शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

संसद में नये मोटर वाहन बिल पर फंसा पेंच



राज्यसभा: अधूरी चर्चा के आज भी शुरू होने के आसार नहीं
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा में लंबित नये मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक को लेकर केंद्र सरकार एक बार फिर मुश्किल में है? लोकसभा में पिछले साल पारित हो चुके इस विधेयक पर पिछले सप्ताह राज्यसभा में शुरू हुई चर्चा अभी अधूरी है और कल सोमवार का भी इस चर्चा के आगे बढ़ने की संभावना नहीं है। मसलन राज्यसभा में पहले बिल अटका और अब विधेयक में कुछ संसोधन पेश होने से चर्चा ही अटकी हुई है।
उच्च सदन में प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर गत 23 जुलाई को मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक को सडक परिवहन राज्यमंत्री मनसुख मांडविा ने चर्चा और इसे पारित कराने के प्रस्ताव के साथ पेश किया। इस विधेयक पर चर्चा शुरू हुई, जिसमें कुछ दलों के सदस्यों ने कुछ संशोधन पेश किये, लेकिन सरकार चाहती है कि प्रवर समिति की रिपोर्ट के तहत ही इस विधेयक को पारित करा दिया जाए। इसी पेंच को लेकर सदन की सहमति से इस पर बाकी चर्चा को बाद में कराने का निर्णय हुआ। संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने सदन में कहा था कि जिन सदस्यों ने संशोधन पेश किये हैं उनसे केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सरकार की ओर से विचार विमर्श करेंगे और उसके बाद चर्चा को सोमवार 30 जुलाई को शुरू करा दी जाएगी। इसके बावजूद संसद के मानसून सत्र में कल सोमवार को राज्यसभा की कार्यसूची में इस विधेयक को शामिल नहीं किया गया है, जिसके कारण मोटर वाहन विधेयक की अधूरी चर्चा के आगे बढ़ने की संभावनाएं नहीं हैं।
चर्चा के दौरान संशोधन पर बल
राज्यसभा में 23 जुलाई को मोटर वाहन अधिनियम-1988 का स्थान लेने वाले मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक-2017 को सरकार द्वारा पेश करने के बाद चर्चा की शुरूआत कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद ने शुरू की थी, जिसके विधेयक के आशयक को बहुत अच्छा बताया गया, लेकिन उन्होंने विधेयक के कुछ खंडों में संशोधन करने की बात कही और कहा कि प्रवर समिति में भी इन खंडों पर सहमति नहीं बन पाई थी। जबकि सपा के बिशंभर प्रसाद निषाद ने आंशभी इस विधेयक का समर्थन करते हुए आंशिक बदला की मांग की। दिलचस्प बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद डेरेक ओब्राइन ने इसे एक महत्वपूर्ण विधेयक करार दिया, तो तृणमूल के ही मनीष गुप्ता ने इसे संविधान में संघवाद के सिद्धांतों को कमजोर करने वाला एक योजनाबद्ध तरीके का कानून कराते हुए विरोध किया। भाजपा के विनय पी. सहस्त्रबुद्धे, जदये के हरिवंश व बीजद के प्रताप केशरी देव ने बिल का समर्थन किया। राजद के सदस्य अहमद अशफाक करीम ने तो सदन में चर्चा के दौरान सड़क सुरक्षा के नाम पर इसके पीछे कुछ एजेंडा छिपा होने की बात कहकर सरकार से इस विधेयक को शीघ्र वापस लेने की ही मांग कर दी। कुछ अन्य सदस्यों ने भी समर्थन व विरोध में संशोधन करने पर जोर दिया।
एक साल से लटका है बिल
दरअसल देश में बढ़ते सड़क हादसों पर अंकुश लगाने और देश की परिवहन व्यवस्था को दुरस्त करने की दिशा में केंद्र सरकार ने सख्त प्रावधान वाले नए मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक का विशेषज्ञों और डेढ़ दर्जन से ज्यादा राज्यों के परिवहन मंत्रियों के परामर्श से मसौदा तैयार करके वर्ष 2016 में कैबिनेट से पारित करा लिया था। लोकसभा में पेश होने पर इसे संसदीय समिति को भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट के बाद लोकसभा में पिछले साल अप्रैल में बजट सत्र के दौरान इसे पारित कराया गया और इसके बाद इसे राज्यसभा भेजा गया, तो वहां भी विपक्ष की आपत्ति के बाद राज्यसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया गया। पिछले बजट सत्र के अंतिम दिनों में प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी, जिसके बाद पिछले सप्ताह इस विधेयक को उच्च सदन में चर्चा और उसके बाद पारित कराने के लिए पेश किया गया।
सरकार का तर्क
राज्यसभा में इस महत्वपूर्ण विधेयक में संशोधन पेश किये जाने बाद सदन में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री विजय गोयल ने तर्क दिया कि इस विधेयक में राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप की कोई बात नहीं है और राज्यों के परिवहन मंत्रियों की समिति की विभिन्न बैठकों के बाद इस मसौदे को तैयार किया गया है। इसके बाद इस विधेयक को लोकसभा की संसदीय समिति और फिर राज्य सभा की प्रवर समिति के अध्ययन के बाद राज्यसभा में पेश किया गया। इन सबके बावजूद इसका विरोध करने या संशोधन पेश करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। इसलिए इन मुद्दों पर सरकार और विरोध करने वाले दलों के साथ सहमति बनाने के लिए बातचीत करने का निर्णय लिया गया है।
30July-2018

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