बुधवार, 29 अप्रैल 2020

देश में तीन गुना रफ्तार से होगा सड़क परियोजनाओं का निर्माण


अब नहीं होगा बुनियादी विकास पर लॉकडाउन का ब्रेक
आवश्यक सामान लदे ट्रकों को नाकेबंदी पर न रोके राज्य: गडकरी
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में चल रही विकास खासकर सड़क परियोजनाओं पर अचानक कोरोना वायरस के संकट के कारण लॉकडाउन का ब्रेक लग गया था। देश थमी सड़क निर्माण की परियोजनाओं को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ चर्चा करके 2-3 गुना से ज्यादा गति से आगे बढ़ाने की योजना पर बल दिया गया।
देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने से देशभर में बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं ठप हो गई थी, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्रालय के पिछले सप्ताह जारी दिशानिर्देशों में निर्माण कार्यो को लॉकडाउन से उपायों के साथ छूट देने का निर्णय लिया गया। इसके लिए राज्यों के साथ सहमति बनाने की दिशा में मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए राज्यों के परिवहन एवं लोक निर्माण विभाग मंत्रियों के साथ बैठक की। इस बैठक में बुनियादी ढांचों जिनमें राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अन्य सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाने और स्वीकृत धनराशि का उपयोग करने का अनुरोध किया। गडकरी ने राज्यों को बताया कि भूमि अधिग्रहण समेत सड़क निर्माण को गति देने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये आंवटित किये गये हैं, जिसके तहत देश में सड़क निर्माण की गति को दो-तीन गुणा बढ़ाकर परियोजनाओं को लागे करने की योजना है, जिसके लिए राज्यों से इस दिशा में सक्रिय रहने पर बल दिया, क्योंकि देश के आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए सड़क निर्माण को बढ़ावा देना आवश्यक है। बैठक में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह भी मौजूद थे। राज्यों के परिवहन और पीडब्ल्यूडी मंत्रियोंउप-मुख्यमंत्रियों के अलावा मिजोरम, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी इसमें हिस्सा लिया, जिनके साथ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, एनएचएआई, एनएचआईडीसीएल आदि के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
आवश्यक सामग्री की आपूर्ति जरुरी
इस दौरान राज्यों के परिवहन मंत्रियों के साथ हुई चर्चा के दौरान गडकरी ने कोराना वायरस महामारी के दौरान सार्वजनिक जीवन को आसान बनाने के लिए आवश्यक सामानों की आपूर्ति करने वाले माल वाहक वाहन ट्रकों लोरियों के अंतरराज्यीय सीमा पर बने नाकों पर न रोकने का अनुरोध भी किया गया। राज्यों से कहा गया कि लॉकडाउन में आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति को ज्यादा से ज्यादा सुविधाजनक बनाने के लिए राज्य इस दिशा में सकारात्मक भूमिका निभाएं। नितिन गडकरी ने सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों से इस दिशा में तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया, ताकि ऐसे मालवाहक वाहनों की आवाजाही में बाधा न आ सके। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन के मद्देनजर, नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने के लिए ट्रक/लॉरी के आवागमन को सुविधाजनक बनाने पर तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। गडकरी ने मंत्रियों से ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने और स्थानीय/ जिला प्रशासनों के माध्यम से इन प्रस्तावों को सुनिश्चित करवाने का आग्रह किया। उसी समय उन्होंने ड्राइवरों/ क्लीनरों और ढाबों के द्वारा स्वास्थ्य सलाहों और अन्य दिशा-निर्देशों का पालन करने की जरूरत के बारे में भी बताया, जैसे उचित सामाजिक दूरी अपनाना, मास्क पहनना, सैनिटाइज़र का उपयोग करना आदि। गडकरी ने कहा कि श्रमिकों को कारखानों आदि में लाने वाले परिवहन में स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का विधिवत रूप से पालन किया जाना चाहिए, जैसे एक मीटर की न्यूनतम दूरी बनाए रखना, मास्क पहनना, सैनिटाइजर का उपयोग करना आदि। उन्होंने कहा कि सामाजिक दूरी और स्वच्छता के मानदंडों का पूरी तरह से पालन करते हुए श्रमिकों के लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था को सुनिश्चित की जा सकती है।
अटकी परियोजनाओं की बाधा दूर करने पर बल
उन्होंने जानकारी दी कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों का प्रदर्शन करते हुए एक प्रस्तुति दी गई। यह कहा गया कि 5,89,648 करोड़ रुपये की लागत वाली 49,238 किलोमीटर की दूरी वाली 1,315 परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें से 3,06,250 करोड़ रुपये की लागत वाली 30,301 किलोमीटर की दूरी वाली 819 परियोजनाओं में देरी हुई है। यह राज्य-विशिष्ट मुद्दों, जैसे लंबित भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरी आदि को भी दर्शाता है जिसके कारण परियोजना के कार्यान्वयन में देरी हो रही है। प्रतिभागी राज्यों को राजमार्ग क्षेत्र के सामने उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को कम करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने का भी सुझाव दिया गया।
एप आधारित टैक्सियों का सुझाव
इस बैठक में गडकरी ने यह भी सुझाव दिया कि राज्य के परिवहन मंत्रियों को ऐप-आधारित दोपहिया टैक्सियों का संचालन करना चाहिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जो कि किसानों के सुचारू आवागमन में सहायता प्रदान करेंगे। इससे रोजगार के नए अवसर भी बढ़ेंगे। वे सार्वजनिक परिवहन को एलएनजी और सीएनजी, ई-वाहनों में परिवर्तित करने की भी कोशिश कर सकते हैं, जो ईंधन के बिलों में बहुत हद तक बचत करेगा और कम/ शून्य प्रदूषणकारी ईंधन होने के कारण पर्यावरण को भी मदद पहुंचाएगा।
29Apr-2020

लॉकडाउन: 13 लाख पीएफ धारकों को मिला पीएमजीकेवाई का लाभ


ईपीएफओ के निस्तारित दावों में 7.40 लाख कोविड मामले भी शामिल
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण लॉकडाउन के दौरान आर्थिक मदद के रुप में केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत ईपीएफओ ने पिछले तीन सप्ताह में करीब 13 लाख दावों को निस्तारण किया गया है, जिसमें 7.40 लाख मामले कोविड-19 के दावे भी शामिल हैं।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत श्रमिकों के लिए घोषित राहत के तहत पिछले करीब तीन सप्ताह में 7.40 कोविड के दावों समेत 12.91 लाख दावों का निपटान किया गया है।
 पीएफ खातों से तीन माह के वेतन के बराबर या जमा राशि से 75 फीसदी रकम निकाली जा सकती है। मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय के रूप में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानि ईपीएफओ द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना यानि पीएमजीकेवाई पैकेज के तहत केवल 15 कार्य दिवसों में कुल 10.02 लाख दावों का निपटारा किया है, इसमें पीएमजीकेवाई पैकेज के अंतर्गत 2367.65 करोड़ रुपये के कोविड दावों सहित कुल 4684.52 करोड़ रुपये का हस्तांतरण शामिल है। खास बात यह हे कि कोविड-19 महामारी के अवसर पर छूट प्राप्‍त ट्रस्‍ट्स भी सामने आए हैं। 27 अप्रैल तक इस योजना के तहत छूट प्राप्‍त ट्रस्‍टों द्वारा 79,743 पीएफ सदस्‍यों को कोविड-19 के लिए अग्रिम के तौर पर 875.52 करोड़ रुपये का हस्तांतरण किया गया। इसमें 222 निजी क्षेत्र के प्रतिष्‍ठानों ने 54641 लाभार्थियों को 338.23 करोड़ रुपये, निजी क्षेत्र के 76 प्रतिष्‍ठानों ने 24178 का लाभार्थियों को 524.75 करोड़ रुपये तथा सहकारी क्षेत्र के 23 प्रतिष्‍ठानों ने 924 दावेदारों को 12.54 करोड़ रुपये का संवितरण किया गया।
मंत्रालय ने बताया कि मैसर्ज टाटा कंसल्‍टेंसी सर्विस मुम्‍बई, मैसर्ज एचसीएल टैक्‍नोलॉजीस लिमिटेड, गुरुग्राम और मैसर्ज एचडीएफसी बैंक पवई, मुम्‍बई निपटाए गए दावों की संख्‍याऔर संवितरण राशिके दोनों के संदर्भ में निजी क्षेत्र के तीन शीर्ष छूट प्राप्‍त प्रति‍ष्‍ठान हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में, मैसर्ज ओएनजीसी देहरादून, मैसर्ज नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन नेवेली और मैसर्ज भेल त्रिची  शीर्ष 3 छूट प्राप्त प्रतिष्ठान हैं, जिन्‍होंने अधिकतम संख्या में कोविड-19 के अग्रिम दावों का निपटारा किया है; जबकि, मैसर्ज नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन नेवेली, मैसर्ज ओएनजीसी देहरादून और मैसर्ज विशाखापट्टनम स्टील प्लांट विशाखापत्तनम ईपीएफ सदस्यों को संवितरित राशि के मामले में शीर्ष तीन प्रतिष्ठान हैं।
ईपीएफओ लगातार सक्रिय
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए ईपीएफ योजना से एक विशेष निकासी का प्रावधान सरकार द्वारा घोषित पीएमजीकेवाई योजना का हिस्सा है और इस मामले पर 28 मार्च, 2020 तारीख को ईपीएफ योजना के अनुच्‍छेद 68 एल (3) को पेश करने के लिए तत्काल अधिसूचना जारी की गई थी। इस प्रावधान के तहत तीन महीने के लिए मूल वेतन और महंगाई भत्ते की सीमा तक गैर-प्रत्यर्पणीय निकासी या ईपीएफ खाते में सदस्य के क्रेडिट के लिए मौजूद राशि का 75 प्रतिशत तक, जो भी कम हो, प्रदान की जाती है। लॉकडाउन के कारण केवल एक तिहाई कर्मचारियों के काम करने में सक्षम होने के बावजूद, ईपीएफओ इस कठिन परिस्थिति के दौरान अपने सदस्यों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस मुश्किल समय के दौरान ईपीएफओ कार्यालय उनकी मदद करने के लिए कार्य कर रहे हैं।
29Apr-2020

कोरोना: बंदरगाह कर्मचारियों को 50 लाख का मुआवजे का ऐलान




केंद्रीय मंत्री ने की बंदरगाहों के पोत चालकदल से चर्चा
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केन्द्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मांडविया ने भारतीय बंदरगाहों पर चालक दल के सदस्यों को बदले जाने तथा अंतरर्राष्ट्रीय जल क्षेत्रों मेंड्यूटी कर रहे या लॉकडाउन की वजह से जहां तहां फंसे भारतीय चालक दल के सदस्यों की स्थिति का आकलन करने के लिए जहाजरानी कंपनियों, समुद्री परिवहन संघों और नाविकों के यूनियनों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बात की। वहीं मंत्रालय ने ऐलान किया है कि कोरोना के कारण मृत्यु होने पर कर्मचारियों और श्रमिकों को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख भाई मांडविया ने कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन के बीच बंदरगाहों पर पोत चालक दल और नाविकों से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए चर्चा की और विभिन्न नाविक संघों के प्रतिनिधियों का भरोसा दिया कि जैसे ही स्थिति अनुकूल होगी में अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्रों में फंसे भारतीय नाविकों को शीघ्र निकालने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए उन्होंने ऐसे नाविकों का पूरा विवरण देने के निर्देश भी दिये। 
मांडविया ने आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने में जहाजों में काम कर रहे चालक दल के सदस्यों के महत्व को समझा और मौजूद चुनौतियों का उल्लेख करते हुए परीक्षा की इस घड़ी में उनके काम की सराहना भी की। उन्होंने जहाजरानी मंत्रालय के अधिकारियों को भारतीय बंदरगाहों पर नाविकों की आवाजाही की प्रक्रिया को आसान बनाने के निर्देश भी दिए हैं इस वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई चर्चा में इंडियन नेशनल शिप ओनर्स एसोसिएशन, राष्ट्रव्यापी नौवहन एजेंसियों के समुद्री संगठन, नेशनल यूनियन ऑफ सीफेसर्स ऑफ इंडिया, द इंडियन मेरीटाइम फाउंडेशन, द मेरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया और द मेरीटाइम एसोसिएशन ऑफ शिप ओनर्स शिप मैनेजर एंड एजेंट्से संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
मंत्रालय के अनुसार कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान देश में आवश्यक आपूर्ति को सुचारु बनाए रखने के लिए लगातार बंदरगाहों पर काम कर रहे कर्मचारियों और श्रमिकों की सराहना करनी चाहिए। मंत्रालनय ने ऐलान किया कि कोविड–19 के कारण डयूटी के दौरान मृत्यु होने पर मुआवजे के रूप में उनक आश्रितों को 50 लाख रुपये दिये जाएंगे। इस घोषणा में बंदरगाहों द्वारा सीधे काम पर रखे गये संविदा श्रमिकों और अन्य संविदा कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। मंत्रालय के अनुसार यह निर्णय कोविड519 महामारी के लिए 30 सितंबर 2020 तक लागू रहेगी, जिसके बाद समीक्षा करके निर्णय लिया जाएगा।
29Apr-2020