कई मौको पर जरुरतमंदों के लिए
भगवान नजर आए रेलवे के योद्धा
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना वायरस के कारण
लॉकडाउन के दौरान भले ही तमाम यात्री रेल सेवाओं को रद्द किया हो, लेकिन देश में अपने
घरो में कैद नागरिकों के लिए खाद्यान्न, दवाईयां और अन्य आवश्यक सामग्रियों की
आपूर्ति के लिए मालगाड़ियों को परिचालन जारी रखा है। मसलन भारतीय रेलवे ने यात्रियों, वाणिज्यिक ग्राहकों के हित में राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला
को
बनाए रखने की दिशा में 360 डिग्री उपाय किए हैं। वहीं लॉकडाउन
के
दौरान रेलवे यात्रियों और आम लोगों को सुनने और तेजी से
प्रतिक्रिया जानने के लिए कोविड-19 रेलवे आपातकालीन सेल का गठन करके लाखों लोगों की समस्याएं सुनकर समाधान भी किया है।
भातरीय रेलवे लॉकडाउन के दौरान लगातार
मालगाडियों और विशेष पार्सल ट्रेनों के माध्यम
से चिकित्सा आपूर्ति, चिकित्सा
उपकरण और भोजन जैसी आवश्यक वस्तुओं के त्वरित परिवहन कर रहा है, जिसमें जीवन रक्षक दवाओं जैसी आवश्यक
वस्तुओं की समयबद्ध डिलीवरी के लिए समयबद्ध पार्सल ट्रेनें चलाई जा रही है। रेलवे के इस कदम की व्यवसायों और सार्वजनिक
लोगों से
सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। लॉकडाउन में खरीद में असमर्थ लोगों को जीवन-रक्षक दवाओं
के परिवहन में रेलवे की महत्वपूर्ण
भूमिका को
लुधियाना में मौजूद एक कनाडा के एनआरआई ने नागपुर से लुधियाना तक अपनी
आवश्यक दवाओं के समन्वय और सुनिश्चित करने पर रेलवे का आभार जताया है, तो
वहीं पश्चिम
रेलवे ने अहमदाबाद से रतलाम के लिए आवश्यक दवाइयां भेजकर लीवर प्रत्यारोपण के लिए
एक बच्चें की जिंदगी बचाने पर रेलवे योद्धाओं को को भगवान के रुप में प्रस्तुत करके लिखित में भारतीय रेलवे को सर्वश्रेष्ठ करार देते हुए आभार जताया
गया। इसी प्रकार भारतीय रेलवे के उत्तर पश्चिम रेलवे ने 3 साल के बच्च् के लिए समय से 20 लीटर ऊंटनी का दूध जोधपुर से मुंबई पहुँचाकर मानवता सेवा भाव का
परिचय देने पर भारतीय रेलवे की सराहना की जा रही है। इस प्रकार ऐसे कई उदाहरण है
जहां रेलवे कोरोना संकट में लॉकडाउन के दौरान संकट मोचक के रूप में सामने आया है।
कोविड-19 आपातकालीन प्रकोष्ठ का
गठन
रेल मंत्रालय के अनुसार
कोविड-19 के लिए
24 घंटे काम करने वाले रेलवे
आपातकालीन सेल एक व्यापक राष्ट्रव्यापी इकाई है जिसमें रेलवे बोर्ड से लेकर डिवीजनों
तक लगभग 400 अधिकारी और कर्मचारी शामिल
हैं। लॉकडाउन के दौरान इस सेल पांच
संचार और प्रतिक्रिया प्लेटफार्मों को हेल्पलाइन 139 और 138, ट्विटर, ईमेल (railmadad@rb.railnet.gov.in) से जोड़ा हुआ है,
जिसमें लॉकडाउन के दौरान अभी तक करीब 13 हजार प्रश्नों, अनुरोधों और सुझावों का जवाब दिया गया है। वहीं वेबपोर्टल पर 90 फीसदी से अधिक प्रश्नों का अलग-अलग भाषाओं में जवाब दिया गया। भारतीय रेलवे आपातकालीन सेल के कारण रेलवे के ग्राहकों
और आम जनता दोनों की शिकायतों और प्रतिक्रियाओं का निवारण करने में मदद मिल रही है।
हेल्पलाइन पर 3.40 लाख कॉल
रेलवे के अनुसार इसी अवधि के दौरान रेलमेड
हेल्पलाइन 139 ने अपनी
आईवीआरएस सुविधा द्वारा दिए गए प्रश्नों के अलावा लॉकडाउन के पहले चार हफ्तों में 2.30 लाख से अधिक प्रश्नों के उत्तर
दिए गये। जबकि हेल्पलाइन 138 पर 1.10 लाख से अधिक कॉल आईं, जो कि जियो-फ़ाइन्ड है यानी निकटतम
रेलवे डिवीजनल कंट्रोल रुम में आई कॉल पर रेलवे कर्मियों द्वारा चौबीसों घंटे विभिन्न भाषाओं में समस्या सुनकर सुझाव
और जवाब दिया जा रहा है। भाषा में जानकारी और मार्गदर्शन
प्राप्त हो जो वे बोलने में सहज हों। यह नया फीचर रेलवे ग्राहकों और अन्य लोगों के
लिए सूचनाओं का प्रवाह भी तेज करता है क्योंकि संबंधित विभाग के साथ प्रासंगिक जानकारी
आसानी से उपलब्ध है।
28Apr-2020
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