गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

लॉकडाउन: पश्चिम बंगाल में केंद्रीय टीम को रोकने पर सख्त केंद्र सरकार


गृह मंत्रालय का निर्देश कोरोना महामारी की समीक्षा करने में बाधा न डाले राज्य सरकार
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल की सरकार को कोविड-19 से लड़ने के लिए राज्य में लॉकडाउन उपायों के कार्यान्वयन की समीक्षा और मौके पर आकलन करने गई केंद्रीय टीमों के काम में बाधा न डालने का निर्देश जारी किया है।   
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार गृह सचिव अजय भल्ला ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किये हैं कि कोरोना की स्थिति का आकलन और लॉकडाउन के उपायों के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए पश्चिम बंगाल के लिए दो केंद्रीय टीमें गठित की गई हैं, जिनके कार्य में राज्य सरकार बाधा न डाले, बल्कि उनके कार्य में सहयोग कर कानूनी पहलुओं का अनुपालन करें। गौरतलब है कि देश में कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन के उल्लंघन के कारण गंभीर हालात पैदा होने के कारण केंद्र सरकार ने सोमवार को चार राज्यों के कुछ शहरों में कोरोना के खिलाफ जारी जंग मके लिए लॉकडाउन के उपायों के कार्यान्वयन की समीक्षा और अन्य पहलुओं का आकलन करने की दिशा में केंद्रीय टीमों का गठन किया था। उनमें पश्चिम बंगाल के कोलकाता, हावड़ा, पूर्वी मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी में आकलन के लिए भी टीम शामिल है। पश्चिम बंगाल सरकार ने इन केंद्रीय टीमों का राज्य के इन क्षेत्रों का आकलन या समीक्षा करने का विरोध नहीं किया, बल्कि उन्हें रोकने का प्रयास किया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी यह जानकारी मिली कि कोलकाता और जलपाईगुड़ी दोनों ही जगहों पर अंतर-मंत्रालय केंद्रीय टीमों (आईएमसीटी) को राज्य और स्थानीय अधिकारियों ने अपेक्षित सहयोग नहीं दिया  गया, बल्कि इन टीमों को विशेषकर कोई भी दौरा करने, स्वास्थ्य प्रोफेशनलों के साथ बातचीत करने और जमीनी स्तर की स्थिति का आकलन करने से भी रोका गया है। गृह मंत्रालय ने ममता सरकार की इस प्रवृत्ति को आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेशों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समान रूप से बाध्यकारी दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन में बाधा डालने का मामला माना। इसलिए मंगलवार को गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह गृह मंत्रालय के 19 अप्रैल 2020 के आदेश का अनुपालन करे और आईएमसीटी को सौंपी गई जिम्मेदारियों को निभाने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध करे, जैसा कि उन्हें पूर्वोक्त आदेश में सौंपा गया है।
कानूनी अधिकार प्राप्त हैं केंद्रीय टीमें
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय ने चिन्हित चुनिंदा जिलों में व्याप्त स्थिति का मौके पर आकलन करने के बाद लॉकडाउन उपायों के कार्यान्वयन की समीक्षा करने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य में दो आईएमसीटी को प्रतिनियुक्त किया था। इन टीमों में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारी भी शामिल हैं, जिनकी विशेषज्ञता का उपयोग कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा किया जा सकता है। इन टीमों को आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 की धारा 35 के तहत केंद्र सरकार को प्रदत्त अधिकार के तहत प्रतिनियुक्त किया गया है। यह केंद्र सरकार को ऐसे सभी उपाय करने के लिए अधिकृत करता है, जो आपदा प्रबंधन के लिए आवश्यक या समीचीन है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने भी 31 मार्च 2020 के अपने आदेश में यह बात रेखांकित की है, कि राज्य सरकारें सार्वजनिक सुरक्षा के हित में भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों और आदेशों का ईमानदारी से अक्षरश: पालन करेंगी। इसके मद्देनजर राज्य सरकारों पर कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए एक बाध्यता लागू की गई है जिसका निश्चित तौर पर कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
राज्यों को पहले ही जारी किये गये दिशानिर्देश व सुझाव
केंद्रीय गृह मंत्रालय के पहले ही जारी दिशानिर्देशों में राज्यों से कहा गया है कि हॉटस्पॉट जिलों या उभरते हॉटस्पॉट अथवा यहां तक कि व्‍यापक प्रकोप या क्‍लस्‍टरों की आशंका वाले स्थानों पर संबंधित दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की घटनाएं किसी भी सख्‍त उपाय के बिना निरंतर होने की अनुमति दी जाती है, तो वैसी स्थिति में इन जिलों की आबादी के साथ-साथ देश के अन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य खतरा उत्‍पन्‍न होगा। प्रमुख हॉटस्पॉट जिलों में इस तरह के उल्लंघन की व्यापकता या चलन का विश्लेषण करने के बाद केंद्र सरकार को यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि स्थिति विशेष रूप से उपर्युक्त क्षेत्रों में गंभीर है और केंद्र की विशेषज्ञता का उपयोग करने की आवश्यकता है। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्पष्ट कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए काम कर रहे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों पर हिंसा, सामाजिक दूरी बनाए रखने का उल्लंघन और शहरी इलाकों में वाहनों की आवाजाही जैसे मामलों को तत्काल रोका जाना चाहिए। 
22Apr-2020

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