सिर्फ चलेगी स्लीपर ट्रेने, किराया होगा ज्यादा
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे ने 3 मई तक अपनी सारी पैसेंजर ट्रेनों के साथ 3 मई के बाद के रेलवे रिज़र्वेशन
को भी बंद कर दिया है। इसका सीधा
मक़सद रेल मुसाफिरों को संदेश देना है कि 4 मई को लेकर
वो कोई अंदाज़ा न लगाएं और न ही रेलवे स्टेशनों की ओर जाएं। रेलवे लॉकडाउन के बाद जब भी ट्रेनें
चलाएगा तो वो केंद्र की हरी झंडी के बाद चलाएगा। केंद्र भी इस मसले पर सभी राज्यों
से बातचीत के बाद ही कोई निर्देश जारी करेगा। इस बीच जिस तरह से कोरोना के मामले
में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है उससे साफ है कि ट्रेनों का आपरेशन जब भी शुरू होगा वो कोरोना
के डर के साये में होगा। रेलवे के
सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने लाखों कर्मचारियों और मुसाफिरों को सुरक्षित रखने की है। उसे स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय
के निर्देशों के मुताबिक सभी तरह के प्रोटोकाल को भी फॉलो करना है। ऐसे में मुसाफिरों के लिए ट्रेन
सेवा जब भी शुरू होगी रेलवे के ऊपर हर किसी की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेवारी होगी. इसलिए
वो ट्रेन ऑपेरशन के लिए कई तरह की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। इसलिए रेलवे में भी अलग- अलग ज़ोन
और डिवीज़न के अधिकारी कई तरह की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।
1. ट्रेन ऑपेरशन शुरू होने पर पहले केवल कुछ चुनिंदा ट्रेनें चलाई जाएं। ये स्पेशल ट्रेनों की तरह हों और
इसका किराया ज़्यादा रखा जाए. इससे शुरू में ट्रेनों में भीड़ को कम रखने में मदद मिलेगी
और केवल वही लोग यात्रा करेंगे जिनके लिए ये बेहद जरूरी हो।
2. रेलवे ने 19 मार्च से ही दिव्यांगों, स्टूडेंट्स और मेडिकल ग्राउंड पर टिकटों पर मिलने वाले
कंसेशन के अलावा सभी छूट पर रोक लगाई हुई है. इसका मक़सद ट्रेनों में भीड़ को कम करना
था. ख़ासकर वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेनों की यात्रा से दूर रखना था। संभावना यही है कि फिलहाल रेलवे
अपने इस आदेश को जारी रखेगा ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को यात्रा से दूर रखा जाए।
3. रेलवे शुरू में केवल स्लीपर क्लास के कोच वाली ट्रेन चलाए. इसमें केवल उन्हीं लोगों
को यात्रा करने दिया जाए जिनके पास कन्फर्म टिकट हो. इससे जनरल क्लास के डिब्बे वाली
भीड़ से बचा जा सकता है। दूसरी तरफ
AC डब्बों के बंद माहौल में संक्रमण
की आशंकाओं को भी स्लीपर ट्रेन से टाला जा सकता है।
4. रेलवे ने स्लीपर क्लास के 5 हज़ार से ज़्यादा डिब्बों को आइसोलेशन
वार्ड में बदल दिया है। इसके लिए
बीच की एक सीट को हटा दिया गया है. हालांकि अभी आइसोलेशन वार्ड के तौर पर इन डब्बों
की जरूरत नहीं पड़ी है। साथ ही
गर्मी की वजह से फ़िलहाल इनके उपयोग की संभावना कम है. ऐसे में रेलवे इन डिब्बों से
स्लीपर-2 के तौर पर स्पेशल क्लास की ट्रेन
भी चला सकता है. इससे सोशल डिस्टेंसिंग के पालन में भी मदद मिलेगी।
5. शुरू में ट्रेनें केवल चुनिंदा स्टेशनों के बीच चलाई जाएं और जिन इलाकों में कोरोना
के ज़्यादा मामले आ रहे हों वहां से न तो कोई आये न ही कोई ट्रेन जाए।
25Apr-2020
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