शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

नमामि गंगे: गंगा नदी की सांस्कृति विरासत बचाने की कवायद

गौमुख से गंगा सागर तक चलेगी 150 करोड़ की परियोयजनाएं   
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
गंगा नदी की स्वच्छता के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना के तहत केंद्र सरकार ने गौमुख से गंगासागर तक गंगा नदी के किनारे स्थित स्थलों की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के मकसद से इसका लेखा-जोखा तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए गौमुख से गंगा सागर तक गंगा नदी में गिरने वाले पानी को पूरी तरह से स्वच्छ करने की दिशा में 150 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन की कार्यकारी समिति ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल यानि गौमुख से गंगा सागर तक नमामि गंगे परियोजना के तहत 150 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं में छोटी नदियों, नहरों और नालों के मुख्य नदी में गिरने वाले पानी को पहले रोकने एवं मोड़ने का काम भी शामिल है, ताकि उसस पानी को सीवेज परिशोधन इकाइयों की तरफ मोड़ा जा सके। इसका मकसद मुख्य गंगा नदी में गिरने वाला पानी पूरी तरह से स्वच्छ और गंदगी से मुक्त रखना है। इन परियोजनाओं मुख्य रूप से सीवेज सफाई इकाइयां और घाटों का विकास के कार्य शामिल रहेंगे।
सांस्कृतिक विरासत का लेखा-जोखा
राष्ट्रीय गंगा स्वस्छता मिशन ने इनटैक के जरिये गौमुख से गंगासागर तक गंगा नदी के किनारे स्थित स्थलों की सांस्कृतिक विरासत का लेखा-जोखा तैयार कराने का भी निर्णय लिया है। इस प्रस्ताव के तहत भारत की आत्मा में एक सांस्कृतिक धारा के रूप में अंतर्निहित गंगा नदी की भूमिका, उससे जुड़े सांस्कृतिक कथ्यों को दर्शाना है, जिसमें पर्वों और वार्षिक पंचाग का विकास करने जैसे कार्य भी शामिल हैं। इस लेखा-जोखा में पुरातत्व, सांस्कृतिक एवं पर्यावरण संबंधी विरासतें शामिल की जाएगी।
ऐसे चलेगी गंगा बेसिन राज्यों में परियोजनाएं
उत्तराखण्ड: राज्य की राजधानी देहरादून में रिसपना और बिंदल नदियों पर जलधारा को रोकने और मोड़ने की परियोजना 60 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इन नदियों का प्रदूषित जल सोंग नदी के जरिये हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच गंगा नदी में न मिल सके, इसलिए 117 नालों और निकासों का अशुद्ध पानी रोका जायेगा। इसके साथ ही प्रदूषित जल की सफाई के लिये एक दस लाख टन प्रतिदिन क्षमता वाला सीवेज सफाई संयत्र लगाया जाना प्रस्तावित है।
उत्तर प्रदेश: गंगा सफाई कोष के जरिये मिर्जापुर में 27.41 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से घाटों के विकास के काम को पूरा करने का निर्णय के तहत नवीकरण, विस्तार और घाटों को चौड़ा बनाने, भूमि के सौंदर्यीकरण और तटबंधों के निर्माण का काम भी इस परियोजना में शामिल है। इसके अलावा परियोजना में राम-गया शवदाहगृह की मरम्मत एवं दो नये शवदाहगृहों का निर्माण होगा।
बिहार: मिशन की समिति बिहार के सोनपुर में 30.92 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 3.5 एमएलडी क्षमता के सीवेज सफाई संयत्र, सीवर लाइनों को रोकने एवं मोड़ने के काम को मंजूरी दी है। परियोजना पूरी होने पर यह संयत्र शहर के सभी 5 नालों के जल को साफ करेगा। वहीं समिति ने 22.92 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सोनपुर में नदी तटबंध के विकास के काम को भी मंजूरी दी है। इसमें एक घूमने-फिरने की जगह का निर्माण, तटबंधों की मजबूती, सुविधाओं के विकास के एवं घाटों का सौंदर्यीकरण होगा। जबकि नमामि गंगे के तहत 20 करोड़ रुपये की लागत से 8 घाटों का निर्माण कार्य जारी है।
पश्चिम बंगाल: कार्यकारी समिति ने पश्चिम बंगाल में कटवा, कलना, अगरद्वीप और दांईहाट घाटों के उन्नतीकरण और सुधार के काम को मंजूरी दी है। ये परियोजनायें गंगा सफाई कोष के तहत आती हैं। इन परियोजनाओं की सकल लागत 8.58 करोड़ रु. है जिसमें तटबंधों को मजबूत बनाना और घाटों पर मूलभूत सुविधाओं का विकास, सौंदर्यीकरण, बिजली और अन्य सहायक कार्य और विभिन्न घाटों पर मौजूदा सुविधाओं का पुनरोद्धार शामिल हैं।
31Aug-2018

मध्य प्रदेश में विदेशी कर्ज से सुधरेगी सिंचाई व्यवस्था



एशियाई विकास बैंक से मिलेगा 375 मिलियन डॉलर का ऋण
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के किसानों की आय को दो गुना करने के मिशन के तहत मध्य प्रदेश में सिंचाई व्यवस्था में सुधार करने के लिए चलाई जा रही सिंचाई कार्यदक्षता परियोजना के लिए एशियाई विकास बैंक से 375 मिलियन डॉलर का कर्ज मिलेगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने एडीबी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
नई दिल्ली में गुरुवार को मध्य प्रदेश में सिंचाई की कार्यदक्षता सुधारने के लिये 375 मिलियन डॉलर के कर्ज के लिए भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक के बीच महत्वपूर्ण समझौता किया गया। इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामले विभाग के संयुक्त सचिव (बैंक कोष एवं एडीबी) सुनील कुमार खरे और एशियाई विकास बैंक की तरफ से इंडिया रेजीडेंट मिशन एडीबी में राष्ट्रीय उपनिदेशक सब्यसाची मित्रा ने हस्ताक्षर किये हैं। वहीं इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार की ओर से परियोजना निदेशक ए.के. उपमन्यु ने एक अलग समझौते पर हस्ताक्षर किये।
मप्र में सृजित होगी सिंचाई क्षमता
इस समझौते की जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामले विभाग के संयुक्त सचिव सुनील कुमार खरे ने बताया कि इस समझौते के तहत मिलने वाले कर्ज से राज्य में सिंचाई के नेटवर्क का विस्तार करने और सिंचाई कार्यकुशलता बढ़ाकर कृषि आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी। मसलन मध्य प्रदेश सिंचाई कार्यदक्षता सुधार परियोजना 1.25 लाख  हेक्टेयर भूमि के लिये नये बेहद कार्यकुशल और जलवायु परिवर्तन से अप्रभावित रहने वाले सिंचाई नेटवर्क का विस्तार करके 400 गावों में जल के प्रयोग के तरीके को सुधारा जाना है, जिसका मध्य प्रदेश के 8 लाख से भी अधिक लोगों को लाभ लाभ मिलेगा। खरे ने कहा कि यह परियोजना सिंचाई की कार्यदक्षता और जल की उत्पादकता को अधिकतम संभव सीमा तक बेहतर बनाकर में मध्य प्रदेश सरकार के सिंचाई के विस्तार और आधुनिकीकरण कार्यक्रम में भी मदद करेगी। वहीं एडीबी के मित्रा ने कि एडीबी से मिलने वाली इस ऋण राशि का प्रयोग सिंचाई की कार्यदक्षता को बढ़ाने के लिये एक विशालकाय दाब पर आधारित और स्वाचलित सिंचाई प्रणाली के विकास के लिये किया जायेगा। यह परियोजना डिजायन-बिल्ड-ऑपरेट आधार पर स्थागत नवाचार को प्रोत्साहित करेगी।
दो बड़ी सिंचाई परियोजनाओं पर फोकस
मध्य प्रदेश का इस परियोजना के तहत दो बड़ी सिंचाई परियोजनाओं पर ज्यादा फोकस होगा। इसमें पहली ‘कुंडलिया सिंचाई परियोजना’ में 1.25 लाख हेक्टेयर भूमि के लिये नई एवं अत्यधिक कार्यकुशल और जलवायु परिवर्तन से अप्रभावित रहने वाली सिंचाई प्रणाली का विकास किया जाएगा, जिसमें दो बड़े पंपिंग स्टेशनों का निर्माण करना भी शामिल है जो कि जलापूर्ति कक्षों में पानी की आपूर्ति करेंगे, जहां से भूमिगत पाइपों के नेटवर्क के जरिये जल की आपूर्ति खेतों में की जायेगी। यह परियोजना किसानों को नकदी फसलों की सिंचाई के लिये सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को अपनाने में भी मदद करेगी। जबकि दूसरी बड़ी सिंचाई परियोयजना के रूप में मौजूदा संजय सरोवर सिंचाई परियोजना को एक बेहतर डिजायन वाली परियोजना में विकसित करने हेतु एक व्यापक आधुनिकीकरण संभावना अध्ययन रिपोर्ट तैयार होगी।
क्या है एडीबी का लक्ष्य
एशियाई विकास बैंक एक समृद्ध, समावेशी, टिकाऊ और स्थायी एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के विकास के साथ-साथ घोर निर्धनता के उन्मूलन के अपने प्रयासों को जारी रखने के लिये प्रतिबद्ध है। 1966 में स्थापित इस संस्था का स्वामित्व 67 सदस्यों के पास है जिसमें से 48 इस क्षेत्र से ही हैं। 2017 में एशियाई विकास बैंक का सकल कामकाज 32.2 अरब डॉलर रहा था, जिसमें से साझेदारी के जरिये उपलब्ध करायी गयी 11.9 अरब डॉलर की धनराशि भी शामिल थी।
31Aug-2018

गुरुवार, 30 अगस्त 2018

जल्द शुरू होगा लखवाड़ परियोजना का काम

हरियाणा समेत छह राज्यों का केंद्र सरकार से करार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
आखिर बहुप्रतीक्षित लखवाड़ बहुद्देश्य जल विद्युत परियोजना को फिर से शुरू करने का रास्ता उस समय साफ हो गया, जब मंगलवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के साथ परियोजना के निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में मंगलवार को यहां मीडिया सेंटर में ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली लखवाड बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों क्रमश: हरियाणा के मनोहर लाल, दिल्ली के अरविंद केजरीवाल, उत्तराखंड के त्रिवेन्द्र रावत, हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर, यूपी के आदित्यनाथ योगी और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केंद्र सरकार के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। इस परियोजना से इन सभी छह राज्यों को नदी के प्रवाह, पेयजल, सिंचाई और बिजली का फायदा मिलेगा। जहां 300 मेगावाट उत्पादित बिजली उत्तराखंड को मिलेगी, जबकि जल संबन्धी परियोजनाओं के तहत इन सभी राज्यों को 1994 में हुए समझौते के तहत ही पेयजल एवं सिंचाई जल के हिस्से के रूप में आपूर्ति होगी।  
ढाई दशक से लटकी थी परियोजना
उत्तराखंड की लखवाड़ परियोजना को योजना आयोग ने 1976 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन इस परियोजना पर कार्य 1992 में रोक दिया गया। तब से यह परियोजना निर्माण की बाट जोह रही थी। लखवाड़ परियोजना के तहत उत्‍तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के नजदीक यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनेगा। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्‍टेयर भूमि पर सिंचाई की जा सकेगी। यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्‍यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्‍तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्‍ध कराया जा सकेगा। परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन होगा। परियोजना के निर्माण का कार्य उत्‍तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा।
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यमुना के जल भंडारण क्षमता बढ़ेगी: गडकरी
इस परियोजना पर सभी छह राज्यों द्वारा सहमति बनाने पर आभार जताते हुए केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने कहा कि गडकरी ने कहा कि देश में समस्या पानी की कमी नहीं, बल्कि जल प्रबंधन है और सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि लखवाड़ परियोजना न केवल पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी, बल्कि इससे सभी छह राज्यों में सिंचाई, बिजली उत्पादन और पेयजल की जरूरतों को पूरा करने में सुधार आएगा। वहीं लखवाड बहुउद्देशीय बांध परियोजना के निर्माण से यमुना की जल भंडारण क्षमता में 65 प्रतिशत वृद्वि होगी। यही नहीं इस परियोजना के पूरा होने पर इन सभी राज्यों में पानी की कमी की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि इससे यमुना नदी में हर वर्ष दिसंबर से मई/जून के सूखे मौसम में पानी के बहाव में सुधार आएगा। उन्होंने उम्मीद जताई है कि राज्यों के बीच आम सहमति नहीं बनने के कारण कई वर्षों तक लटक जाने वाली इस तरह की कुछ और परियोजनाओं की अब शुरूआत हो सकेगी।
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‘हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि लखवाड बहुउद्देशीय बांध परियोजना के निर्माण से हरियाणा के कृषि क्षेत्र विशेषकर दक्षिण हरियाणा में कृषि क्षेत्र को सिंचाई जल उपलब्ध हो सकेगा’-मनोहरलाल
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‘केंद्र सरकार ने 42 साल पुरानी इस परियोजना को पुनर्जीवित करके उत्तराखंड की बिजली समस्या ही नहीं, बल्कि यमुना बेसिन छह राज्यों में पानी की मांग की भी आपूर्ति हो सकेगी’- योगी आदित्यनाथ
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‘राष्ट्रीय परियोजना लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना का यह ऐतिहासिक समझौता सभी साझेदार छह राज्यों विशेष तौर पर उत्तराखण्ड के विकास के अलावा राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी’-त्रिवेन्द्र रावत
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‘हिमाचल प्रदेश को लखवाड़ परियोजना से 3.15 प्रतिशत पानी अपने हिस्से के रूप में प्राप्त होने से राज्य को पेयजल व सिंचाई क्षमता को सुधारने में मदद मिलेगी। वहीं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में यमुना नदी और इसकी सहायक नदियों, टोंस और गिरि नदी पर कुल तीन प्रमुख भंडारण परियोजनाओं का निर्माण करने का प्रस्ताव को भी बल मिला है’-जयराम ठाकुर
29Aug-2018

इंदौर व मनमाड के बीच बनेगा नया रेलवे कॉरिडोर

शिपिंग-रेलवे और मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र सरकार का समझौता
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के बंदरगाहों तक जल से लेकर सड़क और रेल परिवहन को आसान बनाने की दिशा में मध्य प्रदेश के आर्थिक शहर इंदौर की मुंबई के बंदरगाह जेएनपीटी तक पहुंच बनाने की दिशा में इंदौर से मनमाड तक 362 किमी लंबी नई रेल लाइन परियोजना जल्द शुरू होगी।
इस परियोजना के लिए मंगलवार को यहां परिवहन भवन में केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री पीयूष गोयल व रक्षा रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे के अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की मौजूदगी में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, रेल मंत्रालय, महाराष्ट्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत इंदौर-मनमाड तक 362 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन परियोजना का अलग से नया रेलवे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। मसलन इस परियोजना के बाद इंदौर और मध्य भारत के अन्य स्थानों से कंटेनरों व अन्य रेल ट्रैफिक को मुम्बई, पुणे और जेएनपीटी पोर्ट पहुंचने के लिए बडोदरा और सूरत के रास्ते अब तक तय हो रही 815 किलोमीटर की दूरी 171 किमी कम हो जाएगी। यह परियोजना को छह साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।
आदिवासी व पिछड़े क्षेत्र का विकास
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस नई रेल लाइन को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी एवं पिछड़े इलाकों से निकाला गया है, जिससे इन इलाकों में विकास को गति को बढ़ावा मिलेगस और इस परियोजना से रोजगार का सृजन होगा तथा प्रदूषण, ईंधन खपत और वाहन परिचालन व्यय में कमी आएगी। इस परियोजना से पहले 10 वर्षों के परिचालन में 15000 करोड़ रुपये के लाभ का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से यात्रियों व माल ढुलाई के मार्ग की दूरी में कमी आने के साथ लखनऊ, आगरा, ग्वालियर और कानपुर तथा इंदौर-धुले-भोपाल क्षेत्रों से जेएनपीटी और मुम्बई तक के परिवहन लागत में कमी आएगी। यह परियोजना वर्तमान के मध्य और पश्चिमी रेल लाइनों के लिए एक अतिरिक्त रेल लाइन उपलब्ध कराएगी।
समय और लागत की बचत
इस परियोजना पर हस्ताक्षर होने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि नई रेल लाइन परियोजना से मुम्बई-पुणे और प्रमुख मध्य भारत के स्थानों से 171 किलोमीटर की दूरी कम होने के कारण स्वत: ही परिवहन लागत में कमी आएगी और इंदौर से मनमाड तक सफर करने में भी कम समय लगेगा। इस परियोजना के तहत नई रेल लाइन इगतपूरी, नासिक और सिन्नार, पुणे और खेद तथा धुले और नरदाना स्थानों पर दिल्ली मुम्बई औद्योगिक कॉरिडोर से होकर गुजरेगी।
परियोजना में किसकी कितनी हिस्सेदारी
सागरमाला परियोजना को कार्यान्वित कर रहे भारतीय पोर्ट रेल निगम के संयुक्त उद्यम (एसपीवी मॉडल) के तहत ही इस परियोजना का निर्माण होगा। करीब 8574.79 करोड़ रुपये लागत वाली यह इस परियोजना में शिपिंग मंत्रालय और जेएनपीटी समेत इसके द्वारा नामित सार्वजनिक उद्यम और इकाई की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत होगी। जबकि भारतीय पोर्ट रेल निगम के संयुक्त उद्यम का हिस्सा 15 फीसदी तय किया गया है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश सरकार तथा महाराष्ट्र सरकार की हिस्सेदारी 15-15 फीसदी होगी, जिसमें इन दोनों सरकारों द्वारा नामित सार्वजनिक उद्यम इकाई और अन्य उद्यमों की हिस्सेदारी भी शामिल होगी।
29Aug-2018


मंगलवार, 28 अगस्त 2018

एक देश-एक चुनाव पर सहमत नहीं ज्यादातर सियासी दल


चुनाव सुधार पर सर्वदलीय बैठक
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले चुनाव आयोग द्वारा चुनाव सुधार की दिशा में बुलाई सर्वदलीय बैठक में ज्यादातर विपक्षी दलों ने ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर बल दिया। कुछ दलों ने तो ईवीएम और वीवीपीएटी को परेशानी का सबब बनाते हुए अपना सियासी दर्द भी बंया किया। इस बैठक में सभी दलों की मांगों और सुझावों पर विचार करके उनका समाधान करने का भरोसा भी दिया।
नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित प्रवासी भारतीय भवन में सोमवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी सात राष्ट्रीय दलों और आमंत्रित किये गये 51 में से 34 क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि बैठक में ज्यादातर दलों ने चुनाव के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। इसके लिए जहां कांग्रेस ने ईवीएम से चुनाव में करीब 30 फीसदी वीवीपैट का इस्तेमाल करने की मांग रखी, तो आप ने वीवीपीएटी के 20 फीसदी इस्तेमाल करने पर बल दिया। वहीं कांग्रेस समेत कुछ दलों ने ईवीएम व वीवीपीएटी के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की वकालत की। जबकि कांग्रेस जैसे दलों की इस दलील पर कुछ दलों ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की प्रक्रिया को बूथ कैप्चरिंग के दौर को वापस लाने का प्रयास बताते हुए चुनाव सुधार की ओर बढ़ने की वकालत की। आयोग के अनुसार इस बैठक में सत्तापक्ष के साथ कुछ विपक्षी दलों ने चुनाव सुधार के लिए सकारात्मक सुझाव भी दिये। बैठक में मतदाता सूची को ज्यादा पारदर्शी, अचूक, उपयोगी और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के साथ ही राजनीतिक दलों के संगठन और चुनावी उम्मीदवारी में महिलाओं की नुमाइंदगी, भागीदारी और ज्यादा अवसर देने के उपाय पर हुई चर्चा का तमाम दलों ने स्वागत किया। आयोग ने बैठक के दौरान दलों द्वारा उठाई गई मांगों और प्रस्तुत किये गये सुझावों पर विचार करने का भरोसा दिया।
पेड न्यूज बने अपराध
सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों ने पेड न्यूज पर चिंता व्यक्त करते हुए चुनाव आयोग के सुर में सुर मिलाते हुए इसे चुनाव अपराध बनाने का सुझाव दिया। वहीं राजनीतिक दलों ने मतदाता सूचियों के शुद्धिकरण के लिए फर्जी नामों को हटाने और वास्तविक मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों में शामिल करने का समर्थन किया। कुछ दलों ने प्रत्याशियों की तरह राजनीतिक दलों के चुनावी खर्च की भी सीमा तय करने का सुझाव दिया और चुनावी खर्च का ब्यौरा देने के लिए समय सीमा तय करने की दिशा में भी चर्चा की गई, जिसके लिए आयोग ने कानूनी पहल करने के बारे में विचार करने की बात कही। आयोग के अनुसार इस बैठक में कुछ दलों ने आयोग से को सुझाव दिया कि दूरदर्शन और एआईआर की तर्ज पर राजनीतिक दलों के लिए मुफ्त एयरटाइम चुनावी अभियानों के लिए निजी मीडिया पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। आयोग ने पोस्टल वोट को इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से भेजने और विकलांग मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया में अधिक से अधिक शामिल किये जाने के बारे में राजनीतिक दलों की राय मांगी गई।
एक साथ चुनाव के पक्ष में भाजपा
चुनाव आयोग के अनुसार बैठक में लगातार देश में एक देश-एक चुनाव की वकालत करती आ रही भाजपा के साथ कई अन्य  दलों ने भी एक साथ चुनाव कराने का समर्थन भी किया है। हालांकि कांग्रेस जैसे कुछ दलों ने इसका पहले से ही यह कहकर विरोध किया है कि देश में एक साथ चुनाव कराना संघवाद के खिलाफ होगा। जबकि इस पर चुनाव आयोग चाहता है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए केंद्र सरकार को जल्द ही जनप्रतिनिधि अधिनियम में संशोधन करना चाहिए। बैठक में रावत ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता, सोशल मीडिया समेत मीडिया प्रबंधन, मतदान और गिनती प्रक्रिया में सभी हितधारकों के विश्वास और विश्वास लाने और इस तरह के मजबूत लोकतंत्र के रूप में महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
28Aug-2018


सोमवार, 27 अगस्त 2018

कांग्रेस ने बनाया लोकसभा चुनाव का 'मास्टर प्लान'

राहुल गांधी ने गठित की घोषणापत्र व प्रचार समिति
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सियासी दलों में कांग्रेस ने अपना मास्टर प्लान बनाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोर ग्रुप समिति, घोषणापत्र समिति तथा प्रचार समिति का गठन किया है।
कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत द्वारा जारी सूचना के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को आगामी लोकसभा की  तैयारियों के तहत तीन प्रमुख समितियों का गठन किया है, जिसमें नौ सदस्यीय कोर ग्रुप समिति, 19 सदस्यीय घोषणापत्र समिति तथा 13 सदस्यीय प्रचार समिति की घोषणा की गई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना मास्टर प्लान तैयार कर लिया है और उसी रणनीति में राष्ट्रीय, प्रदेश और अन्य संगठनात्मक ढांचे में व्यापक फेरबदल करने का सिलसिला तेज हो गया है। शनिवार को गठित की गई तीन समितियों के बारे में ने कहा कि इन समितियों के गठन करने का मकसद आगामी लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र तैयार करने के लिए काम आरंभ किया जाएगा, वहीं प्रचार समिति चुनावी समन्वय के लिए रणनीति का काम शुरू कर देगी। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के मास्टर प्लान के तहत ही पिछले दिनों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय कार्यसमिति में कई बड़े फेरबदल किये थे, जिनमें नए चेहरे भी शामिल किये गये हैं।
कोर ग्रुप की समिति
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा स्वीकृत की गई कांग्रेस की कोर ग्रुप समिति में पार्टी के नौ सदस्य शामिल किये गये हैं, जिनमें एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम, अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खडग़े, अहमद पटेल, जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।
घोषणापत्र समिति
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र तैयार करने का काम 19 सदस्यीय घोषणापत्र समिति करेगी। इस समिति में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा, वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम व सलमान खुर्शीद, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, सांसद राजीव गौड़ा, कृष्णन बिंदु, रघुवीर मीणा, भालचंद मुंगेकर और मीनाक्षी नटराजन को शामिल किया गया है। घोषणापत्र समिति में हिमाचल प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा, पार्टी के ओबीसी विभाग के प्रमुख ताम्रध्वज साहू, मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा, सांसद शशि थरूर, सचिन राव और ललितेश त्रिपाठी को भी जगह दी गई है।
इन पर होगा प्रचार का दायित्व
कांग्रेस पार्टी की गठित 13 सदस्यीय प्रचार समिति में राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा, मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुजेवाला, सोशल मीडिया टीम की प्रमुख दिव्या स्पंदना, भक्त चरण दास, प्रवीण चक्रवर्ती, मिलिंद देवड़ा, कुमार केतकर, पवन खेड़ा, वीडी सतीशन, राजीव शुक्ला, जयवीर शेरगिल, मनीष तिवारी और प्रमोदी तिवारी को शामिल किया गया है।
महागठबंधन पर रणनीति
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी पहले ही स्पष्ट ऐलान कर चुकी है कि आगामी लोकसभा चुनाव महागठबंधन के साथ मिलकर लड़ा जाएगा। हालांकि कांग्रेस महागठबंधन में अलग-अलग राज्य में अलग-अलग दलों के साथ गठजोड़ करके चुनाव मैदान में उतरने का विकल्प भी तलाश रही है।   
CWC के सदस्य
सीडब्ल्यूसी के सदस्यों में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा, अशोक गहलोत, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी और ओमन चांडी को जगह दी गई है इनके अलावा असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, कुमारी शैलजा, मुकुल वासनिक, अविनाश पांडे, केसी वेणुगोपाल, दीपक बाबरिया, ताम्रध्वज साहू, रघुवीर मीणा और गैखनगम के नाम भी कांग्रेस कार्य समिति में हैं
26Aug-2018