रेलवे का 20 हजार कोचों में 3.2 लाख बेड
तैयार करने का लक्ष्य
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।

रेल मंत्रालय के अनुसार देश में कोरोना
वायरस के खिलाफ केंद्र सरकार के जारी उपायों और तैयारियों के तहत भारतीय रेलवे
लॉकडाउन के दौरान जहां देशभर में लोगों की जरुरत को पूरा करने के लिए लगातार
मालगाड़ियों के जरिए आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई कर रहा है। वहीं भारतीय रेलवे कोविड-19 का मुकाबला करने की
दिशा में चिकित्सीय मदद के लिए भी कार्य कर रहा है। इस दिशा में लॉकडाउन के कारण
रद्द तमाम यात्री ट्रेनों को अस्थाई अस्पताल बनाने में जुटा है। इसके लिए भारतीय
रेलवे ने देशभर में 20 ट्रेन कोचों को आईसोलेशन वार्ड में संशोधित करने का
युद्धस्तर पर अभियान चलाया हुआ है। रेलवे ने पहले चरण में पांच हजार ट्रेन कोचों
को आईसोलेशन वार्ड में परिवर्तन करने के लिए अपने सभी रेलवे जोनों को कोचों का
आवंटन किया हुआ है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को इस दिशा में जानकारी दी
है कि अभी तक पहले चरण में 50 फीसदी
लक्ष्य हासिल करते हुए 2500 ट्रेन कोचों को आईसोलेशन वार्ड में बदला जा चुका है,
जिनमें किसी भी आपात स्थिति में चार हजार बेड तैयार करने का भी रेलवे ने दावा किया
है। रेलवे ने बताया कि इन वार्डो को चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श के मंजूर किये
गये डिजाइन के अनुसार तैयार किया जा रहा है। वहीं रेलवे जरूरतों और नियमों
के तहत सर्वश्रेष्ठ विश्राम और चिकित्सा निगरानी सुनिश्चित करने के प्रयास भी
कर रहा है।
हर दिन औसतन पौने चार सौ कोचों में बदलाव
रेलवे के अनुसार भारतीय रेलवे ने कोविड 19 से पार पाने के
प्रयासों में चिकित्सीय सहयोग की दिशा में अपने सीमित साधनों के
बावजूद पूरी ताकत झोंक रखी है। देश में लॉकडाउन लागू होने के
बाद रेलवे बोर्ड की मंजूरी मिलते हुए रेलवे ने पहले चरण में ट्रेन कोचों को
आईसोलेशन वार्ड में संशोधित करने का कार्य एक मिशन के रूप में शुरू कर दिया था।
रेलवे के अनुसार देशभर में 133 जगहों पर आईसोलेशन वार्ड बनाने के इस कार्य में
प्रतिदिन औसतन 375 कोच आईसोलेशन वार्ड में बदले जा रहे हैं, जिनमें सभी प्रकार की
चिकत्सीय सुविधाओं के साथ अन्य संसाधनों को भी लैस करने का काम जारी है।
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यमुनानगर ने पेश की मिसाल
उधर उत्तर रेलवे के ने सोमवार को जानकारी
दी है कि हरियाणा के यमुनानगर स्थित जगाधरी वर्कशाप में कोरोना वायरस की जंग में उसे प्रसार को रोकने की दिशा में एक
ऐसी मिसाल पेश की है, जिसमें डीआरडीओ के परीक्षण के बाद एक फ्यूमिगेशन
टनल/सैनिटाइजेशन रूम का निर्माण किया गया है। ऐसी व्यवस्था करने वाली देश
में उत्तर रेलवे की यह पहली वर्कशॉप है, जिसमें इस व्यवस्था को लागू किया है। मसलन
वर्कशॉप में आने से पहले सभी रेलवे कर्मचारियों को इस टनल से गुजरना पड़ता है,
जिसमें पहले सभी लोगों को सेनिटाइज किया जाता है और उसके बाद
ही उन्हें अंदर जाने दिया जाता है। इस वर्कशॉप ने इस
व्यवस्था को करने यह संदेश दिया है कि रेलवे देश में ऐसे
संकट की घड़ी में इस प्रकार से जंग में योगदान के लिए हर योगदान कर सकता
है।
रेलवे के सुरक्षा उपकरण
को डीआरडीओ की हरी झंडी
उत्तर रेलवे के वर्कशॉप
में बने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के दो नमूनों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास
संगठन (डीआरडीओ) ने हरी झंडी दे दी है। इससे रेलवे इकाइयों में इनके उत्पादन का मार्ग
प्रशस्त हो गया है। ये उपकरण रक्त या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ को रोक पाने में
कारगर साबित हुए हैं। उत्तर रेलवे ने कहा कि अब इन पीपीई का विनिर्माण भारतीय रेल द्वारा
किया जाएगा, इसे रेलवे अस्पतालों में कोविड रोगियों का इलाज करने
वाले चिकित्सक इस्तेमाल करेंगे। उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों
का इलाज कर रहे चिकित्साकर्मियों के लिए पीपीई की काफी कमी है। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता
दीपक कुमार ने बताया कि अभी रेलवे प्रतिदिन 20 पीपीई बना पा रहा
है, लेकिन आने वाले हफ्तों में प्रतिदिन 100 बनाने में सक्षम होगा।
07Apr-2020
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