सोमवार, 19 सितंबर 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में हर दिन 46 महिलाएं बन रही हैं अपराध का शिकार

हर रोज लूट रही है महिलाओं की अस्मत 
पिछले सात सालों में अदालतों में लगा लंबित मामलो का अंबार 
ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश में सरकार भले ही महिला सुरक्षा के लाख दावे कर रही हो, लेकिन हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ते अपराधों का रिकार्ड अच्छा नहीं कहा जा सकता, जहां महिलाएं हो या युवा लड़कियां या फिर छोटी बच्चियां कोई भी कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। मसलन प्रदेश में महिलाओं के साल दर साल बढ़ते अपराधों के आंकड़े बेहद हैरान-परेशान और चौंकाने वाले हैं। पिछले पांच सालों में प्रदेश में 46.5 फीसदी आंकड़े बढ़े हैं, जिनमें 73 फीसदी दहेज उत्पीड़न और हिंसा और 53.2 फीसदी बलात्कार के मामलों में इजाफा हुआ है। इसके अलावा दहेज हत्या, गैंगरेप, अपहरण, आत्महत्या, छेड़खानी, महिलाओं के साथ अत्याचार जैसे मामलों के लगातार बढ़ने का सिलसिल महिला सशक्तिकरण के नारों और महिला सुरक्षा के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर पर सीधे सवाल खड़े करने के लिए काफी हैं। हैरानी की बात ये भी है कि प्रदेश में महिलाओं को अपराध का शिकार बनाने वाले आरोपियों को दोषी ठहराने की दर बेहद की चिंताजनक है, जिसकी वजह से पिछले सात सालों में अदालतों में विचाराधीन लंबित मामलों का आंकड़ा बढ़कर 157.47 फीसदी तक जा पहुंचा है।
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हरियाणा में साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पिछले पांच साल में सर्वाधिक 16658 मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें 16826 महिलाओं को अपराध का शिकार बनाया गया। जो साल 2020 में तेरह हजार मामलों के मुकाबले 28.14 फीसदी ज्यादा हैं। प्रदेश में पिछले साल की अपेक्षा साल 2021 में दहेज हत्या के 275 के मामले भी 12.25 फीसदी वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। हरियाणा में इस दौरान सबसे ज्यादा 5755 मामले दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामले दर्ज हुए हैं, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी ज्यादा हैं। यानी राज्य में हर दिन औसतन 16 महिलाओं को दहेज प्रताड़ना या गृह कलह के कारण हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। हरियाणा जैसे प्रदेश में बढ़ते अपराधों में महिलाओं को क्रूरता या हिंसा का शिकार बनाने के लिए कोई खास वजह भी नहीं होती, बल्कि बिना किसी आधार के छोटी सी बात को बतंगड बनाकर कलह में महिलाओं को यातनाओं का शिकार बनाया जा रहा है। मसलन सब्जी में नमक मिर्च का कम या ज्यादा होना, बासमती चावल न बनाना, प्याज-लहुसन का सेवन न करना, ससुराल से शगुन में दस रुपये न मिलना, सास ससुर का कहना न मानना, मोबाइल पर बातें करना, पति का पत्नी और पत्नी का पति पर अन्य के साथ अवैध संबन्धों का शक करना, शराब या नशा करने का विरोध करना, प्रेम प्रसंग में धोखा देना, वीडियो बनाकर यौन शोषण करने जैसे अजीबो गरीब मामले भी सामने आ रहे हैं। ऐसे ही मामलों में पति या परिवार या रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं को क्रूरता का शिकार बनाया जा रहा है। राज्य में ऐसे मामलों से बढ़ते गृह कलेस में दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी से बढ़ते ग्राफ की तस्वीर एनसीआरबी के आंकड़ों से साफतौर से नजर आ रही है। हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का नारा सिर चढ़कर बोल रहा है, लेकिन 2021 के दौरान बेटे की चाह में 14 मामले गर्भपात कराकर भ्रूण हत्या के भी सामने आए हैं। 
हर दिन पांच महिलाओं से दुष्कर्म 
प्रदेश में पिछले पांच साल से तेजी से बढ़ते अपराधों में साल 2021 में महिलाओं के साथ सर्वाधिक 1716 दुष्कर्म के मामले दर्ज किये गये हैं, जबकि 171 मामलों में महिलाओं को गैंगरेप का शिकार बनाया गया है। जबकि 235 मामले बलात्कार का प्रयास करने के सामने आए। इसी साल गलत नीयत से घर में घुसकर 2883 महिलाओं को डरा धमकाकर निवस्त्र करना या महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के मामले भी दर्जं हुए हैं। जबकि 205 महिलाओं को दहेज, बलात्कार या अन्य अपराध के जरिए ब्लैकमेल करके आत्महत्या करने के लिए भी मजबूर किया गया है। ऐसी छह महिलाओं पर एसिड हमले के मामले भी सामने आए, जिन्होंने आरोपियों की मंशा को पूरा नहीं होने दिया। प्रदेश में हालात ऐसे बद से बदतर हो गये हैं कि बलात्कार और यौन शोषण के मामलों में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक को हवस का शिकार बनाया गया है। बाल यौन सुरक्षा एक्ट यानि पॉक्सो एक्ट के तहत 2166 बलात्कार के मामले दर्ज हुए, जिनमें 1235 महिलाओं को हवस का शिकार बनाया गया। दुष्कर्म की शिकार नाबालिकाओं के अलावा सबसे ज्यादा 18-30 आयुवर्ग की महिलाएं शामिल है, जबकि ऐसी चार महिलाओं आयु 60 साल से भी ज्यादा रही। 
दलितों से दुष्कर्म का ग्राफ भी बढ़ा 
राज्य में अनुसूचित जाति की महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां वर्ष 2020 में 89 नाबालिग समेत 195 दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ, तो वहीं साल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 234 तक पहुंच गया, जिसमें 92 नाबालिग लड़कों को बालात्कार का शिकार बनाया गया। इससे पहले वर्ष 2019 में बलात्कार के 120 मामले ही सामने आए थे। इसके अलावा दलित महिलाओं के साथ छेडखानी के 271 और दस नाबालिगों का शादी के के लिए अपरहरण के मामले भी दर्ज हैं। प्रदेश में दलितों के प्रति अत्याचार के 2839 मामले अदालतों में लंबित पड़े हुए हैं। 
हर दिन आठ महिलाओं का अपहरण 
हरियाणा में महिलाओं को गलत नीयत या अपना स्वार्थ सिद्ध करने के मकसद से 3084 महिलाओं का अपहरण भी हुआ। प्रदेश में साल 2021 के दौरान महिलाओं के अपहरण के 2958 मामले दर्ज कराए गये, जो पिछले साल की तुलना 22 प्रतिशत से ज्यादा हैं। प्रदेश में 1086 महिलाओं का अपहरण तो जबरन शादी कराने के लिए किया गया, जिनमें 226 लड़कियों की उम्र 18 साल से कम रही। प्रदेश में इससे ज्यादा 1099 नाबालिग लड़कियों का अपहरण तो खरीद फरोख्त के लिए किया गया, जबकि 19 को मानव तस्करी का शिकार बनाया गया। वहीं 98 लड़कियों को अश्लील सामग्री के जरिए साइबर क्राइम का शिकार बनाने के मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें सात लड़कियों को नकली प्रोफाइल बनाकर ब्लैकमैलिंग कर यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। 
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लंबित मामलों का ग्राफ बढ़ा 
हरियाणा में महिला अपराधों के लंबित मामलों का अंबार भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मसलन पिछले पांच साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों का ग्राफ 115.60 फीसदी बढ़ चुका है, जबकि पिछले सात साल पर नजर ड़ालें तो लंबित मामले बढ़कर 157.47 फीसदी हो चुके हैं। जहां साल 2015 में प्रदेश में 15,197 मामले लंबित थे, तो साल 2021 में महिला अपराध के लंबित मामले बढ़कर 39,128 तक पहुंच गये हैं। साल 2020 में प्रदेश में 31,118, 2019 में 23456, 2018 में 20580, 2017 में 11370, साल 2016 में 9839, 2015 में 9511 और 2014 में 9010 मामले विचारण के लिए ऐसे लंबित थे। 
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दोषसिद्धि की दर बेहद खराब 
हरियाणा में महिला के खिलाफ अपराध करने वालों पर दोष सिद्ध होने की दर 20 फीसदी से कम है। हालांकि पिछले सात साल बाद वर्ष 2021 में यह दर कुछ बढ़ी है, जो 17.7 फीसदी दर्ज की गई, इससे पहले 2015 18.1 फीसदी आरोपियों पर अपराध सिद्ध हुआ था। जबकि साल 2020 और 2019 में 16.1 प्रतिशत, 2018 में 17.1 प्रतिशत, 2017 में 15.4 प्रतिशत, 2016 में 13.4 प्रतिशत रही। मसलन ज्यादातर आरोपी साक्ष्य या अन्य सबूतों के अभाव मामलों से बाहर निकलकर बरी हो जाते हैं। 
पीड़ितो के दर्द पर मरहम 
प्रदेश में हर जिले एवं बड़े शहरों में स्थापित ‘वन स्टॉप सेंटर’ अत्याचार होने पर महिलाओं को मदद देने के लिए काम कर रहे हैं। महिलाओं से जुड़े अपराधों में अगर पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है, तब भी सेंटर मदद करने का दावा करता है। मसलन किसी भी समय महिलाओं को घर से निकाल देने की स्थिति में भी महिलाओं आश्रय दिया जाता है। पांच दिन तक रहने की सुविधा के साथ उनकी निशुल्क काउंसलिंग और खान-पान की सुविधा के बाद उन्हें परिवारों से मिलवाने का प्रयास किया जाता है। 
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वर्जन 
महिलाओं का उत्थान जरुरी 
हरियाणा में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले महिला आयोग उनकी सुरक्षा और उनको न्याय दिलाने का काम कर रहा है। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में पुलिस की कार्रवाई और महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा चलाए जा रही पहलों की निगरानी की जाती है। आयोग को मिलने वाली महिलाओं की शिकायतों का समाधान भी तेजी से किया जा रहा है, ताकि उन्हें न्याय मिल सके। महिलाओं की शिकायतों पर पुलिस में कार्रवाई न होने पर भी आयोग कार्रवाई करता है और कार्रवाई न करने वाले अधिकारी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाही करने का कार्य महिला आयोग कर रहा है। आयोग महिलाओं की बेहतरी और उनकी सुरक्षा करने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों के ज्यादातर मामलों का समाधान करने का प्रयास कर रहा है। 
-रेनु भाटिया, चैयरमैन, हरियाणा राज्य महिला आयोग। 
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महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता 
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस सजग है और पुलिस थानों में अलग से महिला हेल्पडेस्क काम कर रही है, जिसकी महिला स्टाफ के साथ डेस्क का प्रभारी भी महिला पुलिस अधिकारी को बनाया गया है। इसका उद्देश्य यही है कि महिला फरियादी की शिकायत सुनकर काउंसलिंग कर समाधान किया जाए। महिला हेल्प डेस्क के स्टाफ को यह भी जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह समय-समय पर जांच अधिकारी से स्टेटस की जानकारी लेकर महिला फरियादी को उसकी जानकारी दें। पुलिस महिला हेल्पलाइन 1091 के अलावा डॉयल 112 पर भी महिलाओं की कॉल पर तत्परता से कार्रवाही की जा रही है। वहीं स्कूल और कॉलेजों में छात्राओं को आत्मरक्षा और सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है। दुर्गा शक्ति ऐप और महिला हेल्पलाइन नंबर का महिलाएं काफी प्रयोग कर रही है। महिला पुलिस अपराध की शिकार महिलाओं की एफआईआर दर्ज कराकर कार्रवाई करते हुए उनकी सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। -सुशीला, डीएसपी, महिला पुलिस रोहतक। 
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टेबल 
हरियाणा में महिला अपराध/ पांच साल में बढ़े 46.5 फीसदी मामले 
वर्ष    कुल दर्ज मामले   दहेज हत्या  दहेजउत्पीड़न   दुष्कर्म    गैंगरेप   अपहरण    आत्महत्या 
             (46.5%)       (12.25%)      (73%)          (53.2%)  (3.6%)   (3.6%)     (6.8%) 
 2021   16658             275             5755              1716        171        2958        205 
2020    13000             251             4119              1371        160        2423        204 
2019    14683             248             4875              1525        165        2803       226 
2018    14326            216              4195             1367         189        3419       356 
2017    11370            245              3326             1120         165        2949       192 
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सात साल में महिला अपराध के लंबित मामलों में 157.47 फीसदी वृद्धि 
वर्ष   दर्ज मामले लंबित मामले दोषसिद्ध दर 
 2015     9511     15197         18.1% 
 2016    9839      16440         13.4% 
 2017  11370      18148         15.4% 
 2018  14326      20580        17.1% 
 2019  14683     23456         16.1% 
 2020 13,000     30071         16.1% 
 2021 16658      39128        17.7% 
 ----- 19Sep-2022

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