शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

रेलवे ट्रैक पर एक बार फिर दौड़ेगी स्वर्ण रथ लक्जरी ट्रेन!


यात्रियों को मिलेगी हवाई जहाज की यात्रा से बेहतर सुविधाएं
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे के आईआरसीटीसी पहले से ही लग्जरी ट्रेन टूरिज्म के सफर के बाद एक और स्वर्णिम रथ के रूप में लक्जरी ट्रेन का सफर कराने को तैयार है। यानि रेलवे के ट्रैवल, टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी आर्म्स ने अपने बेड़े में एक और लग्जरी ट्रेन गोल्डन रथ को शामिल किया है। इसके सफर हेतू आईआरसीटीसी कर्नाटक यात्रा की शान कार्यक्रम के तहत इस स्वर्णिम रथ लक्जरी ट्रेन की तीन यात्राओं की सुविधा देने की योजना बनाई है।
आईआरसीटीसी के प्रवक्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि रेल मंत्रालय के ट्रैवल, टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी आर्म्स के बेड़े में शामिल हुई एक और लग्जरी ट्रेन आरआईओटीगोल्डन रथसे पहले कर्नाटक राज्य पर्यटन विकास निगम के स्वामित्व में 2008 में स्वर्ण रथ ट्रेन को शुरू किया गया था। आईआरसीटीसी द्वारा दोनों निगमों के बीच हाल ही में लक्जरी ट्रेन के संचालन, प्रबंधन और विपणन के लिए निष्पादन समझौते के तहत लिए गये निर्णय के तहत आईआरसीटीसी ने अगले महीने यानि 22 मार्च, 29 मार्च और 12 अप्रैल 2020 को स्वर्णिम रथ लक्जरी ट्रेन की तीन यात्राओं की योजना बनाई है। जो सात-सात दिन की यात्रा में सुबह 6 बजे यशवंतपुर रेलवे स्टेशन से अपनी रवानगी करेगी और बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, मैसूर, हलेबिदु, चिकमंगलूर, गोवा के हम्पी, बादामी-पट्टडकल-ऐहोल, बेंगलुरु वापस लौटेगी। आईआरसीटीसी के मुताबिक देश के भीतर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की पहल जिसमें देश के कम से कम 15 पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने का आग्रह किया गया है को देखते हुए इस ट्रेन के सफर में भारतीय नागरिकों के लिए विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं की भी घोषणा की गई है, जिसमें गोल्डन चैरिटी लग्जरी टूरिस्ट ट्रेन ऑन कंपेनियन ऑफर, प्री पोस्ट या पोस्ट शामिल हैं।
विदेशी मेहमानों का रखा गया ख्याल
इस लक्जरी ट्रेन में अंतर्राष्ट्रीय ट्रेन यात्रा के शौकीनों के स्वाद का बदलाव आया है। विदेशी मेहमानों की सुविधा के लिए ट्रेन अब कई नई सुविधाओं का दावा किया गया है, जिसमें नए असबाबवाला फर्नीचर, सुरुचिपूर्ण सजावट, पुनर्निर्मित कमरे और बाथरूम, प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के क्रॉकरी और कटलरी शामिल हैं। इन-रूम मनोरंजन प्रदान करने के लिए नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन, हॉटस्टार आदि सहित विभिन्न प्रकार के वाईफाई सक्षम स्मार्ट टीवी स्थापित किए गए हैं। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से ट्रेन को सीसीटीवी कैमरा और फायर अलार्म सिस्टम को जोड़ा गया है।
व्यंजनों में मिश्रित होगा स्वाद
आईआरसीटीसी के अनुसार ट्रेन में अनुभवी रसोइयों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी मेहमान यात्रियों के स्वाद के लिए परोसे जाने वाले व्यंजनों में घरेलू भोजन के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यंजनों के मिश्रित स्वाद लेने का मौका भी देने का दावा किया है। यहीं नहीं इस ट्रेन में आउस वाइन और बीयर्स के पैकेज भी लागू किये गये हैं। मसलन इस ट्रेन में यात्रियों को हवाई जहाज से भी बेहतर सुविधाओं में स्पा में आराम और स्पा उपचारों का भी आनंद मिलेगा। इसके अलावा फिटनेस के प्रति उत्साही लोगों के लिए आधुनिक कसरत मशीनों से इस ट्रेन को लैस किया गया है। इस लक्जरी ट्रेन के सफर के दौरान यात्रियों के लिए दिये जाने वाले पैकेज की लागत सभी हवाई कंपनियों के जहाजों से भी कम होगी।
29Feb-2020

नमामि गंगे: गंगा सरंक्षण में सरकार का मिला कारोबारियों का साथ

बद्रीनाथ और गंगोत्री में 26.64 करोड़ की परियोजनाएं होंगी पूरी            
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
गंगा सरंक्षण के लिए केंद्र सरकार के नमामि गंगे मिशन के काम में बड़े पैमाने पर कारोबारी घराने भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। उत्तराखंड में बद्रीनाथ और गंगा नदी के मुहाने गंगोत्री में गंगा सरंक्षण और घाटो और मोक्षधामों को नदी से जोड़ने वाली 26.64 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के लिए कई उद्योगिक कंपनियां मदद करने के लिए आगे आ गई हैं।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार हाल ही में नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा की मौजूदगी में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह उत्तराखंड (एसपीएमजी) और इंडोरामा चैरिटबल ट्रस्ट (आईसीटी) के बीच उत्तराखंड के बद्रीनाथ में घाटों का विकास और गंगोत्री में 26.64 करोड़ की लागत से घाट और के निर्माण पर एक साथ मिलकर काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। इस समझौता ज्ञापन पर एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार सिंह, इंडोरामा इंडस्ट्रीज दिल्ली और इंडोरामा चैरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक राजीव क्षेत्रपाल, के अलावा उत्तराखंड सरकार की ओर से एसपीएमजी के परियोजना निदेशक उदय राज सिंह ने हस्ताक्षर किये हैं। इस मौके पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने नमामि गंगे परियोजनाओं में कारोबारियों के आगे आने से परियोजनाओं को बल मिलेगा और इस मिशन को लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकेगा। इस करार के दौरान इंडोरामा कॉरपोरेशन, एक विविध पेट्रोकेमिकल और टेक्सटाइल कंपनी और इण्डोरामा चैरिटेबल ट्रस्ट के उपाध्यक्ष अमित लोहिया तथा उनके पिता जो कंपनी के संस्थापक और अध्यक्ष एस.पी.लोहिया भी मौजूद थे। इनके अलावा अन्य कारोबारियों ने भी इस मिशन में हिस्सेदारी करने का ऐलान किया। दरअसल स्वच्छ गंगा परियोजना के तहत उत्तराखंड के बद्रीनाथ और गंगोत्री में घाटों और श्मशान स्थलों के जीर्णोद्धार और विकास होना है, जहां घाट और मोक्षधाम के लिए मौजूदा भौतिक स्थितियां काफी न होते हुए भी यह यह परियोजना हर काम देश के नामसरकार की पहल के तहत की जा रही है।
मार्च से शुरू होगा परियोजनाओं पर काम
मंत्रालय के अनुसार इस करार के तहत नमामि गंगे की इन परियोजनाओं का काम मार्च 2020 तक शुरू होगा इसमें गंगोत्री घाट पर विकसित किया जाने वाला कुल क्षेत्र 2170 एम2 है जिसके लिए परियोजना की कुल लागत 16.02 करोड़ रुपए होगी इसी प्रकार बद्रीनाथ में अलकनंदा नदी के किनारे बद्रीनाथ स्नान घाट की भी स्थानीय लोगों के जरिए पहचान होने पर उन्हें विकसित करने के लिए कुल क्षेत्र 2099एम2 के लिए 10.31 करोड़ रुपए की लागत खर्च की जाएगी। इनमें घाट के विकास में चेंजिंग रूम, बायो-डाइजेस्टर और रीड बेड के साथ टॉयलेट, आईडब्ल्यूसी, वाटर स्पाउट, छतरी, प्लेटफार्म, साइनेज, बागवानी कार्य, रेलिंग, सोलर लाइट पोल आदि काम शामिल है और इस परियोजना के 15 महीने में पूरा होने की उम्मीद है। वहीं परियोजनाओं में स्नानगृह और मोक्षधाम का निर्माण, मौजूदा घाट और मोक्षधाम की मरम्मत और नवीनीकरण, घाटों पर सार्वजनिक सुविधा उपलब्ध कराना, किनारों पर कटाव संरक्षण कार्य होगा। वहीं पांच साल के लिए प्रचालन एवं रखरखाव भी तय किया गया है ओर यह समझौता 7 साल की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा।
ये होगा फायदा
-नदी के साथ-साथ संरक्षित किए गए घाट लोगों को नदी से जोड़ने में मदद करेंगे. साथ ही ऐसे स्थान का निर्माण भी होगा, जो स्थानीय संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं. यह परियोजना क्षेत्र की सुंदरता में काफी सुधार करेगी. गंगा संरक्षण के लिए, सौंदर्यशास्त्र में सुधार भी एक महत्वपूर्ण पहलू है.
-अनुपचारित सीवेज और ठोस अपशिष्ट आदि में कमी के माध्यम से नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार.पर्यटन में वृद्धि जो स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा करेगा.नदी में अधे-जले हुए/आंशिक रूप से जले हुए शवों के निपटान को रोकें और दाह संस्कार की प्रक्रिया के कारण प्रदूषण को कम करें (IWC हर शव दाह के लिए 200 किलो लकड़ी और 1 पेड़ प्रति 3 श्मशान बचाता है)
29Feb-2020

देश के सूखे-बाढ़ की समस्या को खत्म कर सकता है ‘बुलढ़ाणा पैटर्न’


दोहरे विकास के प्रकल्पों ने बदली महाराष्ट्र के विदर्भ की जिंदगी
बुलढाणा जिले के टैंकरमुक्त हुए 283 गांवों लाखों ग्रामीणों को मिली राहत


.पी. पाल
बुलढाणा(महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त विदर्भ के किसानों और ग्रामणों के लिए जिस प्रकार सेबुलढाणा पैटर्नवाली दोहरी परियोजना वरदान साबित हो रही है। इस पैटर्न ने अकेले बुलढाणा जिले के 283 गांवों के लाखों ग्रामीणों व किसानों की जिंदगी को बदल दिया है। मसलनबुलढाणा पैटर्नने ऐसी राह दिखाई है कि ऐसी परियोजना को अपनाने से देशभर में सूखा और बाढ़ जैसी समस्या से निपटा जा सकता है।
दरअसल महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके का बुलढाणा, अकोला व जालना जिले के 283 से भी ज्यादा गांवों के किसानों को सिंचाई और ग्रामीणों को पीने के पानी मिलने से उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूती के साथ लाभ मिल रहा है। इससे पहले सूखे और बाढ़ के कारण किसानों की फसलें और पशुपालन पूरी तरह से प्रभावित हो जाता था, जहां ग्रामीणों के लिए टैंकरों के जरिए पीने का पानी भेजा जा रहा था, लेकिन इस पैटर्न ने बुलढाणा के अलावा अन्य जिलों में जल संकट की समस्या को दूर होने से किसानों द्वारा अब साल में दो और तीन फसले ले रहे जिनकी आर्थिक व्यव्स्था में सुधार हुआ है। अकेले बुलढाणा जिले के 152 गांव के 4.83 लाख किसानों व ग्रामीण लाभान्वित हुए हैं और उनकी खेती, पशुपालन व मछलीपालन का काम आसान हुआ है। इससे पहले फसलों की बर्बादी में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने का मजबूर देखे गये है। इस बारे में खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहते हैं कि बुलढाणा जिले में 12 प्रकल्पों में 491 किमी लंबे महामार्ग विकास परियोजना को मंजूरी देकर 2016 में इसके साथ जल संवर्धन का काम भी जोड़ा गया यानि यह टू-इन-वन परियोजना के जरिए 5510 लाख घन मीटर जलभंडारण का निर्माण हुआ। इस दोहरी विकास परियोजना में राज्य सरकार का भी 170 करोड़ रुपये बचा है, वहीं 900 करोड़ की योजना को बिना किसी खर्च के पूरा किया जा रहा है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि बुलढाणा में महामार्ग विकास परियोजना के जरिए 22,800 कुओं का पुनर्भरण किया गया है और 1426 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र की बढ़त हुई। वहीं जिले में 81 जलापूर्ति योजनाओं के कुएं पुनर्भरण हुए, जिससे गांव टैंकरमुक्त हुए हैं। यहां शुरू की गई इस दोहरी विकास परियोजना कोबुलढाणा पैटर्नके रूप में पहचान मिली। इस परियोजना को अब पूरे महाराष्ट्र में अपनाया जा रहा है, जिसके तहत केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा महाराष्ट्र में मंजूर किये गये राष्ट्रीय महामार्ग विकास के 60 प्रकल्प यानि परियोजनाओं में 419 स्थानों पर जलसंवर्धन व भूजल पुनर्भरण कार्य किए गए हैं। इससे राज्य में 126 लाख घनमीटर पानी का अतिरिक्त भंडारण में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे 30 हजार एकड़ क्षेत्र में संरक्षित सिंचाई सुविधा मिलेगी। यदि इस बुलढाणा पैटर्न को देश के सभी सूखा और बाढ़ग्रस्त इलाकों में अपनाया जाए तो देश में सूखे और बाढ़ के साथ जल संकट की समस्या से निपटा जा सकता है और केंद्र सरकार इस दिशा में हर राज्य के साथ विचार विमर्श करके उन्हें इस पैटर्न को अपनाने का अनुरोध कर रही है।
क्या है बुलढाणा पैटर्न
राज्य में महामार्ग और जलवर्धन ऐसी दोहरी परियोजना है जिसमें सड़क निर्माण और सड़क चौडीकरण हेतु जलसंवर्धन के लिए तालाबों, नदियों और नालों की गहराई के लिए खोदी जाने वाली मरुम मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे जहां सड़क निर्माण की परियोजओं को तेजी से बढ़ाया जा रहा है, वहीं सूखे तालाबों औ नदी नालों में पानी का संग्रह लगातार बढ़ रहा है, जिसके कारण किसानों को सिचांई और पशुओं को पीने के लिए पानी मिल रहा है, वहीं अनेक गांवों में कुंओं के पुनर्भरण के कारण ग्रामीणों के लिए पेयजल संकट की समस्या भी समाप्त हो रही है। इस परियोजना के तहत तालाबों के चौडीकरण और गहराई के कारण पिछले साल बारिश के पानी से जिस प्रकार तालबों और कुओं के लबालब भरे होने के कारण अब बुलढाणा जिले के 152 गांव पूरी तरह से टैंकरमुक्त हो गये हैं। मंत्रालय और एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि इस पैटर्न के तहत परियोजना लागू करने में सबसे खासबात यह है कि किसी प्रकार के भूसंपादन, विस्थापन और अतिरिक्त खर्च किये बिना जहां महामार्ग बन रहे हैं, वहीं जलस्रोतों और पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन बढ़ रहा है, ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था को भी इस पैटर्न ने ऊर्जा देना शुरू किया है।
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बुंदेलखंड में भी बुलढाणा पैटर्न ?
आगामी 29 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में राष्ट्रीय राजमार्ग की आधारशिला रखेंगे। इस संबन्ध में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने लखनऊ में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बुंदेलखंड के लिए शुरू होने वाली सड़क परियोजना मेंबुलढाणा पैटर्नका इस्तेमाल करने का अनुरोध किया था। गडकरी ने कहा कि बुंदेलखंड में जहां से राष्ट्रीय मार्ग का निर्माण निकलेगा, वहीं आसपास तालाबों की खुदाई करके गांवों के कुओं का पुनर्भरण और कुएं खोदने का काम किया जाए तो बुंदेलखंड में सड़क विकास के साथ जल संकट की समस्या का भी बिना किसी भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के समाधान हो सकता है। गडकरी ने कहा कि देश में जहां भी सूखे और बाढ़ की समस्या है इसी पैटर्न से दूर करके इस पैटर्न को एक बड़ी मिसाल या मॉडल बनाया जा सकता है।
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जल ही जीवन है। गांव का पानी गांव के लिए यही कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास का मूलमंत्र है। इसी मूलमंत्र के आधार पर महामार्ग विकास-जल समृद्धि, ग्रामीण विकास, मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संकल्पना की सोचा के साथ महाराष्ट्र के विदर्भ में बड़े पैमाने पर जल सिंचाई के काम शुरू किये गये। महाराष्ट्र के अकोला, बुलढाणा समेत पूरे राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सड़क निर्माण क काम के साथ नदी-नालों को गहरा करने का काम किया गया। इसमें बुलढाणा पैटर्न के कारण मुर्तिजापुर की नदी जो मृत अवस्था में थी, वह फिर से पुनर्जिवित हो उठी है, जहां जलभरण और प्रवाह के कारण किसानों को आज सिंचाई और पशुपालन के लिए पानी मिल रहा है। सिंचाई प्रबंधन बढ़ने से अब विदर्भ में कोई किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर नहीं होगा, क्योंकि उसे पानी के साथ अर्थव्यवस्था का लाभ भी हो रहा है और इसके सरकार पूरे देश में लागू करने का प्रयास करेगी, इसके लिए उनके मंत्रालय ने सभी राज्यों को इस पैटर्न को अपनाने के लिए कहा है, जिसमें गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना इसे शुरू कर रहे हैं।
-नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री
28Feb-2020