ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनियाभर के तमाम देश जब कोरोना वायरस
के कारण भयभीत हैं और खासकर भारत में लॉकडाउन के दौरान सभी लोग अपने अपने घरों में
हैं। ऐसे में भारतीय रेल के लाखों अधिकारी व कर्मचारी देश के लोगों को आवश्यक
वस्तुओं की आपूर्ति कराने और कोरोना वायरस के खिलाफ केंद्र सरकार की जंग में
चिकित्सीय सहायता और गरीबों व जरुरतमंदों को भोजन कराने जैसी समाजसेवा में जुटे
हुए हैं। ऐसे में रेलवे अधिकारियों व कर्मचारियों को कोरोना के खिलाफ चल रही जंग
का असल योद्धा कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।
भारतीय रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी
देश में कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में चौबीसों घंटे केंद्र सरकार के उपायों को
लागू करने के मकसद से पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं। उसमें चाहे तो ट्रेन कोचों
को आईसोलेशन वार्ड में बदलने का काम हो, या फिर चिकित्सीय मदद के लिए चिकित्सकों व
अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती हो। यही नहीं पीपीई का निर्माण, फेस मास्क और सेनिटाइजर व कवरवाल
का उत्पादन करने के अलावा देशभर में मालगाडियों के जरिए चौबीसों घंटे आवश्यक
वस्तुओं की आपूर्ति और छोटे पैकेट के आवश्यक सामान के लिए पार्सल विशेष ट्रेने
चलाई जा रही हैं। देशभर में ही विभिन्न रेलवे जोनों और रेल मंडलों में रेलवे
स्टेशनों और उसके आसपास गरीबों व जरुतमंदों को लॉकडान के बीच भोजन का वितरण करके
एक सामाजिक दायित्व भी रेलवे के योद्धा पूरी जीजान से निभा रहे हैं।
रेलवे ट्रैक दुरस्त रखने में जुटे योद्धा
उत्तर रेलवे के मुख्य जनंसपर्क अधिकारी
दीपक कुमार का कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में कूदे रेलवे के अधिकारियों व
कर्मचारियों की कर्मठता के बारे में कहना है कि उत्तर रेलवे के ट्रैक
मेंटेनर, पर्यवेक्षक और अधिकारी
ट्रैक के रखरखाव के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं ये ट्रैक मेंटेनर्स सिपाही चुपचाप भरी
गर्मी में ट्रैक का अनुरक्षण कर रहे हैं, ताकि आवश्यक खाने योग्य सामग्री और अन्य आवश्यक
सामान भारत के प्रत्येक कोने में समय से पहुंच सकें, जिसके लिए ट्रैक रखरखाव आवश्यक है। कोरोना वायरस से बचाव
हेतु केंद्र सरकार द्वारा द्वारा निर्देशित नियमो का पालन करने
के साथ अपने आपको भी सुरक्षित रखते हुए ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का
पालन पूरे जोश के साथ कर रहे हैं। उत्तर रेलवे मुख्यालय के सभी इंजीनियरिंग अधिकारी और डिवीजन के सभी अधिकारी अर्थात फिरोजपुर, अंबाला, दिल्ली, मुरादाबाद और लखनऊ, ट्रैक के रखरखाव के काम पर बहुत बारीकी से नज़र
रख रहे हैं। मालगाड़ियो के सुरक्षित संचालन के लिए ये ट्रैक मेंटेनर्स सेना सुबह से
शाम तक लगी रहती है।
सामाजिक दूरी के नियम का पालन
सीपीआरओ ने कहा कि कोरोना बचाव के लिए लॉकडान के बीच विभिन्न प्रकार
के काम जैसे ड्रेसिंग, बॉक्सिंग, वेल्डिंग, ओवरहालिंग जैसे कार्य ना केवल सोशल डिसटेनसिंग बना के कर रहे
हैं, अपितु अपनी स्वच्छता का भी ध्यान रख रहे हैं। मास्क, दस्ताने पहन कर 50 डिग्री के तापमान
पर कार्य करना किसी भट्टी से सामने काम करने जैसा है, परन्तु
इनका हौसला तनिक भी डिगा नहीं है।.अपने कंधे पर दस किलो के औज़ार
के साथ 5 किलोमीटर चल कर
ट्रैक की मरम्मत और देख रेख निरंतर कर रहे हैं।
रेलवे अधिकारियों की भूमिका भी कम नहीं
कोरोना-19 से लड़ने के सभी सुरक्षा उपाय सभी ट्रैक मेंटेनर
और पर्यवेक्षकों को प्रदान किए गए हैं। सभी अधिकारी और पर्यवेक्षक सभी ट्रैक मेंटेनर्स
को अच्छी तरह से मार्गदर्शन कर रहे हैं और कोरोना-19 के लिए प्रत्येक ट्रैक मेंटेनर को मास्क, सैनिटाइज़र, लिक्विड सोप,
सोप
और ग्लव्स की उपलब्धता भी सुनिश्चित कर रहे हैं। ट्रैक मेंटेनर्स के साथ में उनके परिवार
के सदस्य भी खुद से मास्क सिल करके इस सहयोग कर रहे हैं। ये ट्रैक मैन्टैनेर
रीढ़ कि वो हड्डी हैं जिनके दम पर देश के प्रत्येक कोने में खाने योग्य और अन्य आवश्यक
वस्तुओं का परिवहन इन ट्रैक मेंटेनर योद्धाओं की वजह से निर्बाध रूप से आसानी से संभव
हो रहा है।
14Apr-2020
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