गुरुवार, 2 अगस्त 2018

छग में हाथियों के प्रकोप से ग्रस्त लोग


राम विचार नेताम ने राज्यसभा में उठाया मामला
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार से छत्तीसगढ़ के कई जिलों में हाथियों के आतंक से ग्रस्त लोगों की जान व माल का मुआवजा बढ़ाने और हाथियों के इस प्रकोप से निजात दिलाने की मांग की गई है, जहां लोग नक्सलियों के साथ हाथियों की दोहरी समस्या से ग्रस्त हैं।
छत्तीसगढ़ जैसे नक्सलवाद प्रभावित राज्य में हाथियों के आंतक का मामला गुरुवार को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा सांसद राम विचार नेताम ने उठाया। उच्च सदन में इस मामले को उठाते हुए छग से भाजपा सांसद नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ समेत देश के र्कराज्यों में लोग हाथियों के प्रकोप से प्रभावित हैं। छत्तीसगढ़ में जहां लोग एक तरफ नक्सलियों से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हाथियों के आतंक के कारण राज्य में दो सौ से ज्यादा लोग मौत के मुहं में समा चुके हैं और हजारो की संख्या में घायल हुए हें, वहीं राज्य में करीब 32 से 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसल भी हाथियों ने चौपट कर दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रकोप की वजह से मारे जाने वाले व्यक्ति के आश्रितों को केवल दो लाख का मुआवजा दिया जाता है, जो अपर्याप्त है, जबकि फसलों के नुकसान की भरपाई भी नहीं की जा रही है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि सहानुभूति पूर्वक विचार करके मुआवजे की राशि को बढ़ाकर फसल के नुकसान का आकलन करते हुए उसकी भी भरपाई की जाए। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इस मामले को गंभीर बताते हुए सवाल किया कि क्या अभी भी छत्तीसगढ़ में हाथी हैं?
इन जिलों में हाथियों का आतंक
छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर, रायगढ़, कोरबा आदि कई जिलों में हाथियों के ज्यादा आतंक होने की जानकारी देते हुए सदन में नेताम ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकार के साथ मिलकर कोई ऐसी व्यवस्था करके बेहतर उपाय करने की जरूरत है, जिससे लोगों को हाथियों के प्रकोप से छुटकारा मिल सके। नेताम द्वारा हाथियों के प्रकोप के मामले को उठाने के साथ कांग्रेस की छाया वर्मा और बिहार के हरबंश आदि सदस्यों ने भी अपने आपको संबद्ध करते हुए इस मामले में उचित कदम उठाने पर जोर दिया।
रिसर्च कराने की जरूरत
भाजपा सांसद राम विचार नेताम ने सदन में बोलते हुए कहा कि नक्सलवाद ग्रस्त राज्य के कारण सेना के साथ भारी सुरक्षा बल के बावजूद कभी भी किसी भी परिवार पर हाथियों का प्रकोप का पहाड़ टूट जाता है, जिसमें संभलने या भागने तक का भी मौका नहीं मिल पाता। उन्होंने सदन के माध्यम से मांग उठाई कि इस मामले में सरकार को ऐसी व्यवस्था की जाए जिसमें रिसर्च करके इन हाथियों को पकड़कर ज्यादा उग्रवाद वाले क्षेत्रों में भेज दिया जाए। 
27July-2018


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