बद्रीनाथ और गंगोत्री में 26.64 करोड़ की परियोजनाएं होंगी
पूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
गंगा
सरंक्षण के लिए केंद्र सरकार के नमामि गंगे मिशन के काम में बड़े पैमाने पर
कारोबारी घराने भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। उत्तराखंड में बद्रीनाथ और गंगा नदी
के मुहाने गंगोत्री में गंगा सरंक्षण और घाटो और मोक्षधामों को नदी से जोड़ने वाली
26.64 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के लिए कई उद्योगिक कंपनियां मदद करने
के लिए आगे आ गई हैं।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार हाल ही में नई दिल्ली
में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व राष्ट्रीय स्वच्छ
गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा की मौजूदगी में राष्ट्रीय
स्वच्छ गंगा मिशन, राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह उत्तराखंड (एसपीएमजी)
और इंडोरामा चैरिटबल ट्रस्ट (आईसीटी) के बीच उत्तराखंड
के बद्रीनाथ में घाटों का विकास और गंगोत्री में 26.64 करोड़ की लागत से घाट और के निर्माण पर एक साथ
मिलकर काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
किये गये। इस समझौता ज्ञापन पर एनएमसीजी के कार्यकारी
निदेशक अशोक कुमार सिंह, इंडोरामा इंडस्ट्रीज दिल्ली
और इंडोरामा चैरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक राजीव क्षेत्रपाल,
के अलावा उत्तराखंड सरकार की ओर से एसपीएमजी के परियोजना निदेशक उदय
राज सिंह ने हस्ताक्षर किये हैं। इस मौके पर केंद्रीय
जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने नमामि गंगे
परियोजनाओं में कारोबारियों के आगे आने से परियोजनाओं को बल मिलेगा और इस मिशन को
लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकेगा। इस करार के दौरान इंडोरामा कॉरपोरेशन,
एक विविध पेट्रोकेमिकल और टेक्सटाइल कंपनी और इण्डोरामा चैरिटेबल ट्रस्ट
के उपाध्यक्ष अमित लोहिया तथा उनके पिता जो कंपनी के
संस्थापक और अध्यक्ष एस.पी.लोहिया भी मौजूद थे। इनके अलावा
अन्य कारोबारियों ने भी इस मिशन में हिस्सेदारी करने का ऐलान किया। दरअसल स्वच्छ गंगा परियोजना के तहत उत्तराखंड के बद्रीनाथ और गंगोत्री में घाटों
और श्मशान स्थलों के जीर्णोद्धार और विकास होना है, जहां घाट और मोक्षधाम के लिए मौजूदा भौतिक स्थितियां काफी न होते
हुए भी यह यह परियोजना ‘हर काम देश के नाम’
सरकार की पहल के तहत की जा रही है।
मार्च से शुरू होगा परियोजनाओं पर काम
मंत्रालय के अनुसार इस करार के तहत नमामि गंगे की इन
परियोजनाओं का काम मार्च 2020 तक शुरू होगा। इसमें गंगोत्री घाट पर विकसित किया जाने वाला कुल क्षेत्र
2170 एम2 है जिसके लिए परियोजना की कुल
लागत 16.02 करोड़ रुपए होगी। इसी
प्रकार बद्रीनाथ में अलकनंदा नदी के किनारे बद्रीनाथ स्नान घाट
की भी स्थानीय लोगों के जरिए पहचान होने
पर उन्हें विकसित करने के लिए कुल क्षेत्र 2099एम2
के लिए 10.31 करोड़ रुपए की लागत खर्च की जाएगी। इनमें घाट के विकास में चेंजिंग रूम, बायो-डाइजेस्टर और रीड बेड के साथ टॉयलेट, आईडब्ल्यूसी, वाटर स्पाउट, छतरी, प्लेटफार्म,
साइनेज, बागवानी कार्य, रेलिंग,
सोलर लाइट पोल आदि काम शामिल है और इस परियोजना के 15 महीने में पूरा होने की उम्मीद है। वहीं परियोजनाओं में स्नानगृह और मोक्षधाम का निर्माण, मौजूदा घाट और मोक्षधाम
की मरम्मत और नवीनीकरण, घाटों पर सार्वजनिक सुविधा उपलब्ध कराना,
किनारों पर कटाव संरक्षण कार्य होगा। वहीं पांच
साल के लिए प्रचालन एवं रखरखाव भी तय किया गया है ओर यह समझौता 7 साल की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा।
ये होगा फायदा
-नदी के साथ-साथ संरक्षित किए गए घाट लोगों को
नदी से जोड़ने में मदद करेंगे. साथ ही ऐसे स्थान का निर्माण भी होगा, जो स्थानीय संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं. यह परियोजना
क्षेत्र की सुंदरता में काफी सुधार करेगी. गंगा संरक्षण के लिए, सौंदर्यशास्त्र में सुधार भी एक महत्वपूर्ण पहलू है.
-अनुपचारित सीवेज और ठोस अपशिष्ट आदि में कमी
के माध्यम से नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार.पर्यटन में
वृद्धि जो स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा करेगा.नदी में अधे-जले
हुए/आंशिक रूप से जले हुए शवों के निपटान को रोकें और दाह संस्कार की प्रक्रिया के
कारण प्रदूषण को कम करें (IWC हर शव दाह के लिए 200 किलो लकड़ी और 1 पेड़ प्रति 3
श्मशान बचाता है) ।
29Feb-2020
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