शिपिंग-रेलवे
और मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र सरकार का समझौता
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश
के बंदरगाहों तक जल से लेकर सड़क और रेल परिवहन को आसान बनाने की दिशा में मध्य
प्रदेश के आर्थिक शहर इंदौर की मुंबई के बंदरगाह जेएनपीटी तक पहुंच बनाने की दिशा
में इंदौर से मनमाड तक 362 किमी लंबी नई रेल लाइन परियोजना जल्द शुरू होगी।
इस
परियोजना के लिए मंगलवार को यहां परिवहन भवन में केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन
गडकरी, रेल मंत्री पीयूष गोयल व रक्षा रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे के अलावा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
देवेन्द्र फडणवीस की मौजूदगी में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, रेल मंत्रालय,
महाराष्ट्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस
समझौते के तहत इंदौर-मनमाड तक 362 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन परियोजना का अलग से
नया रेलवे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। मसलन इस परियोजना के बाद इंदौर और मध्य
भारत के अन्य स्थानों से कंटेनरों व अन्य रेल ट्रैफिक को मुम्बई, पुणे और जेएनपीटी
पोर्ट पहुंचने के लिए बडोदरा और सूरत के रास्ते अब तक तय हो रही 815 किलोमीटर की
दूरी 171 किमी कम हो जाएगी। यह परियोजना को छह साल में पूरा करने का लक्ष्य तय
किया गया है।
आदिवासी व पिछड़े क्षेत्र का
विकास
केंद्रीय
मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस नई रेल लाइन को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के
आदिवासी एवं पिछड़े इलाकों से निकाला गया है, जिससे इन इलाकों में विकास को गति को
बढ़ावा मिलेगस और इस परियोजना से रोजगार का सृजन होगा तथा प्रदूषण, ईंधन खपत और
वाहन परिचालन व्यय में कमी आएगी। इस परियोजना से पहले 10 वर्षों के परिचालन में
15000 करोड़ रुपये के लाभ का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से
यात्रियों व माल ढुलाई के मार्ग की दूरी में कमी आने के साथ लखनऊ, आगरा, ग्वालियर
और कानपुर तथा इंदौर-धुले-भोपाल क्षेत्रों से जेएनपीटी और मुम्बई तक के परिवहन
लागत में कमी आएगी। यह परियोजना वर्तमान के मध्य और पश्चिमी रेल लाइनों के लिए एक
अतिरिक्त रेल लाइन उपलब्ध कराएगी।
समय और लागत की बचत
इस
परियोजना पर हस्ताक्षर होने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि नई रेल
लाइन परियोजना से मुम्बई-पुणे और प्रमुख मध्य भारत के स्थानों से 171 किलोमीटर की
दूरी कम होने के कारण स्वत: ही परिवहन लागत में कमी आएगी और इंदौर से मनमाड तक सफर
करने में भी कम समय लगेगा। इस परियोजना के तहत नई रेल लाइन इगतपूरी, नासिक और
सिन्नार, पुणे और खेद तथा धुले और नरदाना स्थानों पर दिल्ली मुम्बई औद्योगिक
कॉरिडोर से होकर गुजरेगी।
परियोजना में किसकी कितनी
हिस्सेदारी
सागरमाला
परियोजना को कार्यान्वित कर रहे भारतीय पोर्ट रेल निगम के संयुक्त उद्यम (एसपीवी
मॉडल) के तहत ही इस परियोजना का निर्माण होगा। करीब 8574.79 करोड़ रुपये लागत वाली
यह इस परियोजना में शिपिंग मंत्रालय और जेएनपीटी समेत इसके द्वारा नामित सार्वजनिक
उद्यम और इकाई की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत होगी। जबकि भारतीय पोर्ट रेल निगम के
संयुक्त उद्यम का हिस्सा 15 फीसदी तय किया गया है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश सरकार
तथा महाराष्ट्र सरकार की हिस्सेदारी 15-15 फीसदी होगी, जिसमें इन दोनों सरकारों द्वारा
नामित सार्वजनिक उद्यम इकाई और अन्य उद्यमों की हिस्सेदारी भी शामिल होगी।
29Aug-2018
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