देश में आमतौर पर प्रचलित कहावत दुनियाभर
में कहर बरपा रहे कोरोना के लिए भी चरितार्थ होती है और नफा-नुकसान कंधे से कंधा
मिलाकर चलाता है यानि कोरोना से जहां नुकसान हो रहा है, वहां उसके लाभ भी ऐसे
सामने आ रहे है जो सरकार की अरबो-खरबों रुपये लागत वाली परियोजनाएं भी पूरी नहीं
कर सकी, वह कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन ने खासकर भारत में करके साबित कर दिया है।
मलसन गंगा नदी और और उसकी सहायक नदियों के साफ पानी के लिए आजादी के बाद लागू
परियोजनाओं ने कोई नतीजा नहीं दिया, जबकि कोरोना की वजह से लॉकडाउन के दौरान देश
की नदियां 50 फीसदी से भी ज्यादा प्रदूषणमुक्त होने के साथ वायु प्रदूषण भी गायब
होने की रिपोर्ट सामने आ रही हैं। इसके अलावा लॉकडाउन के कारण देश में सड़क हादसों
और अपराधिक घटनाओं पर पहली बार ताला नजर आया है। सोशल मीडिया पर तस्वीरों के साथ
जारी इन दावों में यहां तक भी कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के कारण हार्ट
अटैक, ब्रेन हेमरेज या
हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं में भी बेहद कमी आई है। विशेषज्ञों की माने तो कोरोना के
बढ़ते मरीजों के इलाज में जुटे चिकित्सकों में एक बार से फिर सेवा भाव नजर आया है,
जो वाणिज्यक नीयत से एकदम बाहर होने के कारण पूरा देश उन्हें सलाम करने को मजबूर
है। किसी ने सही कहा है कि हर क्षेत्र या चीज को नुकसान दायक बताया जाता है उसके
उतने ही फायदे होने से यह बात सिद्ध होती है कि लाभ और हानि सगे भाई-बहन है जो
कंधे से कंधा मिलाकर चलते है, तभी तो देश ही नहीं दुनिया की तस्वीर बदलता नजर आ
रहा है कोरोना..!
मजबूरी का बयान
देश में कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे देश
में लॉकडाउन के बीच जब संक्रमण के प्रसार करने की साजिश सामने आई और उसमें देश के
ही नहीं विदेश तक के इस्लामिक समुदाय के साजिशकर्ता तक से उठे पर्दे को देश ने ही
नहीं पूरी दुनिया ने देखा। मसलन दिल्ली के निजामुद्दीन की मरकज मस्जिद में आयोजित
धार्मिक कार्यक्रम के नाम पर एक नहीं, तीन-चार हजार लोगों का समूह एक साथ जमात में
शामिल हुआ। इस मामले में सरकार की कार्यवाही के बाद यह साजिश कोरोना जेहाद के रूप
में इसलिए भी नजर आने लगी कि जमात में शामिल तमाम लोग कोरोना टेस्ट कराने के बजाए
देश विरोधी व्यवहार करते सामने आए। हालांकि देश के इस समुदाय का अधिकांश हिस्सा इस
तरह के कार्यक्रम को लेकर हैरान है, तभी तो मुस्लिम वोटबैंक की सियासत करने वाले
विपक्षी नेता भी चाहकर भी जमातियों का पक्ष लेने को तैयार नहीं हुए। लेकिन कोरोना संकट को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख
एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी न चाहते हुए भी मुस्लिम समुदाय की
आड लेकर जमातियों की वकालत करते नजर आए और कोरोना के कारण लॉकडाउन के फैसले को
लेकर केंद्र सरकार पर तंज कसते नजर आए। सियासी गलियारे में ओवैसी के इस बयान को
लेकर चर्चा है कि मुस्लिमों की राजनीति के चलते उसे इस मामले में समाज की आड़ में
मजबूरी के कारण इस प्रकार की टिप्पणी करते हुए सत्तारूढ दलों पर आरोप लगा रहे हैं
कि तबलीगी जमात को बदनाम किया जा रहा है।
12ँचत92020
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