सोमवार, 13 अगस्त 2018

निगरानी तंत्र कमजोर तो कैसे होगी खाद्य सुरक्षा मजबूत!



एफएसएसएआई की कार्यशैली पर संसदीय समिति ने उठाए सवाल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार देश में मानव उपभोग हेतु सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में खाद्य सुरक्षा की मजबूती की प्रतिबद्धता को दोहराने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। जबकि कैग के बाद संसदीय समिति ने भी खाद्यान्न उत्पादों की गुणवत्ता, शुद्धता और मानकता के साथ मूल्य की निगरानी करने वाले भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानि एफएसएसएआई की कार्यशैली में झोल उजागर करते हुए सवाल उठाये हैं कि ऐसे में खाद्य सुरक्षा कैसे मजबूत हो पाएगी?
संसद के मानसून सत्र के दौरान स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के कार्यकरण के संबंध में दोनों सदनों में जो रिपोर्ट पेश की है उसने खाद्य सुरक्षा को लेकर यक्ष सवाल उठाए हैं और वहीं केंद्र सरकार से खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एफएसएसएआई जैसे खाद्य विनियामक तंत्र को शक्तिशाली बनाने जैसी कई सिफारिशें करने के साथ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये हैं, जिनमें खाद्य उत्पादों की मिलावटखोरी व कालाबाजारी जैसी भ्रष्ट परिपाटी पर लगाम लगाने का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य सामग्रियों नमूनों में भारी धातु संदूषण, नाशकजीवमार अवशेष, जीवाणु संदूषण, विषैले रसायन इत्यादि पैमाने पर परखने के खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं का कार्य घटिया स्तर का है। समिति ने देश में मौजूद खाद्य अपमिश्रण की मात्रा को देखते हुए प्रयोगशालाओं में तकनीकी मानवशक्ति और खाद्य विशेषज्ञों की कमी को पूरा करने की पुरजोर सिफारिश की है।
एफएसएसएआई में चौतरफा झोल
संसदीय समिति ने देश में खाद्य सुरक्षा के लिए सर्वोच्च विनियामक निकाय भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण पर भी खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानकों को निर्धारित करने में एफएसएस अधिनियम व अन्य प्रावधानों को नजरअंदाज करने की बात कही है। इसके लिए समिति ने सुझाव दिया है कि मानव उपभोग के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में विनियामक निकाय को नौकरशाही सहयोग के साथ खाद्य क्षेत्र के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा संचालित किया जाना चाहिए। सरकार से इस बात की सिफारिश करते हुए कहा गया है कि एफएसएसएआई के अध्यक्ष और सीईओ की योग्यता और उनके चयन और नियुक्ति प्रक्रियाओं की समीक्षा व अधिनियम में संशोधन करके डोमेन विशेषज्ञता वाले सर्वोत्तम पेशेवरों के हाथों में फस्साई की जिम्मेदारी दी जाए, ताकि भारत में भी संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि जैसे कुछ विकसित देशों में काम कर रहे समकक्ष विनियामक तंत्र को विकसित किया जा सके। वहीं समिति ने एफएसएसएआई के बजटीय आवंटन को बढ़ाकर उसे आर्थिक रूप से मजबूत करने पर बल दिया है।
राज्यों में नहीं हुआ सर्वेक्षण
संसदीय समिति ने राज्यों के जिम्मे छोड़े गये खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य पर पिछले दिनों कैग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा है कि इसके लिए सर्वेक्षण या निगरानी में सक्षम न होते हुए भी एफएसएसएआई प्रक्रिया को नजरअंदाज करके यह कार्य राज्य खाद्य विनियामक तंत्रों के भरासे छोड़ दिया गया। इस बारे में कैग पहले ही एफएसएसएआई को कठघरे में खड़ा कर चुका है जिसमें न तो एफएसएसए और न ही राज्यों के खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने ऐसा कोई सर्वेक्षण किया, जिसके आधार पर इस लक्ष्य को अंजाम तक पहुंचाया जा सके। इसलिए समिति ने सिफारिश की है कि केंद्रीय व राज्य खाद्य विनियामक तंत्र में मानवशक्ति में बढ़ोतरी करके सर्वेक्षण और खाद्य सुरक्षा कानून के कार्यान्वयन कराया जाना चाहिए। वहीं एफएसएसएआई को राज्यों में एफएसडब्ल्यू की वास्तविक आवश्यकता का आकलन करने पर भी बल दिया गया।
एफएसएसएआई का मसौदा
उधर एफएसएसएआई के चेयरमैन आशीष बहुगुणा ने गत जून माह में केंद्र सरकार से खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव के लिए एक मसौदा दिया था, जिसमें खासकर मिलावट और कालाबाजारी पर नियंत्रण करने की दिखा में दोषियों पर 10 लाख रुपये जुर्माने के साथ उम्रकैद की सजा की सफारिश की थी। वहीं संस्था ने 'खाद्य सुरक्षा और पोषण निधि' निर्मित करने पर भी बल दिया था, ताकि खाद्य उद्योग और उपभोक्ताओं के बीच इसका प्रचार और आउटरीच गतिविधियों का संचालन होता रहे।
13Aug-2018

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