सोमवार, 30 नवंबर 2020

कोरोना काल में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पर खरा उतारा एमएसएमई क्षेत्र

स्वदेशी उत्पादों के साथ चिकित्सीय सामानों की मांग को किया पूरा हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। एमएसएमई क्षेत्र में कोविड-19 चुनौती से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी आधारित अनेक पहल और कार्यक्रम प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के मिशन को आगे बढ़ाने में कारगर कदम साबित हुए हैं। इस कोरोना काल के संकट में इस क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादों के साथ हैंड सेनिटाइजर, मास्क और अन्य चिकित्सीय सामग्रियों का निर्माण करके देश में बढ़ी हुई मांग को पूरा किया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय ने इस संबन्ध में गुरुवार को बताया कि एमएसएमई क्षेत्र में शुरू की गइर इन पहलों और कार्यक्रमों की सहायता से देश न केवल पर्याप्त हैंड सेनिटाइजर बोतल डिस्पेंसर्स का निर्माण बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए करता है, बल्कि देश इसके निर्यात के लिए भी तैयार है। इन पहलों से भारत को हैंड सैनिटाइज करने की सामग्रियों में आत्मनिर्भरता हासिल हुई है और इन कार्यक्रमों ने मास्क, फेस शील्ड, पीपीई किट, सैनिटाइजर बॉक्स, जांच सुविधाओं आदि को विकसित करने या बनाने में काफी योगदान दिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इन पहलों और उपलब्धियों पर टीम एमएसएमई की सराहना की है। मंत्रालय के अनुसार कोविड-19 के दौरान हैंड सैनिटाइजर और इसकी बोतलों की मांग काफी बढ़ी, तो बोतल डिस्पेंसर (पम्प) की भी मांग कई गुना बढ़ी। कोविड के पहले बोतल डिस्पेंसरों/पम्पों की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन लगभग 5 लाख थी। मांग पूरी करने के लिए चीन से डिस्पेंसर आयात करने के प्रयास किए जा रहे थे लेकिन बाहर से आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह बाधित थी जिसके देश में ऐसे डिस्पेंसरों के मूल्य में काफी वृद्धि हुई। इससे भारतीय बाजार में सैनिटाइजर की कीमत बढ़ी। इस क्षेत्र में तेजी से हुए ऐसे उत्पादों के निर्माण से इनकी कीमतों में भी कमी आई है। मंत्रालय की पहलों का सकारात्मक असर मंत्रालय के अनुसार कोरोना काल में इस समस्या से निपटने के लिए एमएसएमई सचिव ने मई के प्रारम्भ में हितधारकों के साथ अनेक दौर की बैठकें करके अखिल भारतीय प्लास्टिक एसोसिएशन (एआईपीएमए), अखिल भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माता आदि सहित उद्योगों को प्रोत्साहित किया, ताकि स्थानीय स्तर पर डिस्पेंसर बनाने के काम में तेजी लाई जा सके। इसके अलावा निजी क्षेत्र को क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया, लेकिन यह महसूस किया गया कि उत्पादन में अचानक वृद्धि संभव नहीं है। टेक्नोलॉजी केन्द्रों से आत्मनिर्भरता बढ़ी एमएसएमई मंत्रालय ने टेक्नोलॉजी केन्द्रों (टीसी) को प्रेरित किया। इस दिशा में कदम उठाते हुए मंत्रालय ने 26 करोड़ रुपये की नई मशीन खरीदने के उद्देश्य से टेक्नोलॉजी केन्द्रों के अनुदान को मंजूरी दी ताकि विभिन्न उत्पाद तैयार किए जा सकें। टेक्नोलॉजी केन्द्रों में डिस्पेंसरों के लिए मॉल्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई क्योंकि मल्टी कैविटी (16 या 24 कैविटी) मॉल्ड देश में नहीं बनाए जा रहे थे। समय-सीमा कम करने के लिए समानान्तर रूप से अहमदाबाद, लुधियाना, औरंगाबाद, जमशेदपुर, हैदराबाद, मुम्बई के विभिन्न स्थानों पर अनेक टेक्नोलॉजी केन्द्रों को आवश्यक सात मॉल्ड वितरित किए गए। इसका नतीजा यह हुआ कि देश के इन टेक्नोलॉजी केन्द्रों द्वारा उत्पादन के लिए उद्योग को सैनिटाइजर पंपों के दो प्रकार के मॉल्ड उपलब्ध कराए गए हैं। टीसी लुधियाना द्वारा 30 एमएम तथा 24 एमएम के फ्लिप कैप मॉल्ड भी विकसित किए गए। इससे प्रेरित होकर कुछ निजी टूल रूम भी मॉल्ड बना रहे हैं। मसलन इन पहलों से अब हम डिस्पेंसर बनाने में लगभग आत्मनिर्भर हो गये हैं। जहां वर्तमान में लगभग प्रतिदिन 40 लाख का उत्पादन हो रहा है। 20Nov-2020

छत्तीसगढ़ के कांकेर व बेमेतरा तथा हरियाणा के भिवानी व रेवाड़ी जिले को मिला स्वच्छता पुरस्कार

स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण: विश्व शौचालय दिवस पर 11 राज्यों के 20 सर्वश्रेष्ठ जिले पुरस्कृत हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को खुले शौच से मुक्त कराने के लक्ष्य के साथ देशभर में जनांदोलन के रूप चले अभियान ने भारत की तस्वीर बदल दी है। इसके लिए मनाए गये विश्व शौचालय दिवस के मौके पर पिछले पांच साल में ओडीएफ मील का पत्थर साबित करने के लिए जिन राज्यों और उनके जिलों में इस मुहिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसमें सर्वश्रेष्ठ जिलों के रूप में पुरस्कृत किये गये 11 राज्यों के 20 जिलों में छत्तीसगढ़ के कांकेर व बेमेतरा के साथ ही हरियाणा के भिवानी व रेवाड़ी जिले भी शामिल हैं। देश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को खुले शौच से मुक्त करने के लक्ष्य के तहत जिन राज्यों या जिलों ने सुरक्षित स्वच्छता के लिये जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उन्हें सम्मानित करने के लिए नई दिल्ली में गुरुवार को जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पेयजल और स्वच्छता विभाग के स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत 'विश्व शौचालय दिवस' समारोह का वर्चुआल तरीके से आयोजन किया गया। इस समारोह में केंद्रीय शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने ओडीएफ स्थिरता और ओडीएफ प्लस लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए चयनित 20 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों को स्वछता पुरस्कार-2020 से सम्मानित किया। इस आभासी समारोह में केंद्र, राज्य और जिला एसबीएमजी अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन भागीदारी देखी गई। इन 11 राज्यों के 20 जिलों को मिला सम्मान विश्व शौचालय दिवस के आभासी समारोह के दौरान जिन 20 जिलों को स्वच्छता पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है, उनमें छत्तीसगढ़ के कांकेर और बेमतरा, हरियाणा क भिवानी और रेवाड़ी जिले भी शामिल हैं, जिन्होंने ओडीएफ स्थिरता और ओडीएफ प्लस लक्ष्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अलावा यह पुरस्कार पंजाब के मोगा और फतेहगढ़ साहिब, आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी और पूर्वी गोदावरी, अरुणाचल प्रदेश के सियांग, गुजरात के वड़ोदरा और राजकोट, केरल के एर्नाकुलम और वायनाड, महाराष्ट्र के कोल्हापुर और नासिक, मिजोरम के कोलासिब और सेरशिप, तेलंगाना के सिद्दीपेट और पेद्दापल्ली तथा पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले को प्रदान करके सम्मानित किया गया है। स्वच्छता के लिए जनांदोलन ने बदली तस्वीर इस समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण ने प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और नेतृत्व में स्वच्छता के लिए एक जन आंदोलन के रूप में ग्रामीण भारत को बदल दिया है। पीएम मोदी ने खुले में शौच मुक्त यानि ओडीएफ ग्रामीण भारत को मिशन मोड में प्राप्त किया है। पिछले पांच साल में इस अभियान का दूसरा चरण इसी साल शुरू किया गया है। यह चरण ओडीएफ स्थिरता और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर केंद्रित रहेगा है, जिसका उद्देश्य गांवों में व्यापक स्वच्छता है। उन्होंने ग्रामीण समुदाय के सदस्यों, विशेष रूप से कमजोर और हाशिये पर पड़े समुदायों के लिए सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य लाभों के संदर्भ में सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच के महत्व पर जोर दिया। वहीं समारोह में जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने मिशन से जुड़े सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना करते हुए का कि साल 2014 के बाद शुरू हुई यह उल्लेखनीय यात्रा और दुनिया के सबसे बड़े व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई है। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को उनके गांवों में स्वच्छता और स्वच्छता के मानकों में सुधार लाने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए बधाई दी और सभी से मिशन के चरण 2 में समान भावना के साथ काम करना जारी रखने का आग्रह किया, जो ओडीएफ प्लस के बड़े लक्ष्य पर केंद्रित है। जलशक्ति मंत्रालय में सचिव यूपी सिंह ने भी इस मिशन की विस्तार से जानकारी दी। सरपंचों से ओडीएफ प्लस पर चर्चा इस समारोह के तह ही गुरुवार को केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने ओडीएफ प्लस को लेकर ग्राम पंचायतों के नौ सरपंचों के साथ वर्चुअल तरीके से ही बातचीत करके सरपंच संवाद किया। इसमें जहां सरपंचों ने अपनी प्रमुख गतिविधियों जैसे एसएलडब्ल्यूएम, लोगों की भागीदारी और ओडीएफ सस्टेनेबिलिटी को साझा किया। वहीं सरपंचों ने अपनी प्रेरक सफलता की कहानियों को ऑनलाइन ही साझा किया। मसलन स्वच्छता के पांच मंत्र शीर्षक से ओडीएफ प्लस पर एक लघु फिल्म की प्रस्तुति दी गई। 20Nov-2020

दागियों व करोड़पतियों से सराबोर है नीतीश मंत्रिमंडल!

57 फीसदी मंत्रियों के खिलाफ लंबित हैं आपराधिक मामले मंत्रिमंडल में 93 फीसदी करोड़पति विधायक शामिल ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। नीतिश कुमार के नेतृत्व में सातवीं बार बिहार में सरकार का गठन हुआ, जिसमें दागियों व करोड़पति विधायकों से सराबोर बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश के मंत्रिमंडल में भी दागियों और करोड़पतियों का वर्चस्व रहेगा। मसलन नीतिश के मंत्रिमंडल में मंत्रियों में जहां 57 फीसदी आपराधिक छवि वाले और 93 करोड़पतियों को शामिल किया गया है। बिहार विधानसभा के 243 नवनिर्वाचित विधायकों में इस बार 68 फीसद दागियों और 81 फीसदी करोड़पति शामिल हैं। 125 सीटे जीतकर बहुमत हासिल करने वाले राजग के निर्वाचित विधायकों में 72 दागियों की फेहरिस्त में शामिल हैं। जबकि विधानसभा में पहुंचे 163 दागियों में 91 विपक्षी दलों के शामिल हैं। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जिन 15 विधायकों को मंत्रियों के रूप में शपथ दिलाई गई है, उनमें नीतिश के 14 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें आधे से ज्यादा आठ मंत्रियों यानि 57 फीसदी पर आपराधिक दाग है, जिनमें से 6 यानि 43 फीसदी मंत्रियों के खिलाफ तो हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती, बलात्कार, अपहरण व महिलाओं के ऊपर अत्याचार जैसे संगीन मामले लंबित चल रहे हैं। गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रिटक रिफॉर्म्स द्वारा विशेषण रिपोर्ट पर गौर की जाए तो मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत जदयू के छह, भाजपा के सात तथा हम व वीआईपी कोटे से एक-एक विधायक शामिल है। इनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा एक-एक भाजपा व हम का विधानसभा सदस्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जबकि जदयू से एक पूर्व एमएलसी को भी मंत्री बनाया गया है। विधानसभा चुनाव में निर्वाचित विधायकों में से राजग के दस सदस्यों को ही मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। वीआईपी के विजयी रहे विधायकों के बजाए चुनाव हारने वाले को मंत्री बनाया गया है। भाजपा सर्वाधिक चार मंत्रियों पर दाग बिहार राज्य की राजग सरकार के 15 सदस्यी मंत्रिमंडल में 8 दागियों में भाजपा के चार और जदयू के दो के अलावा हम व वीआईपी के एक-एक मंत्री पर आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें जदयू कोटे से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री डा. मेवालाल चौधरी, भाजपा के जिबेश कुमार, तार किशोर प्रसाद, रेणु देवी व डा. रामप्रीत पासवान के अलावा हम के संतोष कुमार तथा विकासशील इंसान पार्टी यानि वीआईपी के मुकेश साहनी शामिल हैं। इन दागी मंत्रियों में से जिन छह मंत्रियों पर संगीन आपराधिक मामले लंबित चल रहे हैं, उनमें भाजपा व जदयू के दो-दो के अलावा हम व वीआईपी के दोनों मंत्री शामिल हैं। करोड़पति मंत्रियों का वर्चस्व बिहार सरकार के 15 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 13 मंत्री करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल हैं। इनमें भाजपा के छह, जदयू के पांच तथा हम व वीआईपी का एक-एक मंत्री शामिल है। इनमें से चुनाव आयोग में दिये गये शपथ पत्र में की गई घोषणा के मुताबिक 14 मंत्रियों की औसत संपत्ति 3.93 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें अमीर मंत्री डा. मेवालाल चौधरी ने सबसे ज्यादा अपनी संपत्ति 12.31 करोड़ रुपये घोषित की है। जबकि सबसे कम 72.89 करोड़ रुपये की संपत्ति अशोक चौधरी ने घोषित की है। हालांकि जिन आठ मंत्रियों ने अपनी देनदारी घोषित की है, उनमें सबसे ज्यादा1.54 करोड़ रुपये की वीआईपी के मुकेश साहनी द्वारा घोषित की गई है। --------------------------------------- इस बार ज्यादा संख्या में जीते दागी व करोड़पति बिहार विधानसभा के 243 सीटों के लिए हुए चुनाव के नतीजों के अनुसार इस बार 68 फीसद दागी और 81 फीसदी करोड़पति विधायक के रूप में निर्वाचित होकर विधानसभा में दाखिल हुए हैं। मसलन चुनाव आयोग में दाखिल किये गये शपथ पत्रों के मुताबिक निर्वाचित हुए 243 विधायकों में से 163 विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होना घोषित किया है। जबकि 2015 के चुनाव में ऐसे दागियों की संख्या 142 थी। इसी प्रकार इस बार 194 करोड़पतियों ने विधानसभा चुनाव फतेह करके बाजी मारी है, जिनकी संख्या वर्ष 2015 में 162 थी। 19Nov-2020

पेंशनधारकों को जीवन प्रमाण पत्र जमा कराने के लिए मिली विकल्पों की सुविधा

ईपीएफओ ने पेंशनधारकों को मिली बड़ी राहत घर या नजदीकी एजेंसियों के जरिए जमा करा सकते हैं डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। वैश्विक कोरोना काल के इस संकट में केंद्र सरकार ने पेंशनधारकों को पेंशन धनराशि हासिल करने के लिए हर साल जीवन प्रमाण पत्र या डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा कराना होता है। इसके लिए ईपीएफओ ने ईपीएस पेंशनधारकों को अपने घर से या घर के नज़दीक ही डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए विभिन्न विकल्पों की सुविधा प्रदान की है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस 95) के सभी पेंशनधारकों को पेंशन धनराशि प्राप्त करने के लिए प्रत्येक वर्ष जीवन प्रमाण पत्र या डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा कराने के लिए इस कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने विभिन्न विकल्पों को अपनाने की सुविधा प्रदान की है। इसके तहत कोई भी ईपीएस पेंशनधारक अपने घर से या घर के नज़दीक ही डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र सभी तरीकों या एजेंसियों के माध्यम से जमा करा सकते हैं, जिन्हें समान समान रूप से मान्य किया जाएगा। इसके लिए ईपीएफओ के 135 क्षेत्रीय कार्यालयों और 117 जिला कार्यालयों के अलावा ईपीएस पेंशनधारक अब उन बैंक शाखाओं और निकटतम डाकघरों में डीएलसी जमा कर सकते हैं, जहां से वे पेंशन प्राप्त करते हैं। सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के 3.65 लाख से अधिक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क पर भी डीएलसी को प्रस्तुत किया जा सकता है। वहीं ईपीएस पेंशनधारकों को ‘उमंग’ ऐप का उपयोग करके भी डीएलसी जमा कर सकते हैं। मंत्रालय के अनुसार हाल ही में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने पेंशनधारकों के लिए घर से ही डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट यानि डीएलसी जमा करने की सुविधा शुरू की है। ईपीएस पेंशनधारक अब मामूली शुल्क के भुगतान पर घर से ही डीएलसी सेवा का लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन अनुरोध प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके लिए निकटतम डाकघर से एक डाकिया पेंशनधारक के घर जाकर डीएलसी तैयार करने की प्रक्रिया पूरी करेगा। साल में कभी भी हो सकेंगे जमा मंत्रालय के अनुसार नए दिशा-निर्देशों के अनुसार ईपीएस पेंशनधारक अब अपनी सुविधा के अनुसार साल में किसी भी समय डीएलसी जमा कर सकते हैं। डीएलसी जमा करने की तारीख से एक वर्ष तक जीवन प्रमाणपत्र मान्य रहेगा। जिन पेंशनधारकों को 2020 में पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) जारी किया जा चुका है, उन्हें एक वर्ष पूरा होने तक जेपीपी अपलोड करने की आवश्यकता नहीं है। इससे पहले सभी ईपीएस पेंशनधारकों को नवंबर महीने में डीएलसी जमा करना आवश्यक होता था। इस कारण डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए पेंशनधारकों को लंबी कतारों और भीड़ जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। ईपीएस ने पेंशनधारकों के हित में यह कदम उठाया है। सरकार की इन पहलों से करीब 67 लाख ईपीएस पेंशनधारक लाभान्वित होंगे, जिनमें से लगभग 21 लाख विधवा, विधुर, बच्चे और अनाथ पेंशनधारक शामिल हैं। 18Nov-2020

जगदलपुर की केंद्रीय जेल में कैदियों के निर्मित उत्पाद ट्राइब्स इंडिया में शामिल

आत्मनिर्भर भारत: ट्राइब्स इंडिया उत्पाद की नई रेंज को मिलेगा वैश्विक बाजार हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए ट्राइफेड लगातार उनके उत्पादों को बाजार मुहैया कराने के लिए ट्राइब्स इंडिया उत्पाद की नई रेंज का विस्तार कर रहा है। अब ट्राइफेड ने ट्राइब्स इंडिया उत्पाद की जिस नई रेंज को शामिल किया है, उसमें छत्तीसगढ़ में जगदलपुर की केंद्रीय जेल में कैदियों द्वारा बनाए गये उत्पाद शामिल हैं। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अनुसार ट्राइफेड़ ने अपने उत्पादों की रेंज का विस्तार करते हुए हाल ही में वन के ताजे संसाधनों से बनाए गए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले नए उत्पादों को शामिल किया है। खास बात यह है कि इन उत्पादों को छत्तीसगढ़ में जगदलपुर की केंद्रीय जेल के कैदियों ने बनाया हैं। इस संबन्ध में ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्णा ने कहा कि ट्राइब्स इंडिया की कोशिश लगातार आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार करने की रही है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के आव्हान पर आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत “गो वोकल फॉर लोकल” के मूल मंत्र में छत्तीसगढ़ के केंद्रीय जेल से ट्राइफेड़ की साझेदारी भी उसी कड़ी का एक और प्रयास है। इस साझेदारी के जरिए आदिवासियों द्वारा बनाए गए हैंडीक्रॉफ्ट उत्पादों को बड़ा बाजार मिलेगा और इसके जरिए न केवल वह आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी साकार करेंगे। आदिवासियों के जीवन स्तर को नई दिशा देने में ट्राइब्स इंडिया का ई-मार्केट प्लेस एक नई क्रांतिकारी पहल है। इसके जरिए देश के कोने-कोने में मौजूद आदिवासियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ने का मौका मिलेगा। उनका दावा है कि इन नए उत्पादों से ट्राइब्स इंडिया के उत्पादों की श्रृंखला मजबूत होने से ट्राइब इंडिया का ई-मार्केट प्लेस, उपहारों के लिए दिए जाने वाले उत्पादों का एक उत्कृष्ट माध्यम भी बनेगा। जहां तक ट्राइब्स इंडिया उत्पाद की नई रेंज में शामिल किये गये उत्पादों का सवाल है, उसमें छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जेल के आदिवासी कैदियों द्वारा मूर्ति और केतकी टोकरी को लॉन्च किया गया है। इन उत्पादों में भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और मां दुर्गा की मूर्तियां भी बाजार में उतारी गई हैं, जो कि सिर्फ उपहार देने के लिए ही नहीं हैं, बल्कि इससे जेल के आदिवासी कैदी भी आत्मनिर्भर बनेंगे। जगदलपुर केंद्रीय जेल बनी साझीदार प्रवीर कृष्णा ने कहा कि ट्राइफेड़ ने यह निर्णय भी लिया गया है कि जगदलपुर केंद्रीय जेल अब ट्राइफेड का साझीदार होगा। इसके तहत केंद्रीय जेल में आदिवासियों द्वारा बनाए गए उत्पादों को ट्राइफेड नियमित रूप से खरीदेगा और इन उत्पादों को ट्राइब्स इंडिया वैश्विक प्लेटफॉर्म दिलाएगा। उन्होंने बताया कि इसी पहल के तहत देश के विभिन्न क्षेत्रों से उपहार के लिए उपयोगी उत्पादों की ट्राइफेड खरीदारी करता रहा है। कृष्णा ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में आदिवासियों द्वारा बनाए गए इन उत्पादों को ट्राइफेड ने शामिल किया वे सभी देश में ट्राइब्स इंडिया के 125 आउटलेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। इसके अलावा इन उत्पादों की बिक्री के लिए ट्राइब्स इंडिया की मोबाइल वैन भी लोगों तक अपनी पहुंच बनाएगी। वहीं यह उत्पाद ट्राइब इंडिया के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी tribesindia.com और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे। स्वदेशी उत्पादों से मिलेगा लाभ उन्होंने यह भी जानकारी दी कि हाल ही में ओडिशा के आदिवासियों से सौरा पेटिंग के अलावा लैंपशेड और डोकरा दीये भी लिए गए हैं। इसी तरह तमिलनाडु और दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में जैविक सौंदर्य प्रसाधन वाले उत्पाद जैसे मधुमक्खी से बने लिप बॉम को भी शामिल किया गया है। यह बॉम पुदीना, नींबू और वनीला फ्लेवर में लॉन्च किए गए हैं। इसी तरह पश्चिम भारत से हाथ से पेंट किए हुए वर्ली चित्रकारी वाले दुपट्टा, जूट बैग, लैपटॉप बैग, जूट ऑर्गनाइजर, तोरण और लालटेन आदि को भी लॉन्च किया गया है। देश के विभिन्न क्षेत्रों से आदिवासी कलाकारों द्वारा बनाए गए यह उत्पाद उपहार और सजावट के लिए बेहतरीन विकल्प है। 17N0v-2020

खादी इंडिया ने स्वदेशी उत्पाद की बिक्री का बनाया रिकॉर्ड

कोरोना संकट: पिछले 40 दिन में चौथी बार एक करोड़ के पार पहुंचा लाभांशा हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। पीएम मोदी के आव्हान पर आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन देने की दिशा में खादी इंडिया लगातार खादी उत्पादों की बिक्री के रिकार्ड बना रहा है। मसलन कोरोनाकाल जैसे संकट में आर्थिक तंगी के बावजूद त्योहारी सीजन में खादी कारीगरों को खादी उत्पादों की रिकॉर्ड बिक्री के साथ शानदार लाभांश दिया है। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष दो अक्टूबर के बाद से केवल 40 दिनों में राष्ट्रीय राजनधानी में नई दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित खादी इंडिया के प्रमुख आउटलेट पर खादी की एक-दिन की बिक्री का आंकड़ा चौथी बार एक करोड़ रुपए की सीमा पार कर गया है। मंत्रालय के अनुसार इस दिशा में 13 नवंबर को इस आउटलेट की कुल बिक्री 1.11 करोड़ रुपए रही, जो इस साल किसी एक दिन में सबसे बड़ी बिक्री का आंकड़ा है। जब से लॉकडाउन के बाद व्यावसायिक गतिविधियां फिर से शुरू हुईं, खादी की बिक्री का आंकड़ा इस साल गांधी जयंती (दो अक्टूबर) को 1.02 करोड़ रुपए और 24 अक्टूबर को 1.05 करोड़ रुपए और सात नवंबर को 1.06 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इससे पहले 2018 में, एक दिन की बिक्री ने चार मौकों पर एक करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर लिया था। इससे पहले खादी इंडिया के इस आउटलेट पर 13 अक्टूबर 2018 को 1.25 करोड़ रुपए की बिक्री एक दिन की बिक्री का सबसे बड़े आंकड़े को पार करते हुए खादी की एक दिन में 02 अक्टूबर 2019 को अब तक की सबसे बड़ी बिक्री 1.27 करोड़ रुपए का रिकार्ड दर्ज है। जबकि 2016 से पहले खादी की एक दिन की बिक्री कभी भी एक करोड़ रुपए के पार नहीं गई थी। 22 अक्टूबर 2016 को कनॉट प्लेस स्थित खादी इंडिया के आउटलेट पर एक दिन की बिक्री का आंकड़ा पहली बार एक करोड़ रुपए के पार गया था, यह 116.13 लाख रुपए था। मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ का नतीजा इस संबन्ध में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने प्रधानमंत्री की ‘स्वदेशी’ यानि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ की अपील ने स्थानीय विनिर्माण विशेष रूप से खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्रों में एक नयी ऊर्जा का संचार किया है। सक्सेना ने विशेषकर खादी को बढ़ावा देने के लिए लगातार की गई अपील को बड़े पैमाने पर हुई बिक्री के आंकड़ों का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्रों की रीढ़ बनाने वाले कारीगरों का समर्थन करने के लिए बड़ी संख्या में खादी प्रेमियों को आते देखकर खुशी होती है। महामारी के बावजूद, खादी कारीगरों ने उत्पादन गतिविधियों को पूरे जोश के साथ जारी रखा और साथी देशवासियों ने भी उसी उत्साह के साथ उनका समर्थन किया। सक्सेना ने कहा कि आर्थिक मंदी के बावजूद, केवीआईसी ने खादी के विकास की गति को बनाए रखने में कामयाबी हासिल की है। इस वर्ष खादी उत्पादों की जबरदस्त बिक्री काफी महत्व रखती है। जहां कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान लगभग सभी गतिविधियां रुक गयी थीं, केवीआईसी ने देश भर में अपनी विविध गतिविधियां जारी रखीं जिसमें फेस मास्क और हैंड वॉश एवं हैंड सेनिटाइज़र जैसे व्यक्तिगत स्वच्छता उत्पादों के अलावा कपड़े और ग्राम्य उत्पादों की एक विशाल श्रृंखला का उत्पादन शामिल है। 17Nov-2020

अब कोरोना से निपटने को दिल्‍ली में उतरेगी अर्द्ध सैनिक बलों की चिकित्सा टीम

गृहमंत्री ने दिये 75 चिकित्सक व 350 स्वास्थ्यकर्मी मुहैया कराने के निर्देश हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में फिर से तेजी से पैर पसार रहे कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने फिर से कमान संभाल ली है। इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक दिन पहले दिल्ली सरकार के साथ की समीक्षा बैठक में लिए गये निर्णय के तहत अर्द्ध सैनिक बलों के 75 चिकित्सकों व 350 स्वास्थ्यकर्मियों की टीम को दिल्ली में उतारने के निर्देश जारी कर दिये हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार दिल्ली में फिर से बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों से निपटने के लिए दिल्‍ली सरकार के केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। रविवार को दिल्ली सरकार के साथ हुई केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की समीक्षा बैठक के बाद कार्य योजना के तहत गृह मंत्री ने दिल्ली में अर्द्ध सैनिक बलों के अतिरिक्त चिकित्सक और स्वास्थ्य दल मुहैया कराने को कहा था। उसके तहत सोमवार का गृहमंत्री शाह ने आदेश जारी कर दिये हैँ, जिसके तहत अब दिल्‍ली में कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए देशभर के विभिन्न क्षेत्रों में जुटे अर्द्धसैनिक बलों की चिकित्सकों में से 75 चिकित्सक और 350 स्वास्थ्यकर्मी दिल्ली आएंगे। मंत्रालय के सूत्रों के इनें आईटीबीपी, सशस्त्र सीमा बल, असम राइफल्स और सीआरपीएफ व अन्य बलों के 75 चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं। गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार तत्काल प्रभाव से अर्द्ध सैनिक बलों की चिकित्सीय टीम को दिल्ली आने को कहा गया है। उम्मीद जताई गई कि अर्द्ध सैनिक बलों की यह चिकित्सा टीम जल्द ही दिल्ली पहुंच जाएगी। मंत्रालय के अनुसार इन चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों को दिल्ली सरकार जरुरत के आधार पर अलग-अलग अस्पतालों में तैनात करेगी। गौरतलब है कि दिल्ली में बनाए गये 10 हजार बेड वाले सबसे बड़े कोविड-अस्पताल सरदार पटेल कोविड हॉस्पिटल में पहले से ही आईटीबीपी के चिकित्सक तैनात हैं। कोविड-19 दिशानिर्देशों के अनुपालन पर बल गौरतलब है कि रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और सरकार के अधिकारियों के साथ कोविड़-19 के संबन्ध में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान केन्‍द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजधानी दिल्‍ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और दिल्‍ली के अस्‍पतालों की मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ते दबाव के संदर्भ में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के बाद इस बात पर बल दिया था कि कोविड-19 के होम आइसोलेशन वाले रोगियों की ट्रैकिंग रखने तथा तत्‍काल मेडिकल सुविधा की आवश्‍यकता पड़ने पर उनको तुरंत नियमित अस्‍पतालों में शिफ्ट करने पर विचार किया जाए। वहीं उन्होंने दिल्‍ली सरकार के प्राधिकारियों तथा दिल्‍ली पुलिस आयुक्‍त को आवश्‍यक उपायों, विशेषकर फेस मास्‍क पहनने को कड़ाई से लागू कराने के निर्देश दिये, ताकि समुचित कोविड-19 बिहेवियर के अनुपालन में कोई ढिलाई न हो। वहीं उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि पहले आरंभ किए गए सारे कंटेनमेंट उपायों, जैसे की कंटेनमेंट जोनों की स्‍थापना, कंटेक्‍ट ट्रेसिंग तथा क्‍वारेंटिंग और स्‍क्रीनिंग, विशेषकर समाज के ऐसे वर्ग के लोग जिन्हे संक्रामण की अधिक संभावना की लगातार समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि रोकथाम उपायों को लागू करने में कोई कमी नहीं रह जाए। इन कंटेनमेंट कार्यनीतियों को कड़ाई से लागू करने में कोई ढील नहीं होनी चाहिए। 17Nov-2020

ट्रेनों की गति बढ़ाने को युद्ध स्तर पर दुरस्त होंगे रेलवे ट्रैक

अराजक तत्वों द्वारा सिग्नल केबल काटने के बढ़े मामले हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। भारतीय रेलवे द्वारा देश में रेलगाड़ियों की गति सीमा बढ़ाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं के तहत रेलवे ट्रैकों को दुरस्त करने का कार्य को युद्ध स्तर पर तेज करने का निर्णय लिया गया है। रेल पथों पर अराजक तत्वों द्वारा सिग्नल कैबल काटने पर चिंता जताते हुए रेलवे ने अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिये। दरअसल भारतीय रेलवे देश के विभिन्न मार्गो पर रेलगाड़ियों की गति सीमा को बढ़ाने में जुटा है। रेलगाड़ियों की गतिसीमा बढ़ाने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के प्रयासों के तहत रेलवे ट्रैकों को दुरस्त करने के चल रहे कार्यो को युद्ध स्तर पर तेज करने पर बल दिया गया है। इस संबन्ध में उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित बडौदा हाउस में प्रधान कार्यालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्‍यम से उत्तर रेलवे के विभागाध्‍यक्षों के साथ एक कार्य-निष्‍पादन समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने रेलगाड़ियों की गति सीमा को बढ़ाने में आने वाली बाधाओं को दूर करने की दिशा में संबन्धित अधिकारिरयों के साथ रेल फाटकों, टर्न आउटों, दोहरीकरण, विद्युतीकरण, रोड ओवर ब्रिज और रोड अंडर ब्रिजों के निर्माण के दौरान रेल ढ़ांचों को बदलने जैसे मुद्दों पर चर्चा की। गंगल ने मरम्मत योग्य आवश्यक वस्तुओं के पर्याप्त स्टॉक को बनाए रखने और स्क्रैप के समयबद्ध निपटान के लिए परामर्श दिया। उन्होंने भूमि स्वामित्व मामलों पर और अधिक पारदर्शिता एवं स्पष्टता लाने के लिए रेलवे भूमि दस्तावेजों को डिजिटलाइज करने पर भी बल दिया। बाहरी तत्वों द्वारा सिग्नल केबल काटने के बढ़ते हुए मामलों पर चिंता व्यक्त करने पर अधिकारियों ने महाप्रबंधक को जानकारी दी कि ऐसे मामलों से सख्ती से निपटने और इन पर रेलवे अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करने के लिए कहा गया है। वहीं सिग्नल प्रणाली को कोहरे के अनुकूल बनाया गया है इस बैठक में रेल संरक्षा, चल स्टॉक परिसंपत्तियों का अनुरक्षण, सर्दियों के दौरान पटरियों में दरारें और ज्वाइंट वैल्ड व रेल परिचालन की दिक्कतों, बाहरी लोगों द्वारा सिग्नल केबल काटने के मामलों, मोबिलिटी इंडैक्स बढ़ाने के प्रयास, रेलवे भूमि दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन, सामग्री प्रबंधन, स्क्रैप के निपटान जैसे मुद्दों पर फोकस किया गया। महाप्रबंधक ने सर्दियों के दौरान रेलपथों, ज्वाइंटों के वैल्डों और सिग्नलिंग प्रणाली और चल स्टॉक परिसंपत्तियों के अनुरक्षण पर बल दिया। हरिद्वार कुंभ की तैयारियों पर चर्चा समीक्षा बैठक में महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने हरिद्वार में जनवरी 2021 से शुरू होने वाले कुम्भ मेला की व्यवस्थाओं की तैयारियों को लेकर भी विस्तार से चर्चा की। सभी संबंधित विभागों को अपने-अपने ब्लू प्रिंटों के साथ तैयार रहने के लिए कहा गया है। विभिन्न विभागों के कार्य निष्पादन पर संतोष व्यक्त करते हुए गंगल ने कहा कि जॉन में किसी भी रेल दुर्घटना की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। हमारी समयपालनबद्धता बेहतर है और उन इंजीनियरिंग कार्यों को पूरा करने के प्रयास किये जा रहे हैं। जो समयबद्ध रेलसेवाओं के समय पर पहुंचने में बाधा उत्पन्न करते हैं। 17Nov-2020

अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए 2.65 लाख करोड़ का एक और राहत पैकेज

केंद्र सरकार ने किया आत्मनिर्भर भारत-3 के तहत नई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का ऐलान बेरोजगारों, किसानों, प्रतिष्ठानों समेत 12 क्षेत्रों को मिलेगी बड़ी राहत हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वैश्विक कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हुई देश की अर्थव्यवस्था के सुधार की दिशा में दिवाली से ठीक पहले तीसरे राहत पैकेज के रूप में नई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का ऐलान किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में दौरान आत्मनिर्भर भारत योजना के पहले और दूसरे चरण की प्रगति की जानकारी देने के बाद तीसरे राहत पैकेज के रूप में दिवाली से ठीक पहले आत्मनिर्भर भारत-3.0 के तहत सबसे पहले 'आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना' का ऐलान किया और कहा कि कोरोना से उबरते चरणों में नए रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के मकसद से आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत नई रोजगार योजना की शुरुआत की गई है, ताकि देश में रोजगार के नये अवसर पैदा हो सकें। इस स्कीम को 1 अक्टूबर 2020 को लागू माना जाएगा और यह अगले दो साल के लिए होगा। उन्होंने बताया कि इस नई रोजगार सृजन योजना के तहत नई भर्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों को सब्सिडी दी जाएगी। वहीं सब्सिडी के तहत दो साल के लिए सेवानिवृत्ति निधि में कर्मचारियों के साथ ही नियोक्ताओं के योगदान को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का योगदान (वेतन का 12 प्रतिशत) और नियोक्ता का योगदान (वेतन का 12 प्रतिशत) यानि कुल वेतन का 24 प्रतिशत हिस्सा अगले दो वर्षों के लिए नई भर्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों को दिया जाएगा। कर्मचारियों को मिलेगी राहत आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानि ईपीएफओ में पंजीकृत प्रतिष्ठानों को नए कर्मचारियों की भर्ती पर यह सब्सिडी मिलेगी। वित्त मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत 15 हजार रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारी को गिना जाएगा। उन्होंने कहा कि इसमें 15 हजार से कम वेतन पाने वाले ऐसे कर्मचारी भी शामिल होंगे, जिन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान नौकरी से निकाल दिया गया था और वे एक अक्टूबर 2020 को या उसके बाद दोबारा जुड़े हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिकतम 50 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को कम से कम दो नई कर्मचारियों को भर्ती करना होगा, जबकि जिन प्रतिष्ठानों में 50 से अधिक कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम पांच नई भर्ती करनी होगी। पीएम गरीब कल्याण योजना का विस्तार केंद्र सरकार ने पहले प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 116 जिलों के प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य में 31 अक्टूबर तक रोजगार देने का ऐलान किया था। सरकार ने इसके लिए 37,543 करोड़ रुपये खर्च किया। अब नई योजना में सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। उर्वरक सब्सिडी का ऐलान केंद्र सरकार ने इस राहत पैकेज में कृषि क्षेत्र को राहत देते हुए उर्वरक सब्सिडी देने का ऐलान किया, जिसमें सरकार किसानों के हित में उर्वरक सब्सिडी के रूप में 65,000 करोड़ रुपये देगी, ताकि किसानों को किफायती दामों पर उर्वरक मुहैया कराया जा सके। घर का सपना होगा पूरा केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि आवंटित करने की घोषणा की है। वहीं आवासीय क्षेत्र में घर बनाने वाले और खरीदने वालों के लिए भी बड़ा ऐलान किया है, जिसके तहत घर बेचने में पहले जहां सर्किल रेट और वैल्यू रेट में 10 फीसदी की छूट थी, उसे अब 20 फीसदी यानि दोगुना कर दिया है। मसलन प्रॉपर्टी की वैल्यू गिरने के बावजूद अगर कोई घर सर्किल रेट के कारण नहीं बिक पा रहा था तो अब वहां 20 फीसदी की छूट दी गई है, ताकि घर बिके और लोग रजिस्ट्री भी करवा सकें। यह योजना 30 जून 2021 तक लागू होगी। कोरोना वायरस सेक्टर में रिसर्च के लिए 900 करोड़ रुपये: कोरोना वायरस सेक्टर में रिसर्च करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए 900 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया गया है। यह रकम वैक्सीन बनाने वाली नहीं बल्कि जो कंपनियां रिसर्च कर रही हैं उन्हें दिया जाएगा। इसका फायदा बायो टेक्नोलॉजी की कंपनियों को मिलेगा। कंस्ट्रक्शन और इन्फ्रा कंपनियों को राहत वित्त मंत्री ने कहा कि कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियों को पूंजी और बैंक गारंटी की दिक्कत आती और बैंक गारंटी के लिए इन्हें 10 फीसदी की परफॉर्मेंस सिक्योरिटी देनी पड़ती थी, लेकिन अब सरकार ने इसे इसे घटाकर 31 दिसंबर 2021 तक 3 फसदी कर दिया गया है, ताकि उनके पास काम करने लायक पैसा हो। इसका फायदा उन कंपनियों को मिलेगा, जिनके प्रोजक्ट पर कोई केस ना हो। इसके अलावा सरकार ने इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने के लिए ग्रीन एनर्जी या डोमेस्टिक डिफेंस कंपनियों को पूंजीगत व्यय करने के लिए 10200 करोड़ रुपये का आवंटन करने का ऐलान किया गया है, ताकि घरेलू प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जा सके। इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम का विस्तार सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपये के इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को 31 मार्च 2021 तक के लिए बढ़ा दिया है। यह केंद्र सरकार की तरफ से पूरी तरह गारंटी वाली लोन स्कीम है। 29 फरवरी 2020 तक 50 करोड़ रुपये के आउटस्टैंडिंग लोन का 20 फीसदी अतिरिक्त क्रेडिट दिया जाएगा। एमएसएमई ईकाई, बिजनेस एंटरप्राइज, व्यक्तिगत लोन और मुद्रा लोन को इस स्कीम के दायरे में शामिल किया गया है। इस स्कीम के तहत 61 लाख उधारकर्ताओं को 2.05 लाख करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी मिल चुकी है, जिसमें अभी तक 1.52 लाख करोड़ रुपये के लोन जारी भी हो चुके हैं। -------------------------- राहत पैकेज से अर्थव्यवस्था में हुआ सुधार: सीतारमण आत्मनिर्भर भारत के तहत पहले दो पैकजों से अर्थव्यवस्था में सुधार का ब्यौरा देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनियों के कारोबार की गति का संकेत देने वाला कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.9 रहा, जो इससे पिछले महीने में 54.6 था। उन्होंने कहा कि अक्टूबर के दौरान ऊर्जा खपत में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 10 प्रतिशत बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। वित्त मंत्री ने कहा कि दैनिक रेलवे माल ढुलाई में औसतन 20 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि बैंक ऋण में भी 5.1 प्रतिशत का सुधार हुआ है। इससे पहले सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के इरादे से बुधवार को 10 और क्षेत्रों के लिये दो लाख करोड़ रुपये मूल्य की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं को मंजूरी दे दी थी। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना का लाभ रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन जैसे उत्पादों, औषधि, विशेष प्रकार के इस्पात, वाहन, दूरसंचार, कपड़ा, खाद्य उत्पादों, सौर फोटोवोल्टिक और मोबाइल फोन बैटरी जैसे उद्योगों में निवेशकों को मिलेगा। 13Nov-2020

बिहार विधानसभा में होगा करोड़पतियों व दागियों का वर्चस्व

पिछली विधान सभा के मुकाबले ज्यादा जीते इस छवि के विजेता प्रत्याशी पुन:निर्वाचित हुए 96 विधायक, सर्वाधिक 115 विधायकों की आयु 25 से 50 साल बिहार विधानसभा में 28 से घटकर 26 हुई महिला विधायकों की संख्या ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा में राजग को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ है। लेकिन इस बार विधानसभा में दाखिल हुए विधायकों में 68 फीसद दागियों और 81 फीसदी करोड़पतियों की संख्या पिछली विधानसभा के मुकाबले कहीं जयादा है। मसलन दागियों व कुबेरों पर खेला गाया सियासी दावं राजनीतिक दलों के फायदे का सौदा साबित हुआ। बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए चुनावी जंग में 1201 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, जिनमें से 163 विधायक निर्वाचित होकर विधानसभा में दाखिल होने में सफल रहे। ऐसे दागियों में 123 ऐसे विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती, बलात्कार, अपहरण व महिलाओं के ऊपर अत्याचार जैसे संगीन मामले लंबित चल चल रहे हैं। चुनाव सुधार की दिशा में कार्य कर रही गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रिटक रिफॉर्म्स द्वारा विशेषण क मुताबिक 2015 के चुनाव में गठित विधानसभा में ऐसे दागी विधायकों की संख्या 142 थी, जिनमें 98 विधायकों के खिलाफ संगीन मामले लंबित थे। इस चुनाव में जीतकर आए गंभीर अपराधों की घोषणा करने वालों में 19 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या के आरोपो में मामले लंबित चल रहे हैं, जबकि 31 विजयी उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या का प्रयास करने जैसे मामले लंबित हैं। जबकि आठ नवनिर्वाचित विधायकों ने अपने खिलाफ महिलाओं के ऊपर अत्याचार से संबन्धित मामले घोषित किये हुए हैं। राजद के सर्वाधिक दागी विजयी बिहार विधानसभा चुनाव में विजयी दागी विधायकों में से 98 सर्वाधिक दागियों पर दांव खेला था, जिसमें 54 उम्मीदवार चुनाव जीतकर आए हैं। जबकि भाजपा द्वारा 76 ऐसे दागी प्रत्याशियों पर खेले गये दांव में 47 चुनाव जीतकर विधानसभा में दस्तक दे चुके हैं। इसी प्रकार राजग में भाजपा के साथ जदयू ने ऐसे 56 दागी प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था, जिसमें 20 प्रत्याशियों की नैया पार हो गई है। कांग्रेस ने कांग्रेस के 45 दागियों को टिकट दिया था, जिनमें से 16 जीतकर आए हैं। राजग की सहयोगी वीआईपी के नौ दागियों में तीन, सीपीआई के चार में दो, हम के पांच में दो, बसपा के 29 में एक दागी प्रत्याशी विजयी रहा है। इसके अलावा सीपीआई-एमएल के 17 दागी प्रत्याशियों में 10 तथा एआईएमआईएम के पांचों दागी चुनाव जीते हैं। जबकि 343 निर्दलीय दागी प्रत्याशियों में एक को जीत मिली है। इन विजेता दागी प्रत्याशियों में जिनके खिलाफ गंभीर मामले लंबित हैं, उनमें सर्वाधिक 44 राजद, 35 भाजपा, 11-11 जदयू व कांग्रेस, 8 सीपीआई-एमएल तथा 5 एआईएमआईएम की पार्टी के विधायकों को विधानसभा में जाने का मौका मिला है। जबकि वीआईपी के तीनों, हम के दो, बसपा व निर्दलीय का एक-एक इस गंभीर अपराधिक मामलों की छवि वालें विधायकों की फेहरिस्त में शामिल है। करोड़पतियों से सराबोर होगी विधानसभा बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी दलों ने 1231 करोड़पतियों को भी उम्मीदवार बनाकर अपना दांव खेला है, जिनमें 194 विजेता बनकर उभरे हैं, जबकि ऐसे कुबेरों की पिछली विधानसभा में संख्या 162 थी। इस बार जीते करोड़पतियों सर्वाधक 65 भाजपा, 64 राजद, 38 जदयू, 14 कांग्रेस के विधायक शामिल हैं। जबकि वीआईपी के सभी व लोजपा और निर्दलीय विधायक भी करोड़पतियों की सूची में हैं। एआईएमआईएम के तीन, हम, सीपीआई व सीपीआईएम का एक-एक विधायक भी कुबेरों के रूप में विधानसभा में दाखिल हुआ है। राजद ने ही इस चुनाव में सर्वाधिक 120 करोड़पतियों को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था। जबकि लोजपा ने 99, जदयू ने 96, भाजपा ने 94, कांग्रेस ने 51, बसपा ने 33 करोड़पति प्रत्याशियों का सहारा लिया था। कम हुई महिलाओं की संख्या बिहार विधानसभा के 243 विधायकों में सर्वाधिक 75 राजद, 74 भाजपा, 43 जदयू, 19 कांग्रेस, 12 सीपीआई-एमएल, 5 एआईएमआईएम,4-4 हम तथा विकासशील इंसान पार्टी, दो-दो सीपीआई व सीपीआईएम तथा एक-एक बसपा, लोजपा व निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। इनमें 26 महिलाएं शामिल हैं, जबकि वर्ष 2015 के चुनाव में 28 महिलाओं ने विधानसभा में दस्तक दी थी। जबकि इस बार बिहार में मतदान करने के मामले में महिलाओं ने पुरुष मतदाताओं को पछाड़ा है। बिहार विधानसभा जीतने वाले 243 उम्मीदवारों में सर्वाधिक 74 विधायकों की शैक्षिक योग्यता स्नातक है, जिसके बाद 12वीं पास 53, स्नातकोत्तर 31, डॉक्टर व दसवीं पास 24-24, प्रोफेशनल स्नातक 20, एक डिप्लोमाधारक, तीन आठवीं पास, दो पांचवी पास ता एक साक्षर शामिल है। 12Nov-2020

कोरोनाकाल में सीएलसी, ईपीएफओ व ईएसआईसी ने किया उत्कृष्ट काम

केंद्र सरकार ने संगठनों के अधिकारियों व कर्मचारियों का किया सम्मान हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। वैश्विक कोरोना माहमारी के दौरान देशभर में कर्मचारियों और श्रमिकों के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं और उनकी समस्याओं का निपटान करने में सीएलसी, ईपीएफओ व ईएसआईसी के अधिकारियों कर्मचारियों ने जिस प्रकार से काम करके उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, उसके लिए उन्हें कोरोना योद्धा करार देते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने बुधवार को नई दिल्ली के श्रमशक्ति भवन स्थित मंत्रालय के सभागार में आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान केंद्रीय श्रम एवं रोजगा मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने इन संगठनों के अधिकारियों और क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा प्रदर्शन और उच्च स्तर का पेशेवराना रवैया प्रदर्शित करने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिसिएशन से सम्मानित किया। इस मौके पर गंगवार ने कहा कि कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच ईएसआईसी और ईपीएफओ के नोडल अधिकारी अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ श्रमिकों की समस्याओं का निवारण करने के लिए दिन-रात काम कर रहे थे। देशभर में 20 नियंत्रण कक्षों के माध्यम से लगभग 16 हजार शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 96 प्रतिशत को सीएलसी (सी), ईपीएफओ और ईएसआईसी द्वारा समयबद्ध तरीके से हल किया गया। गंगवार ने कहा कि मंत्रालय ने श्रमिकों और उद्योग की बेहतरी के लिए ऐतिहासिक कदम उठाने का दावा करते हुए कहा कि मंत्रालय के इन कदमों के तहत 2 करोड़ निर्माण श्रमिकों के बैंक खातों में 5 हजार करोड़ रुपये जमा किए गए हैं, जिसके लिए सीएलसी (सी) ने 80 अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की थी, ताकि वे इसका सहज कार्यान्वयन सुनिश्चित कर सकें। गंगवार ने साझा किया कि 23 ईएसआईसी अस्पतालों को अब कोविड-19 अस्पतालों के रूप में घोषित किया गया है जिसमें 2600 आइसोलेशन बेड, 555 से अधिक आईसीयू बेड और 213 से अधिक वेंटिलेटर हैं। मंत्री ने ईपीएफओ की विशेष कोविड-19 के दावे का उल्लेख किया, जिसमें कोविड महामारी के दौरान अपने ग्राहकों द्वारा 47 लाख से अधिक कोविड के दावों के विपरीत, 120,00 करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया था। इस समारोह में श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव अपूर्वा चंद्रा ने तीनों संगठनों के अधिकारियों के अनुकरणीय प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उस उत्साहपूर्ण उत्साह पर संतोष व्यक्त किया, जिसके साथ प्रत्येक अधिकारी और क्षेत्रीय कार्यालय कोविड-19 के सामने इस मुश्किल घड़ी में रुकने के लिए कर्तव्य की पुकार पर बाहर निकल आए। उन्होंने ईपीएफओ कार्यालयों के रूप में केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (सीपीएफसी) को ऑटो-सेटलमेंट मोड और मल्टी-लोकेशन क्लेम जैसे अभिनव उपायों का उपयोग करके और 50 प्रतिशत से कम स्टाफ के साथ 72 घंटों के भीतर कोविड-19 क्लेम सेटलमेंट सुनिश्चित करने के लिए बधाई दी। चंद्रा ने सभी ईएसआईसी अधिकारियों द्वारा किए गए कठिन परिश्रम और प्रयासों की सराहना की और कहा कि सभी ईएसआईसी अस्पतालों विशेष कोविड देखभाल बेड, आईसीयू बेड का प्रावधान किया गया और कोविड-19 के लिए टेस्ट, प्लाज्मा ट्रैन्स्फ्यूशन, आरटीपीआर टेस्ट आदि शुरू किया गया था। समारोह में सीएलसी डीपीएस नेगी, सीपीएफसी के सुनील बर्थवाल और ईएसआईसी महानिदेशक श्रीमती अनुराधा प्रसाद ने अपने संबंधित संगठनों की पहल और उपलब्धियों पर विस्तार से जानकारी दी। इन कार्यालयों का सम्मान ईपीएफओ के सात कार्यालयों को सम्मानित किया गया, जिसमें ईपीएफओ (मुख्यालय) के रूपेश्वर सिंह के अलावा ईपीएफओ क्षेत्रीय कार्यालय, दिल्ली (मध्य), दिल्ली (पूर्व), केआर पुरम बेंगलुरु शामिल हैं। जब कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी मुख्यालय) के एस.एल. मीणा के अलावा ईएसआईसी क्षेत्रीय कार्यालय ओडिशा, महाराष्ट्र, दिल्ली, एसआईसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल फरीदाबाद, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल सनतनगर तथा ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज और पीजीआईएमएसआर और मॉडल अस्पताल राजनगर को सम्मानित किया गया। 12Nov-2020

रेलटेल मुहैया कराएगा रेलवे अस्पतालों में एकीकृत क्लिनिकी सूचना प्रणाली

ारतीय रेलवे ने रेलटेल के साथ इस तकनीक के लिए समझौता हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने अस्पताल प्रबंधन को एक एकल आर्किटेक्चर पर लाने के उद्देश्य से और संचालन को सहज बनाने के लिए अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली के कार्यन्वयन का कार्य रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड यानि रेलटेल को सौंपा है। यह प्रणाली अस्पताल प्रशासन और रोगी स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए भारत भर में 125 स्वास्थ्य सुविधाओं और 650 पॉलीक्लिनिक्स के लिए एक एकीकृत क्लिनिकी सूचना प्रणाली उपलब्ध कराएगी। रेल मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि रेलटेल और रेल मंत्रालय ने कार्य के निष्पादन के तौर तरीकों के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। खुले स्रोत पर आधारित अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली सॉफ्टवेयर को क्लाउड पर डिप्लॉय किया जाना है। यह एकीकृत क्लिनिकी सूचना प्रणाली विभागों और प्रयोगशालाओं के हिसाब से क्लिनिकल डेटा को कस्टमाइज़ करने, मल्टी हॉस्पिटल कंसल्टेशन, मेडिकल और अन्य उपस्करों के साथ निर्बाध इंटरफेस आदि सॉफ्टवेयर की विशेषताएं देगी। वहीं मरीज़ों को अपने मोबाइल डिवाइस पर पूर्ण गोपनीयता के साथ अपने सभी मेडिकल रिकॉर्ड एक्सेस करने का लाभ होगा। इस संबन्ध में भारतीय रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने कहा कि हम सभी क्षेत्रों में डिजिटलीकरण कर रहे हैं और लगातार बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली प्लेटफॉर्म यूनिक मेडिकल आइडेंटिटी सिस्टम से जुड़ा होगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित एक उत्कृष्टता केंद्र प्रक्रियाधीन है जो इन तकनीकी परिवर्तनों को ड्राइव करेगा चाहे यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विश्लेषण या ऐप आधारित सेवाएं हों। रेलटेल के साथ हमारा रणनीतिक संबंध हमेशा योग्यता पर आधारित रहा है और रेलटेल हमें वीडियो निगरानी प्रणाली, ई-ऑफिस सेवाऐ, कांटेन्ट ऑन डिमांड, भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई जैसी विभिन्न परियोजनाओं का कार्यान्वयन करने में लगातार मदद कर रहा है। भारतीय रेल मंत्रालय द्वारा इस कार्य के सौंपे जाने के बाद रेलटेल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पुनीत चावला ने कहा कि दक्षिण मध्य रेलवे में अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली का कार्यान्वयन प्रूफ ऑफ कंसेप्ट के रुप में पहले ही स्थापित किया जा चुका है और इसका चरणबद्ध तरीके से अखिल भारतीय स्तर पर डिप्लॉयमेंट किया जा रहा है। रिकॉर्ड रखने के पारंपरिक रूपों की अपनी सीमाएँ हैं और प्रौद्योगिकी का एकीकरण, स्केल, लागत क्षमताओं,उपयोग में आसानी व अन्य लाभों को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है। रेलटेल ने भारतीय रेलवे के 5819 स्टेशनों को रेलवायर वाईफाई से लैस करने का कार्य भी किया है। 11Nov-2020

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत अनेक सियासी दिग्गजों का तय होगा सियासी भविष्य

िहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आज विधानसभा को दागियों से सराबोर करने का सभी दलों ने खेला सियासी दांव विधानसभा को दागियों से सराबोर करने का सभी दलों ने खेला सियासी दांव ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे कल मंगलवार को आएंगे, जो मुख्यमंत्री नीतिश समेत अनेक दिग्गजों की प्रतिष्ठा और उनके सियासी भाग्य का फैसला तय करेंगे। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में दाखिल होने का सपना लेकर इस चुनावी जंग में उतरे 371 महिलाओं समेत 3733 प्रत्याशियों के दिल की धड़कने चुनावी नतीजों को लेकर निश्चित रूप से बढ़ रही होंगी? सबसे खास बात है कि चुनावी सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद इस चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने दागियों पर अपना दांव खेला है और चुनावी चुनावी नतीजे 1201 दागियों की किस्मत भी तय करेंगे। दरअसल इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को विशेषरूप से राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को चुनने व साफ छवि वाले उममीदवारों को टिकट न देने के कारण बताने के का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने मार्च में सभी राजनीतिक पार्टियों से दागदार छवि वाले उम्मीदवारों से दूरी बनाने को कहा था। यही नहीं सितंबर में ही चुनाव आयोग ने सख्त रवैया अपनाते हुए दागी छवि वाले उम्मीदवारों को निश्चित समय सीमा के भीतर प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपना ब्योरा प्रकाशित करने को कहा था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राजनीति को अपराधीकरण से बचाने की दुहाई देने वाले सभी राजनीतिक दलों ने बिहार विधानसभा चुनाव 243 सीटों लिए हुए चुनाव में सदन की संख्या से करीब पांच गुणा ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि वालो को उम्मीदवार बनाकर दांव खेला है। बिहार के विधानसभा चुनावी जंग लड़ चुके जिन 3733 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हुई है, उनमें 1201 यानि 32 फीसदी दागी प्रत्याशी हैं। इससे पहले 2018 में भी चुनाव आयोग चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों और पार्टियों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में टीवी या अखबार में कम से कम तीन बार प्रकाशित करने का निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट या चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का कोई भी असर देखने को नहीं मिला। राजद ने दिये सर्वाधिक दागियों को टिकट बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 98 दागियों को राजद ने विधानसभा में दाखिल करने के इरादे से उम्मीदवार बनाया है। इन दागियों की फेहरिस्त में प्रमुख दलों में भाजपा के 76, लोजपा के 70, जदयू के 56, रालोसपा के 47, कांग्रेस के 45, बसपा के 29 उम्मीदवार अपनी किस्मत ईवीएम में कैद करा चुके हैं। हालांकि चुनावी जंग में कूदे 1299 निर्दलीय प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा 343 प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले हैं। राजनीति के अपराधिकरण को प्रोत्साहन में इन दागी उम्मीदवारों में 915 ऐसे लोग हैं, जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती, बलात्कार, अपहरण व महिलाओं के ऊपर अत्याचार जैसे संगीन मामले लंबित हैं। ऐसे दागियों में भी सबसे ज्यादा 72 प्रत्याशियों को राजद ने ही टिकट दिया है, जबकि भाजपा व लोजपा ने 55-55, जदयू ने 36, कांग्रेस ने 33, बसपा ने 23, जन अधिकार पार्टी ने 56, रालोसपा ने 47 ऐसे संगीन अपराध के आरोपियों को गले लगाया है। वहीं संगीन अपराध की छवि वाले ऐसे उम्मीदवारों में 267 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं। करोड़पतियों का भी खुलेगा पिटारा बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी दलों ने जहां दागियों के सहारे चुनाव जीतने की रणनीति अपनाई है, वहीं विभिन्न दलों ने 1231 करोड़पतियों को भी उम्मीदवार बनाकर अपना दांव खेला है। ऐसे सर्वाधिक 120 करोड़पति उम्मीदवारों को टिकट देने में लालू यादव की पार्टी राजद सबसे आगे रही। जबकि लोजपा ने 99, जदयू ने 96, भाजपा ने 94, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी ने 64, उपेन्द्र कुशवा की रालोसपा ने 57, कांग्रेस ने 51, बसपा ने 33 करोड़पति प्रत्याशियों के सहारे चुनाव जीतने का प्रयास किया है। इन कुबेर प्रत्याशियों की सूची में 340 निर्दलीय प्रत्याशियों का भी मंगलवार को चुनाव के नतीजे आने के बाद भाग्य का फैसला होना है। 10Nov-2020

अरुणाचल प्रदेश के स्कूलों में खादी के मास्क पहनेंगे बच्चे

केवीआईसी ने बच्चों के लिए आपूर्ति किये 60 हजार मास्क हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में कोविड-19 लॉकडाउन के बाद पहली बार अपने स्कूल जाते समय हजारों स्कूली बच्चे तिरंगे वाले खादी के फेस मास्क पहनेंगे। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने स्कूली बच्चों के लिए 60 हजार उच्च गुणवत्ता वाले खादी कॉटन फेस मास्क की आपूर्ति की है। केंद्रीस सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि है।अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 16 नवंबर से स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने केवीआईसी को खादी के मास्क खरीदने के लिए तीन नवंबर को आदेश जारी किया गया था और केवीआईसी ने केवल 6 दिनों में सरकार को तत्काल आवश्यक मास्क की आपूर्ति की है। यह खरीद आदेश बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह पहली बार है जब पूर्वोत्तर भारत के एक राज्य सरकार ने इतनी बड़ी मात्रा में अपने छात्रों के लिए खादी फेस मास्क की खरीद की है। मास्क का समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए केवीआईसी ने विमान से खेप भेजी है। केवीआईसी ने मास्क में उपयुक्त जगह पर अपने लोगो के साथ अरुणाचल प्रदेश सरकार को डबल लेयर्ड, तिरंगा वाला कॉटन का फेस मास्क मुहैया कराया है। तिरंगे में बनाए गए फेस मॉस्क का उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना को भी जगाना है केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इन मास्क के निर्माण के लिए विशेष रूप से डबल ट्विस्टेड खादी कपड़े का उपयोग किया है, क्योंकि यह अंदर में 70 प्रतिशत नमी बनाए रखने में मदद करता है और इसमें हवा भी आसानी से जा सकती है। इसलिए ये मास्क त्वचा के अनुकूल और लंबी अवधि के उपयोग के लिए उपयुक्त हैं। खादी कॉटन फेस मास्क धोने योग्य, फिर से उपयोग और बायोडिग्रेडेबल हैं। राज्य सरकार ने जारी आदेश में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 16 नवंबर 2020 से कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए स्कूल खोलने का फैसला किया है और केवीआईसी से 60,000 खादी कॉटन फेस मास्क खरीदने के लिए मंजूरी दे दी है। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश सरकार को फेस मास्क की आपूर्ति के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, क्योंकि यह उन छात्रों के लिए था जो 16 नवंबर से कक्षा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा "केवीआईसी के लिए यह सम्मान देने वाला आदेश है और इस तरह के बड़े आदेश से खादी कारीगरों को अतिरिक्त नौकरी मिली है। गौरतलब है कि केवीआईसी ने इस साल अप्रैल में लॉन्च के बाद से 6 महीनों में 23 लाख फेस मास्क बेचे हैं। फेस मास्क के आरामदायक और उच्च गुणवत्ता के कारण केवीआईसी को इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी से 12.30 लाख फेस मास्क सहित कई थोक ऑर्डर मिले हैं। राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, कई राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों और सार्वजनिक उपक्रमों के अलावा आम जनता ने भी बार बार यहां आर्डर दिए हैं। 10Nov-2020

अब यात्री बसों में चंद सेकैंडों में बुझाई जा सकेगी आग

डीआरडीओ ने विकसित किया है व्यापक क्षमता वाल यंत्र रक्षामंत्री व सड़क परिवहन मंत्री ने किया आग बुझाने वाले यंत्र का अवलोकन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में यात्री बसों में यदि आग लगेगी तो उसे चंद सेंकैंडो में बुझा दिया जाएगा। डीआरडीओ ने यात्री बसों में इस्तेमाल के लिए एफ़डीएसएस नामक ऐसे एक यंत्र को विकसित किया है। इस यंत्र का केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि यात्री बसों में इस्तेमाल हेतु डीआरडीओ द्वारा विकसित आग का पता लगाने और उसे बुझाने वाले यंत्र ‘एफ़डीएसएस’का रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यहां नई दिल्ली स्थित डीआरडीओ भवन में अवलोकन किया। इस मौके पर यात्री कम्पार्टमेंट में जल आधारित जबकि इंजन में लगने वाली आग पर ऐरोसॉल आधारित एफ़डीएसएस का प्रदर्शन किया गया। उन्हें विभिन्न अन्य कार्यक्रमों और प्रणालियों के बारे में भी जानकारी दी गई। मंत्रालय के अनुसार डीआरडीओ के दिल्ली स्थित अग्नि, विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद्र (सीएफईईएस) प्रयोगशाला द्वारा विकसित इस तकनीक की मदद से यात्री कम्पार्टमेंट में लगने वाली आग का महज़ 30 सेकेंड के भीतर पता लगाया जा सकता है और उसके 60 सेकेंड के भीतर उसे बुझाया जा सकता है। इससे जान और माल की बड़े पैमाने पर सुरक्षा की जा सकती है। यात्री कम्पार्टमेंट के लिए एफ़डीएसएस के अंतर्गत 80 लीटर पानी की क्षमता वाला टैंक होगा और 200 बार तक दबाव क्षमता वाला 6.8 किलोग्राम का नाइट्रोजन सिलेंडर बस में उपयुक्त स्थान पर लगाया जाएगा, जो 16 स्वचालित बिन्दुओं वाले ट्यूब से जुड़ा रहेगा। इंजन के लिए एफ़डीएसएस ऐरोसॉल उत्पादित करेगा जो सक्रिय होने के महज़ 5 सेकेंड के भीतर ही आग को बुझाने में सक्षम होगा। अग्नि, विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद (सीएफईईएस) प्रयोगशाला आग से जुड़े जोखिमों का आकलन और आग बुझाने के लिए विभिन्न तकनीक के संबंध में दक्षता रखता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एफ़डीएसएस के विकास को यात्री बसों में सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि आग लगने की घटनाओं पर डीआरडीओ का भी ध्यान गया है। उन्होंने कहा कि इस विकसित तकनीक को आगे ले जाना भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस प्रयोगशाला ने युद्धक टैंक, जलपोतों और पनडुब्बियों के लिए भी अग्निशमन यंत्र विकसित किए हैं। यात्री बसों के लिए विकसित की गई तकनीक को भी रक्षा उद्देश्यों से बनाए जाने वाले यंत्र के स्तर का विकसित किया है। आग लगने की आशंका आमतौर पर सभी प्रकार के वाहनों में होती है, लेकिन स्कूल बसों और लंबी दूरी वाली स्लीपर यात्री बसों में आग की दुर्घटनाएं बड़े पैमाने पर जान और माल के नुकसान का कारण बनती हैं इसलिए इन्हें लेकर विशेष चिंताएं व्यक्त की जाती रही हैं। अब तक इंजन में लगने वाली आग को ही अग्नि सुरक्षा नियामक दायरे में लाया गया है। इस अवसर पर दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने डीआरडीओ के अध्यक्ष और डीडीआर एंड डी सचिव डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस प्रयास के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी। 10Nov-2020

एक जनवरी से पुराने चार पहिया वाहनों के लिए भी फास्टैग अनिवार्य

केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना, बिना फास्टैग के पार नहीं होगा टोल प्लाजा हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजमार्गो पर सभी टोल नाकों को ई-संग्रह प्रणाली से जोड़ दिया गया है, जिसके लिए केंद्र सरकार ने अब दिसंबर 2017 से पहले ख़रीदे गए चार पहिया पुराने वाहनों के लिए भी अगले साल एक जनवरी से फास्टैग अनिवार्य कर दिया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम-1989 में संशोधन करके फास्टैग के जरिए टोल नाकों पर ई-टोल संग्रह प्रणाली शुरू की थी। मंत्रालय द्वारा इस संबन्ध में एक अधिसूचना जारी की है जिसके मुताबिक अब दिसंबर 2017 से पहले ख़रीदे गए चार पहिया पुराने वाहनों के लिए अगले साल एक जनवरी 2021 से फास्टैग अनिवार्य होगा। नए चार पहिया वाहनों के लिए पंजीकरण के समय से ही फास्टैग को अनिवार्य कर दिया गया था और वाहन निर्माता या उनके डीलरों को इसकी आपूर्ति की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। यह अनिवार्य किया गया था कि परिवहन वाहनों के लिए फास्टैग के फिट होने के बाद ही फिटनेस प्रमाणपत्र का नवीनीकरण किया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार इसके अलावा पिछले साल एक अक्टूबर 2019 से फास्टैग का फिट होना अनिवार्य किये गये राष्ट्रीय परमिट वाहनों के लिए अब फॉर्म-51 यानी बीमा प्रमाण पत्र में संशोधन के माध्यम से नया थर्ड पार्टी बीमा प्राप्त करते समय एक वैध फास्टैग अनिवार्य किया गया है, जिसमें फास्टैग आईडी का विवरण कैप्चर किया जाएगा। यह नियम अगले 1 अप्रैल से लागू होगा, ये नियम पुराने चार पहिया वाहनों पर भी लागू होंगे। मंत्रालय के अनुसार जारी की गई अधिसूचना से अब यह सुनिश्चित हो सकेगा, कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से टोल प्लाज़ा पर शुल्क का भुगतान 100 फीसदी हो और वाहन, शुल्क प्लाज़ा से निर्बाध रूप से गुजरे। सरकार कई चैनलों पर फास्टैग की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कदम भौतिक स्थानों के माध्यम से और ऑनलाइन तंत्र के माध्यम से भी बनाए जा रहे हैं, ताकि नागरिकों को उनकी सुविधा पर अगले दो महीनों के भीतर उनके वाहनों में चिपका दिया जा सके। 08Nov-2020

किसान आंदोलन: रेलवे ट्रैक खाली कराने पर केंद्र व पंजाब सरकार में तकरार

पंजाब सरकार आंदोलनकारियों की तर्ज पर मालगाड़ियों के लिए ट्रैक खाली कराने को तैयार पंजाब सरकार का केवल मालगाड़ियों के लिए संदेश भ्रामक: रेलवे हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। पंजाब में 22 स्थानों पर कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन से रेलवे ट्रैक को खाली कराने के मामले पर भारतीय रेलवे और पंजाब सरकार के बीच लगातार जारी बातचीत के बावजूद तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में पंजाब सरकार केवल मालगाड़ियों के आवागमन के लिए रेलवे ट्रैक खाली कराने को तैयार है और इसी शर्त पर आंदोलनकारी भी केवल मालगाड़ियों के लिए रेलवे ट्रेक खाली करने की बात कर रहे हैं, लेकिन यदि यात्री रेल चलाई गई तो किसान फिर रेलवे ट्रेक पर चक्का जाम कर देंगे। भारतीय रेलवे ने पंजाब सरकार और किसानों द्वारा मालगाड़ियां चलाने के लिए रेलवे ट्रैक खाली कराने के संदेश को भ्रामक करार देते हुए इशारा किया कि यह संदेश जाहिर करता है कि पंजाब सरकार के समर्थन से किसान रेलवे पटरियों पर धरना देकर आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब सरकार और किसान दोनों केवल मालगाड़ियों के लिए रेलवे ट्रेक खाली करने की शर्त रख रहे हैं। यह खुलासा शनिवार को ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं सीईओ विनोद कुमार यादव ने किया है। यादव ने कहा कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी.के. यादव ने कहा कि कल शुक्रवार की शाम पंजाब सरकार ने रेलवे को संदेश दिया कि सिर्फ मालगाड़ियों के लिए ही ट्रैक क्लीयर हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि रेलवे ट्रेनों की बहाली को लेकर पंजाब सरकार के साथ लगातार समन्वय बनाए हुए है, लेकिन आश्चर्य वाली बात है कि आंदोलनकारी जिस प्रकार से रेलवे स्टेशनों के स्टेशन मास्टरों से मालगाड़ियां चलाने के लिए रेलवे ट्रेक खाली करने की बात कर रहे हैं और यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि यदि यात्री रेलगाड़ी चलाई गई तो किसान फिर से रेलवे पटरियों पर चक्का जाम कर देंगे। यादव ने कहा कि पंजाब सरकार का यह संदेश गुमराह करने वाला और भ्रामकता से भरा हुआ है। इसके जवाब में भारतीय रेलवे ने कहा कि भारतीय रेलवे का रेल पटिरयों पर ट्रेनों का संचालन अपनी रणनीतियों के तहत होता है न कि किसी बाहरी तंत्र के अनुसार ट्रेने चलाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि रेलवे पटरियों का इस्तेमाल भारतीय रेलवे सभी ट्रेनों के लिए करता है। हालांकि इस मुद्दे पर बने तकरार को खत्म करने के लिए भारतीय रेलवे पंजाब सरकार से इस त्यौहारी मौसम में रेलवे ट्रेक को पूरी तरह से खाली कराने का आग्र्रह कर रहा है, ताकि यात्रा के लिए आरक्षित टिक करा चुके यात्रियों को अपने अपने घरों तक पहुंचने के संशय को दूर किया जा सके। एक तीर से दो शिकार करती पंजाब सरकार सूत्रों की माने तो भारतीय रेलवे के इस खुलासे से यही साबित हो रहा है कि पंजाब सरकार केवल राज्य में मालगाड़ियों के ठप होने के कारण आवश्यक सामानों और संसाधनों की हो रही कमी को दूर करके राज्य को होने वाले राजस्व नुकसान को बचाना चाहती है या फिर किसानों के आंदोलन को समर्थन देकर आंदोलनकारियों के सुर में सुर मिलाकर मालगाड़ियों के परिचालन को चाहती है। राजनीतिकारों की माने तो ऐसे संदेश से यही संकेत है कि किसान आंदोलन को कांग्रेसनीत पंजाब सरकार का समर्थन मिल रहा है। मसलन पंजाब सरकार एक तीर से दो-दो शिकार करने की रणनीति अपनाना चाहती है। गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में 22 रेलवे स्टेशनों के निकट रेलवे ट्रैक पर धरना दे रहे किसानों के कारण यात्री रेल और मालगाडियों के ठप पड़े आवागमन से रेलवे व पंजाब सरकार को हर दिन करोड़ो का नुकसान हो रहा है। रेलवे चाहता खाली रेलवे ट्रेक रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा कि रेलवे ने पंजाब सरकार से आंदोलनकारियों के कब्जे से रेलवे ट्रैक और परिसर को खाली कराने का अनुरोध किया है, ताकि राज्य में ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा एक रेलवे स्टेशन पर किसान धरना दे रहे है, इसके अलावा 22 रेलवे स्टेशन ऐसे हैं जिनके नजदीक रेलवे पटरियों पर धरना जमाया हुआ है। रेलवे ने स्पष्ट किया है कि पूरी तरह से रेलवे ट्रेक खाली करके सुरक्षा की गारंटी चाहता है, ताकि इस त्यौहारी मौसम में चलाई जाने वाली विशेष ट्रेनों में यात्रा करने का इंतजार कर रहे लोगों को यात्रा कराई जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवहन ने राज्य सरकार को इससे भी अवगत कराया है कि सभी यात्री ट्रेनों की बुकिंग हो गई है और ट्रेनों के रद्द होने के कारण कई यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रेनों के परिचालन के लिए भारतीय रेलवे तैयार है जिसके लिए रेलवे का मैंटिनेंस स्टाफ रेलवे ट्रेक पर जाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के बाद रेलवे ने पंजाब में सभी सेवाओं को रोकने का फैसला लिया था। इस वजह से 24 सितंबर के बाद से पंजाब में कोई भी रेल सेवा नहीं, चल रही है। 08Nov-2020

बिहार विधानसभा चुनाव: दांव पर होगी नीतीश सरकार के एक दर्जन मंत्रियों की प्रतिष्ठा!

अंतिम चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर चुनावी जंग में 1204 प्रत्याशी पहले दो चरण में 165 सीटों पर 2529 प्रत्याशियों का ईवीएम में कैद हुआ भाग्य ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे और अंतिम चरण में 15 जिलों की 78 विधानसभा सीटों पर कल शनिवार को मतदान कराया जाएगा। इस अंतिम चरण में 1204 प्रत्याशियों के सियासी भविष्य का फैसला होगा, जिनमें राज्य की नीतीश सरकार के एक दर्जन मंत्रियों समेत अनेक सियासी दिग्ग्जों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। बिहार राज्य में अगली सरकार पर राजग गठबंधन बना रहेगा या सत्ता परिवर्तन होगा, इसका फैसला कल शनिवार को राज्य की 78 विधानसभा सीटों पर होने वाले अंतिम चरण के चुनाव के बाद दस नवंबर को होने वाली मतगणना के नतीजे तय करेंगे। बिहार की 273 विधानसभा सीटों में से पहले दो चरण में 165 सीटों पर 2529 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो चुका है। कल शनिवार को 15 जिलों की 78 सीटों पर होने वाले चुनाव में 110 महिलाओं समेत 1204 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं,जिनमें 561 पंजीकृत दलों और 382 निर्दलीय उम्मीदवार हैं। इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने के लिए 2,35,54,071 मतदाता वोट डालेंगे। इन मतदाताओं के चक्रव्यूह में 1,23,25,780 पुरुष तथा 1,12,05,378 महिला मतदाताओं के अलावा 894 थर्ड जेंडर और 22,019 सर्विस मतदाता भी शामिल हैं। ये मतदाता कोरोना महामारी के कारण पिछले चुनावों से ज्यादा बनाए गये 33,782 पोलिंग बूथों पर वोटिंग करेंगे। यानि अंतिम चरण में 45,953 बैलट यूनिट्स और 33,782 वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा। कई गठबंधन के प्रत्याशी मैदान में इनमें राजग गठबंधन में जद-यू के 37, भाजपा के 35, विकासशील इंसान पार्टी के पांच प्रत्याशी चुनावी जंग में हैं। राजग प्रत्याशियों में नीतिश सरकार में 12 मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। इसके अलावा विरोधी दल महागठबंधन में राजद के 46, कांग्रेस के 25, सीपीआई-एमएल के पांच, सीपीआई के दो प्रत्याशी सत्ता परिवर्तन के लिए चुनावी मैदान में हैं। वहीं राजग से अलग होकर चुनाव लड़ रही लोजपा के 42 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला भी इस अंतिम चरण के चुनाव में होगा। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 31, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के 23, बहुजन समाज पार्टी के 19 और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी एक प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है। इन मंत्रियों की साख दांव पर बिहार चुनाव के इस अंतिम चरण में नीतीश सरकार के जिन मंत्रियों की साख दावं पर लगी हुई हैं, उनमें सिकरा सीट से फिरोज अहमद, बहादुरपुर से मदन साहनी, सुपौल से बिजेन्द्र प्रसार यादव, लौकहा से लक्ष्मेश्वर राय, रुपौली से बीमा भारती, आलमनगर से नरेन्द्र नारायण यादव, मुजफ्फरपुर से सुरेश शर्मा, मोतीहारी से प्रमोद कुमार, बेनीपट्टी से विनोद नारायण झा, बनमनखी से कृष्ण कुमार ऋषि के अलावा बाबूबरही सीट से दिवंगत मंत्री कपिलदेव कामत की पुत्रवधु मीना कामत तथा प्राणपुर से दिवंगत मंत्री विनोद सिंह की पत्नी नीशा सिंह शामिल हैं। इसके अलावा लोजपा के चिराग पासवान, जन अधिकार पार्टी के पप्पू यादव, रालोसपा के उपेन्द्र कुशवाह की एआईएमआईएम से गठबंधन के साथ प्रतिष्ठा दावं पर लगी हुई है। वाल्मिकीनगर सबसे बड़ा क्षेत्र बिहार चुनाव के इस अंतिम चरण के चुनाव में क्षेत्रफल के हिसाब से वाल्मीकिनगर सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है, जबकि मतदाताओं की संख्या के लिहाज से सहरसा सबसे बड़ी विधानसभा सीट है और हयाघाट बिहार का सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र में शामिल है। वहीं इस चरण में सबसे ज्यादा 31 प्रत्याशी गायघाट विधानसभा सीट और सबसे कम 9-9 प्रत्याशी ढाका, त्रिवेणीगंज, जोकीहाट और बहादुरगंज सीटों पर चुनाव मैदान में हैं। खासबात यह है कि इस अंतिम चरण के चुनाव में 78 सीटों में 72 सीटें संवेदनशील श्रेणी में हैं, जहां तीन या उससे ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। ----------------- दागियों व कुबरों पर खेला दांव बिहार के अंतिम चरण में 78 सीटों पर चुनावी जंग में उतरे 1204 प्रत्याशियों में 371 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें 282 के खिलाफ हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार, हत्या का प्रयास जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें सबसे ज्यादा राजद के 46 में 44 प्रत्याशी शामिल हैं, जिनमें से 22 के खिलाफ गंभीर मामले हैं। इसके बाद भाजपा के 35 में 26, कांग्रेस के 25 में 19, लोजपा के 42 में 18, जदयू के 37 में 21 बसपा के पांच प्रत्याशी इस सूची में शामिल हैँ। हालांकि 382 में से सबसे ज्यादा 101 निर्दलीय प्रत्याशी इन दागियों की सूची में शामिल हैं। करोड़पतियों पर सियासत राज्य में तीसरे चरण के चुनाव में विभिन्न दलों ने 361 करोड़पतियों को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिसमें सबसे ज्यादा राजद के 35, भाजपा व लोजपा के के 31-31, जदयू के 30, राजअलावा कांग्रेस के 17 और बसपा के 10 उम्मीदवार शामिल हैं। सबसे ज्यादा 79 करोड़पति उम्मीदवार इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बिहार के 15 जिलों में तीसरे चरण की 78 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में 30 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं और 31 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। जबकि इस चरण में उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये है और 24 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है। तीसरे चरण के चुनाव को लेकर सात नवंबर को मतदान होना है। 07Nov-2020

पंजाब सरकार शतप्रतिशत गारंटी दे, तो रेलवे ट्रेनों की बहाली को तैयार

पंजाब में 22 जगह रेलवे ट्रैक पर जमे आंदोलनकारी किसान, पंजाब सरकार बेबस हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ खासकर पंजाब में किसान संगठनों ने रेलवे ट्रेकों व परिसरों पर कब्जा करके ट्रेनों की आवाजाही को अवरूद्ध किया हुआ है। किसान आंदोलन के कारण यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों की ठप पड़ी आवाजाही के कारण रेलवे और खुद पंजाब सरकार को हर दिन करोड़ो रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध में रेलवे की संपत्तियों पर कब्जा करके रेल ट्रेक अवरूद्ध करने की वजह से रेलवे को प्रतिदिन करोड़ो रुपये के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ रहा है। यही नहीं मालगाड़ियों के आवागमन रुकने के कारण पंजाब में जरुरी सामान व संसाधन न मिलने से औद्योगिक और व्यापारिक क साथ कोयले के अभाव में बिजली उत्पादन जैसी गतिविधियों की गति रुकने से पंजाब सरकार को खुद भी हरेक दिन करोड़ो रुपये का नुकसान हो रहा है, लेकिन पंजाब सरकार किसानों के आंदोलन को रेलवे परिसंपत्ति से हटाने में अभी तक नाकाम है। इस मुद्दे पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने शुक्रवार को स्पष्ट कहा कि रेल पटरियों पर लगे सभी अवरोधकों को हटाने में पंजाब सरकार अक्षम है और राज्य में अभी तक 22 स्थानों पर अब भी प्रदर्शनकारी किसान धरना देकर जमे हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में ट्रेन सेवाओं की बहाली के लिये राज्य सरकार से 100 फीसदी सुरक्षा मंजूरी की जरूरत है। यादव ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था कि शुक्रवार की सुबह तक रेलवे पटरियों को खाली करा लिया जायेगा। किसान संगठनों ने हाल में पारित कृषि कानूनों के खिलाफ रेलवे पटरियों एवं स्टेशन परिसरों पर प्रदर्शन शुरू किया था और इस कारण राज्य में रेल सेवाएं 24 सितंबर से ही निलंबित है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि रेलवे चुनिंदा गाड़ियां नहीं चलायेगी बल्कि सभी सेवाओं को बहाल करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में अब भी 22 स्थानों पर अवरूद्ध की स्थिति है। रेलवे सुरक्षा बल और प्रदेश पुलिस के साथ चंडीगढ़ में कल बैठक हुई जिसमें उन्हें रेलवे की ओर से इस बात से अवगत कराया है कि वे हमें सभी ट्रेनों के लिये सुरक्षा मंजूरी दें ताकि हम एक बार में सभी ट्रेनों का परिचालन शुरू करें। यादव ने कहा कि ‘हम कुछ ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं करेंगे, चाहे वह मालगाड़ी हो या सवारी गाड़ी। हमने उनसे कहा है कि ट्रेनों के परिचालन के लिये उनसे हमें 100 फीसदी सुरक्षा मंजूरी चाहिए। रेल मंत्री की टिप्पणी से बिफरे कांग्रेसी सांसद इससे पहले शुक्रवार को पंजाब में रेल सेवाएं बहाल करने की मांग को लेकर गुरुवार को भाजपा प्रतिनिधिमंडल के बाद शुक्रवार को पंजाब के कांग्रेसी सांसदों ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की। पंजाब में रेल यातायात को बहाल करने को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल और पंजाब से कांग्रेस के लोकसभा सांसदों के बीच हुई बैठक में तकरार हुआ और तीखी बहस सुनने को मिली। जब रेल मंत्री ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को उकसाने का ठींकरा कांग्रेस पर फोड़ने का प्रयास किया तो रेल मंत्री की टिप्पणी से खफा होकर कांग्रेस के चार सांसद गुरप्रीत सिंह औजला, रवनीत सिंह बिट्टू, संतोख चौधरी और मोहम्मद सादिक बैठक का बहिष्कार करके बाहर निकल आए। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में पंजाब राज्य में रेल पटरियों पर लगे अवरोधकों को हटाने और रेल यातायात बहाल करने के संबंध में हुई चर्चा के दौरान हुई तीखी बहस के बीच ही जब कृषि कानूनों के खिलाफ ‘किसानों को प्रदर्शन करने के लिए उकसाने और मदद करने का आरोप’ राज्य की कांग्रेस सरकार पर लगा तो कांग्रेस सांसद इसे बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हुए। गौरतलब है कि पंजाब में इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन की वजह से रेल यातायात प्रभावित है। हालांकि इस बैठक में कांग्रेस के अन्य सांसद परनीत कौर, मनीष तिवारी, अमर सिंह और जसबीर सिंह बैठे रहे, जिन्होंने रेलमंत्री पीयूष गोयल को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का एक पत्र सौंपते हुए कहा कि जिसमें रेल सेवाएं बहाली के लिए पंजाब सरकार ने रेलवे को हर तरह से समर्थन देने और इसकी संपत्ति की रक्षा का भरोसा दिया। 07Nov-2020

कोरोना दिशानिर्देशों के बीच 26 जून से होगी हज यात्रा-2021

. हज यात्रियों के ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया आज से 10 नवंबर तक चलेगी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। वैश्विक कोरोना महामारी के कारण इस साल हज यात्रा नहीं हो सकी, लेकिन हज यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए अगले साल 2021 में हज यात्रा की संभावनाएं बढ़ गई है, जिसके लिए भारत से 26 जून को हज यात्रियों का पहला जत्था सऊदी के लिए रवाना किया जाएगा। इसके लिए कल शनिवार सात नवंबर से 10 नवंबर तक हज यात्रा-2021 के लिए ऑनलाइन आवेदन किये जाएंगे। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार हज यात्रा-2021 के लिए भारतीय हज समिति ने एक एक्शन प्लान जारी किया हे, जिसके तहत अगले साल हज यात्रा करने वालों के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया कल शनिवार सात नवंबर से शुरू की जा रही है, जिसके तहत 10 नवबंर तक हज यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन किये जा सकेंगे। इस एक्शन प्लान के मुताबिक हज यात्रा के आवेदकों द्वारा स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा करने के लिए एक जनवरी 2021 तक का समय दिया गया है। हालांकि इस हज यात्रा की तैयार की गई कार्य योजना में कोरोना महामारी के दिशानिर्देशों के तहत बदलाव नजर आएगें, जिसके लिए जल्द ही अलग से दिशानिर्देश जारी किये जाएंगे। यह तो तय है कि हज यात्रा के दौरान कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक होगा। जहां तक हज यात्रा के लिए धनराशि जमा करने का सवाल है उसके लिए पहली किश्त एक मार्च होगी, जबकि पूर्ण निर्धारित धनराशि का भुगतान अप्रैल तक किया जा सकेगा। इस कार्य योजना के अनुसार हज यात्रा-2021 के लिए 15-16 मई को वैक्सीन कैंप में यात्रियों को वैक्सीन दी जाएगी और 26 जून से हज यात्रियों की सऊदी अरब रवानगी शुरू होगी और 13 जुलाई को हज यात्रा के लिए आखिरी उड़ान भरी जाएगी। जबकि वापसी 14 अगस्त से शुरू होगी। गौरतलब है कि केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गत 26 सितंबर को हज यात्रा-2021 को लेकर इस बात के संकेत दे दिये थे कि उनका मंत्रालय अक्तूबर-नवंबर से हज यात्रा-2021 के लिए आवेदन जमा करने समेत सभी प्रकार की प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रहा है। जैसे ही सऊदी अरब सरकार के दिशानिर्देश और इसके लिए हरी झंडी मिली तो भारत ने उसी आधार पर कार्य योजना तैयार करके हज यात्रा के लिए आवेदन जमा करने की प्रक्रिया को शुरू कर दी है। मसलन अगले साल भारतीय श्रद्धालुओं की हज यात्रा की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। कोरोना की वजह से हज 2020 पर ना जा पाने वाले 1 लाख 23 हजार लोगों के 2100 करोड़ रुपए बिना किसी कटौती के वापस कर दिए गए। वहीं सऊदी अरब सरकार ने 2018-19 के हज यात्रियों के यातायात के लगभग 100 करोड़ रुपए वापस किए हैं। इस साल नहीं हो सकी हज यात्रा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार हज यात्रा-2020 कोरोना वायरस के कारण निरस्त कर दी गई थी, जिसमें 2.30 लाख से ज्यादा भारतीय श्रद्धालुओं ने आवेदन किया था। मंत्रालय के अनुसार इस साल कोई भी भारतीय हज यात्रा पर नहीं जा सका, जिसके लिए आवेदनकर्ताओं के जमा धनराशि को सरकार बिना किसी कटौती के पूरा वापस लौटा रही है। गौरतलब है कि इस मौजूदा साल यानी हज यात्र-2020 के लिए सऊदी अरब सरकार ने कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए रद्द करने का फैसला लिया है। हज कमिटी ऑफ इंडिया ने सभी हज यात्रियों का जमा पूरा रुपया वापस करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, जिसाके लिए कमेटी ने हज यात्रियों के इस जमा धन को उनके खातों में हस्तांतरित कराया है। मंत्रालय के अनुसार कोरोना की वजह से हज यात्रा-2020 रद्द होने के कारण भारत के 1 लाख 23 हजार लोगों के 2100 करोड़ रुपए बिना किसी कटौती के वापस कर दिए गए। वहीं सऊदी अरब सरकार ने 2018-19 के हज यात्रियों के यातायात के लगभग 100 करोड़ रुपए वापस किए हैं। 07Nov-2020

पंजाब में रेलवे ट्रैक पर आंदोलन से प्रभावित माल ढुलाई से बढ़ी परेशानी

राज्य के सांसदों और जनप्रतिनिध्यियों की रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब में करीब तीन दर्जन स्थानों पर धरना व प्रदर्शन के साथ रेलवे ट्रेक और परिसरों में चल रहे किसानों के आंदोलन के कारण यात्री ट्रेनें और मालगाड़ियों का आवागमन ठप पड़ा हुआ है। इन ट्रेनों से प्रभावित माल ढुलाई से बढ़ी परेशानी को लेकर पंजाब के आठ सांसदों ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करके रेल मार्गो पर ट्रेनों की बहाली के लिए समाधान निकालने की मांग की है। पंजाब राज्य में चल रहे किसान आंदोलन ने विशेष रूप से रेल संपत्ति को लक्षित करके पिछले एक महीने से राज्य में यात्री और माल गाड़ी सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया हुआ है। इसके कारण पंजाब का ही अब कोयले, उर्वरक, सीमेंट, पीओएल, कंटेनर और स्टील की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे थर्मल पावर प्लांट और अन्य उद्योगों के कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ा है। मालगाड़ियों के ठप होने से राज्य में प्रभावित हो रहे जनजीवन और बुनियादी आपूर्ति न होने से परेशानी को दूर करने के लिए गुरुवार को नई दिल्ली में पंजाब के सांसदों और भाजपा नेताओं के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की। रेल मंत्री गोयल को प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि पंजाब में संसाधनों की आपूर्ति के अभाव में किस तरह से जनजीवन, कृषि और उद्योग पूरी तरह से प्रभावित हो रहे है, इस कारण राज्य में परेशानी बढ़ रही है। प्रतिनिधिमंडल ने रेल मंत्री से जल्द से जल्द राज्य में रेल सेवाओं को बहाल कराने की मांग की। इसके लिए रेल मंत्री गोयल ने राज्य से आग्रह किया है कि पंजाब सरकार रेल पटरियों तथा रेल परिसंपत्ति पर प्रदर्शन कर रहे लोगों को तुरंत हटवाने की कार्यवाही करे, ताकिक देश तथा राज्य के लोगों के व्यापक हित में रेलगाड़ियों का पुनः संचालन किया जा सके। रेल मंत्री से मुलाकात करने वाले पंजाब के इस उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल में सांसदों के साथ केंद्रीय विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग, भाजपा प्रवक्ता आर.पी. सिंह, भाजपा के पंजाब प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी शर्मा भी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने रेल मंत्री को एक ज्ञापन सौंपकर पंजाब के संसाधनों की उपलब्धता का लेकर ट्रेने चलाने की मांग की है। गौरतलब है कि रेल मंत्रालय पहले ही सात नवंबर या रेल ट्रेक खाली होने तक निरस्त की गई ट्रेनों को बहाल करने से इंकार कर चुका है। रेलवे व पंजाब को करोड़ों का नुकसान सूत्रों के अनुसार इस बीच पंजाब में प्रदर्शनकारियों की ओर से रेलवे की संपत्तियों और स्टाफ को नुकसान पहुंचने की आशंका की वजह से रेल मंत्रालय ने राज्य में 7 नवंबर तक सभी तरह की रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद कर दिया है। हालांकि किसानों के धरने-प्रदर्शन और रेलवे ट्रैक्स के बाधित होने की वजह से राज्य में कई दिनों से मालगाड़ियों की आवाजाही ठप है। इस कारण जहां रेलवे का 1200 करोड़ से भी ज्यादा के राजस्व का नुकसान हुआ है, वहीं एक अनुमान के मुताबिक प्रदर्शन की अवधि में अकेले पंजाब सरकार को ही 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। मसलन ट्रेनों की आवाजाही नहीं होने का खामियाजा पंजाब के आम लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है। तो वहीं कोयले की आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से पंजाब के पांच थर्मल प्लांटस को बंद करना पड़ा है और राज्य में होने वाले बिजली उत्पादन में भारी गिरावट आई है। वहीं राज्य की औद्योगिक इकाइयों तक कच्चा माल ना पहुंचने और तैयार माल उनके निर्धारित स्थानों तक नहीं पहुंचने से प्राइवेट सेक्टर को भी करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा है। 06Nov-2020

जल जीवन मिशन: जलापूर्ति बुनियादी ढांचे का डिजिटलीकरण करेगी सरकार

िकसित होगी ‘स्मार्ट जलापूर्ति मापन एवं निगरानी प्रणाली’ हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति वितरण को मापने और निगरानी के लिए जल्द ही स्मार्ट ग्रामीण जल आपूर्ति इको-सिस्टम को विकसित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने ‘स्मार्ट जलापूर्ति मापन एवं निगरानी प्रणाली’ विकसित करने की दिशा में शुरू की गई ग्रैंड चैलेंज में आए आवदेनों का मूल्यांकन जारी किया है। केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक देश के हरेक ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन के जरिए स्वच्छ जल मुहैया कराने की मुहिम चलाई जा रही है। इस अभियान में विशेषकर नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और स्वचालित रूप से सेवा वितरण डेटा प्राप्तर करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेामाल करने का फैसला किया गया। मसलन जल आपूर्ति अवसंरचना के डिजिटलीकरण में वर्तमान समस्याओं को हल करने और भविष्य की चुनौतियों का अनुमान लगाने तथा उनका पता लगाने की क्षमता की दिशा में जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 'स्मार्ट जलापूर्ति मापन एवं निगरानी प्रणाली' विकसित करने के लिए आईसीटी ग्रैंड चैलेंज की घोषणा की थी। जल जीवन मिशन इस ग्रैंड चैलेंज का उपयोगकर्ता एजेंट होगा और सी-डैक, बैंगलोर कार्यान्वयन एजेंसी है, जो चैलेंज के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। सी-डैक शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (पीओसी) डेवलपमेंट के लिए तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगा। जलशक्ति मंत्रालय के जारी इस चेलैंज के मूल्यांकन के अनुसार इस चैलेंज में 218 आवेदनों के साथ देशभर में इंडियन टेक स्टार्ट-अप्स, इंडिविजुअल्स आदि विभिन्न क्षेत्रों की एलएलपी कंपनियों की उत्साही भागीदारी नजर आई। मंत्रालय के अनुसार ये आवेदन 46 व्यक्तियों, 33 कंपनियों, 76 भारतीय टेक स्टार्ट-अप, 15 एलएलपी कंपनियों और 43 एमएसएमई से प्राप्त किए गए थे। मंत्रालय ने बताया कि इन आवेदनों की लघुसूची में शामिल आवेदकों या संस्थाओं को विधिवत गठित जूरी यानि चयनकर्ताओं के सामने प्रस्तुति के लिए जल्द आमंत्रित किया जाएगा, जो इन ऑनलाइन प्रस्तुतियों का संचालन करेगा और प्रोटोटाइप विकास के अगले दौर के लिए शीर्ष 10 की पहचान के लिए आवेदनों की समीक्षा करेगा। मंत्रालय ने बताया कि इस ग्रैंड चैलेंज के तहत इस योजना में आइडिएशन टू प्रोटोटाइप स्टेज, प्रोटोटाइप टू प्रोडक्ट स्टेज, प्रोडक्ट डिप्लॉयमेंट स्टेज और तीन विजेताओं की घोषणा शामिल है। इन सभी चरणों को इलेक्ट्रॉ निक्स् एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के वित्तपोषण समर्थन के साथ किया जाएगा। इन चरणों के मूल्यांकन के आधार पर, एक विजेता और दो उपविजेताओं का चयन किया जाएगा और उन्हें विजेता के लिए 50 लाख रुपये और प्रत्येक रनर-अप के लिए 20 लाख रुपये दिए जाएंगे। 06Nov-2020

अरुणाचल के दूरदराज गांव माइमी तक पहुंचा जल जीवन मिशन

गांव की सामुदायिक भागीदारी में मार्च 2021 तक ‘हर घर जल’ पहुंचाने के लक्ष्यत हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। चीन सीमा के नजदीक अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से में नामसाई जिले के चौखाम ब्लॉक के तहत जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर स्थित हरे-भरे धान के खेतों के बीच एक छोटी सी जल धारा के किनारे एक निर्मल छोटा सा गांव माइली बसा हुआ है। महज 42 परिवार वाले इस गांव के ग्रामीण समुदाय ने भागीदारी का निर्णय लेकर इस मिशन को मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अरुणाचल प्रदेश के गांव माइमी में सभी ग्रामीण शांतिप्रिय और बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, जिनका मुख्यज व्योवसाय कृषि है। हालांकि उनमें से कुछ लोग सरकारी सेवा और अन्य व्यवसायों में भी लगे हुए हैं। ये लोग खुश रहते हैं और जीवन का आनंद उठाते हैं, लेकिन यहां के लोगों के लिए पीने के पानी की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इस समस्या के निदान के लिए केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन की डोर इस गांव तक पहुंची तो ग्रामीणों ने समुदायिक भागीदारी करने में ऐसा उत्साह दिखाया कि इस मिशन को आगामी मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य तय कर लिया। प्रमुख रूप से इस गांव में घर की महिलाओं को इस छोटी जल धारा से पानी लेना पड़ता था, हालांकि उनके घर इस जलधारा से लगभग 300 मीटर दूरी ही हैं। पीने और खाना पकाने, नहाने और कपड़े धोने के लिए साफ पानी की जरूरत होती है। इस जरुरत को पूरा करने के लिए ग्राम सभा की बैठक में ग्रामीणों के लिए जल जीवन मिशन नामक प्रमुख कार्यक्रम पेश किया गया, तो ग्रामीणों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा, जो उनके सपने सच होने जैसा था। गांव के हर घर तक एचडीपीई पाइप नेटवर्क के साथ गहरे बोरवेल से सौर ऊर्जा आधारित जल उपचार संयंत्र लगाने का ग्राम सभा द्वारा अनुमोदन किया गया। ग्रामीणों ने विभाग की मदद से पाइप नेटवर्क नक्शाण भी तैयार करके ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का भी गठन किया जिसकी भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के बारे में भी जानकारी दी गई। इनमें गाँव बरहा (गाँव के बुजुर्ग), आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता तथा स्कूल के शिक्षक शामिल किए गए। माइमी गाँव को जल उपलब्धी कराने की योजना का राज्य स्तरीय योजना मंजूरी समिति (एसएलएसएससी) द्वारा अनुमोदन किया गया है और इसे मार्च 2021 तक पूरा करने का प्रस्ताव है। ग्रामीणों ने श्रम के रूप में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी में अपना योगदान देना शुरू कर दिया है। हैंड पंप का दूषित पानी राज्य के माइमी गांव के घरों में हैंड पंप है, लेकिन उसका पानी दूषित है, जिसके पानी में दुर्गंध आती है और इस पानी से कपड़े धाने से कपड़े लाल रंग के हो जाते हैं। इसलिए इस पानी का उपयोग केवल साफ-सफाई, टॉयलेट फ्लशिंग जैसे कार्यों में किया जाता है। कभी-कभी जब कोई महिला जल धारा से पानी नहीं ला पाती, तो उसकी बेटियां यह कार्य करती हैं। मानसून के दौरान जल धारा ओवरफलो हो जाती है और इसमें मिट्टी मिल जाती है, जिसके कारण पानी में गंदगी बढ़ जाती है। तब गांव के लोग अपने पीने की पानी की जरूरत कम खुदाई किए गए कुंए से करने के लिए मजबूर होते हैं। इस कारण उनके बच्चेी बीमारी हो जाते हैं और अपनी अर्धवार्षिक स्कूल परीक्षा में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। डॉक्टर ने कहा कि यह दूषित जल उन्हें बीमार कर रहा है। यह माइमी गांव के हर घर की कहानी है। यहां लोगों को जल धारा और हैंड पंप के प्रदूषित पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। महिलाओं को अपनी दैनिक पानी की जरूरतों को के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। 06Nov-2020

इस बार समय से पहले कुम्हारों की मनी दीपावली!

खादी इंडिया के ई-पोर्टल के जरिए देश के कौने-कौने तक पहुंचे मिट्टी के दीये हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार को कुम्हार समुदाय के सशक्तिकरण की योजना इस बार दिवाली में खुशियां लेकर आई हैं। खासकर राजस्थान के जैसलमेर और हनुमानगढ़ जिलों के सुदूर हिस्सों में कुम्हारों द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीये खादी इंडिया के ई-पोर्टल की बदौलत देश के हर कोने तक पहुंच रहे हैं। दरअसल खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने इस साल प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण आत्मनिर्भर भारत के तहत ‘वोकल फॉर लोकल’ को सार्थक बनाने के लिए ऑनलाइन और स्टोर के जरिये से दीया बेचने का फैसला किया था। पीएम की कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत कुम्हारों द्वारा बनाए गये आकर्षक दीयों की ऑनलाइन बिक्री केवीआईसी ने 8 अक्टूबर को ही शुरू कर दी थी और एक माह के कमस समय में ही करीब 10 हजार दीये दीपावली से पहले ही ऑनलाइन बिक चुके हैं। केवीआईसी की ऑनलाइन बिक्री के शुरू होने के बाद पहले दिन से ही मिट्टी के दीयों की भारी मांग रही और 10 दिनों से भी कम समय में डिजाइनर दीयों को पूरी तरह से बेच दिया गया था। केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने बताया कि इसके केवीआईसी ने डिजाइनर दीयों के नए सेट लॉन्च करते ही मिट्टी के दीयों की भारी मांग बढ़ती देखी गई, जो दीवाली का समय नजदीक आते हुए बिक्री तेजी से बढ़ रही है। सक्सेना के अनुसार केवीआईसी ने 8 प्रकार के डिजाइनर दीये लॉन्च किए हैं, जिनकी कीमत 84 रुपये से लेकर 12 के सेट के लिए 108 रुपये है। केवीआईसी इन दीयों पर 10 प्रतिशत की छूट भी दे रहा है। पोखरण में पुनर्जिवित हुई प्रचानी कला केवीआईसी ई-पोर्टल के माध्यम से राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के जैसलमेर और रावतसर में पोखरण में कुम्हार सशक्तिकरण योजना के जरिए मिट्टी के कलात्मक बर्तन बनाने की कला पुनर्जीवित हुई है। राजस्थान में निर्मित दीये अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, केरल, असम, महाराष्ट्र, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे दूरस्थ राज्यों में खरीदे जा रहे हैं। खादी के डिजाइनर दीये वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। यही नहीं केवीआईसी दिल्ली और अन्य शहरों में अपने आउटलेट के माध्यम से दीया और अन्य मिट्टी की वस्तुओं जैसे लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों और अन्य सजावट के सामान भी बेच रहा है। ये मूर्तियां वाराणसी, राजस्थान, हरियाणा और अन्य राज्यों में कुम्हारों द्वारा बनाई जा रही हैं और कुम्हारों के लिए अच्छी आय का जरिया बन रही हैं, जो कुम्हारों को सशक्त बनाना और मिट्टी के बर्तनों को पुनर्जीवित करना प्रधानमंत्री का सपना है। मदन की खुशी का ठिकाना नहीं केवीआईसी के अनुसार राजस्थान के पोखरण में पीएमईजीपी इकाई के ऐसे ही एक कुम्हार मदन लाल प्रजापति का कहना है कि यह पहली बार है जब वह अपने गांव के बाहर दीये बेच रहे हैं, जिसके कारण वह बेहद उत्साहित और खुश है। उसने कहा कि इस बार की दिवाली में हमारी बिक्री में तेजी आई है। हम दिल्ली में खादी भवन में अपने दीये की आपूर्ति कर रहे हैं और वहां से इसे पूरे देश में ऑनलाइन बेचा जा रहा है, जिससे उसकी आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी हो रही है। गौरतलब है कि केवीआईसी ने बिजली चालित चाकों का वितरण करने से पहले कुम्हारों को प्रशिक्षित किया है और उन्हें कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत बिजली के चाक और अन्य उपकरण प्रदान किए हैं, जिससे उनके उत्पादन और आय में 5 गुना तक वृद्धि हुई है। केवीआईसी की इस योजना ने अब तक कुम्हार समुदाय के 80 हजार से अधिक लोगों को लाभान्वित करने वाले 18 हजार से अधिक इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील्स वितरित किए हैं। 06Nov-2020

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

हिमाचल में जल्द शुरू होगी लुहरी जल विद्युत परियोजना

केंद्र सरकार ने परियोजना के पहले चरण के लिए दी 1810 करोड़ के निवेश को मंजूरी परियोजना से से हर साल होगा 758.20 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और शिमला जिलों में सतलुज नदी पर स्थित 210 मेगावाट क्षमता वाली लुहरी जल विद्युत परियोजना के प्रथम चरण के लिए 1810.56 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस परियोजना से प्रतिवर्ष 758.20 मिलियन विद्युत यूनिट का उत्पादन होगा। यहां नई दिल्ली में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में आर्थिक मामलों की समिति द्वारा इस मंजूरी से सतलुज नदी पर 210 मेगावाट क्षमता वाली लुहरी जल विद्युत परियोजना के पहले चरण का काम जल्द शुरू हो सकेगा। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि इस परियोजना में भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार की सक्रिय भागीदारी है। इस परियोजना को ‘बनाओ-स्वामित्व-संचालन-रखरखाव यानि बिल्ड–ऑन–ऑपरेट–मेंटेन-बीओओएम’ आधार पर सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना से संबंधित समझौता ज्ञापन पर पिछले साल नवंबर में आयोजित ‘राइजिंग हिमाचल, ग्लोबल इन्वेस्टर मीट’ के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ हस्ताक्षर किए गए थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 नवंबर 2019 को इस परियोजना का उद्घाटन किया था। इस परियोजना का पहला चरण 62 माह में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। 2030 तक 12 हजार मेगावाट उत्पादन की उम्मीद- भारत सरकार इस परियोजना में आधारभूत विकास के ढांचे के लिए 66.19 करोड़ रुपये का अनुदान उपलब्ध कराकर सहायता प्रदान कर रही है और इससे बिजली की दरों में कमी लाने में मदद मिली है। सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड ने नवीकरणीय ऊर्जा विद्युत वितरण और तापीय विद्युत उत्पादन क्षेत्र में काफी जोरदार पहल की है। निगम ने वर्ष 2023 तक सभी स्रोतों से अपने कुल स्थापित क्षमता का 5000 मेगावाट उत्पादन का आंतरिक वृद्धि लक्ष्य रखा है। इसमें वर्ष 2030 तक 12000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 25000 मेगावाट विद्युत उत्पादन की परिकल्पना की गई है। परियोजना से सुधरेगी वायु की गुणवत्ता- केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली से ग्रिड स्थायित्व में मदद मिलेगी और बिजली की आपूर्ति में सुधार होगा। ग्रिड को महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराने के अलावा वातावरण में प्रतिवर्ष उत्सर्जित होने वाली 6.1 लाख टन कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा में भी इस परियोजना से कमी आएगी और इससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा। इस परियोजना की निर्माणात्मक गतिविधियों से इसके आसपास लगभग 2000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। जिससे राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। इस परियोजना की समय अवधि 40 वर्ष है और इससे हिमाचल प्रदेश को 1140 करोड़ रुपये मूल्य की निःशुल्क बिजली मिलेगी। इस परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों को अगले 10 वर्ष तक प्रतिमाह 100 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी। 05Nov-2020

पंजाब में किसान आंदोलन से रेलवे को लगी करोड़ो की चपत

कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में 32 जगह रेलवे ट्रैक पर आंदोलन जारी महज तीन दिन में हुआ 1200 करोड़ रुपये का नुकसान यात्री ट्रेनों के रदद होने के कारण रु. 45 करोड के कुल राजस्व की हानि रेल ट्रैकों पर जमे किसानों के कारण 1373 यात्री व 2225 माल गाड़ी ट्रेनें प्रभावित हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब में 32 स्थानों पर रेलवे परिसर और ट्रैकों पर किसान संगठनों को आंदोलन जारी रहने से रेलवे को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। नवंबर माह के पहले तीन दिन में ही इस आंदोलन के कारण 1373 यात्री ट्रेनों और 2225 से अधिक माल गाड़ियों के रद्द होने से उत्तर रेलवे को यात्रि ट्रेनों से 45 करोड़ रुपये समेत करीब 1200 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। रेल मंत्रालय के अनुसार पंजाब में किसानों द्वारा रेल पटरियों को बाधित किये जाने से रेल यात्रा और माल भाड़ा ढुलाई की गतिविधियां ठप होने के कारण 1200 करोड़ रुपये से भी ज्यादा राजस्व का नुकसान हुआ है। रेलवे के अनुसार इस किसान आंदोलन के कारण 1373 यात्री ट्रेनों और 2225 से अधिक माल गाड़ियों को रद्द करना पड़ा है। मंत्रालय के अनुसार प्रदर्शनकारी प्लेटफॉर्मों और रेल पटरियों के नजदीक धरना दे रहे हैं, जिसकी वजह से संचालनात्मक और सुरक्षा कारणों को लेकर ट्रेनों की आवाजाही एक बार फिर रद्द की गई है। किसानों का यह आंदोलन जान्दियाला, नाभा, तलवंडी, साबू और भटिण्डा में अचानक पटरियों को रोके जाने से ट्रेनों की आवाजाही संचालन और सुरक्षा कारणों की वजह से एक बार फिर रोकी गई। इस किसान आंदोलन की वजह से काफी संख्या में माल भाड़ा ढुलाई रेल गाड़ियां और भरी हुई रेल गाड़ियां 15 से 20 दिनों से फँसी हुई हैं। व्यापार में हुए नुकसान के बाद अनेक माल भाड़ा उपभोक्ता आवश्यक वस्तुओं को भेजने अन्य विकल्पों का सहारा ले रहे हैं। पंजाब से आवश्यक वस्तुओं को लेकर बाहर जाने वाली रेल गाड़ियों पर भी इसका असर पड़ा है। इसकी वजह से खाद्यानों, कन्टेनर, ऑटोमोबाइल, सीमेंट, पेटकोक और उर्वरकों की लोडिंग पर पंजाब में औसतन 40 रैक प्रतिदिन का नुकसान हुआ है। पंजाब में आने वाला यातायात भी इसकी वजह से प्रभावित हुआ है और आंदोलन के कारण कंटेनर, सीमेंट, जिप्सन, उर्वरक राज्य में महत्वपूर्ण स्थानोंपर पहुंच नहीं पा रहे हैं और यह प्रतिदिन 30 रैक का औसतन नुकसान है। आंदोलन के कारण 33 रेल इंजनों के पहिए भी थमे उधर उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बुधवार को पंजाब में 32 जगहों पर रेलवे परिसरों व पटरियों पर किसानों के रेल रोको आंदोलन के बारे में बताया कि कि इस आंदोलन के कारण यात्री ट्रेनों व मालगाड़ियों के प्रभावित होने से उत्तर रेलवे को 1200 करोड़ रुपये के राजस्व का यह नुकसान महज तीन दिन यानि एक नवंबर से तीन नवंबर के बीच आंका गया है। गंगल ने बताया कि पंजाब के रेल मार्गो पर प्रतिदिन आवागमन करने वाले औसतन 70 रैक का संचालन पूरी तरह से प्रभावित है। गंगल ने बताया कि पंजाब राज्य से कोयला, उर्वरक, सीमेंट, पीओएल, कंटेनर, इस्पात तथा अन्य वस्तुओं के 230 रैकों का पंजाब में आना रूक गया और पंजाब राज्य में विभिन्न वस्तुओं के कुल 33 रैक वहीं रूक गए हैं। जबकि पंजाब में विभिन्न स्थानों पर कुल 33 रेल इंजन के पहिये भी थमे हुए हैं। मसलन यह किसान आंदोलन विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति और शेष भारत में खाद्यान्न तथा उवर्रक की आपूर्ति को भी व्यापक रूप से प्रभावित कर रहा है। उन्होंने बताया कि गत एक अक्टूबर से पंजाब में 32 विभिन्न स्थानों पर रेलवे लाइन और प्लेटफॉर्म पर धरना दे रहे हैं। जनजीवन भी प्रभिवत- रेल मंत्रालय ने पटरियों की सुरक्षा तथा रेलवे गतिविधियों को दोबारा शुरू करने के मद्देनजर स्टाफ की सुरक्षा को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री को 26 अक्टूबर को पत्र लिखा था। खासकर कोविड महामारी के समय यात्रियों को गम्भीर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पंजाब में कई स्थानों पर रेल पटरियों को लगातार बाधित किए जाने की वजह सेकई स्थानों पर से मालभाड़ा गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ने से खेती, उद्योग और आधारभूत ढांचे से जुड़े क्षेत्रों को आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता पर असर पड़ा है। पंजाब, जम्मू कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में आवश्यक वस्तुओं को लाने और लेजाने वाली सभी रेलगाड़ियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। रेलवे ने दिवाली और छठ विशेष ट्रेनों से हटाए अनारक्षित कोच हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने दीवाली व छठ जैसे त्‍योहारों के दौरान रेल यात्रा की सुविधा देते हुए कई विशेष ट्रेनें चलाई हैं, लेकिन इन ट्रेनों में लगाए गये सभी आरक्षित कोचों के कारण अनारक्षित टिकट पर यात्रा नहीं हो सकेगी। यही नहीं बिना आरक्षित टिकट के रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर भी प्रवेश नहीं मिलेगा। रेल मंत्रालय ने दीवाली और छठ त्योहार विशेष ट्रेनों के लिए बुधवार को यात्रियों के लिए इस जानकारी को सार्वजनिक किया है। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि कोरोना महामारी के दिशानिर्देशों के अनुसार इन त्योहार विशेष रेलगाड़ियों में केवल आरक्षित टिकट पर ही यात्रा करने की अनुमति होगी, जिसे देखते हुए इन ट्रेनों से सभी अनारक्षित कोचों को हटा लिया गया है। इसलिए त्यौहारों के दौरान इन ट्रेनों में यात्रा करने के लिए रेलवे ने सार्वजनिक सूचना के जरिए आरक्षण कराने का आव्हान किया है। उत्तर रेलवे के अनुसार आरक्षित टिकट के बिना किसी भी यात्री को रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस संबन्ध में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने बताया कि फिलहाल 736 विशेष रेलगाड़ियां चलाई जा रही हैं, जिनमें 327 ट्रेनें प्रतीक्षारत हैं। इन 327 ट्रेनों की लगातार निगरानी की जा रही है, ताकि प्रतीक्षा सूची का निर्धारण होने के बाद ऐसे रेल मार्गो पर क्लोन ट्रेने चलाने पर विचार किया जाएगा। भारतीय रेलवे ने 21 सितंबर से ऐसी क्लोन ट्रेनों के रूप में 20 रेलगाड़ियों को चलाया है। जबकि त्योहार विशेष रेलगाड़ियों के रूप में 436 ट्रेनों को चलाया गया है, जिनकी संख्या आवश्यकता के अनुसार बढ़ाने की भी योजना है। किसान आंदोलन: एक दर्जन से ज्यादा और ट्रेने रद्द पंजाब में किसान आंदोलन को देखते हुए रेलवे ने बुधवार को एक दर्जन से ज्यादा और ट्रेनों को रद्द कर दिया है। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पंजाब व हरियाणा की ओर आने जाने वाली ट्रेनों को रद्द करने का कारण पंजाब में करीब तीन दर्जन स्थानों पर रेलवे ट्रैक व स्टेशनों पर धरना देकर आंदोलन कर रहे किसान हैं, जिससे लगातार ट्रेनें प्रभावित हो रही हैं। इन निरस्त ट्रेनों में दोनों और से आने जाने वाली नई दिल्ली-जम्मूतवी-नई दिल्ली एक्सप्रेस विशेष, अमृतसर-हरिद्वार एक्सप्रेस, नई दिल्ली-श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा-नई दिल्ली वंदेभारत एक्सप्रेस, नई दिल्ली-श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा एक्सप्रेस, नई दिल्ली-कालका-नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस विशेष ट्रेनों को निरस्त कर दिया गया है। इसके अलावा पूजा यानि त्यौहार विशेष ट्रेनों में जम्मूतवी-अजमेर-जम्मूतवी, लखनऊ-चंडीगढ़-लखनऊ, बाडमेर-ऋषिकेश-बाडमेर, दिल्ली-बठिंडा-दिल्ली, श्रीगंगानगर-दिल्ली-श्रीगंगानगर, नई दिल्ली-कटरा-नई दिल्ली, चंडीगढ़-गोरखपुर-चंडीगढ़, चंडीगढ़-पाटलीपुत्र-चंडीगढ़, अजमेर-अमृतसर-अजमेर तथा जम्मूतवी-हावड़ा-जम्मूतवी पूजा विशेष ट्रेनों को निरस्त किया गया है। इसके अलावा कुछ ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया गया है, तो वहीं कुछ को आंशिक रूप से रद्द किया गया है। 05Nov-2020

बुधवार, 4 नवंबर 2020

बैंक ऑफ बडौदा ने वापस लिया नये नियम लागू करने का फैसला

ित्त मंत्रालय ने स्पष्ट की सेवा शुल्क की तथ्यात्मक स्थिति हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। गत एक नवंबर से कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों यानि पीएसबी द्वारा सेवा शुल्क में बेतहाशा वृद्धि करने के संबन्ध में आई मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने इस संबन्ध में तथ्यात्मक स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित मुफ्त सेवाओं के जन धन खातों सहित बुनियादी बचत बैंक जमा खातों पर कोई सेवा शुल्क लागू नहीं है। वहीं बैंक ऑफ बडौदा द्वारा परिवर्तित नियमों को भी कोरोना महामारी के कारण वापस ले लिया है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मीडिया रिपोर्टों में कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा सेवा शुल्क में बेतहाशा वृद्धि का उल्लेख किया गया है। जबकि तथ्यात्मक स्थिति के अनुसार जन धन खातों सहित बुनियादी बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाते भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित मुफ्त सेवाओं के लिए समाज के गरीब और बैंकों से अछूते रहे तबकों द्वारा खोले गए 41.13 करोड़ जन धन खातों सहित 60.04 करोड़ बुनियादी बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खातों पर कोई सेवा शुल्क लागू नहीं है। मंत्रालय के अनुसार नियमित बचत खाते, चालू खाते, नकद उधार खाते और ओवरड्राफ्ट खातों में शुल्क तो नहीं बढ़ाया गया है, लेकिन बैंक ऑफ बड़ौदा ने 1 नवंबर 2020 से प्रति माह मुफ्त नकद जमा और निकासी की संख्या के संबंध में कुछ परिवर्तन किए थे, जिसमें मुफ्त नकद जमा एवं निकासी की संख्या प्रति माह 5 से घटाकर प्रति माह 3 कर दी गई है, जिसमें इन मुफ्त लेनदेन से अधिक लेनदेन के लिए शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बैंक ऑफ बडौदा ने वापस लिया निर्णय- मंत्रालय के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा ने सूचित किया है कि वर्तमान कोविड से जुड़ी स्थिति के आलोक में उन्होंने इन परिवर्तनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इसके अलावा हाल में किसी अन्य पीएसबी ने इस तरह के शुल्क में वृद्धि नहीं की गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार पीएसबी सहित सभी बैंकों को उचित, पारदर्शी और भेदभावरहित तरीके से अपनी सेवाओं के एवज में इस पर आने वाले लागतों के आधार पर शुल्क लगाने की अनुमति है। लेकिन अन्य पीएसबी ने भी यह सूचित किया है कि कोविड महामारी के मद्देनजर निकट भविष्य में बैंक शुल्कों में बढ़ोतरी करने का उनका कोई प्रस्ताव नहीं है। क्या था बैंक ऑफ बड़ौदा का नया नियम- बैंक ऑफ बड़ौदा ने पैसे जमा करने और निकालने के नियम में बदलाव करते हुए एक नवंबर से बैंक में खाताधारकों को अपना पैसा जमा करने और निकालने के लिए भी शुल्क लागू किया था, जिसमें तय सीमा से ज्यादा बैंकिंग करने पर खाताधारकों को अलग से शुल्क लगाने का निर्णय लिया था। मसलन बैंक ऑफ बड़ौदा नए नियम के मुताबिक खाताधारकों को चालू खाते, बचत खाते में से कैश क्रेडिट लिमिट और ओवरड्राफ्ट अकाउंट से कैश जमा-निकासी के लिए अलग-अलग चार्ज लागू किया था और हर तरह के खाते के लिए यह चार्ज अलग-अलग होगा। बैंक ऑफ बड़ौदा के नियम के मुताबिक लोन अकाउंट के लिए महीने में तीन बार के बाद खाताधारक जितनी बार अपने खाते से पैसा निकालेंगे, उन्हें हर बार 150 रुपए चार्ज के तौर पर भुगतान करना होगा। वहीं बचत खाते में तीन बार के बाद पैसा निकालने पर 40 रुपए सर्विस चार्ज देना होगा। खाताधारकों को खाते में पैसा जमा करने या माह में तीन बार से ज्यादा बार निकालने पर भी शुल्क लागू किया था यानि चौथी बार रकम निकालने पर चालू खातेदार पर 150 रुपये और बचत खातेदार पर 40 रुपये का सेवा शुल्क लागू किया गया था। हालांकि जनधन खाताधारकों को बैंक खाते में जमा करने पर कोई शुल्क नहीं लगाया गया, लेकिन तय सीमा के बाद खाते से पैसे निकालने पर 100 रुपए का चार्ज वसूलने का निर्णय था। अब कोरोना महामारी के मद्देनजर बैंक ऑफ बडौदा ने इन नए नियमों को लागू करने का फैसला वापस ले लिया है, जिसकी पुष्टि वित्त मंत्रालय द्वारा की गई है। 04Nov-2020

जल जीवन मिशन के लक्ष्य पूरा करने को गंभीर हुई केंद्र सरकार

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने राज्यों मंत्रियों के साथ की ऑनलाइन समीक्षा बैठक हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्रीय जल मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण जल आपूर्ति मंत्रियों के साथ जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करते हुए 2024 तक देश के सभी ग्रामीण घरों में पीने का शुद्ध पानी मुहैया कराने के लिए नल जल कनेक्शन देने में तेजी लाने का आव्हान किया। केंद्रीय जल मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने एक आभासी सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए मंगलाव को जल जीवन मिशन के तहत की गई प्रगति की समीक्षा करते हुए उम्मीद जताई कि सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश हर घर नल- हर घर जल ’सुनिश्चित करने के लिए इस मिशन के कार्यान्वयन में तेजी से काम करेंगे, जिसमें उन्होंने जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की गति, पैमाने और कौशल के साथ नियोजन, प्रगति और रोडमैप पर चर्चा करते हुए इसके कार्यान्वयन को गति देने का आग्रह किया। उन्होंने राज्यों से कहा कि जल जीवन मिशन लोगों के जीवन की सुगमता सुनिश्चित करेगा, वहीं जल की गुणवत्ता में सुधार और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इस ऑनलाइन समीक्षा बैठक में जल शक्ति राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल तथा त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विपल्व के अलावा ज्यादा राज्यों के जल शक्ति मंत्रियों और उनके प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेते हुए चर्चा की। सभी राज्यों ने इस मिशन के लक्ष्य को समयसीमा के भीतर हासिल करने की प्रतिबद्धता को दोहराया। केंद्र सरकार ने राज्यों को इसके लिए हर संभव मदद करने का भरोसा भी दिया है। गोवा ने हासिल किया शतप्रतिशत लक्ष्य- इस मिशन के तहत कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन के लिए शतप्रतिशत कार्यान्वयन के लिए विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा तैयार की गई योजनाओं की जानकारी देते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि इस मिशन के तहत ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन के जरिए पीने का पानी मुहैया कराने के लिए गोवा ने मौजूदा 2020 में शतप्रतिशत लक्ष्य हासिल कर पहला स्थान प्राप्त किया है। जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, बिहार, पुदुचेरी, तेलंगाना ने 2021 में शतप्रतिशत लक्ष्य हासिल करने की योजना तैयार की है। हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, पंजाब, सिक्किम, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश 2022 में सभी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन प्रदान करेगा। मंत्रालय के अनुसार छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के अलावा अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, तमिलनाडु व त्रिपुरा ने इस लक्ष्य को 2023 में शतप्रतिशत करने की कार्ययोजना तैयार की है। जबकि राष्ट्रीय लक्ष्य 2024 तक मिशन के शतप्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने के लिए असम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल ने कार्य योजना बनाने का दावा किया है। पानी की गुणवत्ता पर फोकस- इस समीक्षा के दौरान बताया गया कि देश के राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में 2,233 सरकारी स्वामित्व वाली जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएँ हैं। अधिकांश राज्यों में ये प्रयोगशालाएं केवल पानी के नमूनों का परीक्षण करती हैं। जबकि कुछ राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में ये प्रयोगशालाएँ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, लेकिन परीक्षण के लिए ज्यादा के कारण सामान्य परिवार के लिए जल का नमूना लेना और परीक्षण करवाना संभव नहीं है। इसीलिए मिशन इन प्रयोगशालाओं को उनके जल के नमूनों को नाममात्र शुल्क पर परीक्षण के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कारने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए जल समितियों को जल परीक्षण के लिए किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण भी दे रहा है। यह प्रयास पानी को पीने की क्षमता बढ़ाने के साथ ही इन प्रयोगशालाओं को एकीकृत करने और उन्हें आम जनता के लिए सुलभ बनाने से नल के माध्यम से आपूर्ति की गई जल की क्षमता का पता लगाने में मदद करेगा। 04Nov-2020