रविवार, 12 अप्रैल 2020

फेस मास्क और सैनिटाइजर बनाने में सबसे आगे रेलवे!


कोरोना के खिलाफ जंग में सुरक्षा को लेकर हर मोर्चे पर डटे हैं रेलवे योद्धा
लॉकडाउन के दौरान छह लाख फेस मास्क और 40 हजार से ज्यादा सैनिटाइजर का उत्पादन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में बढ़ते कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार के कोविड-19 के खिलाफ जंग में भारतीय रेलवे सुरक्षा देने की दृष्टि से रेल उपकरणों के बजाए चिकित्सीय सुरक्षा संबन्धी उपकरणों का निर्माण करने में सबसे अव्वल साबित हो रहा है। इसमें ट्रेन कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलना हो या देश में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मालवहन गलियारों चौबीसों घंटे संचालन करना ही क्यों न हो। इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान भारतीय रेलवे ने अब तक सबसे ज्यादा करीब छह लाख फेस मास्क और 40 हजार से ज्यादा हैँड सैनिटाइजर का उत्पादन कर चुका है।
कोविड-19 महामारी के खिलाफ चलाई जा रही लड़ाई में लॉकडाउन के दौरान देश में मोदी सरकार के लगातार जारी प्रयासों में भारतीय रेलवे के तमाम रेलवे जोन, उत्पादन ईकाईयां और सार्वजिनक उपक्रमों ने कोरोना से सुरक्षा को लेकर अपने विभाग के योद्धाओं के साथ पूरी ताकत झौंक रखी है। यही नहीं कुछ रेलवे जोन तो इस संबन्ध में डब्ल्यूआर, एनसीआर, एनडब्ल्यूआर, सीआर, ईसीआर और डब्ल्यूसीआर जैसे प्रमुख कदम उठाने में भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। रेल मंत्रालय के सूत्रों की माने तो लॉकडाउन के दौरान देशहित में कोरोना संकट के बावजूद चौबीसों घंटे ऑपरेशन और रखरखाव के काम के लिए ड्यूटी को अंजाम दे रहे रेलवे योद्धाओं और ठेका श्रमिकों को फेस मास्क तथा हैंड सैनिटाइजर मुहैया कराया जा रह है। इसमें करीब छह लाख पुन: प्रयोज्य फेस मास्क और 41882 लीटर हैंड सैनिटाइज़र शामिल है। रेलवे के अनुसार रेलवे कार्यशालाएं, कोचिंग डिपो और अस्पताल भी स्थानीय स्तर पर आपूर्ति करने के लिए सैनिटाइज़र और मास्क का उत्पादन कर रहे हैं।
582317 नगों का उत्पादन
भारतीय रेलवे केंद्र सरकार की स्वास्थ्य देखभाल पहलों और सभी प्रयासों में लॉकडाउन के दौरान सात अप्रैल तक फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर के उत्पादन में भारतीय रेल के कुछ जोन इसमें सबसे आगे रहे हैं, जिसमें पश्चिमी रेलवे जोन ने 81008 पुन: प्रयोज्य फैस मास्क एवं 2569 हैंड सैनिटाइजरों का उत्पादन करके बाजी मारी है। जबकि उत्तर मध्य रेलवे ने 77995 फेस मास्क एवं 3622 लीटर हैंड सैनिटाइजर, उत्तर पश्चिम रेलवे ने 51961 फेस मास्क एवं 3027 लीटर हैंड सैनिटाइजर, मध्य रेलवे ने 38904 फेस मास्क एवं 3015 लीटर हैंड सैनिटाइजर, पूर्व मध्य रेलवे ने 33473 फेस मास्क एवं 4100 लीटर हैंड सैनिटाइजर, पश्चिम मध्य रेलवे ने 36342 फेस मास्क एवं 3756 लीटर हैंड सैनिटाइजर तथा उत्तर रेलवे ने 15300 फेस मास्क व 3384 लीटर हैंड सेनिटाइज़र के अलावा 491 कवरआल का उत्पादन किया है।
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उत्तर रेलवे ने 515 ट्रेन कोच बनाए आईसोलेशन वार्ड
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बतया कि इस जोन के सभी मंडल और कारखाने कोरोना के खिलाफ जारी जंग में जहां देश के विभिन्न हिस्सों में आवश्यक वस्‍तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मालगाड़ियों को चलाने, फेस मास्कों, सेनिटाइज़रों और कवरॉल का निर्माण करने के अलावा ट्रेन के कोचों को आइसोलेशन वार्डों में तब्दील करने का काम तेजी से किया जा रहा है। आठ अप्रैल तक उत्तर रेलवे 515 रेल डिब्‍बों को आइसोलेशन वार्डों में बदल चुका है। रेलवे के अनुसार इस उत्तर रेलवे प्रतिदिन 105 ट्रेन कोचों को आईसोलेशन वार्ड के रूप में संशोधित कर रहा है।
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लॉकडाउन: रेलवे ने देशभर में 8.5 लाख लोगों की मिटाई भूख
गरीबों व जरुरतमंदों को हर रोज वितरित किया जा रहा है भोजन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में कोरोना वायरस के संकट के कारा देश में लागू लॉकडाउन के दौरान देशभर में भारतीय रेलवे सामाजिक सेवा की प्रतिबद्धता को भी निभा रहा है। मसलन रेलवे आईआरसीटीसी और आरपीएफ गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर लॉकडाउन के कारण गरीबों, निराश्रितों, भिखारियों, बच्चों, कुलियों, प्रवासी मजदूरों, फंसे हुए व्यक्तियों को भोजन वितरित करने में जुटा हुआ है।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने गुरुवार का यह जानकारी देते हुए बताया कि रेल मंत्री पीयूष गोयल के सुझाव पर कोविड-19 के कारण शुरु हुए लॉकडाउन के बाद से भारतीय रेल अपनी सामाजिक सेवा प्रतिबद्धता के तहत जरूरतमंदों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने का कामभारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की रसोइयों, आरपीएफ के संसाधनों तथा गैर सरकारी संगठनों के योगदान के माध्यम से जारी रखे हुए है।भोजन के पैकेटों के साथ ही कागज के प्लेट भी वितरित किए जाते हैं। रेलवे खासकर आरपीएफ के जवानों द्वारा गरीबों, निराश्रितों, भिखारियों, बच्चों, कुलियों, प्रवासी मजदूरों, फंसे हुए व्यक्तियों के अलावा रेलवे स्टेशनों पर या उसके आस पास अथवा ​​रेलवे स्टेशनों से कुछ दूरी पर भोजन की तलाश करने वाले जरुरतमंदों को पके हुए भोजन का वितरण किया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार इस सामाजिक सेवा के लिए रेलवे संबन्धित जिला अधिकारियों ओर गैर सरकारी संगठनों से परामर्श करके इस कार्य को अंजाम दे रहा है। भोजन का वितरण,आरपीएफ, जीआरपी, रेलवे के क्षेत्रीय वाणिज्यिक विभागों, राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से किया जा रहा है। वहीं संबंधित ज़ोन और डिवीजन के जीएम और डीआरएम, स्टेशन के आस-पास के क्षेत्र के बाहर भी जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के ​इस प्रयास को विस्तार देने के लिए आईआरसीटीसी अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में हैं। रेलवे के अनुसार 28 मार्च से अब तक देशभर में रेलवे 8.5 लाख से ज्यादा जरुरतमंदों को भोजन का वितरण कर चुका है और रेलवे इस सामाजिक सेवा के दायरे को विस्तारित करने का प्रयास कर रहा है।
आईआरसीटी की अहम भूमिका
मंत्रालय के अनुसार आईआरसीटीसी द्वारा अब तक 6 लाख से अधिक पके भोजन के पैकेटे दिए गए हैं। आरपीएफ ने स्वयं के संसाधनों से लगभग 2  लाख ऐसे पैकेट दिए हैं, जबकि रेलवे के साथ जुड़े स्वयंसेवी संगठनों द्वारा लगभग 1.5 लाख भोजन के पैकेट दान किए गए हैं। रेलवे सुरक्षा बल ने गैर सरकारी संगठनों, आईआरसीटीसी और स्वयं अपनी रसोई में  तैयार भोजन के वितरण में  प्रमुख भूमिका निभाई है8 मार्च 2020 से 74 स्थानों पर 5419 जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन के वितरण के साथ शुरू किया गया भारतीय रेल का यह काम प्रतिदिन बढ़ रहा है। 8 अप्रैल तक आरपीएफ की ओर से 313 स्थानों पर लगभग 6 लाख भोजन के पैकेट जररतमंदों में बांटे जा चुके थे। भारतीय रेल का यह अभियान अब बढ़ते हुए 1 लाख लोगों तक पहुंच चुका है। गौरतलब है कि आईआरसीटीसी ने पीएम केयर्स कोष में 20 करोड़ रुपये भी दान दिए हैं। इसमें से 1.5 करोड़ रुपये 2019-20 के कार्पोरेट सामाजिक दायित्व कोष से,6.5 करोड़ रुपये 2020-21 सीएसआर कोष से है, जबकि बाकी 12 करोड़ रूपए दान के रूप में मिले पैसों से दिए गए हैं।
10Apr-2020

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