कोरोना के खिलाफ जंग में सुरक्षा के लिए भारतीय
रेलवे ने कसी कमर
अप्रैल माह में 30 हजार से जयादा कवरवॉल का
उत्पादन करने की योजना
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में लगे
योद्धाओं की सुरक्षा के लिए भारतीय रेलवे ने देश की 17 रेलवे
वर्कशॉप में इस माह अप्रैल में 30 हजार से भी ज्यादा पीपीई किट तैयार करने का
लक्ष्य रखा है। जबकि इस जंग को आसान बनाने की दिशा चिकित्सीय
मदद को मिशन मोड़ पर शुरू करते हुए मई माह में एक लाख पीपीई किट तैयार करने की
वृह्द योजना तैयार की है।
रेल मंत्रालय ने कोरोना वायरस के संकट के
मद्देनजर लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद देश चिकित्सीय मदद को मिशन मोड़ पर लाने का
फैसला किया, जिसके तहत डीआरडीओं से हरियाणा के जगाधरी स्थित रेलवे वर्कशॉप
में तैयार की गई पहली पीपीई पोशाक को मंजूरी मिलने के
बाद भारतीय रेलवे ने पहले ही पीपीई किट तैयार करना शुरू कर दिया था। मसलन भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाईयां व कार्यशालाएँ कोरोना
संक्रमित रोगियों के बीच कार्य करने वाले चिकित्सा और स्वास्थ्य कर्मियों
तथा अन्य क्षेत्र में जुटे योद्धाओं की व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण
यानि पीपीई पोशाक का निर्माण शुरू कर चुकी हैं और
देशभर में 17 रेलवे वर्कशॉप में हर दिन एक हजार से ज्यादा
पीपीई पोशाकों का निर्माण हो रहा है। रेलवे ने जहां अप्रैल माह के अंत तक 30 हजार
से भी ज्यादा पीपीई किटों का उत्पादन करने का लक्ष्य साधा है। वहीं देश में पीपीई
पोशाकों की बढ़ती मांग को देखते हुए भारतीय रेलवे ने मई माह में ऐसी एक लाख पीपीई
किट तैयार करने की मेगा योजना तैयार की है, जिसका काम मिशन मोड पर किया जाएगा।
जगाधरी में तैयार हुई पहली पीपीई
रेल मंत्रालय के अनुसार कोरोना वायरस से
व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए पीपीई पोशाक का निर्माण सबसे पहले
उत्तर रेलवे की हरियाणा राज्य के जगाधरी स्थित रेलवे कार्यशाला में एक
प्रोटोटाइप पीपीई कवरल के डिजाइन और निर्माण की पहल की गई, जिसका परीक्षण करने के बाद ग्वालियर में अधिकृत डीआरडीओ
प्रयोगशाला में उच्चतम ग्रेड के साथ निर्धारित परीक्षणों को मंजूरी मिल
गई। डीआरडीओ की मंजूरी मिलने के बाद रेलवे द्वारा इस तरह के सुरक्षा उपकरणों के
निर्माण का कार्य युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया।
संसाधनों की कमी के बावजूद बढ़ाई क्षमता
रेलवे का दावा है कि भारतीय रेलवे पीपीई
कवरवॉल बनाने के लिए रेलवे की ईकाईयों के लिए पर्याप्त कच्चे मामल की खरीद और
वितरण करने में भी सक्षम रहा है, जिससे कोरोना वायरस की जंग में रेलवे को
चिकित्सीय मदद में सहयोगी बनने में लगातार बल मिला है। रेलवे का कहना है कि यह सब पीपीई कवर बनाने के लिए उपयुक्त कच्चे माल के साथ-साथ मशीनरी की एक बड़ी
वैश्विक कमी होने के बावजूद किया गया है। इस प्रयास के पीछे भारतीय रेलवे की कार्यशालाओं
और विनिर्माण और उत्पादन इकाइयों की विश्व में सबसे सुरक्षित रेलवे रोलिंग स्टॉक को
बनाए रखने की समय-परीक्षणित क्षमता है। समान क्षमता, विशेषज्ञता,
प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं का पालन आमतौर पर डिजाइन, निर्माण और रोलिंग स्टॉक के उपयोग के लिए किया गया है, जिसका उपयोग फील्ड इकाइयों और कार्यशालाओं को उच्च गुणवत्ता वाले पीपीई कवरल
बनाने के लिए इतनी तेजी से सक्षम करने के लिए किया गया है।
पहली पंक्ति में जूझते योद्धा
भारतीय रेलवे के डॉक्टर्स, मेडिकल
प्रोफेशनल्स, अन्य स्वास्थ्यकर्मी और केयर-गिवर्स कोविड-19 बीमारी से लगातार लड़ रहे हैं। संक्रमित रोगियों के बीच काम करने पर ये सभी
कर्मी सीधे कोविड-19 रोग के संपर्क में आ जाते हैं। कोरोनवायरस
के अनुबंध के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में, उन्हें
एक विशेष प्रकार के अभेद्य कवरॉल के साथ प्रदान करने की आवश्यकता होती है जो वायरस
के साथ-साथ तरल पदार्थ ले जाने वाली अन्य बीमारी के रूप में कार्य करता है। चूंकि प्रत्येक
ऐसे कवरॉल का उपयोग केवल एक बार किया जा सकता है, क्योंकि वे
बहुत बड़ी संख्या में आवश्यक होते हैं। जैसे-जैसे COVID-19 की
बीमारी बढ़ती है, भले ही अपेक्षाकृत नियंत्रित तरीके से
पीपीई कवर की आवश्यकता भी कई गुना बढ़ रही है।
-----------------------------------------------------------------------
लॉकडाउन: विशेष पार्सल
ट्रेनों से 20 हजार टन से ज्यादा खेप की आपूर्ति
देश के 65 मार्गो पर पहुंच रही हैं दवा,
दूध, फल-सब्जी का तत्कालिक वस्तुएं
रेलवे ने ई-कॉमर्स जैसे ग्राहकों से की 7.54 करोड़ रुपये की कमाई
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में कोरोना संकट के कारण जारी
लॉकडाउन के दौरान नागरिकों के लिए जहां मालगाड़ियों के जरिए लगातार खाद्यान्न और
कृषि संबन्धी आवश्यक सामान की ढुलाई की जा रही है। वहीं भारतीय रेलवे ने खराब होने
वाली और तत्कालिक यानि दवाई, मेडिकल सामग्री, फल-सब्जी और दूध जैसे आवश्यक सामान
की आपूर्ति करके अब तक 20 हजार टन से भी ज्यादा खेप की आपूर्ति कर चुका है। इस
प्रयास में रेलवे ने इस दौरान करीब 7.54 करोड़ रुपये की कमाई भी की है।
रेल मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी
देते हुए बताया कि कोविड-19 के मद्देनजर लॉकल के दौरान छोटे पार्सल साइज में दवाई, मेडिकल
इक्विपमेंट, दूध व डेयरी
उत्पादन, फल-सब्जी आदि की आपूर्ति जैसे त्वरित परिवहन के रूप में देशभर के 65 रेल
मार्गो पर 507 विशेष पार्सल ट्रेनों का संचालन किया हुआ है। इसके लिए भारतीय रेलवे ने रेलवे पार्सल वैन को ई-कॉमर्स संस्थाओं और राज्य सरकारों सहित
अन्य ग्राहकों द्वारा त्वरित परिवहन के लिए उपलब्ध कराया है। रेलवे ने आवश्यक वस्तुओं
की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए चुनिंदा मार्गों पर समय-समय पर पार्सल स्पेशल
ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। जोनल रेलवे नियमित रूप से इन विशेष पार्सल ट्रेनों के मार्गों की पहचान कर रहा है। जबकि मौजूदा समय
में 65 रेल मार्गो पर ये ट्रेनें संचालित हैं। मसलन देश के दिल्ली, मुंबई, कोलकाता,
चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों के अलावा सभी राज्यों की राजधानियों तक रेलवे का नियमित
संपर्क बनाने का प्रयास किया है। इसमें रेलवे ने उत्तर-पूर्वी राज्यों के
क्षेत्रों को भी चिन्हित किया है।
रेलवे को हुई 7.54 करोड़ की कमाई
रेल मंत्रालय के अनुसार लॉकडान के दौरान 14 अप्रैल तक भारतीय
रेलवे को ऐसे महत्वपूर्ण सामनों के
पैकेटों की विशेष पार्सल ट्रेनों में लदान और आपूर्ति करने से 20, 474 टन की खेप का लदान करने और
आपूर्ति करने पर ई-कॉमर्स संस्थाओं और राज्य सरकारों सहित अन्य ग्राहकों
से करीब 7.54
करोड़
रुपए की
कमाई भी हुई है। इसमें लॉकडाउन के पहले चरण के अंतिम दिन यानि 14 अप्रैल को ऐसी पार्सल
ट्रेनों में 1835 टन सामग्री लोड़ की गई, जिससे 63 लाख रुपये की रेलवे को कमाई
हुई। उधर
उत्तर दिल्ली मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अजय माइकल ने बताया कि दिल्ली मंडल में
मालगाडियों क जारी परिचालन से पिछले दो दिनों में माल शेड में मालगाड़ियों के 32
रैक लोड ओर 25 रेल अनलोड किये गये हैं।
16Apr-2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें