सोमवार, 30 नवंबर 2020

कोरोना काल में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पर खरा उतारा एमएसएमई क्षेत्र

स्वदेशी उत्पादों के साथ चिकित्सीय सामानों की मांग को किया पूरा हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। एमएसएमई क्षेत्र में कोविड-19 चुनौती से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी आधारित अनेक पहल और कार्यक्रम प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के मिशन को आगे बढ़ाने में कारगर कदम साबित हुए हैं। इस कोरोना काल के संकट में इस क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादों के साथ हैंड सेनिटाइजर, मास्क और अन्य चिकित्सीय सामग्रियों का निर्माण करके देश में बढ़ी हुई मांग को पूरा किया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय ने इस संबन्ध में गुरुवार को बताया कि एमएसएमई क्षेत्र में शुरू की गइर इन पहलों और कार्यक्रमों की सहायता से देश न केवल पर्याप्त हैंड सेनिटाइजर बोतल डिस्पेंसर्स का निर्माण बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए करता है, बल्कि देश इसके निर्यात के लिए भी तैयार है। इन पहलों से भारत को हैंड सैनिटाइज करने की सामग्रियों में आत्मनिर्भरता हासिल हुई है और इन कार्यक्रमों ने मास्क, फेस शील्ड, पीपीई किट, सैनिटाइजर बॉक्स, जांच सुविधाओं आदि को विकसित करने या बनाने में काफी योगदान दिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इन पहलों और उपलब्धियों पर टीम एमएसएमई की सराहना की है। मंत्रालय के अनुसार कोविड-19 के दौरान हैंड सैनिटाइजर और इसकी बोतलों की मांग काफी बढ़ी, तो बोतल डिस्पेंसर (पम्प) की भी मांग कई गुना बढ़ी। कोविड के पहले बोतल डिस्पेंसरों/पम्पों की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन लगभग 5 लाख थी। मांग पूरी करने के लिए चीन से डिस्पेंसर आयात करने के प्रयास किए जा रहे थे लेकिन बाहर से आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह बाधित थी जिसके देश में ऐसे डिस्पेंसरों के मूल्य में काफी वृद्धि हुई। इससे भारतीय बाजार में सैनिटाइजर की कीमत बढ़ी। इस क्षेत्र में तेजी से हुए ऐसे उत्पादों के निर्माण से इनकी कीमतों में भी कमी आई है। मंत्रालय की पहलों का सकारात्मक असर मंत्रालय के अनुसार कोरोना काल में इस समस्या से निपटने के लिए एमएसएमई सचिव ने मई के प्रारम्भ में हितधारकों के साथ अनेक दौर की बैठकें करके अखिल भारतीय प्लास्टिक एसोसिएशन (एआईपीएमए), अखिल भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माता आदि सहित उद्योगों को प्रोत्साहित किया, ताकि स्थानीय स्तर पर डिस्पेंसर बनाने के काम में तेजी लाई जा सके। इसके अलावा निजी क्षेत्र को क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया, लेकिन यह महसूस किया गया कि उत्पादन में अचानक वृद्धि संभव नहीं है। टेक्नोलॉजी केन्द्रों से आत्मनिर्भरता बढ़ी एमएसएमई मंत्रालय ने टेक्नोलॉजी केन्द्रों (टीसी) को प्रेरित किया। इस दिशा में कदम उठाते हुए मंत्रालय ने 26 करोड़ रुपये की नई मशीन खरीदने के उद्देश्य से टेक्नोलॉजी केन्द्रों के अनुदान को मंजूरी दी ताकि विभिन्न उत्पाद तैयार किए जा सकें। टेक्नोलॉजी केन्द्रों में डिस्पेंसरों के लिए मॉल्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई क्योंकि मल्टी कैविटी (16 या 24 कैविटी) मॉल्ड देश में नहीं बनाए जा रहे थे। समय-सीमा कम करने के लिए समानान्तर रूप से अहमदाबाद, लुधियाना, औरंगाबाद, जमशेदपुर, हैदराबाद, मुम्बई के विभिन्न स्थानों पर अनेक टेक्नोलॉजी केन्द्रों को आवश्यक सात मॉल्ड वितरित किए गए। इसका नतीजा यह हुआ कि देश के इन टेक्नोलॉजी केन्द्रों द्वारा उत्पादन के लिए उद्योग को सैनिटाइजर पंपों के दो प्रकार के मॉल्ड उपलब्ध कराए गए हैं। टीसी लुधियाना द्वारा 30 एमएम तथा 24 एमएम के फ्लिप कैप मॉल्ड भी विकसित किए गए। इससे प्रेरित होकर कुछ निजी टूल रूम भी मॉल्ड बना रहे हैं। मसलन इन पहलों से अब हम डिस्पेंसर बनाने में लगभग आत्मनिर्भर हो गये हैं। जहां वर्तमान में लगभग प्रतिदिन 40 लाख का उत्पादन हो रहा है। 20Nov-2020

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