सोमवार, 30 नवंबर 2020

अरुणाचल के दूरदराज गांव माइमी तक पहुंचा जल जीवन मिशन

गांव की सामुदायिक भागीदारी में मार्च 2021 तक ‘हर घर जल’ पहुंचाने के लक्ष्यत हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। चीन सीमा के नजदीक अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से में नामसाई जिले के चौखाम ब्लॉक के तहत जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर स्थित हरे-भरे धान के खेतों के बीच एक छोटी सी जल धारा के किनारे एक निर्मल छोटा सा गांव माइली बसा हुआ है। महज 42 परिवार वाले इस गांव के ग्रामीण समुदाय ने भागीदारी का निर्णय लेकर इस मिशन को मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अरुणाचल प्रदेश के गांव माइमी में सभी ग्रामीण शांतिप्रिय और बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, जिनका मुख्यज व्योवसाय कृषि है। हालांकि उनमें से कुछ लोग सरकारी सेवा और अन्य व्यवसायों में भी लगे हुए हैं। ये लोग खुश रहते हैं और जीवन का आनंद उठाते हैं, लेकिन यहां के लोगों के लिए पीने के पानी की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इस समस्या के निदान के लिए केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन की डोर इस गांव तक पहुंची तो ग्रामीणों ने समुदायिक भागीदारी करने में ऐसा उत्साह दिखाया कि इस मिशन को आगामी मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य तय कर लिया। प्रमुख रूप से इस गांव में घर की महिलाओं को इस छोटी जल धारा से पानी लेना पड़ता था, हालांकि उनके घर इस जलधारा से लगभग 300 मीटर दूरी ही हैं। पीने और खाना पकाने, नहाने और कपड़े धोने के लिए साफ पानी की जरूरत होती है। इस जरुरत को पूरा करने के लिए ग्राम सभा की बैठक में ग्रामीणों के लिए जल जीवन मिशन नामक प्रमुख कार्यक्रम पेश किया गया, तो ग्रामीणों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा, जो उनके सपने सच होने जैसा था। गांव के हर घर तक एचडीपीई पाइप नेटवर्क के साथ गहरे बोरवेल से सौर ऊर्जा आधारित जल उपचार संयंत्र लगाने का ग्राम सभा द्वारा अनुमोदन किया गया। ग्रामीणों ने विभाग की मदद से पाइप नेटवर्क नक्शाण भी तैयार करके ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का भी गठन किया जिसकी भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के बारे में भी जानकारी दी गई। इनमें गाँव बरहा (गाँव के बुजुर्ग), आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता तथा स्कूल के शिक्षक शामिल किए गए। माइमी गाँव को जल उपलब्धी कराने की योजना का राज्य स्तरीय योजना मंजूरी समिति (एसएलएसएससी) द्वारा अनुमोदन किया गया है और इसे मार्च 2021 तक पूरा करने का प्रस्ताव है। ग्रामीणों ने श्रम के रूप में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी में अपना योगदान देना शुरू कर दिया है। हैंड पंप का दूषित पानी राज्य के माइमी गांव के घरों में हैंड पंप है, लेकिन उसका पानी दूषित है, जिसके पानी में दुर्गंध आती है और इस पानी से कपड़े धाने से कपड़े लाल रंग के हो जाते हैं। इसलिए इस पानी का उपयोग केवल साफ-सफाई, टॉयलेट फ्लशिंग जैसे कार्यों में किया जाता है। कभी-कभी जब कोई महिला जल धारा से पानी नहीं ला पाती, तो उसकी बेटियां यह कार्य करती हैं। मानसून के दौरान जल धारा ओवरफलो हो जाती है और इसमें मिट्टी मिल जाती है, जिसके कारण पानी में गंदगी बढ़ जाती है। तब गांव के लोग अपने पीने की पानी की जरूरत कम खुदाई किए गए कुंए से करने के लिए मजबूर होते हैं। इस कारण उनके बच्चेी बीमारी हो जाते हैं और अपनी अर्धवार्षिक स्कूल परीक्षा में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। डॉक्टर ने कहा कि यह दूषित जल उन्हें बीमार कर रहा है। यह माइमी गांव के हर घर की कहानी है। यहां लोगों को जल धारा और हैंड पंप के प्रदूषित पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। महिलाओं को अपनी दैनिक पानी की जरूरतों को के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। 06Nov-2020

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