सीआरपीएफ के शौर्य दिवस
पर शहीदों को किया गया स्मरण
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते आए
रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के शौर्य दिवस भी लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया, लेकिन
देश में बढ़ते जा रहे कोरोना वायरस के संकट से निपटने की दिशा में यदि जरुरत पड़ी,
तो उसका मुकाबला करने के लिए सीआरपीएफ पूरी तरह से तैयार है।
यह बात गुरुवार को सीआरपीएफ के शौर्य दिवस
के मौके पर केंद्रीय बल सीआरपीएफ के महानिदेशक एपी माहेश्वरी ने जवानों के नाम
अपने संदेश में कहा है कि कोरोना जैसे संकट की घड़ी में देश की सेवा के लिए वे
स्वस्थ्य और अपने इरादों को मजबूत रखने का प्रयास जारी रखें। सीआरपीएफ के प्रवक्ता
ने महानिदेशक माहेश्वरी के संदेश का हवाला देते हुए कहा कि देश में कोरोना वायरस
के संकट का मुकाबला करने के लिए सीआरपीएफ पूरी तरह से तैयार है। देश में कोरोना
संकट के कारण पूरे देश में लागू लॉकडाउन के कारण शायद यह पहला मौका है जब शौर्य
दिवस पर सीआरपीएफ कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकी। हालांकि यह नौ अप्रैल को मनाए
जाने वाले शौर्य दिवस के कार्यक्रम में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह व अन्य
केंद्रीय मंत्रियों के शामिल होना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस समारोह को स्थगित
रखा गया और केंद्रीय बल के शहीदों को याद करते हुए उन्हें संदेशों के जरिए ही
श्रद्धांजलि दी गई।
राष्ट्रपति, पीएम व गृहमंत्री ने दी
श्रद्धांजलि
सीआरपीएफ मुख्यालय से दी गई जानकारी के
अनुसार कोरोना महामारी के कारण स्थगित शौर्य दिवस कार्यक्रम के बावजूद शौर्यदिवस
पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह
ने अपने संदेश में सीआरपीएफ के देश की सुरक्षा के लिए अपनी डयूटी के दौरान दिये
गये बलिदान को याद करते हुए बल के शहीदों को याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी
है। पीएम मोदी ने सीआरपीएफ के इतिहास का जिक्र करते हुए शौर्य दिवस पर बल के
शहीदों का नमन किया।
इसलिए मनाया जाता है शौर्य दिवस का
सीआरपीएफ के अनुसार 1965 में स्थापना के समय ही जब पाकिस्तान
द्वारा भारत पर हमला किया गया तो इस बल की एक छोटी
सी टुकड़ी ने पाकिस्तान की इन्फेंट्री, जिसने गुजरात स्थित कच्छ के रण में 'टाक'
और
'सरदार पोस्ट' पर हमला किया था को मुंह
तोड़ जवाब देते हुए वापस खदेड़ दिया था। नौ अप्रैल को पाक सेना से मुकाबले
के समय
सीआरपीएफ जैसे साहसी बल की महज दो बटालियन में करीब 150 जवान ही शामिल थे,
जिन्होंने पाकिस्तानी सेना के साढ़े तीन हजार सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर
कर दिया था। हालांकि इसमें सीआरपीएफ के आधा दर्जन जवान शहीद हो गये थे, लेकिन वह
साहस सीआरपीएफ के आदम्य सहास का परिचायक है। इसलिए नौ अप्रैल के दिन को सीआरपीएफ
शौर्य दिवस के रूप में मनाता आ रहा है।
10Apr-2020
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