देश में कोरोना संकट में लॉकडाउन को लेकर
कांग्रेस असमंजस में उलझी हुई है। खासकर कांग्रेस के राहुल गांधी की जिस प्रकार से
लॉकडाउन को लेकर टीस सामने आई है उसमें वह भले ही खुद फंसते जा रहे हों। दरअसल
कांग्रेस एक तरफ तो सरकार को इस कोराना संकट में समर्थन देने का दावा कर रही है,
वहीं सरकार को इस संकट में सहयोग के बहाने लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने पर राहुल गांधी
ने जिस प्रकार से पीएम मोदी पर निशाना साधने के बाद खुद फंस गये, क्योंकि केंद्र
सरकार द्वारा लॉकडाउन बढ़ाने के ऐलान करने से पहले ही कांग्रेस शासित राज्यों में
पार्टी की सरकार लॉकडान की अवधि का बढ़ा चुकी थी। राजनीतिकार मान रहे हैं कि
कोरोना संकट से पहले ही कांग्रेस खुद राजनीतिक संकट से जूझ रही है, जिसमें मध्य
प्रदेश में तख्तापलट को लेकर कांग्रेस को तंज कसने के अलावा कोई बहाना नहीं मिल
रहा है, जिसमें कांग्रेस पार्टी सियासत करने के लिए लॉकडाउन से बहार आने के लिए
झटपटा रही है। सियासी गलियारों में चर्चा तो ऐसी हो रही है कि कोरोना
संकट ने राहुल गांधी को एक राजनीतिक अवसर दिया है, जिससे वह अपनी पुरानी छवि सुधार सकें और वापस
विपक्ष की राजनीति की केंद्रीय भूमिका में आ सकें। शायद यही कारण है कि राहुल
के कोरोना संकट में केंद्र सरकार के समर्थन के बहाने इन बदले
तेवरों से पार्टी के भीतर भी उन्हें फिर से अध्यक्ष बनाने का दबाव बढ़ेगा और स्थितियां
सामान्य होने पर स्वाभाविक तौर पर वे फिर
पार्टी की कमान संभाल सकते हैं। शायद कोरोना के कारण फिलहाल देश के साथ
कांग्रेस भी लॉकडाउन में है?
सप्तपदी बनाम नवपदी
देश-दुनिया में कहर बनकर बरप रहे कोरोना वायरस के प्रकोप के इस संकट में भी शह और मात का खेल खेलने
वाले सियासीदानो की कमी नहीं है। कोरोना संकट के प्रकोप को बढ़ता देख पीएम मोदी ने
लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के ऐलान में देश के लोगों को जब 'सप्तपदी' के रूप में 7 बिंदुओ का अनुकरण करने का आव्हान किया तो इसके फायदे मानते हुए भी
सियासदी दल शायद ‘सप्तपदी’ शब्द को नहीं पचा पाए। इसलिए अपने दल की इस संकट के दौर
में भी पहचान देने के लिए सत्ताधारी दल से अव्वल करने की नीयत से केंद्र सरकार को 'नवपदी' यानि 9 बिंदुओ का अनुपालन कराने की अपील करने का सुझाव दे डाला। सीपीआईएम के नेता
सीताराम येचुरी ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तेजी से
जांच की संख्या बढ़ाने और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) खरीदने समेत नौ उपाय सुझाने
में कोई देरी नहीं की। सियासी गलियारों और सोशल मीडिया पर वाम नेता के इन सुझावों
को लेकर जिस प्रकार की टिप्पणी देखने को मिल रही है, उनमें विपक्षी दलों को इस
संकट की घड़ी में सियासत न करने तक की नसीहत तक दी जा रही हैं। इसका कारण है कि
जिन सुझाव का जिक्र किया गया है उसके लिए केंद्र सरकार लॉकडाउन के दौरान पहले ही
उपायों को लागू कर चुकी है!
सांप्रदायिक कोरोना
देश जब कोरोना संकट से जूझ रहा है और ऐसे
में इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि कोरोना के मसले को भी
हिंदू-मुसलमान का रंग दिया जा रहा है। क्या कोई कल्पना भी कर सकता है कि जो लोग यानि
डाक्टरों और नर्सों द्वारा अपनी जान खतरे में डालकर
दूसरों की जान बचाने में जुटे हैं पर इंदौर
और मुरादाबाद आदि जगहों पर हमले किए गए? हालांकि ऐसे
हमलों के पीछे हिंदू-मुस्लिम का रंग देने वालों की साजिशें सामने आ रही है, जिनका
कारण ऐसी अफवाहें और गलतफहमियां हैं कि
ये डाक्टरों की टीमें इलाज के लिए नहीं, उनकी गिरफ्तारी
करने की कार्यवाही कर रही हैं। दरअसल जिस प्रकार देश में तब्लीगी जमातियों
ने कोरोना के प्रसार को देश के विभिन्न हिस्सों में प्रसारित करके भयंकर नुकसान
किया है और उससे इस्लाम पर एक बदनामी की खुन्नस निकालने के लिए कोरोना को
सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों की
इस अपील कि कोरोना वायरस किसी धर्म या जाति को नहीं, बल्कि इंसान के लिए जानलेवा
खतरा है, इसके बावजूद जमाती इलाज कराने के बजाए लुका-छिपी के खेल में व्यस्त हैं।
शायद यही कारण है कि कोरोना को भी सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास किया जा रहा है।
19Apr-2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें