रविवार, 6 जून 2021

मंडे स्पेशल: शहरों के हालात कुछ संवरे, कोरोना ने गांवों में पसारे पैर

बीते 15 दिनों में हो चुकी ग्रामीण क्षेत्रों में 300 से ज्यादा की मौत कई गांवों के हर दूसरे घर में बिछी है चारपाई, खांसी-जुकाम और बुखार के मरीज ओ.पी.पाल.रोहतक। कोरोना की दूसरी लहर प्रदेश में कहर बरपा रही है। एक तरफ जहां शहरों में संक्रमण की रफ्तार थमती नजर आ रही है, वहीं ग्रामीणों क्षेत्रों में वायरस ने तांडव मचा रखा है। प्रदेश के 6841 गांवों में से 300 से भी ज्यादा कोराना संक्रमण की जद में आ चुके हैं। हालात ये हैं कि सरकारी आंकडों में हिसाब से बीते महज 15 दिनों में ही संक्रमण के कारण सरकारी आंकड़ों में 300 से ज्यादा ग्रामीणों की मौत होने की पुष्टि हो रही है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संकट के दौरान मरने वालों का आंकड़ा हजार से ज्यादा माना जा रहा, जिसकी वजह कोरोना के अलावा बुखार व अन्य बीमारी भी हो सकती है? इसके बावजूद अज्ञानता के चलते लोग कोरोना टेस्ट तक करवाने को तैयार नहीं हैं। संक्रमण की जद में आए अधिकतर गांवों में हाल ये हैं कि लगभग हर दूसरे घर में बिछी चारपाई पर खासी-जुकाम-बुखार का मरीज है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते ये लोग झोलाझापों के सहारे हैं। हालांकि आननफानन में सरकार कुछ गांवों में सुविधाएं मुहैया करवाई हैं, लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। प्रदेश में कोरोना सबसे ज्यादा हिसार, जींद, सिरसा, भिवानी, यमुनानगर और रोहतक जिलों के गांवों में ज्यादा तांडव मचा रहा है। हालांकि प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण के गांवों में दस्तक देने के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में गांव में 'टेस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट' रणनीति को लागू करने के निर्देश जारी किये है। इसके लिए सैंपलिंग और स्क्रेनिंग बढ़ाने के लिए सीएचसी व पीएचसी स्तर पर आठ हजार टीमों का गठन किया जा रहा है, जिनमें ट्रेनी डॉक्टर के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग, आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स यानि एमपीएचडब्लयू पुरुष व महिलाओं को शामिल किया गया है। जबकि जिला स्तर पर 100 के करीब टीम और जिला मुख्यालय पर पांच व पीएचसी स्तर पर 45 टीमें बनाई है। ज्यादातर टीमों ने गांवो में घर-घर जाकर सर्वे करने का काम शुरू कर दिया है। इन टीमों को कोरोना के बचाव के लिए ग्रामीणों को जागरुक करने का भी जिम्मा दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण बुखार, खांसी, जुकाम जैसे लक्षण होने पर गांवो में ही झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराने में ज्यादा विश्वास जता रहे हैं, जो सरकार की टेस्टिंग व्यवस्था जैसे उपायों को दरकिनार कर रहे हैं। ---------------------- हिसार गांवों में मौतों से कोहराम----- हिसार जिले के दर्जनों गांवों में कोरोना संक्रमण और बुखार की वजह से करीब 300 मौतों ने तांडव मचाकर रख दिया है। जिले के गांव सिसाय में 52 और सातरोड व सातरोड खास में 50 और बास नगरपालिका में करीब 50 लोगों की कोरोना संक्रमण और बुखार के कारण हुई मौतों से हाहाकार मचा हुआ है। जिन गांव में मौतों का सिलसिल जारी है उनमें खेदड़, बडाला, खाड़ाखेडी, खरड़ अलीपुर, बहबलपुर, शाहपुर, गढ़ी, प्रभु वाला, तलवंडी राणा, कैमरी, बालसमंद और बुडाक जैसे दर्जनों में गांवों ज्यादा मौतों को लेकर कोहराम मचा हुआ है। जींद के एक दर्जन से ज्यादा गांवों पौली, काकडौद, खरैंटी, दालमवाला, मुआना, सिंघपुरा, शाहपुर, नगूरां, छात्तर, दनौदा खुर्द, घिमाणा, गतौली, बिरौली, रधाना, अलेवा और ढाठरथ में संक्रमण का इतना कहर है कि पिछले एक पखवाड़े में ही 163 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और ढ़ाई हजार से ज्यादा बीमारी की चपेट में हैं। भिवानी जिले के भी करीब एक दर्जन गांव कोरोना संक्रमण की जद में हैं, लेकिन आठ गांव कहीं ज्यादा प्रभावित है, जहां अब तक 189 ग्रामीणों ने संक्रमण के कारण अपनी जान गंवाई हैं। इन गांवों में सर्वाधिक 40 मौतें मुंढाल गांव में हुई, जबकि तिगड़ाना में 35, लोहारी जाटू में 30, बवानी खेड़ा में 25, मानहेरू में 20 के अलावा ढिंगावा में 13, ढाणी माहू में 12 और रतेरा गांव में 10 मौतें हुई। इसके अलावा कलिंगा, खेडा लोहारी, सिवानी व धारेडू गांव में भी एक एक मौत हुई है। रोहतक जिले के टिटौली गांव में कोरोना संक्रमण के कहर ने पिछले दिनों बारी बारी से 40 से ज्यादा लोगों को अपने काल का ग्रास बनाया है। इसके अलावा रोहतक जिले के लाख माजरा,लाखन माजरा, बलम्बा और निदांना जैसे कई गांव में संक्रमण का प्रभाव बना हुआ है। -----इन जिलों के सैकड़ो गांव प्रभावित---- प्रदेश के सिरसा जिले में कोरोना संक्रमण के कहर को देखते हुए 71 गांवों को उच्च जोखिम श्रेणी में डाला है। इनमें चौटाला, आसाखेड़ा, सकताखेड़ा, गंगा, जंडवाला बिश्रोइयां, कालुआना, रिसालियाखेड़ा, गोदिकां, कालांवाली, जगमालवाली, गदराना, रोड़ी, सुरतिया व फग्गू, केहरवाला, घोड़ांवाली, धोत्तड़, झोरडऩाली, ओटू, रानियां, जोधपुरिया, बनी, महम्मदपुरिया, रानियां शहर, माधोसिंघाना, रंगड़ीखेड़ा, नटार, मंगाला, टीटूखेड़ा, मोरीवाला, दड़बी, भरोखा, सुचान, बरूवाली, फरवाईकलां, पनिहारी, वनसुधार, बप्पां, छतरियां, खैरेकां, सहारणी, नाथूसरी, जमाल, बेगू, डेरा शाह सतनामपुरा, कागदाना, डिंग, गुडियाखेड़ा, दड़बा, बकरियांवाली, रूपावास शामिल हैं। जबकि इस श्रेणी में तलवाड़ा खुर्द, ममेरां कला, मीठी सुरेरां, पोहडक़ां, संतनगर, जीवननगर, अमृतसरखुर्द, भुर्टवाला, मौजूखेड़ा के अलावा ख्योवाली, नुहियांवाली, ओढ़ा, पन्नीवालामोटा, चोरमार, आनंदगढ़, सावंतखेड़ा, गांव डबवाली, घुक्कांवाली, मिठड़ी गांव में भी कोरोना संक्रमण अपनी दस्तक दे चुका है। रेवाड़ी जिले के करीब तीन दर्जन गांव संक्रमण से जकड़े हुए हैं, जिनमें जुड्डी, निमोठ, नाहड़, कंवाली, सीहा, डहीना, औलांत, बालावास अहीर, खरखड़ा, गुरावड़ा, कारौली, आसियाकी गौरावास, नंदरामपुरबास, रायपुर, जड़थल, जौनावास, मैलावास, मुमताजपुर, सहादतनगर, बोलनी, गुडियानी, कोसली, जैनाबाद, लिलोढ़, गोकलगढ़, जाटूसाना, भाड़ावास, लुहाना, बव्वा, भाकली, कतोपुरी, झाल, गिंदोखर व टींट आदि शामिल हैं। सोनीपत के गांव हरसाना में पिछले एक हफ्ते में 12 मौतों से दहशत का माहौल बना हुआ है। हालांकि जिला प्रशासन ने इन 12 मौतों से 2 की कोरोना से मौत की पुष्टि हुई है। ---------------- बॉक्स गुगल धूप की धूणी और हवन---- प्रदेश में गांव तक पहुंचे कोरोना संक्रमण और अन्य बीमारियों के कारण मौतों को देखते हुए ग्रामीण पर्यावरण की दृष्टि से वातावरण शुद्धि के लिए गांवों के लोग सामूहिक रूप से गुगल धूप की धूणी कर रहे हैं। इसके लिए गांवों में युवाओं की टोलियां बनाई गई है जिनके जिम्मे यह यह अभियान छोड़ा गया है। इस अभियान के तहत ग्रामीण युवक गांव के धार्मिक स्थलों से आग व धूप के कुंडे लेकर गांव में हर घर घर जाकर गुगल का धुंआ छोड़ कर आगे बढ़ रहे हैं। कई गांवों में शाम होते ही तो कुछ गांवों में यह काम रात के समय किया जा रहा है। यही नहीं कई गांव ऐसे हैं जहां गुगल धूप से भरे बड़े कढ़ाए ट्रैक्टर ट्रॉली में रखकर पूरे गांव में घुमाया जा रहा है। इसके अलावा गांव से बीमारी को छूमंतर करने के लिए हरेक दिन सामूहिक या घर घर हवन यज्ञ करके ओषधीय सामग्री का इस्तेमाल कर रहे है, जिसके धुएं से वातावरण को शुद्ध करना ही मकसद है। -------------------- बॉक्स कोरोना ने बदली परंपराएं---- कोरोना महामारी के कारण गांव में विवाह शदी, तेरहवीं, अंतिम संस्कार के अलावा पूजा पाठ और अपनों से मेल मिलाप करने जैसी तमाम परंपराओं को बदलने पर मजबूर कर दिया है। प्रदेश के गांवों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण यदि किसी की मौत हो जाती है तो उसका दिन छिपने के बाद भी अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है, जो गांवों मे परंपरा में नहीं है। इसी प्रकार तेरह दिन की तेरहवीं की रस्म को भी दो या तीन दिन में ही निपटना पड़ रहा है। इसी प्रकार शादी विवाह की भी बिना बैंड बाजे और बिना किसी शानशौकत से सभी रस्मों को दरकिनार करके कम खर्च पर ही निपटाया जा रहा है। यही नहीं मंदिरों में पूजा पाठ के लिए उमड़ने वाली भीड भी खत्म है और लोग बचाव के कारण अपने घरो में ही अध्यात्मिक रस्मे पूरी कर रहे हैं। खासबात है कि इन सभी गतिविधियों में न कोई रिश्तेदार और न कोई भीड़। मसलन एक दूसरे से मेलमिलाप में भी दूर से ही हाथ जोडकर अभिवादन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है यानि न हाथ मिलाना और न गले मिलना। 17May-2021

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