सोमवार, 26 सितंबर 2022

साक्षात्कार: साहित्य के बिना समाज की कल्पना नहीं: पकंज सोनी

युवा वर्ग को कविताओं को लिखने और पढ़ने का ज्ञान सृजित करने में जुटे 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: पंकज सोनी उर्फ पंकजोम प्रेम 
जन्म: 08 सितंबर 1994 
जन्म स्थान: भिवानी, हरियाणा )।
शिक्षा: एमबीए, बीए(उर्दू से अंतिम वर्ष )। 
संप्रत्ति: छात्र, दिनेश पब्लिकेशन में कार्यरत। 
-ओ.पी. पाल- 
रियाणा में सामाजिक, संस्कृति और सभ्यता को नई दिशा देने में जुटे साहित्यकारों में शामिल युवा कवि, गजलकार और लेखक पंकज सोनी उर्फ पंकजोम प्रेम अपने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक और हास्य रचनाओं का सृजन करके समाज को सकारात्मक राह दिखा रहे हैं। साहित्य के प्रति युवा वर्ग को कविताओं को लिखने और पढ़ने का ज्ञान सृजित करने की मुहिम चलाकर ऐसा सकारात्मक और रचनात्मक कार्य कर रहे, जिसकी कल्पना पहले शायद ही कोई कर पाया हो। युवा साहित्यकार पंकजोम प्रेम ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपने साहित्यिक सफर के कई ऐसे पहलुओं को उजागर किया, जो पूरी तरह समाज को समर्पित हैं और देश का भविष्य कहलाने वाले युवाओं को साहित्य से जोड़कर उन्हें सामाजिक विचाराधारा के प्रति सजग करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। 
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रियाणा के साहित्यकार एवं युवा लेखक पंकज सोनी का जन्म छोटी काशी के नाम से पहचाने जा रहे भिवानी शहर में स्वर्णकार प्रेमकुमार सोनी के परिवार में 08 सितंबर 1994 को हुआ। उनके परिवार में दूर तक भी साहित्यिक माहौल नहीं था, लेकिन स्कूली शिक्षा के दौरान ही उन्हें दो-दो लाइन जोड़कर गजल लिखकर तुकबंदी करने का शौंक चढ़ गया। परिजनों खासतौर से पिता को उनके इस प्रकार कविता या गजल गुनगुनाने या लिखने पर खूब डांट फटकार तक पड़ी, लेकिन पंकज में तो यह कला शायद ईश्वरीय देन ही थी। पंकजोम ने बताया कि जब वह ग्यारवीं कक्षा में थे, तो हिंदी दिवस पर तुकबंदी करके उन्होंने जो गजल पढ़ी, उन्हें सराहना मिली। ऐसा प्रोत्साहन ही हर किसी का आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करता है। तीन चार साल तक यह सिलसिला चला तो साल 2015 में उनको मंच मिलना भी शुरू हो गया। साहित्य के प्रति उनका जुनून इसी बात से देखा जा सकता है, जब वे हिसार में बैंक की कोचिंग कर रहे थे, तो वह पुस्तकालय में ज्यादा समय कविता लिखने पर दे रहे थे। उनकी रचना ‘मैने अपने अंदर का भाई मरने नहीं दिया’ सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुई। जब से पिता ने कविता लिखने पर इनकी पीठ थपथपानी शुरू की तो उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरंतर कविता और गजलों के रूप में लेखन करके साहित्य सेवा में जुटे हुए हैं। उनकी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी, तो साहित्य क्षेत्र में उनकी पहचान बनना स्वाभाविक ही है। यह भी दिलचस्प बात है कि उन्होंन दसवीं और बारहवी कक्षा उर्दू भाषा में उत्तीर्ण की। उर्दू भाषा के लेखन के लिए मौलाना फारुख अंजुम से सिखी और गजल को मुकम्मल करने और पंकज को निपुण करने में महत्ती भूमिका निभाई। आज जब वे एक युवा लेखक, गजलकार और कवि के रुप में निरंतर साहित्यिक मंचों पर जाने लगे हैं, तो वही परिजन उनकी साहित्यिक योग्यता से खुश हैं, जो उनकी साहित्यिक विधा से खफा रहते थे। अभी भी पंकज सोनी इग्नू से हिंदी, उर्दू और अंग्रजी भाषा से उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे है। पँकजोम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गतिविधि आयाम राष्ट्रीय कला मंच के भिवानी में नगर संयोजक की भी भूमिका निभा रहे हैं। उनकी प्रकाशित कृतियों में हिंदी और उर्दू दोनों भाषाएं शामिल हैं। हिंदी के साथ उर्दू लिपी लिखना और पढ़ना सिखाने के लिए वे समय समय पर ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन भी कर रहे हैं। पँकजोम अब तक करीब 400 शायरों को ऑनलाइन उर्दू लिखना और पढ़ना सिखा चुके है। वहीं साहित्य, समाज के साथ-साथ विशेष रूप से विद्यालयों और महाविद्यालयों में काव्य कार्यशालाओं को समर्पित संस्था हमसुख़न के संस्थापक पँकजोम अब तक देशभर में 25 से ज्यादा विद्यालयों और महाविद्यालयों में बच्चों और युवाओं को कविताएं लिखना और पढ़ना सिखाने के लिए बाल कवि सम्मेलन समेत काव्य कार्यशालाओं का आयोजन कर चुके हैं, ताकि युवाओं में साहित्य के प्रति जागरूता रहे। 
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युवा साहित्यकार एवं काव्य लेखक पँकजोम जी का मानना है कि साहित्य के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। साहित्य के क्षेत्र में हर वीर रस वास्तविकता को सामने लाकर समाज को आईना भी दिखाता है, तो नई दिशा देने के लिए समाज का सकारात्मक राह भी बनाता है। उनका मानना है कि कालीदास ने काव्य में श्रृंगार रस को प्रधान रस बताया है, लेकिन समाज इसे दूसरे रुप में देख रहा है और उसमें अश्लीलता का बोध होना समझता है। जबकि श्रृंगार रस में आत्मबोध हो सके, इसके लिए कविता से समाज को ऐसे संदेश मिलना चाहिए। आज के आधुनिक समाज में साहित्य में आई गिरावट को लेकर पँकजोम का मानना है कि साहित्य को एक ऐसी तपस्या हैं, जिसे बेहतर तौर तरीकों से पूरा करने पर अशीर्वाद लिया जा सकता है। लेकिन आज साहित्यकारों में बिना तपस्या के ही आशीवार्द लेने की होड़ लगी है, ऐसे में साहित्यक रचनाओं की गुणवत्ता में गिरावट आना स्वाभाविक ही है। हालांकि ज्यादातर साहित्यकार अपनी अलग अलग विधाओं की रचनाओं का समाज के हित में लेखन करके साहित्य सेवा करने के सिद्धांत पर कायम है, जो जल्द से जल्द प्रसिद्धि हासिल करने वालो के लिए सबक होना चाहिए। युवाओं को साहित्य के लिए प्रेरित करने के सवाल पर युवा कवि पँकजोम का कहना है कि साहित्य के पाठकों या युवाओं में इसलिए भी कमी आई है कि इंटरनेट व सोशल मीड़िया पर जो परोसा जा रहा है वह पाठकों खासतौर से युवाओं को पाश्चत्य दुष्प्रचार से जकडे हुए है। इसलिए साहित्यकारों को बेहतर लेखन करने के साथ युवाओं को किताबों से जोड़ना जरुरी है। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी ने इस युवा कवि और लेखक पंकज सोनी की प्रतिभा को पहचाना और उनके गजल संग्रह ‘क्यूँ रखा राब्ता’ के लिए उन्हें वर्ष 2020 के लिए पंडित दीन दयाल उपाध्याय युवा लेखक सम्मान से सम्मानित किया है। इससे पहले वे प्रज्ञा साहित्य संस्था रोहतक के प्रज्ञा सम्मान, दावत-सुखन संस्था दिल्ली के समर्थ रचनाकार पुरस्कार, सोपान साहित्य संस्था, दिल्ली के विशिष्ट रचनाकार सम्मान, लोक संस्कृति संस्था, फरीदाबाद के लोक संस्कृति सम्मान, ओबीओ देहरादून के ओबीओ साहित्य रत्न जैसे सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। इसके अलावा विभिन्न्न विद्यालयों द्वारा गेस्ट ऑफ ऑनर अवार्ड से सम्मानित पँकजोम को विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं और मंचों से पुरस्कृत किया जा रहा है। 
प्रकाशित पुस्तकें 
युवा साहित्यकार पँकजोम की प्रकाशित पुस्तकों में सांझा संग्रह-हिंदी ग़ज़ल के युवा चेहरे, उड़ान, गजल संग्रह क्यूँ रखा राब्ता, मुक्तक संग्रह तुम पर ख़र्च जो होना था, उर्दू संग्रह इश्क़िया काग़ज़ात सुर्खियों में हैं। वहीं उनकी बाल कविता संग्रह जब मुन्न बुक खोले, कविता संग्रह श्रद्धांजलि तुम्हारे इश्क़ को, उर्दू ग़ज़ल संग्रह नूर ग़ज़ल का प्रकाशाधीन हैं, जो जल्द पाठकों के बीच आने वाली हैं।
सम्पर्क: श्री श्याम किरयाना स्टोर, अमर नगर टिब्बा बस्ती-हनुमान ढाणी भिवानी (हरियाणा)-127021, E-mail-pintu8soni@gmail.com, मोबाईल- 07015389838 , 08950142845 
26Sep-2022 

सोमवार, 19 सितंबर 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में हर दिन 46 महिलाएं बन रही हैं अपराध का शिकार

हर रोज लूट रही है महिलाओं की अस्मत 
पिछले सात सालों में अदालतों में लगा लंबित मामलो का अंबार 
ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश में सरकार भले ही महिला सुरक्षा के लाख दावे कर रही हो, लेकिन हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ते अपराधों का रिकार्ड अच्छा नहीं कहा जा सकता, जहां महिलाएं हो या युवा लड़कियां या फिर छोटी बच्चियां कोई भी कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। मसलन प्रदेश में महिलाओं के साल दर साल बढ़ते अपराधों के आंकड़े बेहद हैरान-परेशान और चौंकाने वाले हैं। पिछले पांच सालों में प्रदेश में 46.5 फीसदी आंकड़े बढ़े हैं, जिनमें 73 फीसदी दहेज उत्पीड़न और हिंसा और 53.2 फीसदी बलात्कार के मामलों में इजाफा हुआ है। इसके अलावा दहेज हत्या, गैंगरेप, अपहरण, आत्महत्या, छेड़खानी, महिलाओं के साथ अत्याचार जैसे मामलों के लगातार बढ़ने का सिलसिल महिला सशक्तिकरण के नारों और महिला सुरक्षा के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर पर सीधे सवाल खड़े करने के लिए काफी हैं। हैरानी की बात ये भी है कि प्रदेश में महिलाओं को अपराध का शिकार बनाने वाले आरोपियों को दोषी ठहराने की दर बेहद की चिंताजनक है, जिसकी वजह से पिछले सात सालों में अदालतों में विचाराधीन लंबित मामलों का आंकड़ा बढ़कर 157.47 फीसदी तक जा पहुंचा है।
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हरियाणा में साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पिछले पांच साल में सर्वाधिक 16658 मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें 16826 महिलाओं को अपराध का शिकार बनाया गया। जो साल 2020 में तेरह हजार मामलों के मुकाबले 28.14 फीसदी ज्यादा हैं। प्रदेश में पिछले साल की अपेक्षा साल 2021 में दहेज हत्या के 275 के मामले भी 12.25 फीसदी वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। हरियाणा में इस दौरान सबसे ज्यादा 5755 मामले दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामले दर्ज हुए हैं, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी ज्यादा हैं। यानी राज्य में हर दिन औसतन 16 महिलाओं को दहेज प्रताड़ना या गृह कलह के कारण हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। हरियाणा जैसे प्रदेश में बढ़ते अपराधों में महिलाओं को क्रूरता या हिंसा का शिकार बनाने के लिए कोई खास वजह भी नहीं होती, बल्कि बिना किसी आधार के छोटी सी बात को बतंगड बनाकर कलह में महिलाओं को यातनाओं का शिकार बनाया जा रहा है। मसलन सब्जी में नमक मिर्च का कम या ज्यादा होना, बासमती चावल न बनाना, प्याज-लहुसन का सेवन न करना, ससुराल से शगुन में दस रुपये न मिलना, सास ससुर का कहना न मानना, मोबाइल पर बातें करना, पति का पत्नी और पत्नी का पति पर अन्य के साथ अवैध संबन्धों का शक करना, शराब या नशा करने का विरोध करना, प्रेम प्रसंग में धोखा देना, वीडियो बनाकर यौन शोषण करने जैसे अजीबो गरीब मामले भी सामने आ रहे हैं। ऐसे ही मामलों में पति या परिवार या रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं को क्रूरता का शिकार बनाया जा रहा है। राज्य में ऐसे मामलों से बढ़ते गृह कलेस में दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी से बढ़ते ग्राफ की तस्वीर एनसीआरबी के आंकड़ों से साफतौर से नजर आ रही है। हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का नारा सिर चढ़कर बोल रहा है, लेकिन 2021 के दौरान बेटे की चाह में 14 मामले गर्भपात कराकर भ्रूण हत्या के भी सामने आए हैं। 
हर दिन पांच महिलाओं से दुष्कर्म 
प्रदेश में पिछले पांच साल से तेजी से बढ़ते अपराधों में साल 2021 में महिलाओं के साथ सर्वाधिक 1716 दुष्कर्म के मामले दर्ज किये गये हैं, जबकि 171 मामलों में महिलाओं को गैंगरेप का शिकार बनाया गया है। जबकि 235 मामले बलात्कार का प्रयास करने के सामने आए। इसी साल गलत नीयत से घर में घुसकर 2883 महिलाओं को डरा धमकाकर निवस्त्र करना या महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के मामले भी दर्जं हुए हैं। जबकि 205 महिलाओं को दहेज, बलात्कार या अन्य अपराध के जरिए ब्लैकमेल करके आत्महत्या करने के लिए भी मजबूर किया गया है। ऐसी छह महिलाओं पर एसिड हमले के मामले भी सामने आए, जिन्होंने आरोपियों की मंशा को पूरा नहीं होने दिया। प्रदेश में हालात ऐसे बद से बदतर हो गये हैं कि बलात्कार और यौन शोषण के मामलों में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक को हवस का शिकार बनाया गया है। बाल यौन सुरक्षा एक्ट यानि पॉक्सो एक्ट के तहत 2166 बलात्कार के मामले दर्ज हुए, जिनमें 1235 महिलाओं को हवस का शिकार बनाया गया। दुष्कर्म की शिकार नाबालिकाओं के अलावा सबसे ज्यादा 18-30 आयुवर्ग की महिलाएं शामिल है, जबकि ऐसी चार महिलाओं आयु 60 साल से भी ज्यादा रही। 
दलितों से दुष्कर्म का ग्राफ भी बढ़ा 
राज्य में अनुसूचित जाति की महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां वर्ष 2020 में 89 नाबालिग समेत 195 दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ, तो वहीं साल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 234 तक पहुंच गया, जिसमें 92 नाबालिग लड़कों को बालात्कार का शिकार बनाया गया। इससे पहले वर्ष 2019 में बलात्कार के 120 मामले ही सामने आए थे। इसके अलावा दलित महिलाओं के साथ छेडखानी के 271 और दस नाबालिगों का शादी के के लिए अपरहरण के मामले भी दर्ज हैं। प्रदेश में दलितों के प्रति अत्याचार के 2839 मामले अदालतों में लंबित पड़े हुए हैं। 
हर दिन आठ महिलाओं का अपहरण 
हरियाणा में महिलाओं को गलत नीयत या अपना स्वार्थ सिद्ध करने के मकसद से 3084 महिलाओं का अपहरण भी हुआ। प्रदेश में साल 2021 के दौरान महिलाओं के अपहरण के 2958 मामले दर्ज कराए गये, जो पिछले साल की तुलना 22 प्रतिशत से ज्यादा हैं। प्रदेश में 1086 महिलाओं का अपहरण तो जबरन शादी कराने के लिए किया गया, जिनमें 226 लड़कियों की उम्र 18 साल से कम रही। प्रदेश में इससे ज्यादा 1099 नाबालिग लड़कियों का अपहरण तो खरीद फरोख्त के लिए किया गया, जबकि 19 को मानव तस्करी का शिकार बनाया गया। वहीं 98 लड़कियों को अश्लील सामग्री के जरिए साइबर क्राइम का शिकार बनाने के मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें सात लड़कियों को नकली प्रोफाइल बनाकर ब्लैकमैलिंग कर यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। 
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लंबित मामलों का ग्राफ बढ़ा 
हरियाणा में महिला अपराधों के लंबित मामलों का अंबार भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मसलन पिछले पांच साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों का ग्राफ 115.60 फीसदी बढ़ चुका है, जबकि पिछले सात साल पर नजर ड़ालें तो लंबित मामले बढ़कर 157.47 फीसदी हो चुके हैं। जहां साल 2015 में प्रदेश में 15,197 मामले लंबित थे, तो साल 2021 में महिला अपराध के लंबित मामले बढ़कर 39,128 तक पहुंच गये हैं। साल 2020 में प्रदेश में 31,118, 2019 में 23456, 2018 में 20580, 2017 में 11370, साल 2016 में 9839, 2015 में 9511 और 2014 में 9010 मामले विचारण के लिए ऐसे लंबित थे। 
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दोषसिद्धि की दर बेहद खराब 
हरियाणा में महिला के खिलाफ अपराध करने वालों पर दोष सिद्ध होने की दर 20 फीसदी से कम है। हालांकि पिछले सात साल बाद वर्ष 2021 में यह दर कुछ बढ़ी है, जो 17.7 फीसदी दर्ज की गई, इससे पहले 2015 18.1 फीसदी आरोपियों पर अपराध सिद्ध हुआ था। जबकि साल 2020 और 2019 में 16.1 प्रतिशत, 2018 में 17.1 प्रतिशत, 2017 में 15.4 प्रतिशत, 2016 में 13.4 प्रतिशत रही। मसलन ज्यादातर आरोपी साक्ष्य या अन्य सबूतों के अभाव मामलों से बाहर निकलकर बरी हो जाते हैं। 
पीड़ितो के दर्द पर मरहम 
प्रदेश में हर जिले एवं बड़े शहरों में स्थापित ‘वन स्टॉप सेंटर’ अत्याचार होने पर महिलाओं को मदद देने के लिए काम कर रहे हैं। महिलाओं से जुड़े अपराधों में अगर पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है, तब भी सेंटर मदद करने का दावा करता है। मसलन किसी भी समय महिलाओं को घर से निकाल देने की स्थिति में भी महिलाओं आश्रय दिया जाता है। पांच दिन तक रहने की सुविधा के साथ उनकी निशुल्क काउंसलिंग और खान-पान की सुविधा के बाद उन्हें परिवारों से मिलवाने का प्रयास किया जाता है। 
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वर्जन 
महिलाओं का उत्थान जरुरी 
हरियाणा में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले महिला आयोग उनकी सुरक्षा और उनको न्याय दिलाने का काम कर रहा है। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में पुलिस की कार्रवाई और महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा चलाए जा रही पहलों की निगरानी की जाती है। आयोग को मिलने वाली महिलाओं की शिकायतों का समाधान भी तेजी से किया जा रहा है, ताकि उन्हें न्याय मिल सके। महिलाओं की शिकायतों पर पुलिस में कार्रवाई न होने पर भी आयोग कार्रवाई करता है और कार्रवाई न करने वाले अधिकारी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाही करने का कार्य महिला आयोग कर रहा है। आयोग महिलाओं की बेहतरी और उनकी सुरक्षा करने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों के ज्यादातर मामलों का समाधान करने का प्रयास कर रहा है। 
-रेनु भाटिया, चैयरमैन, हरियाणा राज्य महिला आयोग। 
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महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता 
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस सजग है और पुलिस थानों में अलग से महिला हेल्पडेस्क काम कर रही है, जिसकी महिला स्टाफ के साथ डेस्क का प्रभारी भी महिला पुलिस अधिकारी को बनाया गया है। इसका उद्देश्य यही है कि महिला फरियादी की शिकायत सुनकर काउंसलिंग कर समाधान किया जाए। महिला हेल्प डेस्क के स्टाफ को यह भी जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह समय-समय पर जांच अधिकारी से स्टेटस की जानकारी लेकर महिला फरियादी को उसकी जानकारी दें। पुलिस महिला हेल्पलाइन 1091 के अलावा डॉयल 112 पर भी महिलाओं की कॉल पर तत्परता से कार्रवाही की जा रही है। वहीं स्कूल और कॉलेजों में छात्राओं को आत्मरक्षा और सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है। दुर्गा शक्ति ऐप और महिला हेल्पलाइन नंबर का महिलाएं काफी प्रयोग कर रही है। महिला पुलिस अपराध की शिकार महिलाओं की एफआईआर दर्ज कराकर कार्रवाई करते हुए उनकी सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। -सुशीला, डीएसपी, महिला पुलिस रोहतक। 
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टेबल 
हरियाणा में महिला अपराध/ पांच साल में बढ़े 46.5 फीसदी मामले 
वर्ष    कुल दर्ज मामले   दहेज हत्या  दहेजउत्पीड़न   दुष्कर्म    गैंगरेप   अपहरण    आत्महत्या 
             (46.5%)       (12.25%)      (73%)          (53.2%)  (3.6%)   (3.6%)     (6.8%) 
 2021   16658             275             5755              1716        171        2958        205 
2020    13000             251             4119              1371        160        2423        204 
2019    14683             248             4875              1525        165        2803       226 
2018    14326            216              4195             1367         189        3419       356 
2017    11370            245              3326             1120         165        2949       192 
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सात साल में महिला अपराध के लंबित मामलों में 157.47 फीसदी वृद्धि 
वर्ष   दर्ज मामले लंबित मामले दोषसिद्ध दर 
 2015     9511     15197         18.1% 
 2016    9839      16440         13.4% 
 2017  11370      18148         15.4% 
 2018  14326      20580        17.1% 
 2019  14683     23456         16.1% 
 2020 13,000     30071         16.1% 
 2021 16658      39128        17.7% 
 ----- 19Sep-2022

बुधवार, 14 सितंबर 2022

मंडे स्पेशल: नौनिहालों पर अपने ही ढ़ा रहे हैं सितम! हर दिन 16 बच्चें हो रहे जुम्म का शिकार

प्रदेश में ऊपर चढ़ा बच्चों के अपराधों का ग्राफ
नाबालिग लड़कियों को बनाया जा रहा है कमाई का जरिया
ओ.पी. पाल.रोहतक। हिन्दी फिल्म आखिर क्यों में गीतकार इंदीवर की पंक्तियां ‘अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियां’ प्रदेश के बच्चों पर फिट बैठती हैं। नौनिहालों पर हो रहे अपराध पर नजर दौड़ाए तो साफ हो जाता है कि बच्चों पर जुल्म और सितम ढ़ाने वालों में 95 फीसदी से ज्यादा अपने ही होते हैं। परिवार, रिश्तेदार, दोस्त, केयर टेकर अथवा नौकर ही उनके खिलाफ अपराध कर रहे हैं। यहां तक कि बच्चों को मोहरा बनाकर दुश्मनों के खिलाफ रंजिशन के झूठे केस दर्ज कराने के भी मामले सामने आए हैं। प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों की आई बाढ़ की बात की जाए तो साल 2020 के 4338 मामलों की तुलना में साल 2021 में 1362 यानी 31.4 फीसदी ज्यादा 5700 मामले दर्ज हुए हैं यानी हर दिन 16 से ज्यादा बच्चे जुल्म का शिकार हो रहे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। प्रदेश में यह आंकड़ा भी बेहद चौंकाने वाला है कि एक हजार से ज्यादा लड़कियों का अपहरण केवल पैसा कमाने यानी खरीद फरोख्त के लिए किया गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ने पिछले महीने ही साल 2021 के अपराधों का आंकड़ा जारी किया है। इस आंकड़े में 16वें स्थान पर हरियाणा राज्य में वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में भारतीय दंड संहिता में 8047 केसों में वृद्धि हुई है। वर्ष 2020 में 1,03,276 और वर्ष 2021 में 1,12,677 अपराध के केस दर्ज किए गए। वहीं स्थानीय और विशेष केस भी वर्ष 2020 में 89,119 थे, परंतु 2021 में इनकी संख्या 93,744 हो गई। यदि हरियाणा में बच्चों के प्रति अपराध के आंकड़े पर गौर करें तो बेहद चौंकाने वाले हैं। पिछले तीन सालों में इस बार सबसे ज्यादा छह हजार बच्चों को किसी न किसी गलत काम के लिए अपराध का शिकार बनाया गया है। यह आंकड़ा बच्चों के प्रति अभिभावकों के लिए सतर्क रहने और संभलकर रहने का संकेत करता है। बच्चों के यौन शोषण करने में नाबालिग भी कम नहीं है। मसलन पॉस्को एक्ट के तहत भी ऐसे अरोपियों के खिलाफ दो हजार से ज्यादा मामले दर्ज है, जिनके तहत 2268 बच्चों को जुल्म का शिकार बनाया गया है, जिनमें 1235 बच्चियों दुष्कर्म और 61 बच्चों को कुकर्म का शिकार बनाया गया। पिछले एक साल में चाइल्ड लाइन के पास आए मामलों में मारपीट, शारीरिक शोषण और घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है, तो वहीं आर्थिक संकट और बेरोजगारी के चलते बच्चों की तस्करी के मामलों में इजाफा हुआ है। 
तीन साल में 16013 बच्चों पर जुल्म 
प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों के बढ़ते ग्राफ के पिछले तीन साल के आंकड़ों पर गौर करें तो बच्चों के प्रति अपराण्ध के 15157 मामले दर्ज किये गये, जिनके तहत 16013 बच्चे अपराध का शिकार बने। इनमें 6562 बच्चे ऐसे थे जो पॉस्को एक्ट यानी नाबालिग दरिंदों का शिकार हुए। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों पर गौर की जाए तो इस साल पीड़ित सर्वाधिक छह हजार बच्चों में 2268 बच्चों को नाबालिग शातिरों ने अपराध का शिकार बनाया। ये हालात तब हैं जब बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वर्ष 2018 में केंद्र सरकार दंड विधि अधिनियम में संशोधन करके 12 साल से कम आयु बालिका के साथ बलात्कार करने के आरोपी को मृत्यु दंड और कड़े जुर्माने का प्रावाधन किया था। इस अधिनियम में के संशोधन के अनुसार यौन संबन्धी मामलों में जांच की निगरानी और उसे ट्रैक करने के लिए यौन अपराध जांच ट्रैकिंग प्रणाली नामक एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक टूल शुरू किया गया है। हरियाणा में पुलिस की 22 मानव तस्करी रोधी इकाई भी सक्रीय है। 
लड़कियों की खरीद फरोख्त का बढ़ा ग्राफ 
प्रदेश में पिछले चार साल में अपहरण के शिकार बच्चों में सबसे ज्यादा 3581 नाबालिगों लड़कियों की खरीद फरोख्त हुई, जिसमें सबसे ज्यादा 1099 लड़कियों का अपहरण पैसा कमाने के लिए किया गया। जबकि साल 2020 में उठाई गई 787 लड़कियों का अपरहण इस मकसद से हुआ था। साल 2021 में बच्चों के अपहरण के 2050 मामले दर्ज किये गये, जिनमें 1956 नाबालिग लड़कियों समेत 2239 बच्चों को अगुवा किया गया। इनमें 226 नाबालिग लड़कियों को बाल विवाह और तीन को वैश्यावृत्ति के लिए अपहरण किया गया। पाचं मामले फिरौती, 12 बालश्रम और बाकी अपहरण के मामले यौन शोषण तथा अन्य अपराध को अंजाम देने के लिए किये गये हैं। जबकि प्रदेश में साल 2020 में 545 बच्चों का अपरहण केवल यौन अपराध के मकसद से किया गया, जिनमें 11 बालक भी शामिल हैं। प्रदेश में बच्चों के साथ अपराध के बढ़ते मामलों में 50 फिसदी से ज्यादा अपहरण के मामले सामने आ रहे हैं। बच्चों का अपहरण ज्यादातर गलत काम के लिए किया जा रह है, जिनमें सर्वाधिक नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। प्रदेश में अपहरण के अलावा पांच नवजात शिशओं समेत 47 बच्चों की हत्या की गई, जिनमें आठ हत्या बलात्कार के जुर्म को छुपाने के लिए हुई। इसके अलावा 12 बच्चों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा। प्रदेश में 14 मामले भ्रूण हत्या के भी सामने आए हैं। जबकि 32 बच्चों का परिवार के लोगों ने परित्याग करने का भी अपराध किया। 
नाबालिग भी बने गुनाहगार 
प्रदेश में बच्चों के साथ गुनाह करने वालों में नाबालिग भी अपराध की जद में आ रहे हैं। साल 2021 में पॉस्को एक्ट के तहत 2249 मामलों में 2268 बच्चों को जुल्म का शिकार बनाया गया। इसमें 1235 बच्चियों को बलात्कार तथा 61 बच्चों के साथ हुए कुकर्म के मामले दर्ज किये गये। यदि पिछले चार सालों के आंकड़ो पर नजर डालें ,तो आंकड़ो पर गौर करें तो प्रदेश में बलात्कार और कुकर्म के पोक्सो एक्ट के तहत 4642 मामले दर्ज किये गये। इनमें 4405 बालिकाओं और 236 बालकों को शिकार बनाया गया। जबकि पोक्सो एक्ट के तहत इन चार सालों में 1165 बालिकाओं और 17 बालकों को यौन शोषण का शिकार बनाया गया। साल 2021 बलात्कार व यौन शोषण के लिए सबसे ज्यादा 12 से 16 साल तक के 607 नाबालिगों को दुष्कर्म का शिकार बनाया गया, जिसमें 16 बालक भी हैं। इसके बाद 507 पीड़ितों की उम्र 16-18 साल के बीच रही। जबकि 6-12 साल के 138 बच्चे, जिनमें 31 बालकों को दरिंदों ने जुल्म का शिकार बनाया। यही नहीं छह साल से कम आयु की 38 बालिकाएं और छह बालक भी इस दरिंदगी का जहर पीने को मजबूर किये गये। 
परिचितों ने ढ़ाया जुल्म 
एनसीआरबी के रिकार्ड के अनुसार हरियाणा में साल 2021 में बच्चों पर जुल्म ढ़ाने के दर्ज मामलों में 2761 मामलें झूठे पाये गये, जिनमें पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगाकर निरस्त कर दिया। बाकी मामलों में बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों में 1293 जानकार निकले। इसमें 101 परिवार और 895 रिश्तेदार, दोस्त, नौकर और केयर टेकर सामने आए। जबकि ऑनलाइन सोशल मीडिया के जरिए भी शादी का झांसा देकर बालिकाओं पर जुल्म ढ़ाने वाले 261 आरोपियों का खुलासा किया गया। 
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बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता: एडीजीपी 
हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) ओ पी सिंह का कहना है कि बच्चों को सुरक्षा देने के मकसद से हरियाणा पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच के अधीन 22 मानव तस्करी रोधी इकाई कार्य कर रही है। सभी एएचटीयु को निर्देश दिए गए है, कि जैसे ही कोई बच्चा, महिला, पुरुष मिलता है, तो सबसे पहले उसका उसे सुरक्षित होने का एहसास दिलवाना है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स न सिर्फ भूले भटकों को उनके परिवार से मिलवाने का काम कर रही है, बल्कि भीख व बालमजदूरी में फंसे बच्चों को भी रेस्क्यू करके उनके परिजनों तक पहुंचाने का काम कर रही है। इस साल पिछले आठ महीने में अगस्त तक 173 लड़कियों समेत 378 नाबालिग को तलाशकर उनके परिजनों से मिलाया है। वहीं लापता 256 महिलाओं समेत 482 वयस्कों को भी खोजकर उनके परिजन तक पहुंचाया है। बच्चों को लेकर उनका कहना कि राज्य क्राइम ब्रांच की एएचटीयू द्वारा करीब 1114 बाल मजदूरों और 646 बाल भिखारियों को रेस्क्यू किया गया। 
12Sep-2022

साक्षात्कार: भाषा साहित्य लेखन का माध्यम नहीं, बल्कि एक रचना है: ज्ञानप्रकाश विवेक

राष्ट्रीय हिंदी साहित्यकार के रूप में मिली पहचान व्यक्तिगत परिचय 
नाम: ज्ञान प्रकाश विवेक 
जन्म: 30 जनवरी 1949 
जन्म स्थान: बहादुरगढ़, हरियाणा 
शिक्षा: एम.ए.(हिन्दी) 
संप्रत्ति: ओरिएंटल इंश्योरेंश कंपनी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, अब पूर्णकालीक स्वतंत्र लेखन 
--ओ.पी. पाल 
 हिंदी साहित्य के क्षेत्र में ज्ञानप्रकाश विवेक ऐसे बहुयामी लेखक एवं साहित्यकार हैं, जिन्होंने कहानी, उपन्यास, आलोचना, कविता और ग़ज़ल जैसी विधाओं में हिंदी साहित्य जगत को समृद्ध किया। यही नहीं वे कागज और कलम के रिश्ते को बरकरार रखते हुए अपनी गद्य और पद्य में समान अधिकार से अपने रचना संसार को जिन नए आयामों के साथ आगे बढ़ा रहे हैं, उसमें वे आत्मीय सरोकार और इंसानियत के होते क्षरण को पुनर्जीवित कर समाज को नई दिशा देने का बेहतरीन और प्रशंसनीय रचनात्मक लेखन का प्राय बन रहे हैं। उन्होंने उपन्यासकार और कहानीकार के रूप में प्रसिद्धि हासिल करने के साथ एक गजलकार के रूप में इतनी ज्यादा लोकप्रियता हासिल की हैं, कि हिंदी गजलों के क्षेत्र में उनका नाम दुष्यंत कुमार के साथ लिया जाता है। आधुनिक युग के लोकप्रिय व बहुचर्चित रचनाकारों में शुमार प्रख्यात गजलकार एवं कथाकार ज्ञानप्रकाश विवेक ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपने साहित्यिक सफर को लेकर कई ऐसे अनछुए पहलुओं को उजागर किया, जिनकी वजह से उन्हें एक राष्ट्रीय हिंदी साहित्यकार के रूप में पहचान मिली है। 
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हरियाणा में झज्जर जिले के बहादुरगढ़ में 30 जनवरी 1949 को जन्मे वरिष्ठ कहानीकार, उपन्यासकार, गजलकार और कवि ज्ञानप्रकाश विवेक उन साहित्यकारों में शामिल हैं, जिनके पास हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं के संस्कार हैं। उनके पिता प्रीतम लाल एक शायर थे, जिनकी प्रेरणा से उन्हें साहित्य में रुचि पैदा हुई और वे गजले लिखने लगे। पहली बार वर्ष 1971 में उन्होंने गजल प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार मिला तो उनका साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के साथ गजल के अलावा लघुकथाएं, उपन्यास, कहानियां भी लिखना शुरू कर दिया। उनकी रचनाएं पत्र पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होने लगी, तो आत्म विश्वास बढ़ना स्वाभाविक था। हरेक लेखक की भांति समाज में सामाजिक विडंबनाएं खत्म करके इंसानियत को बचाने के मकसद से ज्ञानप्रकाश विवेक भी ग़ज़ल या हिन्दी ग़ज़ल को नया आयाम देते हुए अपनी रचनाओं को नवीन सामाजिक-साहित्यिक चेतनाओं से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। अपने बेहद सहज, सरल और संवेदनशील लेखक के रूप में वे कहने में कम लिखने में ज्यादा यकीन रखते हैं। हिन्दी ग़ज़ल के क्षेत्र में अपने रचनात्मक अवदान और अपने समालोचक व्यक्तित्व के धनी ज्ञानप्रकाश विवेक के कहन, शिल्प, कथ्य का एक ऐसा ढंग है कि जो यह भी साबित करता है कि भाषा का वैभव बिना शब्दकोष के भी हासिल किया जा सकता है। साहित्य जगत में उनका हिंदी को सर्वोपरि रखने का ही नतीजा है कि हिंदी गजल ने अपनी कथ्यात्मकता और विशिष्ट अभिव्यंजना से पिछले दशकों में जो पहचान बनाई है, उसमें हिंदी गजलकार के रूप में चर्चित ज्ञानप्रकाश विवेक के अहम योगदान है। खासबात ये भी है कि उनकी रचनाओं के लफ़्ज़ों की दुनिया शोर से उकताए हुए मन के लिए किसी शरण-स्थली से कम नहीं है। साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं पर पकड़ रखने के बावजूद एक गजलकार के रूप में चर्चित होने पर उनका कहना है कि गजल पर उन्होंने बड़ा काम किया है। हिंदी गजल के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने उन्हें वर्ष 2014-15 में सीनियर फैलोशिप भी प्रदान की। सुप्रसिद्ध साहित्यकार ज्ञानप्रकाश का मानना है कि लेखन में भाषा केवल साहित्य लिखने का माध्यम नहीं है, बल्कि वह अपने आप में एक रचना है। उसी प्रकार लिखना कोई मंजिल नहीं, बल्कि एक रास्ता है, जो ऊबड़-खाबड़ होने से अड़चने भी पेश करता है। हरियाणा के लेखकों में प्रसिद्धि हासिल करने की होड़ को लेकर उन्होंने कहा कि प्रसिद्धि हासिल करने से पहले साहित्य को बचाए रखने के लिए सिद्धि चाहिए। किताबे पढ़ना लिखना बहुत बड़ी बात है, लेकिन उसकी सार्थकता को कायम रखने की चुनौती भी है। उन्होंने भूमंडलीकरण की व्याख्या करते हुए कहा कि आज समाज आत्मनिर्वासित है और अकेलापन एक ऐसा रोग है, जिसने कोरोनाकाल के दौरान सोशल डिस्टेंस जैसा घातक शब्द का प्रभाव भी समाज पड़ा। जहां तक आधुनिक युग में साहित्य पर भी प्रभाव का है तो हर दौर में अभिरुचि बदलती है। लेकिन समाज और संबन्धों के बिखराव चिंतनीय है। कहने का तात्पर्य है कि आज समाज तकनीकी की गिरफ्त में है और अधिक से अधिक सुविधावादी होने लगा है। ऐसे में इंसान में निठ्ठलापन आना स्वाभाविक है और बाजारी तंत्र समाज को छल रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि हर दिन सूरज का निकला सबसे बड़ी घटना है, जहां से दिनचर्चा यानी जीवन की रोशनी शुरू होती है। हालांकि कुछ घटनाएं अंधरे में भी होती है। इस वैज्ञानिक युग में साहित्य के प्रति युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए लेखकों को गंभीरता के साथ रचानाओं का लेखन यह सोचकर करना है कि जो मैं लिख रहा हूं, वह मेरा नहीं, बल्कि हमारा है। 
प्रकाशित पुस्तकें 
हरियाणा के साहित्यकार ज्ञानप्रकाश विवेक की हाल ही में ‘विस्थापित’ नामक उपन्यास एक ऐसी पहली किताब सामने आई है, जो विस्थापन की पीड़ा के किसी महाकाव्य से कम नहीं है। इसके अलावा उनके गली नंबर तेरह, अस्तितत्व तथा दिल्ली दरवाज़ा जैसे उपन्यास भी सुर्खियों में हैं। उनके गजल संग्रह में ‘धूप के हस्ताक्षर, आँखों में आसमान, इस मुश्किल वक़्त में’ गुप्तगू अवाम से है और घाट हजारों इस दरिया के चर्चाओं में हैं। वहीं आलोचना में हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा, हिन्दी ग़ज़ल: दुष्यंत के बाद और ‘हिन्दी ग़ज़ल की नई चेतना बहुचर्चित कृतियों का हिस्सा हैं। उनके कहानी संग्रह में अलग अलग दिशाएँ, शहर गवाह है, जोसफ़ चला गया, इक्कीस कहानियाँ, शिकारगाह, सेवानगर कहाँ है, बदली हुई दुनिया, मुसाफ़िरखाना, उसकी ज़मीन, पिताजी चुप रहते हैं जैसी पुस्तक हैं, तो वहीं कविता संग्रह दीवार से झाँकती रोशनी और प्यास की ख़ुश्बू उनकी प्रमुख कृतियों में शामिल है। जबकि उनके उपन्यास ‘व्हील चेयर’, कहानी संग्रह ‘छोटी सी दुनिया’ और गजल आलोचना न्याय विमर्श प्रकाशाधीन हैं। 
पुरस्कार सम्मान 
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में ज्ञानप्रकाश विवेक एक ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्हें साहित्यिक योगदान के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी से तीन बार उनकी पुस्तकों पर कृति सम्मान दे चुका है। हरियाणा साहित्य अकादमी ने उन्हें साल 2021 के आजीवन साहित्य साधना सम्मान से नवाजा है। इससे पहले साल 2010 में उन्हें बाबू बालमुकंद गुप्त सम्मान से नवाजा है। इससे पहले उन्हें राजस्थान पत्रिका द्वारा ‘सेवानगर कहां है’ कहानी पर सर्वश्रेष्ठ कहानी सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है। वैसे तो विभिन्न मंचों और साहित्यक संस्थाएं भी उन्हें सम्मानित करती आ रही है। संपादन के साथ उनकी कहानियों पर उनके फिल्मांकन तथा नाट्य रुपांतरण का राष्ट्रीय चैनल दूरर्शन और रेडियो पर प्रसारण भी उनकी उपलब्धियों का हिस्सा है।
पता: 1875, सेक्टर-6, बहादुरगढ़ हरियाणा, मो. 9813491654
ई मेल-aspl_rishi@hotmail.com 
12Sep-2022

सोमवार, 5 सितंबर 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में धरपकड़ के बावजूद तेजी से बढ़ रहा नशा!

पाकिस्तान से जुड़े हैं नशीले पदार्थो की तस्करी के तार
नशा तस्करी के हर माह दर्ज हो रहे हैं सैकड़ो मामले
ओ.पी. पाल.रोहतक। ‘ज्यों-ज्यों दवा दी गयी मर्ज बढ़ता ही गया' यह कहावत प्रदेश में नशाखेरी पर चरितार्थ हो रही है। सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद न तो नशे पर लगाम लग पा रही है और न ही नशा तस्कर कंट्रोल में आ रहे हैं। सन्ने-सन्ने हमारी युवा पीढ़ी जहर के गर्त में समाती जा रही है। ये हालात तब हैं जब प्रदेश में नशा तस्करी के हर माह औसतन 200 से ज्यादा मामले दर्ज करके सैकड़ो तस्करों की धरपकड़ हो रही है, जिसमें महिलाएं और कुछ परिवार इस कारोबार से काली कमाई कर रहे हैं। नशा तस्करी पर नकेल के बावजूद इस गोरखधंधे के बढ़ने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चालू साल में अगस्त तक करीब ढाई हजार मामले दर्ज हुए और 3300 से ज्यादा नशा तस्करों की धरपकड़ की गई। जबकि बीते साल 2021 में 2745 मामलों में गिरफ्तारी के साथ 19.03 टन मादक पदार्थ की बरामदगी की गई थी। इसके बावजूद नशे की तस्करी बेखौफ जारी है। अब तो यह भी सबूत मिलने लगे हैं कि प्रदेश में नशा तस्करों के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं, जहां से पंजाब के रास्ते हरियाणा में जहर सप्लाई किया जा रहा है। 
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रियाणा भी अब पंजाब की तर्ज पर ‘उड़ता हरियाणा’ का रुप ले रहा है, जहां यहां युवा नशे की चपेट में है और सरकार चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रही है। मसलन प्रदेश में ड्रग्स तस्करी में हेरोइन, कोकीन, अफीम, चरस, गांजा, चूरा पोस्त के अलावा नशे की गोलियां, कैप्सूल और इंजेक्शन तक कारोबार करने वालों का गिरोह इस कदर पैर पसार चुका है कि उसमें युवाओं के साथ घूंघट की आड़ में युवतियां और महिलाएं भी शामिल हो चुकी हैं। इस बात की गवाह पुलिस रिकार्ड भी है कि पिछले पांच साल में 60 से ज्यादा महिलाओं के खिलाफ नशे की तस्करी के मामले दर्ज हुए हैं। पुलिस रिकार्ड पर गौर करें तो हालात यहां तक पहुंचे हैं कि कुछ परिवार में तो तीन तीन पीढ़ियां नशे की तस्करी के धंधे में लिप्त पाई गई। खासतौर से हरियाणा में सबसे ज्यादा नशा प्रभावित जिलों में सिरसा, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, करनाल, अंबाला, नूंह, कुरुक्षेत्र सोनीपत और पानीपत शामिल हैं। इनमें सिरसा, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, करनाल, नूंह, अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत व सोनीपत जिले पूरी तरह से नशे की चपेट में आ चुके हैं। 
तीन साल में सात हजार मामले 
प्रदेश में बढ़ती नशा तस्करी के लिए पुलिस का पिछले तीन साल का रिकार्ड गवाह है कि इस साल अब तक नशा तस्करी के 2400 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके है और करीब 3300 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। जबकि इससे पहले साल 2021 में 2745 दर्ज मामलो में 3975 और साल 2020 में 2982 मामलों में 4477 तस्कर गिरफ्तार किये गये। मसलन साल 2021 के पहले 11 महीनों के दौरान 16.882 किलोग्राम हेरोइन समेत 19,036 किलोग्राम नशीले पदार्थ की बरामदगी की गई। इसमें चरस, सुल्फा, स्मैक, अफीम, चूरा व डोडा पोस्त, गांजा के अलावा नशे की गोलियां, कैप्सूल और इंजेक्शन जैसे नशीले पदार्थ भी शामिल हैं। जबकि चालू वर्ष में अब तक सैकड़ो ड्रग तस्करों से करीब 40 करोड़ की काली कमाई जब्त की जा चुकी है। हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के तहत अब तक 25.09 करोड़ रुपये से ज्यादा की चल अचल संपत्ति को जब्त किया है, जबकि इस कार्रवाई में करीब 6.82 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने का काम प्रक्रियाधीन है। 
दादी से पोते तक तस्करी में लिप्त 
प्रदेश के जिला फतेहाबाद में पुलिस ने नशा तस्करी के एक ऐसे मामले का खुलासा हुआ है, जिसमें एक परिवार की तीन पीढ़ियां इस गोरखधंधे में लिप्त हैं। इस परिवार से लाखों की हेरोइन और नकदी तक बरादम हो चुकी है। वहीं इस साल नशे के इस करोबार में अंबाला में एक दंपत्ति और महिलाएं भी हेरोइन की तस्करी में दबोचे जाने से यह साबित हो गया है कि प्रदेश में नशे के इस काले धंधे में अब महिलाएं भी शामिल हैं। 
नशामुक्ति केंद्रों का पंजीकरण 
प्रदेश में मादक द्रव्यों के सेवन के पीडि़तों को का इलाज करने और उनके पुनर्वास की दिशा में सरकार ने वर्ष 2018 में हरियाणा नशामुक्ति नियम-2010 में संशोधन किया था। इस नियम के तहत प्रदेश में पंजीकृत 142 नशामुक्ति केंद्रों और परामर्श केंद्रों के कामकाज को विनियमित किया जा रहा है। ऐसे केंद्रों में से 15 नशामुक्ति केंद्र का संचालन जिला अस्पतालों, 3 का मेडिकल कॉलेजों तथा 112 नशामुक्ति केंद्रों का संचालन गैर सरकारी संगठन, जिला रेडक्रास सोसायटी एवं जिला बाल कल्याण परिषद कर रहे हैं। जबकि प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे 15 मनोरोग नर्सिंग होम को लाइसेंस दिया गया है, जो नशामुक्ति सेवा दे रहे हैं। 
नशामुक्ति केंद्रों में बढ़ी संख्या 
प्रदेश में नशामुक्ति केंद्रों में उपचार के लिए नशा सेवन पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। मौजूदा 2022 में अभी तक 97,474 रोगियों का पंजीकरण हो चुका है। जबकि पिछले साल 2021 में ऐसे पंजीकृत रोगियों की संख्या 1,15,587 थी। इससे पहले वर्ष 2015 में 44,643, 2016 में 57,995, 2017 में 70,082, 2018 में 1,01,599, 2019 में 1,16,311 और साल 2020 में 1,08,426 नशा पीड़ित पंजीकृत रोगी इलाज के लिए नशामुक्ति केंद्रों में पहुंचे। 
पाकिस्तान से होती है सप्लाई 
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि प्रदेश में ड्रग्स की आपूर्ति पाकिस्तान से होती है, जो पंजाब के रास्ते हरियाणा तक पहुंचती है। दूसरी ओर प्रदेश में नशा तस्करी के तार पाकिस्तान से जुड़े होने की पुष्टि नशा तस्करी में लिप्त फतेहाबाद के गांव हांसपुर के युवक गुरमीत भी कर चुका है,जो पिछले माह राजस्थान के श्री गंगानगर में पाकिस्तान सीमा के पास पकड़े गये आठ नशा तस्करों में शामिल था। पाकिस्तान के स्पलायर्स ड्रोन के जरिए हेरोइन बोर्डर के पार तस्करों से संपर्क करने के बाद गिराते हैं, जिसमें राजस्थान, हरियाणा जैसे कई राज्यों में भेजा जाता है। हालांकि नाइजीरियाई लोग भी प्रदेश में नशा तस्करी गिरोह को नशे की आपूर्ति कर रहे हैं, जिनका खासतौर से दिल्ली में ठिकाने बने हुए हैं। 
नशे ने उजाड़े कई परिवार 
पंजाब बॉर्डर से लगते हरियाणा के फतेहाबाद के रतिया क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में नशे के कारोबार ने गांव से लेकर शहर के वार्डों तक में अपने पांव पसार लिए हैं। नशे के कारण सिरसा जिले में ज्यादा मौते सामने आई हैं। इस नशे की बढ़ती प्रवृत्ति ने कई परिवारों को उजाड़ने का काम कर रहा है। इस नशे ने रतिया शहर की बुजुर्ग महिला संतोष देवी का पूरा घर परिवार उजाड़ दिया। मकान तो बिका ही, वहीं उसने पिछले चार सालों में दो बेटे और पति को भी खो दिया। प्रदेश में ऐसे कई परिवार मिल जाएंगे जिनके परिवार नशे की लत के कारण उजड गये हैं। 
राज्य सरकार की की कार्य योजना 
राज्य सरकार ने अंतरराज्यीय तस्कर गिरोह से निपटने के लिए पंचकूला में एंटी ड्रग सचिवालय की स्थापना की गई है। इस सचिवालय जरिए उत्तरी भारत के 8 राज्य सूचनाएं आपस में साझा करते हैं। वहीं राज्य सरकार की पहल पर एचएसएनसीबी ने नशा तस्करी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एक तंत्र के निर्माण की दृष्टि से गांव से राज्य स्तर तक पांच स्तरीय संरचना तैयार की गई है। इसमें टियर-1 के स्तर पर लगभग 6538 ग्राम मिशन टीमें और 1710 वार्ड मिशन टीमें गठित की जा रही हैं। इन टीमों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार लोगों की पहचान करना है। जबकि टियर-2 में 532 क्लस्टर मिशन टीमें, टियर-3 में 72 सब डिवीजन मिशन टीमें, टियर-4 में 22 जिला मिशन टीमें और टीयर- 5 में 18 विभाग प्रमुखों की राज्य मिशन टीम गठित की गई है। इस कार्य योजना को नशे की चपेट में ज्यादा प्रभावित आठ जिलों जींद, सिरसा, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला में कार्यान्वयन शुरू किया गया है। इसके अलावा हरियाणा स्टेट सोसाइटी के निर्देशन में नशामुक्ति और पुनर्वास के मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने और क्षमता निर्माण के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के साथ आगे समन्वय किया जा रहा है। वहीं कारागारों एवं निगरानी गृहों में नशामुक्ति एवं पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराने पर विशेष बल दिया जा रहा है।
----- वर्जन 
नेटवर्क खत्म करने को विशेष अभियान 
प्रदेश में नशे की आपूर्ति की शृंखला पर अंकुश लगाने तथा नशा वितरण नेटवर्क को समाप्त करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। नशा माफियाओं के खिलाफ यह अभियान निरंतर चलेगा। इसी अभियान का नतीजा है कि इस साल पुलिस को अपने अपने जिलों में बड़े पैमाने पर हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ जब्त करने में सफलता मिली और नशे के कारोबार या तस्करी में लिप्त लोगों की गिरफ्तारी की गई। वहीं पुलिस के साथ मिलकर एचएसएनसीबी ने खासतौर पर युवाओं को नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूल और कालेज में गतिविधियां चलाई जा रही हैं। 
-ममता सिंह, एडीजी/आईजी, रोहतक रेंज। 
05Sep-2022