रणनीतिक
क्षेत्र में शून्य आयात की दिशा में काम करे इस्पात उद्योग: केंद्र
‘हर काम देश के नाम’ मिशन को बढ़ावा देने में
जुटी केंद्र सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी
सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश के इस्पात उद्योगों से शून्य आयात की दिशा
में काम करने पर बल दिया है, ताकि रेल और रक्षा क्षेत्र में घरेलू इस्पात का
इस्तेमाल के तहत ‘हर काम देश के नाम’ मिशन के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
यहां नई दिल्ली में सोमवार को इस्पात मंत्रालय द्वारा
भारतीय उद्योग परिसंघ के सहयोग से भारतीय रेलवे तथा रक्षा क्षेत्र में
इस्पात उपयोग बढ़ाने के बारे में आयोजित कार्यशाला में बोलते हुए केन्द्रीय इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा
कि रणनीतिक बाध्यताओं के अतिरिक्त रेलवे तथा रक्षा क्षेत्रों में इस्पात उपयोग बढ़ाने
की व्यापक आर्थिक और सामाजिक बाध्यताएं हैं, जिससे रोजगार सृजन
में मदद मिलेगी। प्रधान ने इस दौरान इस्पात मंत्रालय को इस्पात
उद्योग, रेलवे तथा रक्षा
क्षेत्रों के बीच सेतु की भूमिका निभाने की दिशा में एक रणनीतिक पत्र तैयार करने
की बात कही, ताकि इसके लिए एक कार्य योजना बनाई जा
सके। उन्होंने रेलवे तथा रक्षा क्षेत्र में शून्य आयात पर बल देते हुए
कहा कि स्वदेशी को समर्थन देने के लिए घरेलू उद्योग द्वारा आवश्यकता के मुताबिक विशेष
इस्पात के उत्पादन को प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रधान
ने कहा कि जापान और कोरिया पहले कच्चा सामान मंगाते थे और फिर निर्यात
के लिए मूल्यवर्द्धित इस्पात का उत्पादन करने लगे। इसलिए भारतीय उद्योग और मंत्रालय
के लिए घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय मांग पूरी करने के लिए मूल्यवर्द्धित इस्पात के
उत्पादन के लिए भारती इस्पात उद्योग को कमर कस लेनी चाहिए। प्रधान
ने कहा कि केंद्र सरकार के ‘हर काम देश के नाम’ मिशन के तहत हमें सभी कार्य मजबूत और अधिक समृद्ध नया भारत बनाने की दिशा में करने
होंगे। इस मौके पर प्रधान ने इस्पात क्षेत्र के लिए शून्य दुर्घटना
कार्य स्थल सुनिश्चित करने के लिए लौहा तथा इस्पात क्षेत्र के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों
को जारी किया।
रेलवे में बढ़ी 17 फीसदी इस्पात की खपत
कार्यशाला में शामिल हुए रेल बोर्ड तथा डेडिकेटेड
फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी रेलवे के लिए इस्पात के महत्व पर बल दिया। अधिकारियों के मुताबिक
पिछले वर्ष भारतीय रेल में 7 एमटी इस्पात की खपत हुई और यह खपत पिछले वर्ष की तुलना में
17 प्रतिशत बढ़ी है। भारतीय
रेल की योजना विविध ट्रैकिंग,
उच्च
गति की परियोजना के माध्यम से भीड़भाड़ कम करना और 58 सुपर क्रिटिकल परियोजनाओं पर फोकस करना है।
इस परियोजनाओं से तेज गति से मांग बढ़ने की संभावना है। इसके अतिरिक्त डेडिकेटेड फ्रेट
कॉरिडोर परियोजनाओं में अगले पांच वर्षों में 17 एमटी इस्पात की खपत होने की आशा है। कार्यशाला में फोर्ज एक्सेल
तथा पहियों की घरेलू मांग पूरी करने के लिए भारतीय रेल और सेल के बीच समझौता ज्ञापन
पर हस्ताक्षर किये गये।
रक्षा
क्षेत्र में अयस्क गुणवत्ता पर बल
भारतीय सेना, नौसेना और डीआरडीओ सहित वायुसेना, तथा आयुध फैक्टरी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र
में विशेष इस्पात धातु की जरूरत पूरा करने की काफी क्षमता है और खरीददार तथा आपूर्तिकर्ता
के बीच सेतू का काम करने के लिए मंत्रालय के प्रयासों का स्वागत किया, लेकिन रक्षा क्षेत्र के लिए विशेष इस्पात अयस्क की गुणवत्ता
आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया। रक्षा क्षेत्र ने मात्रा की जगह मूल्यवर्द्धन पर
जोर दिया और धातु विज्ञान में अनुसंधान तथा दुर्लभ धातुओं की उपयोगिता बढ़ाने की आवश्यकता
दोहराई।
आयुध व सेल के बीच करार
कार्यशाला के दौरान सोमवार को यहां इस्पात आवश्यकताओं
को पूरा करने के लिए आयुध फैक्टरियों तथा सेल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
किया गया। रक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता को लेकर इस्पात सचिव विनय
कुमार ने इस्पात के बढ़ते उपयोग के अनुरूप गुणवत्ता तथा स्पर्धा सुनिश्चित करने
पर बल दिया। उन्होंने बताया कि मंत्रालय शीघ्र ही वर्तमान गुणवत्ता नियंत्रण आदेश
के अंतर्गत और अधिक इस्पात उत्पादों को शामिल करेगा। उन्होंने आयात निर्भरता तथा
इस्पात आवश्यकताओं के संबंध में कदम उठाने का आश्वासन दिया।
18Feb-2020
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