रविवार, 6 जून 2021

संपादकीय: कोरोना की तीसरी लहर का डर साजिश का हिस्सा

-डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा----- चेयरमैन, आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड, यूपी कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की संभावना है लेकिन कब आएगी इसका अभी अंदाजा नहीं है। फिर भी इन दो लहरों से सबक लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने पहले से पूरी तैयारी कर रही है। दरअसल वैश्विक कोरोना महामारी से निपटने के लिए जिस प्रकार मोदी सरकार कोरोना वैक्सीन और अन्य दवाई के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को पुख्ता करके चौतरफा चुनौतियों का मुकाबला कर रही है। वहीं राष्ट्रीय संकट में सकारात्मक भूमिका निभाने से ज्यादा नकारात्मक भूमिका में सामने आ रहे कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की चुनौती को स्वीकार करना पड़ रहा है। कोरोना की तीसरी लहर का डर भी अपनी सियासत में मशगूल विपक्षी बाज नहीं आ रहे, लेकिन इसकी परवाह किये बिना केंद्र की मोदी सरकार कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने पर फोकस किये हुए है। केंद्र सरकार ने पिछले साल कोरोना की पहली लहर में उसके वेरिएंट की जानकारी न होते हुए भी सफलता के साथ मुकाबला किया और कोरोना स्वदेशी वैक्सीन तैयार करके विश्व में भारत को पहचान दिलाई। मोदी सरकार की इस पहल का जहां विश्व के अन्य देश तारीफ करते नहीं थके, वहीं नकारात्मक सोच के साथ खासकर कोरोना की दूसरी लहर के कहर के बीच ऑक्सीजन, बेड, वेंटीलेटर और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की कमी का हाहाकार मचा, हालांकि देश में इन सुविधाओं की कमी नहीं थी, बल्कि दूसरी लहर का वेरिएंट ऐसा कहर बरपाएगा इसका अंदाज न होने से ऐसी तैयारियां नहीं थी। फिर भी जांच पड़ताल के बाद पता चला कि विश्व में मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर नकारात्मक भूमिका निभाने वालों ने खासकर ऑक्सीजन, बेडो और वेलटीनेटर की कमी का फर्जी तरीके से हाहाकार मचाकर भ्रमजाल बुनना शुरू किया। इसके बावजूद एक सप्ताह में मोदी सरकार ने ऑक्सीजन और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को जिस प्रकार से दुरुस्त किया, उसकी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत की पीठ थपथपाई है। जबकि अन्य देशों में भी कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है। अमेरिका के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है जहां जनसंख्या के लिहाज से जिस प्रकार कोरोना संक्रमण को काबू करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं उसका अन्य देशों से मुकाबला नहीं किया जा सकता। वहीं देश में कोरोना संकट में दूसरी लहर के कोरोना वेरिएंट को भारतीय करार देने के प्रयास भी नकारात्मक भूमिका निभाने वालों की साजिश के सहारे ही विदेशी मीडिया को वो मौका मिला जिसमें भारत की छवि को खराब किया जा सके। जहां तक मानवता का सवाल है उसमें दुनिया में किसी भी देश में संकट के समय सभी एकजुट होकर उससे उबरते देखे गये हैं। ऐसे देशों में भारत भी शामिल रहा है, लेकिन यहां कोरोना काल में पहले तो विपक्षी दल सरकार के साथ एकजुट होकर जंग लड़ने की दुहाई देते दिखे, लेकिन जब कोरोना की जंग में केंद्र सरकार के प्रयासों की गूंज विश्व में सुनाई देने लगी तो विपक्षी दलों ने कोरोना के बजाए केंद्र सरकार से ही जंग लड़ने की रणनीति बनाकर न जाने किस किस प्रकार की साजिशों के ताने बाने बुनने का प्रयास किया। लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने के बजाए वैक्सीन को लेकर भी सवाल तक खड़े किये, जिसे मानवता का संदेश कतई नहीं कहा जा सकता। देश में जहां तक कोरोना संकट की तीसरी लहर में बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव का सवाल है उसके लिए भी एम्स दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया और नीति आयोग के सदस्य(स्वास्थ्य) डा. विनोद कुमार पॉल बार बार यह कह रहे हैं कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर में उन बच्चों पर असर नहीं होगा, जिन बच्चों की प्रतिरोधात्मक क्षमता ठीक है। इसलिए जिस तरह का डर पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है, उसके झांसे में आने या डरने की आवश्ययकता नहीं है। वहीं केंद्र सरकार को कोरोना सुरक्षा कवच के रूप में बच्चों की वैक्सीन के ट्रायल का भी मिल चुकी है। तीसरी लहर की संभावना के मद्देनजर भारत की सभी तरह के संसाधनों को जुटान और उसके आधार पर वैक्सीनेशन के उत्पादन व टीकाकरण में तेजी लाने की रणनीति तैयार की गई है। मेरा मानना है कि पहली लहर के असर बेहद कम होने के बाद आमजन द्वारा बरती गई लापरवाही का ही नतीजा रहा कि दूसरी लहर आक्रमकता के साथ लोगों को ऐसे समय प्रभावित करती नजर आई, जब देश में वैक्सीनेशन का अभियान तेजी से चल रहा था। बाकी की कसर देश के सियासतदानों ने भय, भ्रम और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का भ्रामक तरीके से हाहाकार मचाकर लोगों की कीमत के मुकाबले राजनीति करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। इस सियासत में ऐसे सियासी दलों ने केंद्र में पदस्त मौजूदा सरकार के प्रधानमंत्री के प्रति संवैधानिक प्रॉटोकॉल की भी धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसमें अभद्र शब्दावली का भी इस्तेमाल होता देखा गया। इसलिए मेरा मानना है कि भविष्य की नई पीढ़ी के लिए जब कभी भा कोरोना का इतिहास लिखा जाएगा तो खासकर भारत में विपक्ष द्वारा इस संकटकाल में निभाई जा रही नकारात्मक भूमिका भी उसका हिस्सा बनेगी? -(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) 30May-2021

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