इसका इलाज 1-1.5 महीने तक जारी रह सकता है इसलिए शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है। ---कोविड मरीजों को इसलिए खतरा---- दरअसल जब व्यक्ति कोरोना वायरस से ग्रस्त होता है, तो उसके शरीर में खून की कोशिकाएं टूटने से आयरन निकलता है और आयरन ब्लैक फंगस का मनपसंद भोजन है। वहीं स्टेरॉयड से उसकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, इसलिए भी सांस के जरिए नाक में जगह बना लेता है। जिन कोविड मरीजों को मुहं में पाइप लगाकर ऑक्सीजन दी जा रही है उसे फंगल इंफेक्शन होने के खतरा बना रहता है। एक अध्ययन पर गौर करें तो कम ऑक्सीजन (हाइपोक्सिया), उच्च ग्लूकोज, अम्लीय माध्यम और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स के उपयोग के कारण सफेद रक्त कोशिकाओं की गतिविधि में कमी में कोरोना से उबर चुके लोगों में फंगस म्यूकोरालेस बीजाणु फैल रहे हैं। ब्लैक फंगस नाक, साइनस, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, फेफड़े, जठरांत्र संबंधी मार्ग, त्वचा, जबड़े की हड्डियों, जोड़ों, हृदय और गुर्दे को प्रभावित कर सकता है। -----ज्यादा खतरे में मधुमेह रोगी---- आईसीएमआर की ओर से जारी नए नियमों के मुताबिक ब्लैक फंगस उन मरीजों में फैलता है, जो पहले से किसी दूसरी बीमारियों की दवा ले रहे हैं। उन कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा देखा जा रहा है, जिन्हें लक्षणों के इलाज के लिए स्टेरॉयड दिया गया। ब्लैक फंगस कोरोना से पीड़ित उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है, जो शुगर और कैंसर से पीड़ित हैं। डॉक्टर की माने को जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उन्हें ज्यादा खतरा है। -----ब्लैक फंगस के लक्षण?---- ब्लैक फंगस के लक्षणों की बात करें तो इसमें सिरदर्द, चेहरे पर दर्द, नाक बंद, आंखों की रोशनी कम होना या फिर दर्द होना, मानसिक स्थिति में बदलाव या थकान होना, गाल और आंखों में सूजन, दांत दर्द, दांतों का ढीला होना, नाक में काली पपड़ी जमना, सांस लेने में तकनीफ, खांसी और खून की उल्टी होना। बचाव के लिए क्या करना चाहिए? ----क्या है बचाव व सावधानी---- ब्लैक फंगस से बचने के लिए धूल वाली जगह पर मास्क पहनकर जाएं। मिट्टी, काई के पास जाते समय जूते, ग्लब्स, फुल टीशर्ट और ट्राउजर पहनें। कंस्ट्रक्शन साइट व डस्ट वाले एरिया में न जाएं, गार्डनिंग या खेती करते वक्त फुल स्लीव्स से ग्लब्ज पहनें, मास्क पहनें, उन जगहों पर जाने से बचें, जहां पानी का लीकेज हो, जहां ड्रेनेज का पानी इकट्ठा हो। जिन्हें कोरोना हो चुका है, उन्हें पॉजिटिव अप्रोच रखनी चाहिए। कोरोना ठीक होने के बाद भी रेगुलर चैकअप कराते रहें। यदि फंगस के कोई भी लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इससे ए फंगस शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ जाएगा और इसका समय पर इलाज हो सकेगा। डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है। एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवा का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए। स्टेरॉयड का उपयोग होम आइसोलेशन के बाद नहीं करें। ----एम्फोटेरिसिन-बी दवा के उत्पादन का दबाव--- भारत सरकार ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार के लिए फंगल-रोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी की आपूर्ति और उपलब्धता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से हरसंभव प्रयास कर रही है। क्योंकि म्यूकोर्मिकोसिस यानि ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फंगल-रोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी की भी कमी बताई गई है। औषध विभाग और विदेश मंत्रालय के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एम्फोटेरिसिन-बी दवा के घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने वैश्विक उत्पादकों से आपूर्ति हासिल करके घरेलू उपलब्धता को पूरा करने के लिए प्रभावी प्रयास किए हैं। ----सतर्कता बरतने की जरूरत---- मौजूदा माहौल में हमें और भी सतर्क रहने की जरूरत है। ताकि, फंगल और बैक्टीरिया से बचाव कर सकें। ऐसे में विशेष तौर पर लोगों को धूल-मिट्टी भरी कंस्ट्रक्शन साइट पर जाने से पहले डबल मास्क जरूर पहनना चाहिए। बागवानी या मिट्टी से जुड़ा काम करते समय भी विशेष ध्यान रखें। अपनी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। किसी भी स्तर लापरवाहीं बरतना उचित नहीं। ---आराम का मतलब, सिर्फ आराम---- ब्लैक फंगस के बचाव में कोविड से रिकवर करने के बाद हमें आराम करने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में आराम के नाम पर हम अपनी आंखों पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं, जिसमें घंटो तक लैपटॉप या टीवी के साथ बिताना खतरे से खाली नहीं है। ते हैं। इसकी वजह से आंखों में दबाव बनने और थकान होने की वजह से मरीज के सिर में दर्द भी होता है। मानसिक दबाव कुछ और सोचने के बजाए सिर्फ आराम ही करना चाहिए। बॉक्स ---ऐसे होगा उपचार--- फंगल एटियोलॉजी का पता लगाने के लिए केओएच टेस्ट और माइक्रोस्कोपी की मदद लेने से घबराएं नहीं। तुंरत इलाज शुरू होने पर रोग से निजात मिल जाती है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। मौजूदा वक्त में बीमारी से निपटने के लिए सुरक्षित सिस्टम नहीं है। सतर्कता ही बचाव का एकमात्र उपाय है। बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर इसका असर देखने को मिला है। ----------- टेबल: ब्लैक फंगस के मरीज अंबाला 11 भिवानी 12 फरीदाबाद 50 फतेहाबाद 6 गुरुग्राम 149 हिसार 88 जींद 2 करनाल 17 पलवल 1 पंचकूला 5 पानीपत 15 रेवाड़ी 4 रोहतक 26 सिरसा 25 सोनीपत 2 यमुनानगर 1 --------- एक्सपर्ट व्यू एम्स नई दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोविड-19 के मरीजों द्वारा ली जा रही स्टेरॉयड की अधिक खुराक किसी काम की नहीं है। हल्की से मध्यम खुराक काफी अच्छी होती है। आंकड़ों के मुताबिक स्टेरॉयड सिर्फ 5 से 10 दिन तक ही देना चाहिए। क्योंकि स्टेरॉयड ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा देते हैं, जिसे नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। उन्होंने ने कहा कि यह बदले में फंगल संक्रमण से ब्लैक फंगस की की संभावना को बढ़ा सकता है। -डा. रणदीप गुलेरिया, निदेशक एम्स नई दिल्ली -------------- आयुर्वेदिक उपचार से बचाव संभव: डा. संजय जाखड रोहतक। आयुर्वेद से जुड़े चिकित्सक डा. संजय जाखड़ का स्पष्ट कहना है कि कोरोना के उपचार की ही देन है ब्लैक फंगस। मलसन कोविड वायरस के इलाज में दवाईयों के इस्तेमाल के तरीकों और बिना किसी कारणों तनाव न इन हालातों को पैदा किया है। आयुर्वेद कहता है कि फंगस नमी और गंदगी की तरफ आकर्षित होता है। इसलिए साफ सफाई और नाक, कान, मुहं और आंखो की साफ सफाई के लिए चिकनाई जरुरी है। यानि आंख में गाय का देसी घी, नाक में सरसों का तेल, कान में लहुसनयुक्त तेल, मुहं में फिटकरी के गरारे करने से ब्लैक फंगस से बचाव किया जा सकता है। स्वर्णभस्म के साथ हल्दी, फिटकरी, सैंदा नमक और सरसों का तेल मिश्रण करके गरारे करने से भी कोई भी फंगस से दूर रह सकता है। ब्लैक फंगस के बचाव के लिए डा. जाखड़ ने घर या अन्य जगह की साफ सफाई की निगरानी करने, पानी को लगातार बदलते रहने और अपने इन संबन्धित अंगों की सफाई व निगरानी करने पर बल दिया है। इसके अलावा कोविड से ठीक होने के बाद भी बाहर न निकलें और हर सप्ताह ईएनटी, नेत्र रोग विशेष, न्यूरोसर्जरी और मेडीसन के डॉक्टर से चेक करवाएं। बार-बार मुहं साफ करते रहें, गर्म पानी के गरारें करें। नाक से भी पानी लेकर गरारे की तरह करें। इससे 80 प्रतिशत ब्लैक फंगस से बचाव हो सकता है। 24May-2021

साक्षात्कार: ललिता चौधरी ने हरियाणवी रेजा को दी अंतर्राष्ट्रीय पहचान

सात समंदर पार तक होने लगी देशी खादी के परिधानों की मांग साक्षात्कार: ओ.पी. पाल हरियाणा के पारंपरिक रेजा से बने परिधान(कपड़े) को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने वाली हरियाणा की बेटी ललिता चौधरी एक ऐसी सुप्रसिद्ध फैशन डिजाइरों में शुमार हो चुकी है, जिनके हाथ से तैयार रेजा यानि देशी खादी के परिधानों की मांग सात समंदर पार तक होने लगी है। दरअसल एक तरह से विलुप्त होती हरियाणवी रेजा की कला को पुनर्जीवित करने के मकसद से ललिता चौधरी ने रिसर्च करने के बाद नेचुरल फैब्रिक रेजा पहचान दिलाना ही अपनी जिंदगी का बना लिया। हरियाणवी रेजा का भारतीय समाज में नई दिशा देने वाली अंतर्राष्ट्रीय फैशन डिजाइनर ललिता चौधरी ने हरिभूमि संवाददाता से विशेष बातचीत में प्राकृतिक रेजा के इतिहास और इससे बने परिधानों के फायदों को लेकर अनेक ऐसे पहलुओं को साझा किया, जो आज के इस आधुनिक युग में नई पीढ़ी को भी भारतीय संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रेरित करती हैं। 
भारतीय संस्कृति में पाश्चत्य संस्कृति इस कदर प्रवेश कर चुकी है कि तमाम पारंपरिक रीति रिवाज हो या खानपान और यहां तक कि पहनावा भी विदेशी डिजाइन के कपड़ों ने पूरी तरह से बदल दिया है। ऐसे में हरियाणा के ग्रामीण परिवेश में पली और साधारण, मधुर व्यवहार वाली रोहतक के नदीकी गांव बोहर की रहने वाली ललिता चौधरी ने फैशन डिजाइनर की डिग्री लेने के बाद फैशन डिजाइनों के परिधानों की चकाचौंध में जाने के बजाए भारतीय संस्कृति को सर्वोपरि रखा और नेचुरल फैब्रिक रेजा यानि देशी खादी को बढ़ावा देने की ठान ली, जो खासकर हरियाणा का पारंपरिक रेजा एक ऐसा नेचुरल फाइबर है, जिससे बने कपड़े गर्मी, सर्दी या वर्षाऋतु जैसे मौसमों में भी इंसान के शरीर के तापमान को संतुलित रखने में सक्षम हैं। रेजा के इतिहास के बारे में ललिता चौधरी ने कहा कि रेजा हरियाणा की करीब तीन शताब्दी पुरानी कला है, जिसका जिक्र गरीबदास की पौथी में में भी मिलता है। लेकिन पाश्चत्य संस्कृति का दौर बढ़ने के साथ साथ धीरे धीरे इस कला को भुला दिया या विलुप्त कर दिया गया। उन्होंने बताया कि डेढ़ सौ साल पुराने रेजा से बने कपड़ों को एकत्र किया और कला पर को फिर से पहचान दिलाने के लिए रेजा पर दो-तीन तक साल रिसर्च किया। हरियाणा में कुछ साल पहले शायद ललिता चौधरी ही एक ऐसी अकेली महिला थी, जो रेजा से कपड़े तैयार कर रही थी, लेकिन बकौल ललिता 2016 से उन्होंने देश में महिला सशसक्तिकरण के सरकारी मंत्र को नई दिशा देते हुए सूबे की महिलाओं को रेजा के लिए प्ररित करना किया। वे आज भी महिलाओं, बेरोजगारों और यहां तक जेल में विचारधीन कैदियों को भी रेजा तैयार करने का प्रशिक्षण दे रही हैं। 
महिलाओं में बढ़ी आत्मनिर्भरता
हरियाणा में पुनर्जीवित होती रेजा कला की परंपरा साफतौर पर नजर आ रही है। ललिता चौधरी के खुद गांव में रेजा और रेजा से कपड़ा तैयार करने वाली अनेक हथकरघा यानि खड्डियां लगी है और महिलाएं घरों में चरखे से रेजा भी तैयार कर रही हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी ललिता चौधरी हरियाणा में ही नहीं देश के अन्य राज्यों में भी रेजा कला को प्रोत्साहित करके खासकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में लगी है। इसका नतीजा यह है कि अब रेजा से बनने वाले आधुनिक वस्त्रों की तकनीकी हासिल कर महिलाएं एक उद्यमी के रूप में काम करने लगी हैं। उनका मानना है कि इससे रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिल रहा है। मसलन वे रेजा को तैयार करने का जेलों में कैदियों और स्कूलों में विद्यार्थियों को भी कौशल प्रशिक्षण दे रही हैं। उनके खुद के गांव में खाकी कपास की खेती होने लगी है, जिससे सूती और नेचुरल फैब्रिक रेजा को नई तकनीक मिलेगी।
रेजा से जन्म का नाता
ललिता चौधरी ने रेजा कला की पंरपरा का जिक्र करते हुए कहा कि कई बार कुछ पुरानी परंपरा की बातें भले ही अजीब लगती हों, लेकिन इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि इंसान के जन्म से रेजा कला का सीधा नाता जुड़ा है। यदि देखा जाए तो 50 साल पहले जन्में लोगों को इसकी परंपरा का स्मरण हो जाएगा। कहने का तात्पर्य है कि जब बच्चे का जन्म होता था तो रेजा से बने कपड़े के ही पौतड़े ही इस्तेमाल किये जाते थे और बच्चों को गर्मी या सर्दी से बचाए रखने के लिए रेजा यादी देशी सूत से बने कपड़े में ही रखा जाता था। मसलन इस आधुनिक युग में जिंदगी से जुड़े इस इतने गहरे विज्ञान को भी छुपाए रखा या उसे भुला दिया गया है। 
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेजा की पहचान
हरियाणवी रेजा की पंरपरा में रेजा कला को फिर से ललिता चौधरी ने जो पहचान दिलाई है, उसी का नतीजा है कि देश-विदेशों में आयोजित होने वाले फैशन वीक में रेजा से बने परिधान अलग-अलग डिजाइनों में लोगों को आकर्षित नजर आने लगे है। वर्ष 2016 से अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प बाजार में विशिष्ट पहचान बनाने वाली ललिता के बनाए हुए हरियाणवी रेजा के परिधानों ने अमेरिका के शहर न्यूयार्क में आयोजित फैशन वीक जो धूम मचाई थी, उसने हरियाणवी रेजा को ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति को चार चांद लगा दिये। इसी प्रकार फरीदाबा के हरसाल लगने वाले सूरजकुंड मेले में रेजा के परिधान देश विदेश के आने वाले पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं। करीब सात साल से रेजा को हाथ से तैयार करने के बाद हथकरघा(खड्डी) पर कपड़ा तैयार करके अलग अलग तरह के डिजाइनों में परिधान बनाये जा रहे हैं। रेजा की परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए वे महिलाओं का भी सशक्तिकरण कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुटी है। उनकी यह मुहिम आज इस मुकाम तक पहुंच चुकी है कि रेजा फैब्रिक की मांग विदेशों में भी होने लगी है। 
ऐसे तैयार होता है रेजा
प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर व समाजसेविका के रूप में ललिता चौधरी ने बताया कि पुराने जमाने में घरों में चरखे पर महिलाएं कपास यानि रुई को चरखे पर कातती थी, जो एक रेजा कला थी। धीरे धीरे भौतिकवाद की संस्कति में ढलते समाज में ये परंपराएं खत्म हो गई। इस परंपरा में चरखे पर कताई से तैयार धागे को रंगरेज के पास रंगाई और उसके बाद जुलाहे के पास भेजा जाता है, जहां हथकरघा(खड्डी) पर अलग-अलग रंगों व डिजाइनों में देकर कपड़ा तैयार कराया जाता है। 
रेजा से कई चीजें तैयार
ललिता ने बताया कि रेजा का धागा मोटा होता है,लेकिन उन्होंने रिचर्स के बाद पतला धागा तैयार कराना शुरू किया है। उन्होंने बताया कि अब घरों में ही रेजा से बने जूते,चप्पल, साड़ी, कुर्ता ,पजामा ,शाल,चादर, बैग, पर्स, परदे, जैकेट आदि सामान भी बना रही हैं और बनवा भी रही हैं। इस फैब्रिक यानि कपड़ा सर्दी और गर्मी के लिए आरामदायक होता है और शरीर के लिए भी अनुकूल है यानि एक तरह से यह एंटी वैक्टीरियाल और रसायनमुक्त है। 
सम्मान की हकदार ललिता
हरियाणा रेजा को नई पहचान देने वाली ललिता चौधरी को राज्यपाल कलाश्री पुरस्कार से सम्मानित कर चुके हैं। वहीं चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने समाज सेवा और उद्यम को प्रोत्साहित करने व उत्कृष्ट कार्य के लिए वीमैन आईकॉन ऑफ द ईयर सम्मान से भी नवाजा है। राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा हरियाणा कला परिषद के अभियान ‘म्हारी बेटी, म्हारा अभिमान’के तहत भी सम्मान हासिल हुआ है। इसके अलावा इस कार्य और समाज को दिशा देने में योगदान करने वाली ललिता चौधरी को विभिन्न संस्थाएं सम्मान दे चुकी हैं। ---
कोरोनाकाल में योगदान
हरियाणवी रेजा कला का इस्तेमाल कोरोनाकाल के दौरान मास्क बनाने में भी किया गया। ललिता के अनुसार आयुष मंत्रालय के आर्डर पर बनाए गये रेजा के मास्क बेहद पसंद किये गये। यही नहीं फैशन डिजाइनर ललिता चौधरी का केरल सरकार के साथ एक अनुबंध हुआ है, जिसके तहत वे केरल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को रेजा तैयार करने का प्रशिक्षण देंगी। 24May-2021

अब जांच के नाम पर नहीं होगी ज्यादा धन की वसूली

प्रशासन ने निर्धारित की प्रयोगशालाओं में विभिन्न जांच दरें जांच की ज्यादा वसूली पर निगरानी समिति का गठन हरिभूमि न्यूज.रोहतक। कोरोना संक्रमण के संकट काल में जांच के नाम अब कोई प्रयोगशाला मरीजों से ज्यादा धनराशि नहीं वसूल पाएगी। जिले में लोगों पर पड़ रहे आर्थिक बोझ को कम करने की दिशा में प्रशासन ने विभिन्न जांच के लिए दरों का निर्धारण कर दिया है। इसकी निगरानी के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया है। जिला प्रशासन के संज्ञान में आया है कि कोरोना काल के संकट के दौरान जिले में डायग्नोस्टिक सेंटरों, प्रयोगशालाओं एवं अस्पतालों द्वारा किसी भी बीमारी की जांच के लिए ज्यादा धन की वसूली की जा रही है। जिला प्रशासन ने प्रयोगशालाओं जांच के लिए लोगों पर ज्यादा आर्थिक बोझ से छुटकारा दिलाने के लिए प्रमुख विभिन्न जांचों के लिए दरों का निर्धारण करने के आदेश जारी किये हैं। इन दरों को निर्धारित करने का उद्देश्य कोरोना संकट के दौर से गुजर रहे लोगों पर पड़ रहे वित्तीय बोझ को खत्म करना है। मसलन अब कोई भी प्रयोगशाला संचालक जांच के नाम पर अधिक दाम नहीं वसूल सकेगा। यदि जीएसटी व टेक्स सहित निर्धारित की गई जांच दरों के आदेशों का उल्लंघन किया गया, तो संबन्धित प्रयोगशाओं के खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी। ------------------------------------------------------------- जांच के प्रकार एनएबीएल/एनएबीएच नॉन एनएबीएल/एनएबीएच आरटीपीसीआर टैस्टिंग (जांच केंद्र पर सैंपल कलेक्शन) 500 रुपये 500 रुपये आरटीपीसीआर टैस्टिंग (क्लीनिक या मरीज के घर पर सैंपल कलेक्शन) 700 रुपये 700 रुपये रैपिड ऐंटीजन टैस्टिंग 500 रुपये 500 रुपये आईजी आधारित एलाईसा टैस्टिंग 250 रुपये 250 रुपये कोविड आईप्लस आईजीएम एंटीबॉडी बाईएलाईसा 450 रुपये 450 रुपये सीएलआईए द्वारा कोविड आईजी एंटी बॉडी 800 रुपये 700 रुपये सीएलआईए द्वारा कोविड आईजी स्पाइक प्रॉटीन 900 रुपये 800 रुपये आरपी 350 रुपये 250 रुपये सीरम फैरिटिन 465 रुपये 450 रुपये डी-डिमर 890 रुपये 850 रुपये आईएल-6 550 रुपये 2400 रुपये एक्सरे 300 रुपये 300 रुपये सामान्य सिटी चैस्ट (सरकारी दरें) 1950 रुपये 1950 रुपये एचआर सिटी टैस्ट (सरकारी दरें) 440 रुपये 2440 रुपये एलएफटी-केएफटी 230 रुपये 700 रुपये एलडीएच 360 रुपये 300 रुपये प्रोकैल्सिटॉनिंन 2125 रुपये 1900 रुपये सीबी एनएएटी टैस्टिंग उपलब्ध नहीं ट्रयू नेट टैस्टिंग उपलब्ध नहीं 1250 रुपये ---------------------- ज्यादा दरें वसूली तो होगी कार्रवाई----- जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार द्वारा प्रयोगशालाओं में विभिन्न जांचों के लिए निर्धारित की गई दरों पर निगरानी समिति का भी गठन किया है। अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्रपाल की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति जिले में किसी भी बीमारी की जांच के लिए वसूली जाने वाली राशि से संबंधित शिकायतों की निगरानी करेगी। दरअसल जिला प्रशासन के संज्ञान में आया है कि इन केंद्रों द्वारा विभिन्न जांच के लिए ज्यादा राशि वसूली जा रही है। ऐसी शिकातों की निगरानी तथा ज्यादा राशि वसूलने पर अंकुश लगाने के लिए इस समिति का गठन किया गया है। इस समिति में सिविल सर्जन अथवा उनका प्रतिनिधि एवं सिविल सर्जन द्वारा नामित रेडियोलॉजिस्ट सदस्य होंगे। यह समिति यह सुनिश्चित करेंगी कि जिला में कोई भी डायग्नॉस्टिक सेंटर, प्रयोगशाला अथवा अस्पताल विभिन्न जांच के लिए निर्धारित दर से ज्यादा राशि न वसूली जा सके। यदि इस संदर्भ में लिखित शिकायत प्राप्त होती है तो समिति द्वारा इसकी जांच की जायेगी और यदि जांच के दौरान यह पाया जाता है कि किसी अस्पताल द्वारा अतिरिक्त राशि वसूली गई है तो उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धाराओं 51 से 60 के तहत कार्रवाई की जायेगी। 22May-2021

शिक्षकों का प्राथमिकता के आधार पर होगा टीकाकरण

उपायुक्त ने अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं के साथ करने के दिये निर्देश हरिभूमि न्यूज.रोहतक। जिले में अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं के साथ ही अब उन शिक्षकों को भी प्राथमिकता के आधार पर कोरोना वैक्सीन का टीका लगाया जाएगा, जो फील्ड में तैनात हैं। जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने गुरुवार को यह निर्देश 18 से 45 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण विषय को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित अधिकारियों की बैठक के दौरान दिये। उन्होंने इस बैठक में अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं के साथ-साथ फील्ड में तैनात अध्यापको का भी प्राथमिकता के आधार पर कोरोना महामारी से बचाव के लिए टीकाकरण करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में सिविल सर्जन डॉ अनिल बिरला ने बताया कि सरकार ने विभिन्न विभागों के ग्रुप को चिन्हित कर उन्हें प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाने के निर्देश दिए हैं और 20 प्रतिशत डोज इन्हीं श्रेणी के लोगों के लिए आवंटित भी की गई है। इस पर उपायुक्त ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस संदर्भ में अपने विवेक अनुसार निर्णय लें और जिन विभागों के लिए 20 प्रतिशत का आवंटन किया गया है, उनमें यह देखना जरुरी होगा, कि कौन-कौन सी श्रेणी को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाना जरूरी है। उसी के अनुसार यह टीकाकरण किया जाना चाहिए। इन विभागों में जनस्वास्थ्य, खाद्य आपूर्ति, हैफेड, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड, वेयर हाऊसिंग, न्याय पालिका, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, स्थानीय शहरी निकाय निर्वाचित सदस्य, शिक्षा विभाग, परिवहन, हरियाणा के सिविल सैकेटरी, कारागार में तैनात के स्टाफ के परिजन, सूचना जनसम्पर्क एवं मीडिया प्रतिनिधि, जल सेवाएं, बिजली विभाग, पशुपालन, कॉपरेटिव सोसायटी, कृषि विभाग इत्यादि शामिल है। उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि 45 वर्ष से ऊपर के लोगों को मौके पर ही टीका लगाने की सुविधा प्रदान की गई है, ऐसे सभी पात्र लोग स्वास्थ्य विभाग की टीकाकरण साइट्स पर जाकर टीका लगवा सकते हैं। बैठक में सिविल सर्जन डॉ अनिल बिरला, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ अनिलजीत त्रेहान, जिला कार्यक्रम अधिकारी विमलेश कुमारी व डीडीपीओ नरेंद्र धनखड़ आदि मौजूद थे। ------------------------ आयुर्वेद परामर्श सुविधा शुरू----- रोहतक। प्रदेश सरकार द्वारा कोविड मरीजों के लिए टेलीमेडिशन आयुर्वेद परामर्श सुविधा शुरू की गई है। इस सेवा पर सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक परामर्श लिया जा सकता है। इस सेवा की हेल्पलाइन 85588-93911 एवं 1075 पर सम्पर्क किया जा सकता है। कोविड-19 से सतर्क रहे-डरे नहीं। इस संबन्ध में जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने बताया कि लोगों द्वारा इस परामर्श सुविधा पर आमतौर पर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाये, आयुष काढा तैयार करने का तरीका तथा आयुष किट के बारे में जानकारी इत्यादि जैसे सवाल पूछे जा रहे है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा चिकित्सीय परामर्श के बारे में दिशा-निर्देशा जारी किये गये है। खांसी, बुखार या अन्य कोई लक्षण पाये जाने पर कोरोना टैस्ट करवाएं। आयुष क्वाथ (दालचीनी, सौंठ, कालीमिर्च तथा तुलसी) का काढा पीए। हल्दी वाला दूध व गर्म पानी का सेवन करें तथा पुदीने की भाप लें। इसके अलावा नियमित व्यायाम व योग करने जैसे टेमीमेडिशन पर सुझाव प्राप्त कर कोविड से अपना बचाव किया जा सकता है। ----टेलीमेडिशन परामर्श सेवा ------ उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा टेलीमेडिशन परामर्श सेवा शुरू की गई है, जो सोमवार से शनिवार तक उपलब्ध है। यह सेवा नियंत्रण कक्ष की हेल्पलाइन नम्बर 1950 पर उपलब्ध है। कोविड-19 मरीज इस सेवा पर सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक डॉक्टरों से परामर्श ले सकते है। कोरोना वायरस के कम लक्षण वाले मरीज अस्पताल में जाने की बजाये इस हेल्पलाइन सेवा के माध्यम से डॉक्टर से परामर्श लें। ------------ मैक्रो कंटेनमेंट जोन से मुक्त दो कालोनी--- जिलाधीश कैप्टन मनोज कुमार ने स्थानीय आदर्श नगर एवं शिवाजी कॉलोनी में घोषित किये गये मैक्रो कंटेनमेंट जोन में निर्धारित अवधि के उपरांत कोरोना संक्रमण में कमी के मद्देनजर इन क्षेत्रों को डी-नोटिफाई करने के आदेश जारी किये है। रोहतक के उपमंडलाधीश के माध्यम से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर ये आदेश जारी किये गये है जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि इन क्षेत्रों में कोविड-19 के संक्रमित व्यक्ति ठीक हो गये है तथा संक्रमितों की संख्या लगातार कम हो रही है। 21May-2021

ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण को लेकर एक्शन मोड में प्रशासन

महम के कई गांवों में खुद पहुंचे डीसी एवं एसपी, केयर सेंटरों व सुविधाओं का किया निरीक्षण कोरोना पर भ्रांतियों को किया दूर, मोबाइल टावरों की रेंज की भ्रांति फैलाने पर होगी कानूनी कार्रवाई हरिभूमि न्यूज. महम। उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार तथा पुलिस अधीक्षक रोहतक राहुल शर्मा ने मंगलवार को मोखरा, खरकड़ा तथा फरमाणा बादशाहपुर के स्वास्थ्य केन्द्र में बनाए गए कोविड केयर सेंटरो का जायजा लेते हुए वहां आइसोलेट कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों को दी जा रही सुविधाओं का निरीक्षण किया। दोनों आला अफसरों ने गांव में गठित की गई फील्ड और हेडक्वाटर टीमों के कार्यो का भी निरीक्षण किया। जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार तथा पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा ने मंगलवार को महम उपमंडल के गांव मोखरा, खरकड़ा व फरमाणा में स्थापित किए गए कोविड केयर सेंटरों का जायजा लिया और वहां दी गई सुविधाओं निरीक्षण किया। इस दौरान खरकड़ा में बनाए गए कोविड केयर सेंटर में कोविड किट की जांच करके स्वयं ऑक्सीमीटर लगाकर ऑक्सीजन की जांच भी की। वहीं उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में कोविड-19 के संक्रमण की पहचान करने तथा इस संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए प्रत्येक गांव में गठित की गई फील्ड एवं हेडक्वार्टर टीमों का भी निरीक्षण किया। प्रदेश सरकार के निर्देश पर प्रशासन द्वारा गठित फील्ड टीमों द्वारा गांवों में गली-गली व घर-घर जाकर कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की पहचान की जा रही है तथा हेडक्वार्टर टीमों द्वारा ऐसे व्यक्तियों की जांच रिपोर्ट के आधार पर टैस्टिंग, आईसोलेशन किट तथा ईलाज की सुविधा के तहत दवाईयां देने तथा टीकाकरण भी किया जा रहा है। महम उपमंडल में इन टीमों की निगरानी यहां के उपमंडलाधीश द्वारा की जा रही है। अपने-अपने खंडों में संबंधित विकास एवं पंचायत अधिकारी के अलावा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी नियमित निगरानी कर रहे है। -----अस्पताल नहीं, आईसोलेशन केंद्र---- उपायुक्त ने ग्रामीणों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग शहरों के अस्पतालों में जाने से हिचकिचा रहे हैं, जिसके मद्देनजर कोरोना पॉजिटिव लोगों की सुविधा के लिए जिले के विभिन्न गांवों में ही 46 आइसोलेशन केन्द्र स्थापित किए गए है। उन्होने स्पष्ट किया कि बहुत से लोगों को आइसोलेशन केन्द्रों के बारे मे तरह- तरह की भ्रांतिया है कि आइसोलेशन केन्द्र में कोई डॉक्टर, नर्स अथवा देखभाल करने वाला नहीं है। उपायुक्त ने बताया कि आइसोलेशन केन्द्र अस्पताल न होकर एक ऐसी जगह है, जो उन लोगों के लिए बनाई गई है, जिन परिवारों में सदस्यों की संख्या ज्यादा है और आइसोलेट होने के लिए घर पर जगह की कमी है। उनमें एक व्यक्ति संक्रमित होने पर परिवार के अन्य सदस्यों को भी संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। इन सेंटरो में हेडक्वार्टर टीमों द्वारा थर्मामीटर से शरीर का तापमान, प्लस ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल की जांच के साथ-साथ भाप जैसी सुविधाओं के भी प्रबंध किए गए है। यदि संक्रमित व्यक्ति को लगता है कि उसे चिकित्सा सहायता की जरूरत है, तो उसे नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाया जाएगा। उपायुक्त ने कहा कि जिले में 80-90 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की संक्रमण दर एवं मृत्यु दर में गिरावट आई है। इस दौरान मौजूद मदीना सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. जोगिन्द्र सिंह ने उपायुक्त को बताया कि खरकडा गांव में 60 व्यक्तियों की रेपिड किट से कोरोना जांच की गई, जिनमें केवल एक ही व्यक्ति कोरोना संक्रमित मिला। ---मेडिकल किट वितरित---- उपायुक्त ने बताया कि जिला प्रशासन को नई किट प्राप्त हुई है, जिनमें से लगभग 800 किट वितरित की जा चुकी है। इन मेडिकल किट में ऑक्सीमीटर, भाप की मशीन, दवाइयां, थमोर्मीटर आदि शामिल है। आईसोलेशन सेंटरों में रह रहे मरीजों को भी मेडिकल किट उपलब्ध करवाई जा रही है। जिला प्रशासन को सरकार द्वारा पर्याप्त संख्या में मास्क, सेनिटाइजर आदि उपलब्ध करवाए गए है, जिन्हें जिला के सभी खंडों में वितरण के लिए भेज दिया गया है। जिला में आईसोलेशन सेंटरों, बेड तथा ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। यह सभी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है तथा आवश्यक दवाईयां भी पर्याप्त मात्रा में है। राहत सामग्री की भी जिला में कोई कमी नहीं है ----टीकाकरण के लिए आगे आए ग्रामीण---- उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने ग्रामीणों का आव्हान किया है कि वे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीकाकरण करवाए तथा 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के व्यक्ति टीकाकरण के लिए पंजीकरण करवाए। सरकार द्वारा इस आयु वर्ग के लिए पंजीकरण की सुविधा शुरू की गई है। पंजीकरण के बाद निर्धारित कार्यक्रम अनुसार ऐसे व्यक्तियों का टीकाकरण किया जाएगा। देश की दोनो वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित एवं प्रभावी है। ---मास्क व सेनिटाईजर वितरित करने के निर्देश--- उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने एसडीएम मेजर गायत्री अहलावत व खण्ड विकास एवं पचायत अधिकारी राजकुमार शर्मा को सभी स्वास्थ्य केन्दों एवं कोविड केयर सेंटरो तथा जिन गांवों में कोरोना के ज्यादा व्यक्ति पॉजिटिव है, उनमें सेनिटाईजर तथा मास्क का वितरण करने के अलावा संभव हो सके तो प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति को हर तरह की सहायता मुहैया करवाने के निर्देश दिए हैं। ----हवन यज्ञ नहीं कोरोना का इलाज: डीसी--- उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमान ने गांव में किये जा रहे हवन यज्ञ को लेकर कहा कि यह हवा शुद्धिकरण के लिए किया जाता है, लेकिन यह कोरोना का इलाज नहीं है। इसलिए हवन यज्ञ को कोरोना के उपचार के तौर पर सामने रखकर लोगों को भ्रमित न किया जाए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण सर्वे करवाया गया है अब इस सप्ताह पहले की अपेक्षा कोरोना केसों में कमी आई है। उन्होंने अपील की है कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी हिदायतों का पालन करें तथा कोरोना संक्रमित होने पर पूरा ईलाज ले। कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का प्रयोग, दो गज की सामाजिक दूरी का पालन तथा बार-बार अपने हाथों को साबुन व पानी अर्थात हेंड सेनिटाइजर से जरूर धोए। ---ग्रामीणों को किया जागरूक--- प्रशासन तथा मीडिया द्वारा भी जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन तैयार है। जिला में ऑक्सीजन तथा एम्बुलेंस की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि महामारी को दौर है और सोशल मीडिया द्वारा मोबाइल टावरों की रेंज के बारे में फैलाई जा रही भ्रांतियों व अप्रमाणिक तथ्यों से जनता को गुमराह नहीं होना है तथा जो भी असामाजिक तत्व इन अफवाहों का प्रचार कर रहे है, उनकी वीडियो साइबर सेल को सौंप दी गई है, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

मंडे स्पेशल: शहरों के हालात कुछ संवरे, कोरोना ने गांवों में पसारे पैर

बीते 15 दिनों में हो चुकी ग्रामीण क्षेत्रों में 300 से ज्यादा की मौत कई गांवों के हर दूसरे घर में बिछी है चारपाई, खांसी-जुकाम और बुखार के मरीज ओ.पी.पाल.रोहतक। कोरोना की दूसरी लहर प्रदेश में कहर बरपा रही है। एक तरफ जहां शहरों में संक्रमण की रफ्तार थमती नजर आ रही है, वहीं ग्रामीणों क्षेत्रों में वायरस ने तांडव मचा रखा है। प्रदेश के 6841 गांवों में से 300 से भी ज्यादा कोराना संक्रमण की जद में आ चुके हैं। हालात ये हैं कि सरकारी आंकडों में हिसाब से बीते महज 15 दिनों में ही संक्रमण के कारण सरकारी आंकड़ों में 300 से ज्यादा ग्रामीणों की मौत होने की पुष्टि हो रही है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संकट के दौरान मरने वालों का आंकड़ा हजार से ज्यादा माना जा रहा, जिसकी वजह कोरोना के अलावा बुखार व अन्य बीमारी भी हो सकती है? इसके बावजूद अज्ञानता के चलते लोग कोरोना टेस्ट तक करवाने को तैयार नहीं हैं। संक्रमण की जद में आए अधिकतर गांवों में हाल ये हैं कि लगभग हर दूसरे घर में बिछी चारपाई पर खासी-जुकाम-बुखार का मरीज है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते ये लोग झोलाझापों के सहारे हैं। हालांकि आननफानन में सरकार कुछ गांवों में सुविधाएं मुहैया करवाई हैं, लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। प्रदेश में कोरोना सबसे ज्यादा हिसार, जींद, सिरसा, भिवानी, यमुनानगर और रोहतक जिलों के गांवों में ज्यादा तांडव मचा रहा है। हालांकि प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण के गांवों में दस्तक देने के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में गांव में 'टेस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट' रणनीति को लागू करने के निर्देश जारी किये है। इसके लिए सैंपलिंग और स्क्रेनिंग बढ़ाने के लिए सीएचसी व पीएचसी स्तर पर आठ हजार टीमों का गठन किया जा रहा है, जिनमें ट्रेनी डॉक्टर के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग, आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स यानि एमपीएचडब्लयू पुरुष व महिलाओं को शामिल किया गया है। जबकि जिला स्तर पर 100 के करीब टीम और जिला मुख्यालय पर पांच व पीएचसी स्तर पर 45 टीमें बनाई है। ज्यादातर टीमों ने गांवो में घर-घर जाकर सर्वे करने का काम शुरू कर दिया है। इन टीमों को कोरोना के बचाव के लिए ग्रामीणों को जागरुक करने का भी जिम्मा दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण बुखार, खांसी, जुकाम जैसे लक्षण होने पर गांवो में ही झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराने में ज्यादा विश्वास जता रहे हैं, जो सरकार की टेस्टिंग व्यवस्था जैसे उपायों को दरकिनार कर रहे हैं। ---------------------- हिसार गांवों में मौतों से कोहराम----- हिसार जिले के दर्जनों गांवों में कोरोना संक्रमण और बुखार की वजह से करीब 300 मौतों ने तांडव मचाकर रख दिया है। जिले के गांव सिसाय में 52 और सातरोड व सातरोड खास में 50 और बास नगरपालिका में करीब 50 लोगों की कोरोना संक्रमण और बुखार के कारण हुई मौतों से हाहाकार मचा हुआ है। जिन गांव में मौतों का सिलसिल जारी है उनमें खेदड़, बडाला, खाड़ाखेडी, खरड़ अलीपुर, बहबलपुर, शाहपुर, गढ़ी, प्रभु वाला, तलवंडी राणा, कैमरी, बालसमंद और बुडाक जैसे दर्जनों में गांवों ज्यादा मौतों को लेकर कोहराम मचा हुआ है। जींद के एक दर्जन से ज्यादा गांवों पौली, काकडौद, खरैंटी, दालमवाला, मुआना, सिंघपुरा, शाहपुर, नगूरां, छात्तर, दनौदा खुर्द, घिमाणा, गतौली, बिरौली, रधाना, अलेवा और ढाठरथ में संक्रमण का इतना कहर है कि पिछले एक पखवाड़े में ही 163 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और ढ़ाई हजार से ज्यादा बीमारी की चपेट में हैं। भिवानी जिले के भी करीब एक दर्जन गांव कोरोना संक्रमण की जद में हैं, लेकिन आठ गांव कहीं ज्यादा प्रभावित है, जहां अब तक 189 ग्रामीणों ने संक्रमण के कारण अपनी जान गंवाई हैं। इन गांवों में सर्वाधिक 40 मौतें मुंढाल गांव में हुई, जबकि तिगड़ाना में 35, लोहारी जाटू में 30, बवानी खेड़ा में 25, मानहेरू में 20 के अलावा ढिंगावा में 13, ढाणी माहू में 12 और रतेरा गांव में 10 मौतें हुई। इसके अलावा कलिंगा, खेडा लोहारी, सिवानी व धारेडू गांव में भी एक एक मौत हुई है। रोहतक जिले के टिटौली गांव में कोरोना संक्रमण के कहर ने पिछले दिनों बारी बारी से 40 से ज्यादा लोगों को अपने काल का ग्रास बनाया है। इसके अलावा रोहतक जिले के लाख माजरा,लाखन माजरा, बलम्बा और निदांना जैसे कई गांव में संक्रमण का प्रभाव बना हुआ है। -----इन जिलों के सैकड़ो गांव प्रभावित---- प्रदेश के सिरसा जिले में कोरोना संक्रमण के कहर को देखते हुए 71 गांवों को उच्च जोखिम श्रेणी में डाला है। इनमें चौटाला, आसाखेड़ा, सकताखेड़ा, गंगा, जंडवाला बिश्रोइयां, कालुआना, रिसालियाखेड़ा, गोदिकां, कालांवाली, जगमालवाली, गदराना, रोड़ी, सुरतिया व फग्गू, केहरवाला, घोड़ांवाली, धोत्तड़, झोरडऩाली, ओटू, रानियां, जोधपुरिया, बनी, महम्मदपुरिया, रानियां शहर, माधोसिंघाना, रंगड़ीखेड़ा, नटार, मंगाला, टीटूखेड़ा, मोरीवाला, दड़बी, भरोखा, सुचान, बरूवाली, फरवाईकलां, पनिहारी, वनसुधार, बप्पां, छतरियां, खैरेकां, सहारणी, नाथूसरी, जमाल, बेगू, डेरा शाह सतनामपुरा, कागदाना, डिंग, गुडियाखेड़ा, दड़बा, बकरियांवाली, रूपावास शामिल हैं। जबकि इस श्रेणी में तलवाड़ा खुर्द, ममेरां कला, मीठी सुरेरां, पोहडक़ां, संतनगर, जीवननगर, अमृतसरखुर्द, भुर्टवाला, मौजूखेड़ा के अलावा ख्योवाली, नुहियांवाली, ओढ़ा, पन्नीवालामोटा, चोरमार, आनंदगढ़, सावंतखेड़ा, गांव डबवाली, घुक्कांवाली, मिठड़ी गांव में भी कोरोना संक्रमण अपनी दस्तक दे चुका है। रेवाड़ी जिले के करीब तीन दर्जन गांव संक्रमण से जकड़े हुए हैं, जिनमें जुड्डी, निमोठ, नाहड़, कंवाली, सीहा, डहीना, औलांत, बालावास अहीर, खरखड़ा, गुरावड़ा, कारौली, आसियाकी गौरावास, नंदरामपुरबास, रायपुर, जड़थल, जौनावास, मैलावास, मुमताजपुर, सहादतनगर, बोलनी, गुडियानी, कोसली, जैनाबाद, लिलोढ़, गोकलगढ़, जाटूसाना, भाड़ावास, लुहाना, बव्वा, भाकली, कतोपुरी, झाल, गिंदोखर व टींट आदि शामिल हैं। सोनीपत के गांव हरसाना में पिछले एक हफ्ते में 12 मौतों से दहशत का माहौल बना हुआ है। हालांकि जिला प्रशासन ने इन 12 मौतों से 2 की कोरोना से मौत की पुष्टि हुई है। ---------------- बॉक्स गुगल धूप की धूणी और हवन---- प्रदेश में गांव तक पहुंचे कोरोना संक्रमण और अन्य बीमारियों के कारण मौतों को देखते हुए ग्रामीण पर्यावरण की दृष्टि से वातावरण शुद्धि के लिए गांवों के लोग सामूहिक रूप से गुगल धूप की धूणी कर रहे हैं। इसके लिए गांवों में युवाओं की टोलियां बनाई गई है जिनके जिम्मे यह यह अभियान छोड़ा गया है। इस अभियान के तहत ग्रामीण युवक गांव के धार्मिक स्थलों से आग व धूप के कुंडे लेकर गांव में हर घर घर जाकर गुगल का धुंआ छोड़ कर आगे बढ़ रहे हैं। कई गांवों में शाम होते ही तो कुछ गांवों में यह काम रात के समय किया जा रहा है। यही नहीं कई गांव ऐसे हैं जहां गुगल धूप से भरे बड़े कढ़ाए ट्रैक्टर ट्रॉली में रखकर पूरे गांव में घुमाया जा रहा है। इसके अलावा गांव से बीमारी को छूमंतर करने के लिए हरेक दिन सामूहिक या घर घर हवन यज्ञ करके ओषधीय सामग्री का इस्तेमाल कर रहे है, जिसके धुएं से वातावरण को शुद्ध करना ही मकसद है। -------------------- बॉक्स कोरोना ने बदली परंपराएं---- कोरोना महामारी के कारण गांव में विवाह शदी, तेरहवीं, अंतिम संस्कार के अलावा पूजा पाठ और अपनों से मेल मिलाप करने जैसी तमाम परंपराओं को बदलने पर मजबूर कर दिया है। प्रदेश के गांवों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण यदि किसी की मौत हो जाती है तो उसका दिन छिपने के बाद भी अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है, जो गांवों मे परंपरा में नहीं है। इसी प्रकार तेरह दिन की तेरहवीं की रस्म को भी दो या तीन दिन में ही निपटना पड़ रहा है। इसी प्रकार शादी विवाह की भी बिना बैंड बाजे और बिना किसी शानशौकत से सभी रस्मों को दरकिनार करके कम खर्च पर ही निपटाया जा रहा है। यही नहीं मंदिरों में पूजा पाठ के लिए उमड़ने वाली भीड भी खत्म है और लोग बचाव के कारण अपने घरो में ही अध्यात्मिक रस्मे पूरी कर रहे हैं। खासबात है कि इन सभी गतिविधियों में न कोई रिश्तेदार और न कोई भीड़। मसलन एक दूसरे से मेलमिलाप में भी दूर से ही हाथ जोडकर अभिवादन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है यानि न हाथ मिलाना और न गले मिलना। 17May-2021

साक्षात्कार:साहित्य के बिना संभव नहीं जीवन को समझना

चला रहे हैं युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति जागरूक करने का अभियान
साक्षात्कार: ओ.पी. पाल 
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व्यक्तिगत परिचय 
नाम: डॉ. सन्तराम देशवाल ‘सौम्य’ 
जन्म: 24 अप्रैल 1955 
जन्म स्थान: गांव खेड़का गुज्जर, जिला झज्जर (हरियाणा) 
शिक्षा: पीएचडी, एम.फिल, एमए (हिंदी), एमए (अंग्रेजी), एलएलबी, स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पत्रकारिता एवं जनसंचार) 
अनुभव: छोटूराम कालेज सोनीपत में हिंदी के एसोशिएट प्रोफेसर के पद अध्यापन कार्य किया। 
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रियाणा साहित्य अकादमी द्वारा महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सन्तराम देशवाल 'सौम्य’ का मानना है कि जीवन को समझने के लिए साहित्य के मार्ग से जाना जरुरी है। यही कारण है कि साहित्य इस परिवर्तनशील युग और में भी साहित्य की महत्ता को कभी कम नहीं किया सकता। आज के इस आधुनिक युग में खासकर नई युवा पीढ़ी के बीच साहित्य सृजन की जरुरत को देखते हुए उन्हें प्रेरित किया जाना चाहिए। जो इंटरनेट को ही अपना सबसे बड़ा सहारा मानकर चल रहे हैं, इसी बदली सोच के कारण संवेदनशीलता कम हो रही है। इसी सोच को बदलने के प्रयास में साहित्य की प्रासांगिकता को बनाए रखने के लिए वे खुद सेवानिवृत्ति के बाद से देशभर में भ्रमण कर युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति जागरूक करने का अभियान चला रहे हैं। साहित्यकार डा. सन्तराम देशवाल ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई बातचीत के दौरान साहित्य के क्षेत्र के ऐसे पहलुओं को साझा किया। 
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखक डा. सन्तराम देशवाल ने साहित्य के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति के साथ हरियाणवी भाषा को भी सर्वोपरि रखते हुए अपनी लिखी दो दर्जन से ज्यादा पुस्तकों का लेखन करने के अलावा वे लंबे समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में स्वतंत्र लेखन करते रहे। यही नहीं देश के विभिन्न समाचार पत्रों में उनके अलग से कॉलम भी प्रकाशित होते रहे और उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया है। खासकर साहित्य अकादमी की हरिगंधा नामक प्रतिष्ठित पत्रिका का अतिथि संपादक रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह इसके अलावा वे कई अन्य पत्र पत्रिकाओं का संपादन भी कर चुके हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी पर कई वार्ताएं प्रसारित हो चुकी है, तो वहीं विभिन्न संस्थाओं में शतश. व्याख्यान और संयोजन व संचालन भी करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में संपादन और विभिन्न संस्थाओं में हिंदी विशेषज्ञ तथा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायाल में अधिवक्ता का दायित्व निभाने के साथे वे साहित्य सृजन के काम में जुटे हुए हैं। उनके निर्देशन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के दर्जनों छात्र पीएचडी और एमफिल भी कर रहे हैं। प्रख्यात साहित्यकार एवं लेखक डॉ. सन्तराम देशवाल के 80 के दशक से विभिन्न समाचार पत्रों में अलग से कॉलम छपते रहे हैं। सोनीपत के छोटूराम सीआरए कॉलेज में उन्होंने हिंदी के सहायक प्रोफेसर के पद पर करीब 30 साल तक अध्यापन का कार्य किया। शिक्षक की भूमिका के साथ-साथ वे लेखन का कार्य भी करते रहे हैं। 2005 में आंगन में मोर नाचा, किसने देखा पुस्तक लिखी। वर्ष 2014 में वह सेवानिवृत हो गए। 
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पुरस्कार व सम्मान
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में विशेष स्थान रखने वाले साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल को पांच लाख रुपये के महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार-2018 से सम्मानित करने का फैसला किया गया। इससे पहले अकादमी ने डॉ. देशवाल को हरियाणवी भाषा में उकेरी गई कविता व गजल पर लिखी पुस्तक ‘अनकहे दर्द’ को वर्ष 2010 तथा 2004 लिखी गई उनकी पुस्तक ‘लोक-आलोक’ को सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के रूप में पुरस्कृत करते हुए जनकवि मेहर सिंह सम्मान 2014 से नवाजा है। केंद्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली भी डा. देशवाल को लोक साहित्य अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। यही नहीं साहित्य जगत में योगदान को देखते हुए उन्हें बाल मुकुन्द साहित्य सम्मान, लोक साहित्य शिरोमणि सम्मान, पंचवटी सम्मान, काव्य कलश सम्मान, हिंदी सहस्त्राब्दी सम्मान, सर्वोत्तम शिक्षक सम्मान, सर्वोत्तम पत्रकारिता पुरस्कार, हादी-हरियाणा सम्मन, सोनीपत रत्न अवार्ड, शतश: सांस्कृतिक पुरस्कार के साथ कई निबंध और लेखन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें समजा सेवा सम्मान पाने का भी सौभाग्य मिला है, जिनमें एमडीयू द्वारा तीन बार सर्वोत्तम कार्यक्रम अधिकारी सम्मान दिया गया। हरियाणा के राज्यपाल और उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा प्रशंसा पत्र के अलावा भारत सरकार से भी उन्हें प्रशंसा पत्र का सम्मान मिला है। 
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प्रमुख पुस्तकें
डा. सन्तराम देशवाल द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकों में हरियाणा: संस्कृति एवं कला, लोक आलोक, अनकहे दर्द, आंगन में मोर नाचा, किसने देखा, संस्कृति: स्वरुप एवं भूमंडलीकरण, संस्कृति दर्पण, लोक पथ, स्मृतियों के सोपान, लोक साहित्य में कड़का विधा, यायावरी की अनुभूतियां, हरियाणवी नवीत, बातं बातां म्हं के अलावा इक्कीसवीं सदी के ललित निबन्ध, फौजी मेहर सिंह ग्रंथावली, हिंदी ललित निबंध: स्वरुप एवं मूल्यांकन(समीक्षा) शामिल हैं। 
17May-2021