बुलढाणा जिले के टैंकरमुक्त हुए 283 गांवों
लाखों ग्रामीणों को मिली राहत
ओ.पी. पाल
बुलढाणा(महाराष्ट्र)।
महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त विदर्भ के किसानों
और ग्रामणों के लिए जिस प्रकार से ‘बुलढाणा पैटर्न’ वाली
दोहरी परियोजना वरदान साबित हो रही है। इस पैटर्न ने अकेले बुलढाणा जिले के
283 गांवों के लाखों ग्रामीणों व किसानों की जिंदगी को बदल दिया है।
मसलन ‘बुलढाणा पैटर्न’ ने ऐसी राह दिखाई
है कि ऐसी परियोजना को अपनाने से देशभर में सूखा और बाढ़ जैसी समस्या से निपटा जा सकता
है।
दरअसल महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके का बुलढाणा, अकोला व
जालना जिले के 283 से भी ज्यादा गांवों के किसानों को सिंचाई
और ग्रामीणों को पीने के पानी मिलने से उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूती के साथ लाभ मिल
रहा है। इससे पहले सूखे और बाढ़ के कारण किसानों की फसलें और पशुपालन पूरी तरह से प्रभावित
हो जाता था, जहां ग्रामीणों के लिए टैंकरों के जरिए पीने का पानी
भेजा जा रहा था, लेकिन इस पैटर्न ने बुलढाणा के अलावा अन्य जिलों
में जल संकट की समस्या को दूर होने से किसानों द्वारा अब साल में दो और तीन फसले ले
रहे जिनकी आर्थिक व्यव्स्था में सुधार हुआ है। अकेले बुलढाणा जिले के 152 गांव के 4.83 लाख किसानों व ग्रामीण लाभान्वित हुए हैं
और उनकी खेती, पशुपालन व मछलीपालन का काम आसान हुआ है। इससे पहले
फसलों की बर्बादी में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने का मजबूर देखे गये है। इस
बारे में खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहते हैं कि बुलढाणा जिले में 12
प्रकल्पों में 491 किमी लंबे महामार्ग विकास परियोजना
को मंजूरी देकर 2016 में इसके साथ जल संवर्धन का काम भी जोड़ा
गया यानि यह टू-इन-वन परियोजना के जरिए
5510 लाख घन मीटर जलभंडारण का निर्माण हुआ। इस दोहरी विकास परियोजना
में राज्य सरकार का भी 170 करोड़ रुपये बचा है, वहीं 900 करोड़ की योजना को बिना किसी खर्च के पूरा किया
जा रहा है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि बुलढाणा में महामार्ग विकास परियोजना
के जरिए 22,800 कुओं का पुनर्भरण किया गया है और 1426
हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र की बढ़त हुई। वहीं जिले में 81 जलापूर्ति योजनाओं के कुएं पुनर्भरण हुए, जिससे गांव
टैंकरमुक्त हुए हैं। यहां शुरू की गई इस दोहरी विकास परियोजना को ‘बुलढाणा पैटर्न’ के रूप में पहचान मिली। इस परियोजना
को अब पूरे महाराष्ट्र में अपनाया जा रहा है, जिसके तहत केंद्रीय
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा महाराष्ट्र में मंजूर किये गये राष्ट्रीय
महामार्ग विकास के 60 प्रकल्प यानि परियोजनाओं में
419 स्थानों पर जलसंवर्धन व भूजल पुनर्भरण कार्य किए गए हैं। इससे
राज्य में 126 लाख घनमीटर
पानी का अतिरिक्त भंडारण में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे 30 हजार एकड़ क्षेत्र में संरक्षित सिंचाई
सुविधा मिलेगी। यदि इस बुलढाणा पैटर्न को देश के सभी सूखा और बाढ़ग्रस्त इलाकों में
अपनाया जाए तो देश में सूखे और बाढ़ के साथ जल संकट की समस्या से निपटा जा सकता है
और केंद्र सरकार इस दिशा में हर राज्य के साथ विचार विमर्श करके उन्हें इस पैटर्न को
अपनाने का अनुरोध कर रही है।
क्या है बुलढाणा पैटर्न
राज्य में महामार्ग और जलवर्धन ऐसी दोहरी परियोजना
है जिसमें सड़क निर्माण और सड़क चौडीकरण हेतु जलसंवर्धन के लिए तालाबों, नदियों
और नालों की गहराई के लिए खोदी जाने वाली मरुम मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है,
जिससे जहां सड़क निर्माण की परियोजओं को तेजी से बढ़ाया जा रहा है,
वहीं सूखे तालाबों औ नदी नालों में पानी का संग्रह लगातार बढ़ रहा है,
जिसके कारण किसानों को सिचांई और पशुओं को पीने के लिए पानी मिल रहा
है, वहीं अनेक गांवों में कुंओं के पुनर्भरण के कारण ग्रामीणों
के लिए पेयजल संकट की समस्या भी समाप्त हो रही है। इस परियोजना के तहत तालाबों के चौडीकरण
और गहराई के कारण पिछले साल बारिश के पानी से जिस प्रकार तालबों और कुओं के लबालब भरे
होने के कारण अब बुलढाणा जिले के 152 गांव पूरी तरह से टैंकरमुक्त
हो गये हैं। मंत्रालय और एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि इस पैटर्न के तहत परियोजना
लागू करने में सबसे खासबात यह है कि किसी प्रकार के भूसंपादन, विस्थापन और अतिरिक्त खर्च किये बिना जहां महामार्ग बन रहे हैं, वहीं जलस्रोतों और पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन बढ़ रहा है, ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था को भी इस पैटर्न ने ऊर्जा देना शुरू किया है।
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बुंदेलखंड में भी बुलढाणा पैटर्न ?
आगामी 29 फरवरी
को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में राष्ट्रीय राजमार्ग की आधारशिला रखेंगे। इस संबन्ध में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने लखनऊ में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बुंदेलखंड के लिए शुरू होने वाली सड़क परियोजना में ‘बुलढाणा पैटर्न’ का
इस्तेमाल करने का अनुरोध किया था। गडकरी ने कहा कि बुंदेलखंड में जहां से राष्ट्रीय मार्ग का निर्माण निकलेगा, वहीं आसपास तालाबों की खुदाई
करके गांवों के कुओं का पुनर्भरण और कुएं खोदने का काम किया जाए तो बुंदेलखंड में सड़क विकास के साथ जल संकट की समस्या का भी बिना किसी भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के समाधान हो सकता है। गडकरी ने कहा कि देश में जहां भी सूखे और बाढ़ की समस्या है इसी पैटर्न से दूर करके इस पैटर्न को एक बड़ी मिसाल या मॉडल बनाया जा सकता है।
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‘जल ही जीवन है। गांव का पानी गांव के लिए यही
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास का मूलमंत्र है। इसी मूलमंत्र के आधार पर महामार्ग
विकास-जल समृद्धि, ग्रामीण विकास,
मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संकल्पना की सोचा के साथ महाराष्ट्र के
विदर्भ में बड़े पैमाने पर जल सिंचाई के काम शुरू किये गये। महाराष्ट्र के अकोला,
बुलढाणा समेत पूरे राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सड़क निर्माण क
काम के साथ नदी-नालों को गहरा करने का काम किया गया। इसमें बुलढाणा
पैटर्न के कारण मुर्तिजापुर की नदी जो मृत अवस्था में थी, वह
फिर से पुनर्जिवित हो उठी है, जहां जलभरण और प्रवाह के कारण किसानों
को आज सिंचाई और पशुपालन के लिए पानी मिल रहा है। सिंचाई प्रबंधन बढ़ने से अब विदर्भ
में कोई किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर नहीं होगा, क्योंकि
उसे पानी के साथ अर्थव्यवस्था का लाभ भी हो रहा है और इसके सरकार पूरे देश में लागू
करने का प्रयास करेगी, इसके लिए उनके मंत्रालय ने सभी राज्यों
को इस पैटर्न को अपनाने के लिए कहा है, जिसमें गुजरात,
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना इसे शुरू कर रहे हैं।’
-नितिन गडकरी, केंद्रीय
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री
28Feb-2020
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