शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

राज्यसभा: एनआरसी पर शाह के बयान पर बिफरा विपक्ष



हंगामे के कारण बिना गृहमंत्री के बयान हुए स्थगित हुई कार्यवाही
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मसौदा जारी होने के मुद्दे पर राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बाद हुई चर्चा के दौरान जब भाजपा सांसद अमित शाह ने एनआरसी को 14 अगस्त 1985 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के असम एकॉर्ड समझौते की आत्मा बताते कहा कि एनसीआर के तहत असम में अवैध घुसपैठियों की पहचान करना जरूरी हो गई थी, तो विपक्षी दल बिफरता नजर आया। विपक्षी दलों के हंगामे के कारण उच्च सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
उच्च सदन की इस मुद्दे पर एक बार स्थगन के बाद सदन में बनी सहमति के आधार एनआरसी पर प्रश्नकाल स्थगित करके चर्चा शुरू कराई गई, लेकिन करीब डेढ़ दर्जन सदस्यों के बयान के बाद भाजपा सदस्य अमित शाह ने अपना बयान शुरू करते हुए कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्षी नेताओं को ध्यानपूर्वक सुना, लेकिन किसी सदस्य ने भी यह नहीं कहा कि एनआरसी का मूल कहां है? इस देश में एनआरसी क्यों आया? इसकी भी चर्चा इस सदन में होनी चाहिए। असम के अंदर की समस्या को लेकर एक बड़ा आंदोलन हुआ और सैकड़ो असमी लडके शहीद हुए। इस आंदोलन के बेकाबू होने पर 14 अगस्त 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ‘असम एकॉर्ड’ समझौता किया, जिसमें कहा गया था कि अवैध घुसपैठियों को पहचान कर एनआरसी बनाया जाएगा। शाह के इस बयान पर विपक्ष हंगामा शुरू हो गया। हालांकि शाह ने अपने बयान को जारी रखते हुए कहा कि असम एकॉर्ड की आत्मा एनआरसी थी, जिसमें अवैध घुसपैठियों की पहचान करना जरूरी है, लेकिन यह एकॉर्ड कहा गया? जिसे कांग्रेस ही लेकर आई थी।
कांग्रेस में नहीं थी हिम्मत, हमने अमल किया
सदन में अमित शाह ने कहा कि इसके लिए नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाने का निर्णय कांग्रेस के ही प्रधानमंत्री ने लिया था, लेकिन इसको अमल करने की हिम्मत नहीं थी, जिसकी हिम्मत हममें है, इसलिए हम एनसीआर को लागू कर रहे हैं। शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह कार्य हो रहा है। शाह के इस बयान पर विपक्ष का हंगामा बढ़ने लगा और शाह ने कहा कि वह विपक्ष खासकर कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि आप इन 40 लाख में शामिल घुसपैठियों को क्यों बचाना चाहते हैं? इस पर सदन में जमकर हंगामा शुरू हो गया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही को 10 मिनट और तभी पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई। इस कारण शाह अपना बयान भी पूरा नहीं कर पाए और नहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह का चर्चा का जवाब आ सका।
इन्होंने लिया चर्चा में हिस्सा
उच्च सदन में चर्चा के दौरान एनआरसी मुद्दे पर चर्चा की शुरूआत नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने की, जिसके बाद सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, के अलावा विजिला, सुखेंद्र शेखर राय, प्रसन्ना आाचार्य, वाईएस चौधरी, टीके रंगराजन, प्रो. मनोज कुमार झा, वीर सिंह, मजीद मेनन, धर्मपुरी श्रीनिवास, त्रिरूचि शिवा, सुखदेव ढींढसा, संजय सिंह, डी राजा, नीरज शेखर समेत करीब 20 सदस्यों ने हिस्सा लिया। गौरतलब है कि सोमवार को भी इस मुद्दे पर उच्च सदन की पूरे दिन की कार्यवाही ठप हो गई थी।
01Aug-2018


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