रविवार, 6 जून 2021

मंडे स्पेशल: कोरोना के साथ नई मुसीबत बना ‘फंगस’

प्रदेश में अब तक 421 मरीज, एक दर्जन से ज्यादा की मौत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में 20-20 बेड ब्लैक फंगस’ के लिए आरक्षित ओ.पी.पाल.रोहतक। प्रदेश में कोरोना संक्रमण का कहर अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं इसके साथ ही ‘ब्लैक फंगस’ ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया। प्रदेश में अब तक फंगस 421 मामले आ चुके है, जिनमें से एक दर्जन से ज्यादा मरीजों की मौत होने की खबर है, लेकिन सरकार की और से अभी तक इस बीमारी से मरने वालों का आंकड़ा जारी नहीं किया गया है। इस नई बीमारी के चलते राज्य सरकार को कोरोना की तर्ज पर इस बीमारी को भी महामारी घोषित करना पड़ा। इस नई बीमारी के नियंत्रण को राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में ‘ब्लैक फंगस’ के मरीजों के लिए 20-20 बेड आरक्षित करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं। हरियाणा में कोरोना संकट के बीच ब्लैक फंगस यानी ‘म्यूकरमाइकोसिस’ के बढ़ते मामलों ने राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। कोरोना वायरस के खिलाफ प्रदेश में लड़ी जा रही जंग के साथ अब सरकार को ब्लैक फंगस की इस नई बीमारी से निपटने की भी चुनौती होगी, जिसे सरकार महामारी अधिसूचित कर चुकी है। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के मेडिकल कालेजों में बनाए गये कोविड अस्पतालों में 20-20 बेड ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए आरक्षित करने के दिशानिर्देश दिये हैं। सरकार ने प्रदेश के मेडिकल कालेजों को जिले आवंटित किये है। मसलन मेडिकल कालेज आवंटित किये गये जिलों से आने वाले ब्लैक फंगस के मरीजों को ही बेड मुहैया कराएंगे। सरकार के आदेशों के अनुसार अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों की स्क्रीनिंग और प्रबंधन का जिम्मा 600 डेंटल सर्जन को सौंपा गया है। सरकार ने इसके लिए स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमली वेलफेयर द्वारा सरकारी डेंटल सर्जनों को बीमारी की जांच और प्रबंधन के बारे में विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस बीमारी के आंकड़े स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित मेडिकल कॉलेजों से तालमेल कर एकत्रित किए जाएंगे। सरकार कोरोना की वैक्सीन के साथ ही ब्लैक फंगस के इंजेक्शन के लिए भी वैश्विक निविदा जारी करेगी। इसका मकसद ब्लैक फंगस की रोकथाम करके इस नई चुनौती से निपटना है। ---इंजेक्शन के नाम पर ऊंट के मुहं में जीरा---- प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार से फिलहाल फंगल-रोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी के 12 हजार इंजेक्शन की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने केवल 1250 इंजेक्शन राज्य को दिये हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मुहैया कराए गये इंजेक्शन अपर्याप्त हैं, क्योंकि एक मरीज को एक दिन में चार इंजेक्शन लगाए जाते हैं। ऐसे हालातों में ब्लैक फंगस से निपटने की चुनौती खड़ी होती नजर आ रही है। ऐसे में राज्य सरकार ने विशेषज्ञों को वैकल्पिक एंटी फंगल इंजेक्शन की तलाश करने का भी सुझाव दिया है। ----प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीज---- अभी तक ब्लैक फंगस के अंबाला में 7 मरीज पाए गए हैं, जबकि भिवानी में 10, फरीदाबाद में 40, फतेहाबाद में 5, गुरुग्राम में 109, हिसार में 23, जींद में 2, करनाल में 11, पंचकूला में 4, पानीपत में 8, रेवाड़ी में 3, रोहतक में 20, सिरसा में 24 और सोनीपत-पलवल में 1-1 मामला सामने आया है। वहीं, विभाग के अनुसार, ब्लैक फंगस से सिरसा में 5, गुरुग्राम 3 और सोनीपत 1 मरीज की मौत हो चुकी है। ----व्हाइट और ब्लैक फंगस में अंतर--- विशेषज्ञों के अनुसार इस बात का कोई आधार नहीं है कि ‘व्हाइट फंगस’ ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक है। ब्लैक फंगस इससे ज्यादा आक्रामक है जो साइनस, आंखों, मस्तिष्क को बहुत नुकसान हो सकता है और जिसके लिए बड़ी सर्जरी की आवश्यकता होती है। यह फंगस एक से दूसरे मरीज में नहीं फैलता है, लेकिन यह इतना खतरनाक है कि इसके 54 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। जबकि व्हाइट फंगस (एस्परगिलोसिस) ब्लैग फंगस जितना खतरनाक नहीं है। इसका इलाज 1-1.5 महीने तक जारी रह सकता है इसलिए शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है। ---कोविड मरीजों को इसलिए खतरा---- दरअसल जब व्यक्ति कोरोना वायरस से ग्रस्त होता है, तो उसके शरीर में खून की कोशिकाएं टूटने से आयरन निकलता है और आयरन ब्लैक फंगस का मनपसंद भोजन है। वहीं स्टेरॉयड से उसकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, इसलिए भी सांस के जरिए नाक में जगह बना लेता है। जिन कोविड मरीजों को मुहं में पाइप लगाकर ऑक्सीजन दी जा रही है उसे फंगल इंफेक्शन होने के खतरा बना रहता है। एक अध्ययन पर गौर करें तो कम ऑक्सीजन (हाइपोक्सिया), उच्च ग्लूकोज, अम्लीय माध्यम और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स के उपयोग के कारण सफेद रक्त कोशिकाओं की गतिविधि में कमी में कोरोना से उबर चुके लोगों में फंगस म्यूकोरालेस बीजाणु फैल रहे हैं। ब्लैक फंगस नाक, साइनस, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, फेफड़े, जठरांत्र संबंधी मार्ग, त्वचा, जबड़े की हड्डियों, जोड़ों, हृदय और गुर्दे को प्रभावित कर सकता है। -----ज्यादा खतरे में मधुमेह रोगी---- आईसीएमआर की ओर से जारी नए नियमों के मुताबिक ब्लैक फंगस उन मरीजों में फैलता है, जो पहले से किसी दूसरी बीमारियों की दवा ले रहे हैं। उन कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा देखा जा रहा है, जिन्हें लक्षणों के इलाज के लिए स्टेरॉयड दिया गया। ब्लैक फंगस कोरोना से पीड़ित उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है, जो शुगर और कैंसर से पीड़ित हैं। डॉक्टर की माने को जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उन्हें ज्यादा खतरा है। -----ब्लैक फंगस के लक्षण?---- ब्लैक फंगस के लक्षणों की बात करें तो इसमें सिरदर्द, चेहरे पर दर्द, नाक बंद, आंखों की रोशनी कम होना या फिर दर्द होना, मानसिक स्थिति में बदलाव या थकान होना, गाल और आंखों में सूजन, दांत दर्द, दांतों का ढीला होना, नाक में काली पपड़ी जमना, सांस लेने में तकनीफ, खांसी और खून की उल्टी होना। बचाव के लिए क्या करना चाहिए? ----क्या है बचाव व सावधानी---- ब्लैक फंगस से बचने के लिए धूल वाली जगह पर मास्क पहनकर जाएं। मिट्टी, काई के पास जाते समय जूते, ग्लब्स, फुल टीशर्ट और ट्राउजर पहनें। कंस्ट्रक्शन साइट व डस्ट वाले एरिया में न जाएं, गार्डनिंग या खेती करते वक्त फुल स्लीव्स से ग्लब्ज पहनें, मास्क पहनें, उन जगहों पर जाने से बचें, जहां पानी का लीकेज हो, जहां ड्रेनेज का पानी इकट्ठा हो। जिन्हें कोरोना हो चुका है, उन्हें पॉजिटिव अप्रोच रखनी चाहिए। कोरोना ठीक होने के बाद भी रेगुलर चैकअप कराते रहें। यदि फंगस के कोई भी लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इससे ए फंगस शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ जाएगा और इसका समय पर इलाज हो सकेगा। डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है। एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवा का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए। स्टेरॉयड का उपयोग होम आइसोलेशन के बाद नहीं करें। ----एम्फोटेरिसिन-बी दवा के उत्पादन का दबाव--- भारत सरकार ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार के लिए फंगल-रोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी की आपूर्ति और उपलब्धता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से हरसंभव प्रयास कर रही है। क्योंकि म्यूकोर्मिकोसिस यानि ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फंगल-रोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी की भी कमी बताई गई है। औषध विभाग और विदेश मंत्रालय के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एम्फोटेरिसिन-बी दवा के घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने वैश्विक उत्पादकों से आपूर्ति हासिल करके घरेलू उपलब्धता को पूरा करने के लिए प्रभावी प्रयास किए हैं। ----सतर्कता बरतने की जरूरत---- मौजूदा माहौल में हमें और भी सतर्क रहने की जरूरत है। ताकि, फंगल और बैक्टीरिया से बचाव कर सकें। ऐसे में विशेष तौर पर लोगों को धूल-मिट्टी भरी कंस्ट्रक्शन साइट पर जाने से पहले डबल मास्क जरूर पहनना चाहिए। बागवानी या मिट्टी से जुड़ा काम करते समय भी विशेष ध्यान रखें। अपनी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। किसी भी स्तर लापरवाहीं बरतना उचित नहीं। ---आराम का मतलब, सिर्फ आराम---- ब्लैक फंगस के बचाव में कोविड से रिकवर करने के बाद हमें आराम करने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में आराम के नाम पर हम अपनी आंखों पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं, जिसमें घंटो तक लैपटॉप या टीवी के साथ बिताना खतरे से खाली नहीं है। ते हैं। इसकी वजह से आंखों में दबाव बनने और थकान होने की वजह से मरीज के सिर में दर्द भी होता है। मानसिक दबाव कुछ और सोचने के बजाए सिर्फ आराम ही करना चाहिए। बॉक्स ---ऐसे होगा उपचार--- फंगल एटियोलॉजी का पता लगाने के लिए केओएच टेस्ट और माइक्रोस्कोपी की मदद लेने से घबराएं नहीं। तुंरत इलाज शुरू होने पर रोग से निजात मिल जाती है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। मौजूदा वक्त में बीमारी से निपटने के लिए सुरक्षित सिस्टम नहीं है। सतर्कता ही बचाव का एकमात्र उपाय है। बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर इसका असर देखने को मिला है। ----------- टेबल: ब्लैक फंगस के मरीज अंबाला 11 भिवानी 12 फरीदाबाद 50 फतेहाबाद 6 गुरुग्राम 149 हिसार 88 जींद 2 करनाल 17 पलवल 1 पंचकूला 5 पानीपत 15 रेवाड़ी 4 रोहतक 26 सिरसा 25 सोनीपत 2 यमुनानगर 1 --------- एक्सपर्ट व्यू एम्स नई दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोविड-19 के मरीजों द्वारा ली जा रही स्टेरॉयड की अधिक खुराक किसी काम की नहीं है। हल्की से मध्यम खुराक काफी अच्छी होती है। आंकड़ों के मुताबिक स्टेरॉयड सिर्फ 5 से 10 दिन तक ही देना चाहिए। क्योंकि स्टेरॉयड ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा देते हैं, जिसे नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। उन्होंने ने कहा कि यह बदले में फंगल संक्रमण से ब्लैक फंगस की की संभावना को बढ़ा सकता है। -डा. रणदीप गुलेरिया, निदेशक एम्स नई दिल्ली -------------- आयुर्वेदिक उपचार से बचाव संभव: डा. संजय जाखड रोहतक। आयुर्वेद से जुड़े चिकित्सक डा. संजय जाखड़ का स्पष्ट कहना है कि कोरोना के उपचार की ही देन है ब्लैक फंगस। मलसन कोविड वायरस के इलाज में दवाईयों के इस्तेमाल के तरीकों और बिना किसी कारणों तनाव न इन हालातों को पैदा किया है। आयुर्वेद कहता है कि फंगस नमी और गंदगी की तरफ आकर्षित होता है। इसलिए साफ सफाई और नाक, कान, मुहं और आंखो की साफ सफाई के लिए चिकनाई जरुरी है। यानि आंख में गाय का देसी घी, नाक में सरसों का तेल, कान में लहुसनयुक्त तेल, मुहं में फिटकरी के गरारे करने से ब्लैक फंगस से बचाव किया जा सकता है। स्वर्णभस्म के साथ हल्दी, फिटकरी, सैंदा नमक और सरसों का तेल मिश्रण करके गरारे करने से भी कोई भी फंगस से दूर रह सकता है। ब्लैक फंगस के बचाव के लिए डा. जाखड़ ने घर या अन्य जगह की साफ सफाई की निगरानी करने, पानी को लगातार बदलते रहने और अपने इन संबन्धित अंगों की सफाई व निगरानी करने पर बल दिया है। इसके अलावा कोविड से ठीक होने के बाद भी बाहर न निकलें और हर सप्ताह ईएनटी, नेत्र रोग विशेष, न्यूरोसर्जरी और मेडीसन के डॉक्टर से चेक करवाएं। बार-बार मुहं साफ करते रहें, गर्म पानी के गरारें करें। नाक से भी पानी लेकर गरारे की तरह करें। इससे 80 प्रतिशत ब्लैक फंगस से बचाव हो सकता है। 24May-2021

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें