शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

नमामि गंगे: गंगा नदी की सांस्कृति विरासत बचाने की कवायद

गौमुख से गंगा सागर तक चलेगी 150 करोड़ की परियोयजनाएं   
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
गंगा नदी की स्वच्छता के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना के तहत केंद्र सरकार ने गौमुख से गंगासागर तक गंगा नदी के किनारे स्थित स्थलों की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के मकसद से इसका लेखा-जोखा तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए गौमुख से गंगा सागर तक गंगा नदी में गिरने वाले पानी को पूरी तरह से स्वच्छ करने की दिशा में 150 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन की कार्यकारी समिति ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल यानि गौमुख से गंगा सागर तक नमामि गंगे परियोजना के तहत 150 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं में छोटी नदियों, नहरों और नालों के मुख्य नदी में गिरने वाले पानी को पहले रोकने एवं मोड़ने का काम भी शामिल है, ताकि उसस पानी को सीवेज परिशोधन इकाइयों की तरफ मोड़ा जा सके। इसका मकसद मुख्य गंगा नदी में गिरने वाला पानी पूरी तरह से स्वच्छ और गंदगी से मुक्त रखना है। इन परियोजनाओं मुख्य रूप से सीवेज सफाई इकाइयां और घाटों का विकास के कार्य शामिल रहेंगे।
सांस्कृतिक विरासत का लेखा-जोखा
राष्ट्रीय गंगा स्वस्छता मिशन ने इनटैक के जरिये गौमुख से गंगासागर तक गंगा नदी के किनारे स्थित स्थलों की सांस्कृतिक विरासत का लेखा-जोखा तैयार कराने का भी निर्णय लिया है। इस प्रस्ताव के तहत भारत की आत्मा में एक सांस्कृतिक धारा के रूप में अंतर्निहित गंगा नदी की भूमिका, उससे जुड़े सांस्कृतिक कथ्यों को दर्शाना है, जिसमें पर्वों और वार्षिक पंचाग का विकास करने जैसे कार्य भी शामिल हैं। इस लेखा-जोखा में पुरातत्व, सांस्कृतिक एवं पर्यावरण संबंधी विरासतें शामिल की जाएगी।
ऐसे चलेगी गंगा बेसिन राज्यों में परियोजनाएं
उत्तराखण्ड: राज्य की राजधानी देहरादून में रिसपना और बिंदल नदियों पर जलधारा को रोकने और मोड़ने की परियोजना 60 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इन नदियों का प्रदूषित जल सोंग नदी के जरिये हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच गंगा नदी में न मिल सके, इसलिए 117 नालों और निकासों का अशुद्ध पानी रोका जायेगा। इसके साथ ही प्रदूषित जल की सफाई के लिये एक दस लाख टन प्रतिदिन क्षमता वाला सीवेज सफाई संयत्र लगाया जाना प्रस्तावित है।
उत्तर प्रदेश: गंगा सफाई कोष के जरिये मिर्जापुर में 27.41 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से घाटों के विकास के काम को पूरा करने का निर्णय के तहत नवीकरण, विस्तार और घाटों को चौड़ा बनाने, भूमि के सौंदर्यीकरण और तटबंधों के निर्माण का काम भी इस परियोजना में शामिल है। इसके अलावा परियोजना में राम-गया शवदाहगृह की मरम्मत एवं दो नये शवदाहगृहों का निर्माण होगा।
बिहार: मिशन की समिति बिहार के सोनपुर में 30.92 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 3.5 एमएलडी क्षमता के सीवेज सफाई संयत्र, सीवर लाइनों को रोकने एवं मोड़ने के काम को मंजूरी दी है। परियोजना पूरी होने पर यह संयत्र शहर के सभी 5 नालों के जल को साफ करेगा। वहीं समिति ने 22.92 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सोनपुर में नदी तटबंध के विकास के काम को भी मंजूरी दी है। इसमें एक घूमने-फिरने की जगह का निर्माण, तटबंधों की मजबूती, सुविधाओं के विकास के एवं घाटों का सौंदर्यीकरण होगा। जबकि नमामि गंगे के तहत 20 करोड़ रुपये की लागत से 8 घाटों का निर्माण कार्य जारी है।
पश्चिम बंगाल: कार्यकारी समिति ने पश्चिम बंगाल में कटवा, कलना, अगरद्वीप और दांईहाट घाटों के उन्नतीकरण और सुधार के काम को मंजूरी दी है। ये परियोजनायें गंगा सफाई कोष के तहत आती हैं। इन परियोजनाओं की सकल लागत 8.58 करोड़ रु. है जिसमें तटबंधों को मजबूत बनाना और घाटों पर मूलभूत सुविधाओं का विकास, सौंदर्यीकरण, बिजली और अन्य सहायक कार्य और विभिन्न घाटों पर मौजूदा सुविधाओं का पुनरोद्धार शामिल हैं।
31Aug-2018

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