शून्यकाल में सदस्यों द्वारा उठाए गये लोक महत्व के मुद्दों
पर बोले सभापति
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा
में सांसदों द्वारा शून्यकाल के लोक महत्व के मुद्दे उठाने पर सभापति एम. वेंकैया
नायडू ने केंद्र सरकार के मंत्रियों से देश व जनहित में उन पर गौर करने को कहा और
कहा कि सरकार को देखना चाहिए कि योजनाओं के कार्यान्वयन में कहां समस्या है और
उसका किस प्रकार से समाधान किया जा सकता है, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ जनता को
मिल सके।
संसद
के बजट सत्र में गुरुवार को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान विभिन्न दलों के
सदस्यों ने कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए और सरकार से उनका समाधान करने के लिए
ठोस कार्रवाई की मांग की। ऐसे कई महत्वपूर्ण मुद्दो और सदस्यों की मांग को तरजीह
देते हुए खुद सभापति एम. वेंकैया नायडू को सदन में मौजूद संबन्धित विभागों के
मंत्रियों से कहा कि वे ऐसे गंभीर मुद्दों पर गौर कर कार्यवाही करें, ताकि देशहित
में जनता को सरकारी योजनाओं को समुचित लाभ मिल सके।
ऑनलाइन कारोबार के नियमन की मांग
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान माकपा के सोम प्रसाद ने केंद्र सरकार से खाद्य सामग्री
के ऑनलाइन कारोबार के नियमन की मांग करते हुए कहा कि ऐसे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, सुरक्षा एवं मानकों पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि व्यस्त जीवनशैली की वजह से न केवल हमारी दिनचर्या बदली है बल्कि कारोबार भी
बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले घर के खाने को तरजीह देने वाले लोगों के लिए अब
खाद्य सामग्री ऑनलाइन मंगाना नयी बात नहीं रही। कई कंपनियां यह सुविधा मुहैया करा रही
हैं। सोमप्रकाश ने कहा कि ऑर्डर रद्द करने से लेकर अन्य खर्च
उपभोक्ता करता है। उस पर विडंबना यह है कि कई बार खाना अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिलता।
सुरक्षा संबंधी मानकों का पालन न किए जाने का संदेह हमेशा बना रहता है और ऐसे मामले
सामने भी आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, सुरक्षा एवं मानकों के पालन हो, ताकि उपभोक्ता की सेहत से कोई समझौता न हो सके। इस पर सभापति ने
सदन में मौजूद उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान से कार्यवाही करने का
आव्हान किया।
आदिवासी किसानों का मामला
शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने आदिवासी
जंगलों के किसानों के लिए यूपीए सरकार द्वारा बनाए गये कानून के तहत उनके दावों के
लंबित मामलों को उठाते हुए कहा कि वर्ष 2006 में बने इस कानून के तहत आदिवासी
इलाकों में रहने वाले किसानों को जंगल मूलभूत अधिकार दिये गये हैं, जिसमें वन
विभाग को नोडल एजेंसी के रूप में रखने की बात हुई थी, ताकि ऐसे आदिवासी किसानों के
दावों के निपटारों को पहले ग्राम सभा और उसके अक्षम होने पर सब-डिवजन और राज्य
स्तर पर कमेटी में समीक्षा की जा सके। इस लिए आदिवासी किसानों के दावों के निपटारे
के लिए सरकार को ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की गई। मिस्त्री ने कहा कि ऐसे लाखों
दावे लंबित हैं, जिनका आज तक निस्तारण नहीं हुआ, इसलिए केंद्र सरकार को वन भूमि के
उपयोगकर्ताओं के मामलों का ट्रिब्यूनल में डाले जाएं ताकि उन्हें न्याय मिल सके।
इस मुद्दे को भी सभापति नायडू में बेहद गंभीर बताते हुए सरकार को सचेत किया।
किसानों की विधवाओं को सहायता
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा सदस्य डा. विकास
महात्मे ने विधवा किसान महिला सशक्तिकरण का मामला उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में
किसानों की आत्महत्या में बढ़ोतरी होने से वहां उनकी विधवाओं की संख्या भी बढ़ रही
है। डा. महात्मे ने कहा कि परिवार के मुखिया की आत्महत्या के प्रभाव के बाद
दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थियों में उनकी विधवाओं और उनके बच्चों को भावनात्मक या
आर्थिक रूप से सहायता मुहैया कराने के लिए सरकार को कोई ठोस नीति बनाने की जरुरत
है, ताकि उनके परिवार के बच्चों की शिक्षा और परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया
जा सके। वहीं महात्मे ने सरकार से आत्महत्या करने वाले किसानों के नाम भूमि के
उनकी विधवा या बच्चों के नाम स्थांतरण करने में आ रही परेशानियों को दूर करने की
दिशा में ठोस नीति बनाने की मांग की है।
प्रदूषित पेजल से बीमारियां
भाजपा के विजयपाल सिंह तोमर ने शून्यकाल में
पेयजल के प्रदूषित होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कैंसर, तपेदिक और अन्य बीमारियों के मामले प्रदूषित
पेयजल की वजह से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों में अक्सर ट्रीटमेंट
प्लांट काम नहीं करते। ऐसे में इकाइयां अपना अपशिष्ट नालों में डालती हैं जहां से वह
नदियों में पहुंचता है और उनका पानी दूषित हो जाता है। तोमर ने सरकार से मांग की है कि इसके लिए एक निगरानी तंत्र बनाया जाना
चाहिए, जो यह जांच नियमित करे कि औद्योगिक इकाइयों में ट्रीटमेंट
संयंत्र काम कर रहे हैं या नहीं और कहीं ये इकाइयां अपना अपशिष्ट शोधित किए बिना नालों
में तो नहीं डाल रहीं।
संदूषित
जल की समस्या
राज्यसभा
में शून्यकला के दौरान ही तृणमूल कांग्रेस के अहमद हसन ने पानी में आर्सेनिक पाए जाने
और उससे मानव स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पश्चिम
बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश,
असम
और मणिपुर खास तौर पर आर्सेनिक प्रभावित हैं। हसन ने कहा कि पश्चिम बंगाल के नौ जिलों
में यह समस्या अत्यंत गंभीर रूप ले चुकी है। गांवों में हैंडपंप और ट्यूबवैल पानी के
एकमात्र स्रोत होते हैं तथा लोगों के पास दूषित जल पीने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं
होता।उन्होंने कहा कि आर्सेनिक की वजह से मानव स्वास्थ्य, पशु पक्षियों, पर्यावरण एवं कृषि आदि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता
है। इस पर अधिक अनुसंधान करने की जरूरत है।
07Feb-2020
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