मंगलवार, 28 अगस्त 2018

एक देश-एक चुनाव पर सहमत नहीं ज्यादातर सियासी दल


चुनाव सुधार पर सर्वदलीय बैठक
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले चुनाव आयोग द्वारा चुनाव सुधार की दिशा में बुलाई सर्वदलीय बैठक में ज्यादातर विपक्षी दलों ने ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर बल दिया। कुछ दलों ने तो ईवीएम और वीवीपीएटी को परेशानी का सबब बनाते हुए अपना सियासी दर्द भी बंया किया। इस बैठक में सभी दलों की मांगों और सुझावों पर विचार करके उनका समाधान करने का भरोसा भी दिया।
नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित प्रवासी भारतीय भवन में सोमवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी सात राष्ट्रीय दलों और आमंत्रित किये गये 51 में से 34 क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि बैठक में ज्यादातर दलों ने चुनाव के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। इसके लिए जहां कांग्रेस ने ईवीएम से चुनाव में करीब 30 फीसदी वीवीपैट का इस्तेमाल करने की मांग रखी, तो आप ने वीवीपीएटी के 20 फीसदी इस्तेमाल करने पर बल दिया। वहीं कांग्रेस समेत कुछ दलों ने ईवीएम व वीवीपीएटी के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की वकालत की। जबकि कांग्रेस जैसे दलों की इस दलील पर कुछ दलों ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की प्रक्रिया को बूथ कैप्चरिंग के दौर को वापस लाने का प्रयास बताते हुए चुनाव सुधार की ओर बढ़ने की वकालत की। आयोग के अनुसार इस बैठक में सत्तापक्ष के साथ कुछ विपक्षी दलों ने चुनाव सुधार के लिए सकारात्मक सुझाव भी दिये। बैठक में मतदाता सूची को ज्यादा पारदर्शी, अचूक, उपयोगी और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के साथ ही राजनीतिक दलों के संगठन और चुनावी उम्मीदवारी में महिलाओं की नुमाइंदगी, भागीदारी और ज्यादा अवसर देने के उपाय पर हुई चर्चा का तमाम दलों ने स्वागत किया। आयोग ने बैठक के दौरान दलों द्वारा उठाई गई मांगों और प्रस्तुत किये गये सुझावों पर विचार करने का भरोसा दिया।
पेड न्यूज बने अपराध
सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों ने पेड न्यूज पर चिंता व्यक्त करते हुए चुनाव आयोग के सुर में सुर मिलाते हुए इसे चुनाव अपराध बनाने का सुझाव दिया। वहीं राजनीतिक दलों ने मतदाता सूचियों के शुद्धिकरण के लिए फर्जी नामों को हटाने और वास्तविक मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों में शामिल करने का समर्थन किया। कुछ दलों ने प्रत्याशियों की तरह राजनीतिक दलों के चुनावी खर्च की भी सीमा तय करने का सुझाव दिया और चुनावी खर्च का ब्यौरा देने के लिए समय सीमा तय करने की दिशा में भी चर्चा की गई, जिसके लिए आयोग ने कानूनी पहल करने के बारे में विचार करने की बात कही। आयोग के अनुसार इस बैठक में कुछ दलों ने आयोग से को सुझाव दिया कि दूरदर्शन और एआईआर की तर्ज पर राजनीतिक दलों के लिए मुफ्त एयरटाइम चुनावी अभियानों के लिए निजी मीडिया पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। आयोग ने पोस्टल वोट को इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से भेजने और विकलांग मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया में अधिक से अधिक शामिल किये जाने के बारे में राजनीतिक दलों की राय मांगी गई।
एक साथ चुनाव के पक्ष में भाजपा
चुनाव आयोग के अनुसार बैठक में लगातार देश में एक देश-एक चुनाव की वकालत करती आ रही भाजपा के साथ कई अन्य  दलों ने भी एक साथ चुनाव कराने का समर्थन भी किया है। हालांकि कांग्रेस जैसे कुछ दलों ने इसका पहले से ही यह कहकर विरोध किया है कि देश में एक साथ चुनाव कराना संघवाद के खिलाफ होगा। जबकि इस पर चुनाव आयोग चाहता है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए केंद्र सरकार को जल्द ही जनप्रतिनिधि अधिनियम में संशोधन करना चाहिए। बैठक में रावत ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता, सोशल मीडिया समेत मीडिया प्रबंधन, मतदान और गिनती प्रक्रिया में सभी हितधारकों के विश्वास और विश्वास लाने और इस तरह के मजबूत लोकतंत्र के रूप में महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
28Aug-2018


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