मंगलवार, 21 अगस्त 2018

पौने चार सौ अपात्र छात्रों को दी गई एसी छात्रवृत्ति




कैग ने वेब पोर्टल के डाटा में भी उजागर की विसंगतियां    
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में तमाम योजनाओं की तर्ज पर छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति को सीधे खाते में हस्तांतरित करने की योजना के बावजूद पिछले पांच साल में देशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत 374 ऐसे छात्रों को 1.95 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जो इस योजना के लिए पात्र भी नहीं थे। कैग ने वेब पोर्टल के माध्यम  से सृजित डाटा में भी विसंगतियां उजागर करते इस योजना पर सवाल उठाए हैं।
केंद्र सरकार का इस छात्रवृत्ति योजना के कार्यान्वय का मकसद देशमोत्तर या माध्यमिकोत्तर स्तर पर अध्ययनरत अनुसूचित जाति के छात्रों को उनकी शिक्षा पूर्ण करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करके उनका शैक्षिक सशक्तिकरण करना है। आजाद भारत के समय से चली आ रही इस योजना में हेराफेरी की आशंका को देखते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुरोध पर पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में 2012-13 से 2016-17 तक यानि पांच साल तक इस योजना के कार्यान्वयन की निष्पादन लेखापरीक्षा की गई। एससी समुदाय के 1.36 करोड़ छात्रों को इस योजना का लाभ देने के लिए 2012-17 तक पांच साल की अवधि के दौरान इन पांचों राज्यों में 18647 करोड़ रुपये का व्यय किया गया। लेखा परीक्षा के दौरान भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक यानि कैग ने इस अवधि के दौरान योजना के दिशानिर्देशों में व्यवस्थित अंतरा के साथ खामियां और खराब वित्तीय प्रबंधन के अलावा 581.68 करोड़ रुपये के वित्तीय स्क्रूटनी के साथ छात्रवृत्ति निधियों के वितरण में भारी अनियमितताओं को उजागर किया है। यही नहीं 455.98 करोड़ की अतिरिक्त वित्तीय भागीदारी के साथ वेब पोर्टल के माध्यम से सृजित डाटा में भिन्नता व विसंगतियां उजागर की है।
निर्धारित राशि से ज्यादा भुगतान 
कैग की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इन पांच साल की अवधि के दौरान योजना के दिशानिर्देशों के विपरीत 1.88 लाख छात्रों को 49.67 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का अधिक भुगतान किया गया है, जबकि 374 ऐसे छात्रों को 1.95 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है, जो इसके लिए पात्र भी नहीं थे। जबकि योजना के दिशा निर्देशों के अनुसार अनुसूचित जाति समुदाय के ऐसे छात्र-छात्राओं (जिनके माता-पिता या अभिभावक की आय सभी स्रोतों से 2.50 लाख वार्षिक से अधिक न हो) को इस योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता, जबकि 2013-14 से पहले यह आय सीमा दो लाख रुपये थी। इसके बावजूद छात्रवृत्ति की इस योजना में बड़े पैमाने पर हेराफेरी के मामले सामने आए हैं।
किस राज्य में कितने छात्र
इस छात्रवृत्ति योजना के दायरे में देशभर में 268.69 एससी छात्रों में से लेखा परीक्षा के लिए चयनित पांच राज्यों में कुल 135.96 लाख छात्र शामिल किये गये। इनमें सर्वाधिक 49.49 लाख उत्तर प्रदेश, 36.29 लाख तमिलनाडु, 22.80 लाख महाराष्ट्र, 14.98 लाख कर्नाटक तथा 12.40 लाख पंजाब के छात्र शामिल रहे।
कैसे बंदरबांट हुई धनराशि
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना के तहत इन पांच सालों के दौरान 28.94 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का पथभ्रष्ट यानि विपथन हुआ, जबकि 18.58 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति की राशि का विलंब से भुगतान किया गया। इसके अलावा 375.30 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का वितरण नहीं किया गया। इसके बावजूद 125.82 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति की कमी पाई गई, जबकि पहले ही 49.67 करोड़ की छात्रवृत्ति का भुगतान अपात्र छात्रों को किया जा चुका था।
21Aug-2018


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