शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

राज्यसभा में गूंजा महानदी जल विवाद का मुद्दा

छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच ट्रिब्यूनल में लंबित है मामला, 18 अप्रैल को सुनवाई
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।  
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच चल रहे महानदी जल विवाद की गूंज शुक्रवार को संसद में सुनाई दी। जिसका विवाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित ट्रिब्यूनल भी अभी तक इस अंतरराज्यीय नदी विवाद का निपटारा नहीं कर सका है। वहीं इस मामले में ट्रिब्यूनल में अब अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।
केंद्र सरकार के कई प्रयासों के बाद भी जब छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी जल विवाद नहीं सुलझ सका, ओडिशा सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर करीब दो साल पहले गठित किये गये महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण में यह मामला लंबित है। इस विवाद में ट्रिब्यूनल अब आगामी 18 अप्रैल को सुनवाई करेगा, उससे पहले दोनों राज्यों द्वारा महानदी पर अपनी अपनी परियोजनाओं के बारे में दिये गये विषयों पर ट्रिब्यूनल ने ऐसे बिंदुओं पर चर्चा करने को कहा है जो आपस में मेल खा रहे है। ट्रिब्यूनल के सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताह यानि एक फरवरी को ट्रिब्यूनल में इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान विवाद के कारण फंसी परियोजनाओं से संबन्धित छत्तीसगढ़ ने 13 और ओडिशा ने 28 बिंदुओं की सूची सौंपी है। दोनों राज्य इन बिंदुओं पर समाधान निकालने के लिए बैठक करने को राजी भी हुए हैं, ताकि एक समान बिंदुओं पर आपसी सहमति बनाई जा सके। सूत्रों के अनुसार इससे पहले पिछले साल सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने दोनों राज्यों को एक-दूसरे राज्य में जाकर महानदी की परियोजनाओं को देखने के लिए कहा था, जिसमें 29 अक्टूबर से एक नंवबर तक ओडिशा का दल छत्तीसगढ़ पहुंचा और उसके बाद छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के दल ओडिशा का दौरा करके उसकी परियाजनाओं को देखा। दोनों ही राज्यों ने एक-दूसरे राज्यों की परियोजनाओं का आकलन करने की जानकारी पिछले सप्ताह ट्रिब्यूनल को भी दे दी हैं।
केंद्र सरकार से ओडिशा ने मांगा न्याय
संसद के बजट सत्र में शुक्रवार का राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान ओडिशा के बीजद सांसद डा. सस्मित पात्रा ने महानदी के अंतर्राज्यीय जल विवाद का केंद्र सरकार से निस्तारण करने की मांग की। पात्रा ने कहा कि इस विवाद के कारण ओडिशा राज्य पानी के लिए संघर्ष कर रहा है और जल ही जीवन है जिसके लिए केंद्र सरकार भी जल संग्रह के लिए अभियान चलाकर लोगों का पानी देने के लिए योजनाएं चला रही है। पात्रा ने विवाद में फंसे महानदी के जल बंटवारे के निपटारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के बीच सुलझाने के लिए केंद्र सरकार कई समितियां भी गठित कर चुका है, जिसमें ओडिशा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मार्च 2018 में महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया, लेकिन करीब दो साल बीत जाने के बाद भी इस विवाद को सुलझाने में ट्रिब्यूनल भी ओडिशा को कोई न्याय नहीं दिला सका है। उन्होंने कहा कि इस विवाद के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार महानदी की ऊपरी धारा पर अवैध बैराजों और बांधों की श्रंखला का निर्माण कर रहा है, जिससे जल प्रवाह में आ रही कमी ओडिशा के लिए अन्याय है। इस विवाद के निस्तारण न होने से ओडिशा के 16 गांवों समेत दो करोड़ लोग प्रभावित हैं। वहीं किसानों और मछुआरों का जीवन भी संकट में है। उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल का गठन क्या नाम मात्र के लिए किया गया? इसके लिए केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि राज्य के गरीब, आदिवासी लोगों, किसानों और जरुरतमंदों को पानी के संकट से जल्द से जल्द निजात मिल सके।
पहले भी संसद में उठा मामला
ओडिशा सरकार द्वारा संसद में पिछले साल भी महानदी विवाद के मामले उठाए गये। इनमें एक शिकायत के जरिए जल संसाधन मंत्रालय को भेजे के गये दावे के प्रस्ताव के अनुसार छत्तीसगढ़ में मौजूदा चल रही और भविष्य में सिंचाई, औद्योगिक उपयो के साथ घरेलू परियोजनाओं के प्रयोजनों के लिए 33.89 बीसीएम तक जल की आवश्यकता जताई गई थी। इस शिकायत में ओडिशा सरकार ने हीराकुंड बांध में न्यूनतम प्रवाह की मात्रा, अधिशेष प्रवाह जैसे मुद्दे भी उठाए थे। गौरतलब है कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय में दी गई शिकायत के बीच ही ओडिशा सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को छह औद्योगिक बैराजों के निर्माण को जारी रखने और उनके संचाल तथा भविष्य में काई और परियोजना शुरू करने से रोकने हेतु सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर कर दिया था। इस मामले पर इसी साल 23 जनवरी 2018 को की गई अंतिम सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने के भीतर केंद्र सरकार को महानदी विवाद को सुलझाने के लिए महानदी विवाद ट्रिब्यूनल का गठन करने का आदेश दिया, जिसके अनुसार केंद्र सरकार ने गत 12 मार्च 2018 को ट्रिब्यूनल गठित करके अधिसूचना जारी की गई।                      
छत्तीसगढ़ में स्वीकृत 12 परियोजनाएं
जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार मंत्रालय की तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा छत्तीसगढ़ में फरवरी 2003 से सितंबर 2016 के बीच 12 परियोजनाएं स्वीकृत की गई, जिनमें सात फरवरी 2003 में स्वीकृत महानदी जलाशय परियोजना भी शामिल है,जिसमें बाद में 26 सितंबर 2009 को संशोधन भी किया गया। ऐसे ही स्वीकृत तीन और परियोजनाओं में संशोधन को स्वीकृति दी गई। जहां तक राज्य पर्यावरवण प्रभाव आकलन प्राधिकरण छत्तीसगढ़ द्वारा पर्यावरण अनापत्ति पत्र जारी करने का सवाल है उसमें छह बैराज शामिल हैं, जिनमें जंजगीर चंपा में कलमा बैराज, शिवोरीनारायण बैराज, बसंतपुर बैराज, मिरोनी बैराज, साराडीह बैराज तथा रायपुर समोदा बैराज शामिल है।
08Feb-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें