सोमवार, 5 सितंबर 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में धरपकड़ के बावजूद तेजी से बढ़ रहा नशा!

पाकिस्तान से जुड़े हैं नशीले पदार्थो की तस्करी के तार
नशा तस्करी के हर माह दर्ज हो रहे हैं सैकड़ो मामले
ओ.पी. पाल.रोहतक। ‘ज्यों-ज्यों दवा दी गयी मर्ज बढ़ता ही गया' यह कहावत प्रदेश में नशाखेरी पर चरितार्थ हो रही है। सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद न तो नशे पर लगाम लग पा रही है और न ही नशा तस्कर कंट्रोल में आ रहे हैं। सन्ने-सन्ने हमारी युवा पीढ़ी जहर के गर्त में समाती जा रही है। ये हालात तब हैं जब प्रदेश में नशा तस्करी के हर माह औसतन 200 से ज्यादा मामले दर्ज करके सैकड़ो तस्करों की धरपकड़ हो रही है, जिसमें महिलाएं और कुछ परिवार इस कारोबार से काली कमाई कर रहे हैं। नशा तस्करी पर नकेल के बावजूद इस गोरखधंधे के बढ़ने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चालू साल में अगस्त तक करीब ढाई हजार मामले दर्ज हुए और 3300 से ज्यादा नशा तस्करों की धरपकड़ की गई। जबकि बीते साल 2021 में 2745 मामलों में गिरफ्तारी के साथ 19.03 टन मादक पदार्थ की बरामदगी की गई थी। इसके बावजूद नशे की तस्करी बेखौफ जारी है। अब तो यह भी सबूत मिलने लगे हैं कि प्रदेश में नशा तस्करों के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं, जहां से पंजाब के रास्ते हरियाणा में जहर सप्लाई किया जा रहा है। 
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रियाणा भी अब पंजाब की तर्ज पर ‘उड़ता हरियाणा’ का रुप ले रहा है, जहां यहां युवा नशे की चपेट में है और सरकार चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रही है। मसलन प्रदेश में ड्रग्स तस्करी में हेरोइन, कोकीन, अफीम, चरस, गांजा, चूरा पोस्त के अलावा नशे की गोलियां, कैप्सूल और इंजेक्शन तक कारोबार करने वालों का गिरोह इस कदर पैर पसार चुका है कि उसमें युवाओं के साथ घूंघट की आड़ में युवतियां और महिलाएं भी शामिल हो चुकी हैं। इस बात की गवाह पुलिस रिकार्ड भी है कि पिछले पांच साल में 60 से ज्यादा महिलाओं के खिलाफ नशे की तस्करी के मामले दर्ज हुए हैं। पुलिस रिकार्ड पर गौर करें तो हालात यहां तक पहुंचे हैं कि कुछ परिवार में तो तीन तीन पीढ़ियां नशे की तस्करी के धंधे में लिप्त पाई गई। खासतौर से हरियाणा में सबसे ज्यादा नशा प्रभावित जिलों में सिरसा, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, करनाल, अंबाला, नूंह, कुरुक्षेत्र सोनीपत और पानीपत शामिल हैं। इनमें सिरसा, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, करनाल, नूंह, अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत व सोनीपत जिले पूरी तरह से नशे की चपेट में आ चुके हैं। 
तीन साल में सात हजार मामले 
प्रदेश में बढ़ती नशा तस्करी के लिए पुलिस का पिछले तीन साल का रिकार्ड गवाह है कि इस साल अब तक नशा तस्करी के 2400 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके है और करीब 3300 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। जबकि इससे पहले साल 2021 में 2745 दर्ज मामलो में 3975 और साल 2020 में 2982 मामलों में 4477 तस्कर गिरफ्तार किये गये। मसलन साल 2021 के पहले 11 महीनों के दौरान 16.882 किलोग्राम हेरोइन समेत 19,036 किलोग्राम नशीले पदार्थ की बरामदगी की गई। इसमें चरस, सुल्फा, स्मैक, अफीम, चूरा व डोडा पोस्त, गांजा के अलावा नशे की गोलियां, कैप्सूल और इंजेक्शन जैसे नशीले पदार्थ भी शामिल हैं। जबकि चालू वर्ष में अब तक सैकड़ो ड्रग तस्करों से करीब 40 करोड़ की काली कमाई जब्त की जा चुकी है। हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के तहत अब तक 25.09 करोड़ रुपये से ज्यादा की चल अचल संपत्ति को जब्त किया है, जबकि इस कार्रवाई में करीब 6.82 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने का काम प्रक्रियाधीन है। 
दादी से पोते तक तस्करी में लिप्त 
प्रदेश के जिला फतेहाबाद में पुलिस ने नशा तस्करी के एक ऐसे मामले का खुलासा हुआ है, जिसमें एक परिवार की तीन पीढ़ियां इस गोरखधंधे में लिप्त हैं। इस परिवार से लाखों की हेरोइन और नकदी तक बरादम हो चुकी है। वहीं इस साल नशे के इस करोबार में अंबाला में एक दंपत्ति और महिलाएं भी हेरोइन की तस्करी में दबोचे जाने से यह साबित हो गया है कि प्रदेश में नशे के इस काले धंधे में अब महिलाएं भी शामिल हैं। 
नशामुक्ति केंद्रों का पंजीकरण 
प्रदेश में मादक द्रव्यों के सेवन के पीडि़तों को का इलाज करने और उनके पुनर्वास की दिशा में सरकार ने वर्ष 2018 में हरियाणा नशामुक्ति नियम-2010 में संशोधन किया था। इस नियम के तहत प्रदेश में पंजीकृत 142 नशामुक्ति केंद्रों और परामर्श केंद्रों के कामकाज को विनियमित किया जा रहा है। ऐसे केंद्रों में से 15 नशामुक्ति केंद्र का संचालन जिला अस्पतालों, 3 का मेडिकल कॉलेजों तथा 112 नशामुक्ति केंद्रों का संचालन गैर सरकारी संगठन, जिला रेडक्रास सोसायटी एवं जिला बाल कल्याण परिषद कर रहे हैं। जबकि प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे 15 मनोरोग नर्सिंग होम को लाइसेंस दिया गया है, जो नशामुक्ति सेवा दे रहे हैं। 
नशामुक्ति केंद्रों में बढ़ी संख्या 
प्रदेश में नशामुक्ति केंद्रों में उपचार के लिए नशा सेवन पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। मौजूदा 2022 में अभी तक 97,474 रोगियों का पंजीकरण हो चुका है। जबकि पिछले साल 2021 में ऐसे पंजीकृत रोगियों की संख्या 1,15,587 थी। इससे पहले वर्ष 2015 में 44,643, 2016 में 57,995, 2017 में 70,082, 2018 में 1,01,599, 2019 में 1,16,311 और साल 2020 में 1,08,426 नशा पीड़ित पंजीकृत रोगी इलाज के लिए नशामुक्ति केंद्रों में पहुंचे। 
पाकिस्तान से होती है सप्लाई 
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि प्रदेश में ड्रग्स की आपूर्ति पाकिस्तान से होती है, जो पंजाब के रास्ते हरियाणा तक पहुंचती है। दूसरी ओर प्रदेश में नशा तस्करी के तार पाकिस्तान से जुड़े होने की पुष्टि नशा तस्करी में लिप्त फतेहाबाद के गांव हांसपुर के युवक गुरमीत भी कर चुका है,जो पिछले माह राजस्थान के श्री गंगानगर में पाकिस्तान सीमा के पास पकड़े गये आठ नशा तस्करों में शामिल था। पाकिस्तान के स्पलायर्स ड्रोन के जरिए हेरोइन बोर्डर के पार तस्करों से संपर्क करने के बाद गिराते हैं, जिसमें राजस्थान, हरियाणा जैसे कई राज्यों में भेजा जाता है। हालांकि नाइजीरियाई लोग भी प्रदेश में नशा तस्करी गिरोह को नशे की आपूर्ति कर रहे हैं, जिनका खासतौर से दिल्ली में ठिकाने बने हुए हैं। 
नशे ने उजाड़े कई परिवार 
पंजाब बॉर्डर से लगते हरियाणा के फतेहाबाद के रतिया क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में नशे के कारोबार ने गांव से लेकर शहर के वार्डों तक में अपने पांव पसार लिए हैं। नशे के कारण सिरसा जिले में ज्यादा मौते सामने आई हैं। इस नशे की बढ़ती प्रवृत्ति ने कई परिवारों को उजाड़ने का काम कर रहा है। इस नशे ने रतिया शहर की बुजुर्ग महिला संतोष देवी का पूरा घर परिवार उजाड़ दिया। मकान तो बिका ही, वहीं उसने पिछले चार सालों में दो बेटे और पति को भी खो दिया। प्रदेश में ऐसे कई परिवार मिल जाएंगे जिनके परिवार नशे की लत के कारण उजड गये हैं। 
राज्य सरकार की की कार्य योजना 
राज्य सरकार ने अंतरराज्यीय तस्कर गिरोह से निपटने के लिए पंचकूला में एंटी ड्रग सचिवालय की स्थापना की गई है। इस सचिवालय जरिए उत्तरी भारत के 8 राज्य सूचनाएं आपस में साझा करते हैं। वहीं राज्य सरकार की पहल पर एचएसएनसीबी ने नशा तस्करी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एक तंत्र के निर्माण की दृष्टि से गांव से राज्य स्तर तक पांच स्तरीय संरचना तैयार की गई है। इसमें टियर-1 के स्तर पर लगभग 6538 ग्राम मिशन टीमें और 1710 वार्ड मिशन टीमें गठित की जा रही हैं। इन टीमों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार लोगों की पहचान करना है। जबकि टियर-2 में 532 क्लस्टर मिशन टीमें, टियर-3 में 72 सब डिवीजन मिशन टीमें, टियर-4 में 22 जिला मिशन टीमें और टीयर- 5 में 18 विभाग प्रमुखों की राज्य मिशन टीम गठित की गई है। इस कार्य योजना को नशे की चपेट में ज्यादा प्रभावित आठ जिलों जींद, सिरसा, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला में कार्यान्वयन शुरू किया गया है। इसके अलावा हरियाणा स्टेट सोसाइटी के निर्देशन में नशामुक्ति और पुनर्वास के मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने और क्षमता निर्माण के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के साथ आगे समन्वय किया जा रहा है। वहीं कारागारों एवं निगरानी गृहों में नशामुक्ति एवं पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराने पर विशेष बल दिया जा रहा है।
----- वर्जन 
नेटवर्क खत्म करने को विशेष अभियान 
प्रदेश में नशे की आपूर्ति की शृंखला पर अंकुश लगाने तथा नशा वितरण नेटवर्क को समाप्त करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। नशा माफियाओं के खिलाफ यह अभियान निरंतर चलेगा। इसी अभियान का नतीजा है कि इस साल पुलिस को अपने अपने जिलों में बड़े पैमाने पर हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ जब्त करने में सफलता मिली और नशे के कारोबार या तस्करी में लिप्त लोगों की गिरफ्तारी की गई। वहीं पुलिस के साथ मिलकर एचएसएनसीबी ने खासतौर पर युवाओं को नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूल और कालेज में गतिविधियां चलाई जा रही हैं। 
-ममता सिंह, एडीजी/आईजी, रोहतक रेंज। 
05Sep-2022

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