गुरुवार, 5 नवंबर 2020

हिमाचल में जल्द शुरू होगी लुहरी जल विद्युत परियोजना

केंद्र सरकार ने परियोजना के पहले चरण के लिए दी 1810 करोड़ के निवेश को मंजूरी परियोजना से से हर साल होगा 758.20 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और शिमला जिलों में सतलुज नदी पर स्थित 210 मेगावाट क्षमता वाली लुहरी जल विद्युत परियोजना के प्रथम चरण के लिए 1810.56 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस परियोजना से प्रतिवर्ष 758.20 मिलियन विद्युत यूनिट का उत्पादन होगा। यहां नई दिल्ली में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में आर्थिक मामलों की समिति द्वारा इस मंजूरी से सतलुज नदी पर 210 मेगावाट क्षमता वाली लुहरी जल विद्युत परियोजना के पहले चरण का काम जल्द शुरू हो सकेगा। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि इस परियोजना में भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार की सक्रिय भागीदारी है। इस परियोजना को ‘बनाओ-स्वामित्व-संचालन-रखरखाव यानि बिल्ड–ऑन–ऑपरेट–मेंटेन-बीओओएम’ आधार पर सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना से संबंधित समझौता ज्ञापन पर पिछले साल नवंबर में आयोजित ‘राइजिंग हिमाचल, ग्लोबल इन्वेस्टर मीट’ के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ हस्ताक्षर किए गए थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 नवंबर 2019 को इस परियोजना का उद्घाटन किया था। इस परियोजना का पहला चरण 62 माह में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। 2030 तक 12 हजार मेगावाट उत्पादन की उम्मीद- भारत सरकार इस परियोजना में आधारभूत विकास के ढांचे के लिए 66.19 करोड़ रुपये का अनुदान उपलब्ध कराकर सहायता प्रदान कर रही है और इससे बिजली की दरों में कमी लाने में मदद मिली है। सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड ने नवीकरणीय ऊर्जा विद्युत वितरण और तापीय विद्युत उत्पादन क्षेत्र में काफी जोरदार पहल की है। निगम ने वर्ष 2023 तक सभी स्रोतों से अपने कुल स्थापित क्षमता का 5000 मेगावाट उत्पादन का आंतरिक वृद्धि लक्ष्य रखा है। इसमें वर्ष 2030 तक 12000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 25000 मेगावाट विद्युत उत्पादन की परिकल्पना की गई है। परियोजना से सुधरेगी वायु की गुणवत्ता- केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली से ग्रिड स्थायित्व में मदद मिलेगी और बिजली की आपूर्ति में सुधार होगा। ग्रिड को महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराने के अलावा वातावरण में प्रतिवर्ष उत्सर्जित होने वाली 6.1 लाख टन कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा में भी इस परियोजना से कमी आएगी और इससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा। इस परियोजना की निर्माणात्मक गतिविधियों से इसके आसपास लगभग 2000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। जिससे राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। इस परियोजना की समय अवधि 40 वर्ष है और इससे हिमाचल प्रदेश को 1140 करोड़ रुपये मूल्य की निःशुल्क बिजली मिलेगी। इस परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों को अगले 10 वर्ष तक प्रतिमाह 100 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी। 05Nov-2020

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