
मानसून
सत्र के अंतिम सप्ताह में आसान नहीं राह
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
में अंतिम चरण में पहुंचे मानसून सत्र में विपक्षी दलों की एनआरसी जैसे कई मुद्दों
पर लामबंदी के कारण मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। इस कारण संसद
में इस दौरान महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की चुनौती को पार पाना सरकार के
लिए आसान राह नहीं होगी।
सोमवार
से संसद के मानसूत्र की अंतिम सप्ताह की कार्यवाही शुरू होगी, जिसमें मोदी सरकार
के सामने महत्वपूर्ण विधेयकों समेत अभी भारी-भरकम कामकाज का निपटान करना बाकी है।
जिस प्रकार से कयासों के विपरीत 18 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की कार्यवाही
सुचारू रूप से शुरू हुई थी और पहले ही दिन दोनों सदनों में तीन विधेयक पारित कर
दिये गये थे, तो उम्मीद जगी थी कि सरकार संसद में अटके तीन तलाक, मोटर वाहन और राष्ट्रीय
पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए पिछड़ा वर्ग (संशोधन) विधेयक जैसे
कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित हो जाएंगे, लेकिन अभी तक की कार्यवाही के दौरान सरकार
लोकसभा में अध्यादेश वाले छह विधेयकों में केवल भगौडा आर्थिक अपराध विधेयक को
अंजाम दे सकी है, जबकि लोकसभा में पारित ये सभी विधेयक राज्यसभा में आकर अटक गये
हैं। लोकसभा में अभी तक पेश किये गये एक दर्जन से ज्यादा विधेयकों में अध्यादेश
वाले छह विधेयकों समेत नौ विधेयक ही पास हो सके हैं, जिनमें राज्यसभा में भगौडा
आर्थिक अपराध विधेयक समेत केवल चार विधेयक ही पास हो चुके हैं। पिछले एक साल से
राज्यसभा में अटके मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा भी हो चुकी है, लेकिन कुछ
संशोधन आने के कारण उसकी चर्चा भी अधूरी है, तीन तलाक संबन्धी विधेयक तो अभी दूर
की कोडी नजर आ रहा है।
विपक्षी दलों का आक्रमक रूख
संसद
में मॉब लिंचिंग के मुद्दे से असम में जारी राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण यानि एनआरसी
के मुद्दे पर लामबंद हुए विपक्षी दलों के हंगामे के कारण संसद के सत्र की
कार्यवाही में ऐसा व्यावधन आया कि राज्यसभा में एनआरसी और अन्य मुद्दों पर विपक्ष
के हंगामे के कारण एक भी विधेयक पर चर्चा तक नहीं हो सकी। सूत्रों के अनुसार
एनआरसी, राफेल और कृषि व किसानों के मुद्दों इस अंतिम सप्ताह के दौरान विपक्षी दल
सरकार को घेरने के लिए लामबंद हैं, जिसके कारण इस अंतिम सप्ताह में महत्वपूर्ण
विधेयकों को पारित कराने और कामकाज को निपटान की दिशा में सरकार के सामने
मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। जबकि सरकार के सामने संसद में अभी भारी-भरकम महत्वपूर्ण
कामकाज को अंजाम देने की चुनौती है। सबसे बड़ी चुनौती तो सरकार के सामने लंबित
महत्वपूर्ण विधेयकों के साथ उन विधेयकों पर राज्यसभा की मुहर लगवाने की है, जो
लोकसभा में अध्यादेश से विधेयकों के रूप में पारित किये गये हैं।
संसद में पारित प्रमुख विधेयक
लोकसभा
में सरकार भगौड़ा आर्थिक अपराध अध्यादेश, आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, न्यायालयों
की कमर्शियल अदालतें, कमर्शियल डिविजन्स और कमर्शियल अपीलीय डिविजन्स (संशोधन)अध्यादेश,
होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश
तथा इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) अध्यादेश को विधेयकों के रूप में
पारित करा चुकी है। इसके अलावा सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से
संबन्धित विधेयक, व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, बच्चों
के अधिकार मुक्त और अनिवार्य शिक्षा (द्वितीय संशोधन) विधेयक, पराक्रम्य लिखत
संशोधन विधेयक पास करा चुकी है। जबकि राज्यसभा में अध्यादेश वाला भगौडा आर्थिक
अपराध के अलावा भ्रष्टाचार निवारण(संशोधन) विधेयक-2013 समेत चार विधेयक पारित किये
जा सके हैं। बाकी लोकसभा में पारित होकर उच्च सदन में पहुंचे तमाम विधेयक लंबित
हैं।
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संसद में आज का एजेंडा
संसद
में अंतिम सप्ताह की सोमवार को शुरू होने वाली कार्यवाही में दोनों सदनों में 12
विधेयक हैं यानि दोनों सदनो में छह-छह विधेयकों का सोमवार की कार्यसूची में शामिल
किया गया है। राज्यसभा में मोटरयान विधेयक पर अधूरी चर्चा अभी होने की उम्मीद नहीं
है, लेकिन लोकसभा में पारित हुए विधेयकों को चर्चा औ पारित कराने के लिए शामिल
किया गया है। इसके अलावा दोनों सदनों में कृषि जैसे मुद्दो समेत कई महत्वपूर्ण
मुद्दों पर चर्चा कराने की कार्यवाही भी शामिल की गई है।
06ँनह92018
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