शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

साहसी बच्चे : जो खेल गए अपनी जान पर

इनके आदम्य साहस के सामने सब नतमस्तक
ओ.पी. पाल 
भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) की ओर से अदम्य साहस और वीरता का परिचय देने वाले देश के 24 बच्चों को वर्ष 2014 के राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार 6 से 18 वर्ष के बीच के बच्चों को ही दिया जाता है। इनमें 8 लड़कियां और 16 लड़के शामिल हैं। चार बच्चों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया जाएगा। प्रतिष्ठित भारत पुरस्कार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली रेशम फातमा को दिया जाएगा। 16 वर्षीय रेशम ने अद्भुत साहस का परिचय देते हुए तेजाब से हमला करने वाले अपने चचेरे मामा का सामना किया और जैसे-तैसे खुद को बचाकर पुलिस तक पहुंचीं। जबकि गीता चोपडा पुरस्कार के लिए असम की गुंजन शर्मा को चुना गया है। गुंजन ने अपनी दोस्त को अपहरणकर्ता से बचाया था। इसके साथ संजय चोपडा पुरस्कार मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) के देवेश कुमार को दिया जाएगा। देवेश ने अपनी जान की परवाह न करते हुए बदमाशों का तीन किलोमीटर तक पीछा किया और उन्हें लात मारकर गिरा दिया। इससे घबराए बदमाशों ने देवेश के ऊपर गोली चलाई, जो उसकी पीठ में लगी। इसके बाद दोनों बदमाश भाग खड़े हुए। वहीं तीन बच्चों को बापू गैधानी पुरस्कार के लिए अरुणाचल प्रदेश के रूमो मीतो, मुजμफरनगर (यूपी) की रिया चौधरी और चमोली (उत्तराखंड) की मोनिका उर्फ मनीषा को मिलेगा। रिया और मोनिका को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जा रहा है।
सम्मान व आर्थिक मदद
पुरस्कार स्वरूप बच्चों को पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। इसके साथ ही इन बच्चों को पढाई पूरी करने के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इसके अलावा भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) की ओर से इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप इंजीनियरिंग और मेडिकल पढ़ने वाले विद्यार्थियों को दी जाती है। भारत सरकार की ओर पुरस्कार विजेता को मेडिकल, इंजीनियरिंग और पोलीटेक्निक में कुछ सीटें आरक्षित की गई हैं। आईसीसीडब्ल्यू वर्ष 1957 से अब तक 895 बच्चों को इस पुरस्कार से नवाज चुकी है, जिनमें 634 लड़के और 261 लडम्कियां शामिल रही हैं। वर्ष 1957 में पहली बार दो बच्चों (एक लड़के और एक लड़की) को पुरस्कार दिया गया था।
इन वर्गो में मिलेंगे अवार्ड
वर्ग- नाम - उम्र - राज्य
भारत अवार्ड- रेशम फातमा - 16 साल 9 महीने- उत्तर प्रदेश
गीता चोपड़ा अवार्ड- गुंजन शर्मा - 13 साल 9 महीने- असम
संजय चोपड़ा अवार्ड- देवेश कुमार - 16 साल 10 महीने- उत्तर प्रदेश
बापू गैधानी अवार्ड- रूमो मीतो - 13 साल 6 महीने- अरुणाचल प्रदेश
बापू गैधानी अवार्ड- स्वर्गीय रिया चौधरी - 15 साल 4 महीने- उत्तर प्रदेश
बापू गैधानी अवार्ड- स्वर्गीय मोनिका उर्फ मनीषा -16- उत्तराखंड
वीरता पुरस्कार से सम्मानित
बलराम डनसेना- 11 साल 8 माह - छत्तीसगढ़
स्वर्गीय गौरव कुमार भारती- 15 साल 7 माह - उत्तर प्रदेश
लाभांशु-15 साल 8 माह - उत्तराखंड
जील जितेंद्र मराठे- 13 साल 11 महीने- गुजरात
विशाल बेचरभाई कटोसना-10 साल 2 माह - गुजरात
हीरल जीतू भाई हलपति- 17 साल 8 माह - गुजरात
अश्विनी बंडु उघड़े- 13 साल, 2 माह - महाराष्ट्र
साहनेश आर- 13 साल 9 माह - कर्नाटक
अंजित पी- 12 साल 7 माह - - केरल
अकिल मोहम्मद एन के - 9 साल - केरल
मिधुन पी पी- 14 साल 2 माह - केरल
राजदीप दास- 16 साल 9 माह - झारखंड
एल ब्रेनसन सिंह - 10 साल- मणिपुर
जी तूलदेव शर्मा- 9 साल 4 माह - मणिपुर
स्टीवेनसन लारिनियांग- 14 साल 6 माह - मेघालय
रीपा दास- 7 साल- त्रिपुरा
स्वर्गीय मेसक के रेमनाललडंहाक- 14 साल 7 माह - मिजोरम
मोनबेनी इजुंग- 8 साल- नागालैंड
बच्चों के साहस की दास्तान
दोस्तों को बचाया
रायगढ़ (छत्तीसगढ़) निवासी बलराम डनसेना 19 अप्रैल 2014 को अपने दोस्त के साथ 15फुट गहरे तालाब में तैराकी सीख रहा था। तभी वहां 8 वर्षीय चंद्रकांत एवं उसके दोस्त भी आ गए। अचानक चंद्रकांत एवं उसका दोस्त डूबने लगे। इस पर बलराम ने जान की परवाह ना कर छलांग लगा दोनों की जान बचाई।
लड़कियों की जान बचाई
झारखंड के जमतारा निवासी राजदीप दास 20 अक्टूबर 2013 की सुबह लक्ष्मी विसर्जन के लिए गया था। विसर्जन के उपरांत काफी बच्चे वापस लौट गए थे। राजदीप को किसी ने बताया कि कुछ लड़कियां तालाब में डूब गई है। थके होने के बावजूद राजदीप ने 8 फुट गहरे तालाब में कूद गया एवं बच्चियों की तलाश करने लगा। इस दौरान वह थक गया लेकिन वह तब तक बाहर नहीं निकला जब तक कि बच्चियों को बाहर नहीं निकाल लिया। बच्चियों को बाहर निकाल उन्हें उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल में भी राजदीप ने ही भर्ती कराया।
मामा के चंगुल से बचकर बचाई जान
लखनऊ (उप्र) की 16 वर्षीय रेशम फातमा 1 फरवरी 2014 को कोचिंग क्लास जा रही थी। रास्ते में मामा रियाज अहमद (38) ने चाकू की नोंक पर जबरन कार में धकेला। उसने शादी का प्रस्ताव नहीं मानने पर रेशम को धमकी दी। जब रेशम टस से मस नहीं हुई और विरोध करने लगी तो मामा ने बाल पकड़कर खींचा एवं सिर पर तेजाब डाल दिया। 15 मिनट तक रेशम बचने के लिए संघर्ष करती रही। आखिरकार उसने मामा को तेजी से धक्का दिया और कूद कर भागी। रियाज ने पीछा किया लेकिन वह एक आॅटो में बैठकर पुलिस स्टेशन पहुंची एवं फिर वहां से अस्पताल में भर्ती कराया गया। रेशम का चेहरा, हाथ, बाल बुरी तरह से जल गया। रेशम को भारत अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
पिता को बचाने में गंवाई जान
मुजμफरनगर (उप्र) निवासी स्वर्गीय रिया चौधरी 10 मार्च 2014 को घर पर ही परीक्षा की तैयारी कर रही थी। तभी उसने बाहर से कुछ आवाज सुनी। बाहर जाकर उसने देखा कि माता-पिता एवं ताऊ को कुछ बदमाशों ने घेर रखा था। उन लोगों के हाथों में हथियार थे। अचानक उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। एक बदमाश ने पिता को निशाना बनाते हुए गोली चला दी। रिया पिता के सामने खड़ी हो गई। गोली उसे लगी। दो गोली रिया की मां को लगी। रिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
झपटमारों का पीछा करने के दौरान लगी गोली
मैनपुरी (उप्र) निवासी देवेश 15 मई 2014 को अपने पिता को उनके स्कूल छोड़ने गए थे। जैसे ही वहां पहुंचे तो प्रधानाध्यापिका के चिल्लाने की आवाज सुनी। देवेश मौके पर पहुंचे तो प्रधानाध्यापिका ने बताया कि बाइक सवार दो बदमाशों ने उनकी सोने की चेन झपट ली है। देवेश ने बाइक से पीछा किया एवं बाइक चला रहे बदमाश को पैर से धक्का मार गिराने की कोशिश की। इस पर बाइक चला रहे बदमाश ने अपने साथी को देवेश को गोली मारने के आदेश दिया। गोली देवेश की कमर में लगी और वह जमीन पर गिर गया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। देवेश को संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
दोस्त को बचाने में गई जान
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला के स्वर्गीय गौरव कुमार भारती दोस्त को बचाते समय नदी में डूब गया। 11 मार्च 2014 की सुबह गौरव के मित्र विकास एवं देवा सरयू नदी में स्नान कर रहे थे। अचानक विकास डूबने लगा। यह देखते ही गौरव ने 30 फुट गहरे पानी में छलांग लगा दी। उसने विकास को नदी के किनारे तक पहुंचा दिया लेकिन शरीर अनियंत्रित होने से वह गहरे भंवर में फंस गया। उसके दोस्त देवा ने मदद के लिए एक नाविक को बुलाया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। हादसे में गौरव की मृत्यु हो गई।
बच्चे को डूबने से बचाने में हुई मौत
उत्तराखंड के चमोली जिला की स्वर्गीय मोनिका उर्फ मनीषा कालेश्वर गांव में 15 जून 2014 को दो छोटी बहनों के साथ अलकनंदा नदी के किनारे कपड़े धो रही थी। अचानक उसने देखा कि पड़ोस में रहने वाला 10 वर्षीय साहिल 8 फुट गहरे पानी में फिसल गया और डूबने लगा। यह देखते ही मोनिका ने नदी में छलांग लगा दी। उसने साहिल को बचा लिया लेकिन इस दौरान वह तेज बहाव में बह गई एवं उसकी मौत हो गई।
गंगा नदी से डूबते युवकों को बचाया
उत्तराखंड के ऋषिकेश निवासी लाभांशु 24 मई 2014 को गंगा नदी के किनारे कुश्ती का अभ्यास कर रहा था। एक व्यक्ति पानी पीने के लिए नीचे उतरा लेकिन वह डूबने लगा। एक शख्स उसे बचाने उतरा तो वह भी डूबने लगा। लाभांशु ने जान की परवाह ना कर 40 फुट गहरी गंगा नदी में छलांग लगा दी एवं दोनों को बाहर निकाला।
10 छात्रों की बचाई जान
असम के सिमलुगुड़ी में 4 दिसंबर 2013 को अचानक दो बदमाश होटल से निकले एवं हवा में गोली चलाते हुए एक स्कूल वैन को अगवा कर लिया। वैन में गुंजन शर्मा समेत11 बच्चे सवार थे। अपहरणकर्ता ने चालक को गाड़ी घुमाकर मथुरापुर की तरफ जाने के लिए बाध्य किया। गुंजन ने अनुरोध किया कि बदमाश सभी बच्चों को छोड़ दें एवं उसे बंधक बना लें। सांतक बार्डर के पास अचानक वैन गहरे खड्ढे में गिर गई। अपहरणकर्ता बच्चों को छोड़ गुंजन को बंधक बनाकर साथ ले गए। सुबह करीब पौने चार बजे गुंजन को जंगलों में छोड़ अपहरणकर्ता भाग खड़े हुए। एक घंटा पैदल चलने के बाद गुंजन एक झोपड़ी तक पहुंची, जहां से उसने फोन कर पुलिस को बुलाया। गुंजन को गीता चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
अब तक 895 बच्चों को मिल चुका है पुरस्कार
आईसीसीडब्ल्यू वर्ष 1957 से अब तक 895 बच्चों को इस पुरस्कार से नवाज चुकी है, जिनमें 634 लड़के और 261 लड़कियां शामिल रही हैं।
- 1957 में शुरू हुए थे बच्चों के लिए वीरता पुरस्कार
- 1978 में शुरू हुए थे गीता चोपड़ा और संजय चोपड़ा पुरस्कार
- 1987 में शुरू हुए था भारत पुरस्कार
- 1988 में शुरू हुए थे बापू गैधानी पुरस्कार
इस तरह होता है बच्चों का चुनाव
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) की ओर से दिए जाते हैं। पुरस्कार के लिए बच्चों का चयन एक उच्च स्तरीय कमेटी करती है। इस कमेटी में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और गैर सरकारी संगठनों के साथ आईसीसीडब्ल्यू के
पदाधिकारी शामिल होते हैं।
30Jan-2015

गुरुवार, 29 जनवरी 2015

अब भारत की कूटनीतिक परीक्षा की घड़ी!

चीन संबन्धों व रूस से भी पुराने रिश्तों को जीवंत रखने की चुनौती
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की अप्रत्याशित यात्रा के दौरान दोस्ताना मजबूत करके भारत को नई ऊर्जा मिलने से खफा नजर आ रहे चीन और रूस को मनाने की चुनौती भारत के सामने है। एक मायने में भारत के सामने अब वह घड़ी आ गई है जब मोदी सरकार को कूटनीतिक की कसौटी पर खुद को खरा साबित करना है। भारत के तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच रिश्तों को प्रगाढ़ करने के लिए चले वार्ताओं के दौर पर चीन पहले ही चौकन्ना था, जिसने भारत-अमेरिका की दोस्ती के बहाने बराक ओबामा की रणनीति पर
सवाल खड़े करके यह कहना शुरू कर दिया था कि अमेरिका चीन और रूस के साथ परंपरागत संबन्धों को खत्म करना चाहता है। हालांकि अमेरिका ने चीन को भरोसा दिया कि उसका ऐसा मकसद नहीं है। भारत ने अमेरिका के साथ रिश्तों की डोर मजबूत करने के बाद अब चीन व रूस मनाने की कवायद शुरू कर दी है। बराक ओबामा ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन करने और भारत को परमाणु वितरक समूह(एनएसजी) क्लब में शामिल करने पैरवी की, जिससे चीन की ज्यादा चिंताएं बढ़ गई। शायद यही कारण है कि एक फरवरी को विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज चीन के दौरे पर जा रही है, जहां रूस के विदेश मंत्री भी त्रिपक्षीय वार्ता में शािमल रहेंगे। वहीं मई के महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं चीन के दौरे पर जाएंगे। मसलन मोदी सरकार किस कूटनीति से चीन और रूस के साथ अप्रत्यक्ष रूप से नजर आ रही खटास को मिठास में बदलते हैं इसी चुनौती से पार पाने में अब भारत जुट गया है। विदेश नीति और कूटनीति के माहिर माने जाने वाले नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत और अमेरिका के रिश्तों में घोली गई मिठास को खासकर चीन बर्दाश्त करने की स्थिति में नजर नहीं आता। दूसरी ओर बराक ओबामा की भारत के मंच से यूक्रेन की पैरवी में भारत के पुराने दोस्त रूस को दी गई चेतावनी पर रूस भी चौंकता नजर आया। विशेषज्ञों की राय में रूस को अमेरिका की चेतावनी देना भी भारत और रूस की अरसे से चली आ रही दोस्ती को प्रभावित करना माना जा रहा है। विदेश मामलों के विशेषज्ञ सलमान हैदर का कहना है कि ओबामा की भारत यात्रा और इस दौरान हुई संधियों के बारे में चीन और रूस को लेकर अच्छा संदेश नहीं गया है। उनका कहना है कि इस यात्रा ने भारत और अमेरिका को नजदीक किया और भारत को नई ऊर्जा मिली है इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन भारत के विभिन्न क्षेत्र में चीन और रूस के साथ भी सहयोग की नीति के तहत कई समझौते हैं जिन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। परमाणु करार को पूरा करने के अलावा अंतर्राष्‍ट्रीय अप्रसार और निर्यात नियंत्रण नीति को मजबूत करने के प्रति बराक ओबामा और नरेन्द्र मोदी की दोस्ती भारत को परमाणु वितरक समूह यानि एनएसजी में शामिल करने की कवायद की सूंघ आते ही चीन बौखलाता नजर आया। वहीं अमेरिका के नजदीक जाते भारत की संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव को भी नाराज चीन प्रभावित कर सकता है, जिसका कारण चीन के पास वीटो है। सलमान हैदर की माने तो भारत के सामने रूस से कहीं ज्यादा चीन को अपनी कूटनीति के जरिए संतुष्ट करना होगा और करना भी चाहिए। पाक के मुद्दे पर हैदर का मानना है कि वह भारत के लिए इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जो भारत से ओबामा के जाते ही भारत के साथ बेहतर संबन्धों की दुहाई देते हुए पस्त होता नजर आ रहा है।
29Jan-2015

बुधवार, 28 जनवरी 2015

‘ओबामा शो’ ने बढ़ाई भारत की शान!

भारत-अमेरिका संबन्ध का शुरू हुआ नया अध्याय
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा का भारत दौरे ने निश्चित रूप से दुनिया के सामने भारत की शान में चार चांद लगा दिये हैं, जिसमें दोनों देशों के बीच दोस्ती का एक नया अध्याय शुरू हुआ है और इसे दोनों देशो के राष्‍ट्र अध्यक्षतों ने ही नहीं स्वीकारा, बल्कि भारत व अमेरिका के विशेषज्ञ भी भारत और अमेरिका के संबंधों को नया आयाम देने का सकारात्मक संकेत दे रहे हैं।
भारत के तीन दिन के दौरे के ‘ओबामा शो’ के दौरान भारत-अमेरिका के बीच जिस तरह के समझौते और करार हुए है उससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास एजेंडे को भी बल मिलना तय है। विशेषज्ञों की राय से सामने आ रही दिलचस्प बात तो यह है कि जिस तरह की दोनों देशों के बीच संबन्धों की एक नई शुरूआत हुई है। इस तरह की शुरूआत करने के लिए कभी कांग्रेस ने किसी भी शासनकाल में करने का प्रयास नहीं किया। जबकि गणतंत्र दिवस के बहाने भारत में मोदी सरकार ने बराक ओबामा के साथ कुछ ऐसी संधियां की है जो दोनों देशों के संबन्धों को ऐतिहासिक और नया आयाम देने में कारगर साबित होंगी। विदेश मामलों के विशेषज्ञ प्रो. कलीम बहादुर का कहना है कि अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशासनिक क्षमताओं को समझा है और मोदी की कूटनीति का ही नतीजा है कि भारत और अमेरिका नजदीक आए हैं। व्यापार,ऊर्जा, रक्षा, परमाणु, शिक्षा,जलवायु परिवर्तन और अन्य क्षेत्रों में हुए सहयोग के समझौते से बढ़कर मेक इन इंडिया को मोदी वैश्विक अमलीजामा पहनाने के लिए आगे बढ़ते दिख रहे हैं। कलीम बहादुर की माने तो बराक ओबामा के इस दौरे में खासबात तो यह रही कि मोदी ने अमेरिका के साथ मिलकर दोनों देशों के कारोबारियों को एक ऐसा मंच देकर शो किया, जिस पर दुनियाभर की नजरें टिकी थी। उनका यह भी कहना है कि ओबामा के संबोधन में भी वही धार नजर आई जिस तरह मोदी के शब्दों में स्थानीय मुद्दे छा जाते हैं। मसलन ओबामा ने अपने संबोधन में भारत के उन मुद्दों तक छू लिया, जो यहां के विकास में रोड़ा साबित हो रहे हैं, यहां तक कि धर्म और संविधान तक की बात ओबामा कहकर भारतीय राजनीति को नसीहत तक भी दे गये हैं।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ प्रशांत दीक्षित करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कूटनीति का लक्ष्य सिर्फ दक्षिण एशिया में नेतृत्व करना ही नहीं है, बल्कि वे अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के तहत दुनिया में चोटी पर भारत की जगह सुनिश्चित करना चाहते हैं। विदेशी निवेश आकर्षित करने और मेक इन इंडिया के जरिए भारत के युवावर्ग की बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना भी उनका लक्ष्य है। यह तथ्य सामने भी आने लगा है जहां भारत और अमेरिका के बीच इस समय 100 अरब डॉलर का कारोबार हो रहा है, जो पिछले दस साल के मुकाबले पांच गुना कहा जा सकता है। हालां कि मोदी का लक्ष्य 2025 तक इसे दोगुना करना है। इसी कूटनीति की पृष्ठभूमि में अमेरिका को अपने दोस्ताने माहौल में नजदीक लाना भारत के लिए फायदेमंद ही होगा।
मोदी का बढ़ा कद
अमेरिका के राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे पर जिस तरह के कार्यक्रम और बातचीत के दौर चले हैं उनसे निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छवि व कद बढ़ा है। वहीं दुनिया के नक्शे पर भारत की शान में भी बढ़ोतरी मानी जा रही है। ओबामा दौरे के विश्लेषकों की नजर में भी नरेन्द्र मोदी का एक शासक के रूप में कद बढ़ा है वह भी खासकर उस अमेरिका के लिए, जो कभी नरेन्द्र मोदी को 2005 से वीजा तक देने को तैयार नहीं था। उसी मोदी के मैजिक और कूटनीति के सामने वही अमेरिका मोदी के एक सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री बनने पर निरंतर भारत के नजदीक आता जा रहा है। यह भी दिगर है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा से तीन मुलाकाते हो चुकी हैं। यह कहावत सही साबित होती दिख रही है कि मोदी की कामयाबी घरेलू लड़ाई जीतने और राजनीतिक नेतृत्व को भरोसा दिलाने में है, जो भारत-अमेरिका के निकटतम संबंधों से दुनिया के दोनों बड़े लोकतांत्रिक देशों के लिए फायदे का सौदा माना जा रहा है।
28Jan-2015

मंगलवार, 27 जनवरी 2015

आसमान पर होंगे भारत-अमेरिका संबन्ध!

भारत के विशेषज्ञों के मंथन में सकारात्मक संकेत
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा महज गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि ही नहीं हैं, बल्कि मोदी सरकार की कूटनीतिक में सामरिक और आर्थिक मोर्चे पर भी भारत और अमेरिका के संबन्धों को नई ऊंचाई तक ले जाने की है, जिसमें छह साल से अटके परमाणु समझौते के दो बड़े मुद्दों को सुलझाना भारत सरकार की उपलब्धियों से कम नहीं है। ऐसी राय ओबामा की भारत यात्रा पर विशेषज्ञों द्वारा किये जा रहे मंथन से भी सामने आ रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच रविवार को हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भले ही मेहमान को प्रधानमंत्री मोदी ने ओबामा को स्वयं चाय बनाकर पिलाई हो, लेकिन मोदी की इस सादगी भरी मेहमाननवाजी का भारत और अमेरिका के रिश्तों की जड़े कितनी मजबूत होंगी, यही भारत सरकार की विदेश व कूटनीति में समाहित है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के ऐतिहासिक भारत दौरे पर आॅब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और कुछ टीवे चैनलों पर दोनों देशों के बीच होने वाली संभावित बातचीत व समझौतों पर विशेषज्ञ भी मंथन करने में जुटे हैं, जिनकी राय से यही बाते निकलकर आ रही हैं कि ओबामा का यह दौरा दोनों देशों के संबन्धों को नएं आसमान को छू लेगा और शुरूआती बातचीत में खासकर परमाणु समझौते पर बढ़े कदम के अलावा ऊर्जा व रक्षा क्षेत्र के साथ समुद्री सुरक्षा तथा व्यापारिक से कहीं बढ़कर वैश्विक खतरा बने आतंकवाद पर साथ-साथ आने की सहमति इन संकेतों को मजबूती भी दे गये हैं। विशेषज्ञों के इस मंथन में भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सी राजमोहन का स्पष्ट मानना है कि भारत और अमेरिका के संबंध पिछले 10 साल में काफी आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन यूपीए सरकार में इन संबंधों को लेकर एक दुविधा भी थी, लेकिन मोदी सरकार में यह दुविधा खत्म होती दिखने लगी है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के पूर्व अधिकारी रहे विक्रम सिंह ने तो यहां तक कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार हाल के समय में बहुत तेजी से बढ़कर 10 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंच गया है और अमेरिका भारत को सुरक्षा उपकरण निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश बनना एक बड़ा सकारात्मक संकेत है। पूर्व भारतीय राजदूत राकेश सूद का कहना है कि भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने की बड़ी पहल अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगे बढ़ाकर भारत-अमेरिका संबंध को नई बुलंदी देने की पहल कर दी है तो स्वाभाविक सहयोगी में तब्दील कर दिया। उन्होंने कहा कि नागरिक परमाणु सहयोग के क्षेत्र में ये दोस्ती अहम साबित होगी। इनके अलावा भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और बीसीआईयू के पीटर तिकांसु और रिक रोसो ने भविष्य की उम्मीदों, संदेह और भारत-अमेरिका के संबंधों पर अपनी राय में माना है कि रणनीतिक साझेदारी, पाकिस्तान, रक्षा और तकनीक, व्यापार, वाणिज्य और जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका वा भारत प्रगाढ़ रणनीतियों और सहयोगी नीतियों पर एकजुट होकर दुनिया को चौंका सकते हैं। विशेषज्ञ तो यह भी मान रहे हैं कि चाय के बहाने नरेन्द्र मोदी कई निशाने साध गये और पूरे देश समेत दिल्ली की जनता के सामने अपनी अंतराष्ट्रीय नेता की छवि गढ़ना चाह रहे हैं। दरअसल नरेन्द्र मोदी दुनिया के सबसे मजबूत नेता के साथ अपनी अनौपचारिक रिश्ते को दशार्ने का कोई मौका नहीं छोड़ना नहीं चाहते और निश्चत रूप से इस सादगी व कूटनीति से मोदी अमेरिका से काफी कुछ हासिल कर सकते हैं।
चीन व पाक भी चौकन्ना
भारतीय विशेषज्ञों की माने तो अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत की ऐतिहासिक यात्रा से चीन भी चौंकता नजर आ रहा है, जो इस यात्रा के आने वाले निष्कर्ष पर गिद्ध सी नजर गड़ाए हुए है। जबकि पाकिस्तान ओबामा की भारत यात्रा को लेकर पहले से ही चिंतित है। दरअसल इन पडोसी देशों के मन में ऐसे सवाल कौंध रहे है कि ओबामा की इस यात्रा से चीन या पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। जाहिर सी बात है कि आतंकवाद पर अमेरिका व भारत के सख्त रूख में यदि बात आई तो दूर तक जाएगी। आतंकवाद को शह दे रहे पाकिस्तान की यही चिंता है। जबकि चीन के जहन में ऐसा सवाल भी कि क्या ओबामा का भारत दौरा चीन के बढ़ते प्रभाव पर नियंत्रण पाने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है। वैसे भी अमेरिका की दृष्टि से भारत, चीन पर नियंत्रण पाने एवं हिंद महासागर में रेशम मार्ग(सिल्क रूट) पर जोर डालने के चीन के कदम को संतुलित करने की अमेरिका की तथाकथित हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए अहम है।
26Jan-2015

तीन स्मार्ट सिटी के विकास को समझौता

ओ.पी. पाल. नई दिल्ली. भारत ने अजमेर, इलाहाबाद और विशाखापत्तनम में तीन स्मार्ट सिटी के विकास के लिए आज अमेरिका के साथ तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए । सरकार का कहना है कि समझौतों से देश में इस तरह के शहरों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। अमेरिकी व्यापार एवं विकास एजेंसी (यूएसटीडीए) और उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं आंध्र प्रदेश की सरकारों ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू की मौजूदगी में इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर नायडू ने कहा कि सहमति ज्ञापनों पर हस्ताक्षर से भारत और अमेरिका के बीच सहयोग ने एक नया आयाम हासिल किया है और इससे स्मार्ट सिटी के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। यूएसटीडीए से जरूरी व्यवहार्यता अध्ययन एवं प्रारंभिक चीजों, अध्ययन दौरे, कार्यशाला या प्रशिक्षण एवं परस्पर निर्धारित की जाने वाली परियोजनाओं के लिए धन संबंधी योगदान मिलेगा। इससे स्मार्ट सिटी के लिए स्मार्ट साधन मिलने में मदद मिलेगी और स्मार्ट सिटी के विकास में मदद के लिए सलाह सेवाओं के लिए धन मिलेगा।
नए आसमान पर होंगे भारत-अमेरिका संबंध!
भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा महज गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि ही नहीं हैं, बल्कि मोदी सरकार की कूटनीतिक में सामरिक और आर्थिक मोर्चे पर भी भारत और अमेरिका के संबन्धों को नई ऊंचाई तक ले जाने की है, जिसमें छह साल से अटके परमाणु समझौते के दो बड़े मुद्दों को सुलझाना भारत सरकार की उपलब्धियों से कम नहीं है। ऐसी राय ओबामा की भारत यात्रा पर विशेषज्ञों द्वारा किये जा रहे मंथन से भी सामने आ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच रविवार को हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भले ही मेहमान को प्रधानमंत्री मोदी ने ओबामा को स्वयं चाय बनाकर पिलाई हो, लेकिन मोदी की इस सादगी भरी मेहमाननवाजी का भारत और अमेरिका के रिश्तों की जड़े कितनी मजबूत होंगी, यही भारत सरकार की विदेश व कूटनीति में समाहित है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के ऐतिहासिक भारत दौरे पर ऑब्र्जवर रिसर्च फाउंडेशन और कुछ टीवे चैनलों पर दोनों देशों के बीच होने वाली संभावित बातचीत व समझौतों पर विशेषज्ञ भी मंथन करने में जुटे हैं, जिनकी राय से यही बाते निकलकर आ रही हैं कि ओबामा का यह दौरा दोनों देशों के संबन्धों को नएं आसमान को छू लेगा और शुरूआती बातचीत में खासकर परमाणु समझौते पर बढ़े कदम के अलावा ऊर्जा व रक्षा क्षेत्र के साथ समुद्री सुरक्षा तथा व्यापारिक से कहीं बढ़कर वैश्विक खतरा बने आतंकवाद पर साथ-साथ आने की सहमति इन संकेतों को मजबूती भी दे गये हैं। विशेषज्ञों के इस मंथन में भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सी राजमोहन का स्पष्ट मानना है कि भारत और अमेरिका के संबंध पिछले 10 साल में काफी आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन यूपीए सरकार में इन संबंधों को लेकर एक दुविधा भी थी, लेकिन मोदी सरकार में यह दुविधा खत्म होती दिखने लगी है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के पूर्व अधिकारी रहे विक्रम सिंह ने तो यहां तक कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार हाल के समय में बहुत तेजी से बढ़कर 10 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंच गया है और अमेरिका भारत को सुरक्षा उपकरण निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश बनना एक बड़ा सकारात्मक संकेत है। पूर्व भारतीय राजदूत राकेश सूद का कहना है कि भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने की बड़ी पहल अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगे बढ़ाकर भारत-अमेरिका संबंध को नई बुलंदी देने की पहल कर दी है तो स्वाभाविक सहयोगी में तब्दील कर दिया। उन्होंने कहा कि नागरिक परमाणु सहयोग के क्षेत्र में ये दोस्ती अहम साबित होगी। इनके अलावा भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और बीसीआईयू के पीटर तिकांसु और रिक रोसो ने भविष्य की उम्मीदों, संदेह और भारत-अमेरिका के संबंधों पर अपनी राय में माना है कि रणनीतिक साझेदारी, पाकिस्तान, रक्षा और तकनीक, व्यापार, वाणिज्य और जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका वा भारत प्रगाढ़ रणनीतियों और सहयोगी नीतियों पर एकजुट होकर दुनिया को चौंका सकते हैं। विशेषज्ञ तो यह भी मान रहे हैं कि चाय के बहाने नरेन्द्र मोदी कई निशाने साध गये और पूरे देश समेत दिल्ली की जनता के सामने अपनी अंतराष्ट्रीय नेता की छवि गढ़ना चाह रहे हैं। दरअसल नरेन्द्र मोदी दुनिया के सबसे मजबूत नेता के साथ अपनी अनौपचारिक रिश्ते को दशार्ने का कोई मौका नहीं छोड़ना नहीं चाहते और निश्चत रूप से इस सादगी व कूटनीति से मोदी अमेरिका से काफी कुछ हासिल कर सकते हैं।
चीन व पाक भी चौकन्ना
भारतीय विशेषज्ञों की माने तो अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत की ऐतिहासिक यात्रा से चीन भी चौंकता नजर आ रहा है, जो इस यात्रा के आने वाले निष्कर्ष पर गिद्ध सी नजर गड़ाए हुए है। जबकि पाकिस्तान ओबामा की भारत यात्रा को लेकर पहले से ही चिंतित है। दरअसल इन पडोसी देशों के मन में ऐसे सवाल कौंध रहे है कि ओबामा की इस यात्रा से चीन या पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। जाहिर सी बात है कि आतंकवाद पर अमेरिका व भारत के सख्त रूख में यदि बात आई तो दूर तक जाएगी। आतंकवाद को शह दे रहे पाकिस्तान की यही चिंता है। जबकि चीन के जहन में ऐसा सवाल भी कि क्या ओबामा का भारत दौरा चीन के बढ़ते प्रभाव पर नियंत्रण पाने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है। वैसे भी अमेरिका की दृष्टि से भारत, चीन पर नियंत्रण पाने एवं हिंद महासागर में रेशम मार्ग(सिल्क रूट) पर जोर डालने के चीन के कदम को संतुलित करने की अमेरिका की तथाकथित हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए अहम है।
26Jan-2015

रविवार, 25 जनवरी 2015

राग दरबार

 --ओ.पी. पाल
टूटन के मोड़ पर एकता
आम तौर पर कहावत है कि चतुर लोग दुनिया को अपनी इच्छानुसार चलाने की कोशिश करते हैं और बुद्धिमान लोग स्वयं को दुनिया के अनुकूल बना लेते हैं। ऐसी ही कहावत समाजवादियों के बारे में चरितार्थ होती नजर आ रही है। मसलन मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की हुंकार भरने वाले गैर भाजपाई और गैर कांग्रेसी दलों की एकता बनने से पहले टूटने के कगार पर नजर आ रही है। मसलन समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम की अगुवाई में जनता परिवार के बिछड़े परिवार को एकजुट करने की कवायद संसद के शीतकालीन सत्र से पहले इस मकसद से शुरू हुई थी कि संसद और संसद के बाहर मोदी सरकार के खिलाफ एक सशक्त विपक्ष की भूमिका में एक संयुक्त दल गठित करके दोनों सदनों में संयुक्त नेता का चयन होगा, लेकिन अब शीतकालीन सत्र तो दूर रहा उसके बाद संसद के बजट सत्र भी तय हो चुका है, लेकिन जनता परिवार के एका का दावा खोखले बस्ते में ही पड़ा हुआ है। इस कदम के लिए जो दल एक सम्मेलन करके एका होने का प्रदर्शन कर रहे थे उसमें से भी दो दल इस एकजुटता की चाल को देखकर खिसक गये और दलों को साथ लाने की बात तो दूर की कोड़ी रही। राजनीतिक के गलियारों में अब यही चर्चा आम है कि एक सम्मेलन एका के लिए तो दूसरा झटपट समागम टूटने का होता है। यानि यूं कहा जा सकता है कि सोपा, प्रसोपा से लेकर संसोपा तक बनने की पूरी गाथा समाजवादियों के एका और टूटन को जानने के लिए ही काफी है। दूसरी चर्चा ऐसी भी सार्वजनिक होती नजर आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले को इस बार भी यूपी और बिहार के समाजवादियों ने एकता की राह पकड़ी, लेकिन सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ने की कहावत दरपेश होती दिखाई दे रही है। यानि मकर संक्रांति पर लालू यादव के दही-चूड़ा भोज की चर्चा एकता को लेकर कम, बिखराव की शुरूआत के तौर पर ज्यादा हुई।
कांग्रेस का सरवाइल दर्द
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के नेताओं का भाजपा की तरफ रूख से ज्यादा कांग्रेस का सरवाइल दर्द ज्यादा बढ़ता नजर आ रहा है। कांग्रेसी ही भाजपा के उस सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं जिसके अभियान पर भाजपा का रथ हांका जा रहा है यानि देश को कांग्रेसमुक्त करने के लिए अब भाजपा के साथ कांग्रेस के दिग्गज नेता भी भाजपा व प्रधानमंत्री मोदी की तारीफों के पुल बांधने में पीछे नहीं हैं। दिल्ली के चुनावी ऊंट की बदलती करवट के साथ कांग्रेस की कट्टर नेता श्रीमती कृष्णातीर्थ का समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थामना और फिर कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी जैसे हाईकमान के विश्वासपात्र नेताओं में शुमार होने के बावजूद प्रधानमंत्री की तारीफ करना कांग्रेस की मुश्किलों का ही तो सबब कहा जा सकता है। यही नहीं द्विवेदी पर लटकी पार्टी अनुशासन की तलवार के बीच ही कांग्रेस की महिला नेता बरखा सिंह ने तो भाजपा की सीएम उम्मीद्वार किरन बेदी की तारीफ करके कांग्रेस के जख्मोें पर नमक छिडकने जैसा काम कर दिया। ऐसे में चर्चा है कि कहीं ये कांग्रेसी दिग्गज भाजपा का तो रूख नहीं कर रहे हैं?
25Jan-2015

किसानों को मंजूर नहीं शान्ता की सिफारिश!

बजट सत्र के दौरान दिल्ली में होगी किसान महापंचायत
भूमि अधिग्रहण, खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्र से नाराज किसान
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
भाकियू की अगुवाई में किसान आंदोलन की समन्वय समिति ने जिस प्रकार से भूमि अध्यादेश में बदलाव के साथ जारी अध्यादेश पर नाराजगी जताई है उसी प्रकार खाद्य सुरक्षा के लिए भारतीय खाद्य निगम पर शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों को किसानों व खाद्य सुरक्षा विरोधी करार करते हुए नामंजूर कर दिया है। 
भाकियू की किसान आंदोलन की समन्वय समिति की किसानों की समस्याओं और केंद्र व राज्यों की किसान नीतियों को लेकर माथापच्ची हुई। समिति ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में बदलाव के लिए गठित की गई उच्च स्तरीय शांता कुमार कमेटी की सरकार को सौंपी गई सिफारिशों को भाकियू नेताओं ने किसान और खाद्य सुरक्षा विरोधी करार दिया है। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि किसानों को शांता कुमार कमेटी की सिफारिश कतई मंजूर नहीं हैं। इसलिए सरकार से मांग की है कि इस कमेटी की सिफारिशों को नामांजर किया जाए। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बातचीत के दौरान बताया कि शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों से साफ लगता है कि केंद्र सरकार कमेटी की सिफारिशों की आड़ में किसानों को फसलों पर मिलने वाले बोनस को भी भोगने की तैयारी कर रही है। मसलन बोनस देने वाले राज्यों से उतना ही अनाज खरीदा जाएगा, जितना जनवितरण प्रणाली के लिए जरूरी होगा। उन्होंने सवाल खड़े किये कि क्या देश में अपने खून-पसीने से देश का पेट पालने वाले करोड़ों किसान भाग्य के भरोसे छोड़ दिए जाएंगे? क्या इस नीति से उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चि किया जा सकेगा?
दिल्ली में होगी किसान महापंचायत
किसान नेता अजमेर सिंह लाखोवाल की अध्यक्षता में हुई किसाना आंदोलन की समन्वय समिति की बैठक में किसानों के मुद्दों पर चर्चा में केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों और कामकाज की समीक्षा की गई। भाकियू नेताओं ने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के साथ जारी अध्यादेश को भी किसानों के विरोधी करार दिया और कहा कि केंद्र सरकार की इन जन और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 18 मार्च को दिल्ली में जंतर-मंतर पर लाखो किसानों के साथ किसान महापंचायत की जाएगी। इससे पहले किसानों से जुड़े गम्भीर विषयों पर 9 सूत्रीय एजेन्डा तय कर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ चर्चा करने करने का प्रयास होगा। भाकियू की समन्वय समिति की चली मैराथन बैठक में भाकियू के पंजाब अध्यक्ष अजमेर सिंह लाखोवाल के अलावा भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, महासचिव युद्धवीर सिंह, हरियाणा प्रदेश के भाकियू अध्यक्ष रतन सिंह मान, कर्नाटक राज्य रैयत संघ से के.एस. पुटनैया, के.टी. गंगाधर, चामरास पाटिल, तमिलनाडू फार्मर एसोशिएशन से के.शैला मुथ्थू, नाला गाउन्डर, राजा रिगा, राजवीर सिंह, वीरेन्द्र सिंह आदि ने हिस्सेदारी की।
भाकियू का नौ सूत्रीय एजेंडा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से किसानों के मुद्दो को लेकर चर्चा करने के लिए भाकियू के प्रतिनिधि मंडल ने नौ सूत्री एजेंडा तैयार किया है, जिसमें भमि अधिग्रहण अध्यादेश को रद्द करने की मांग भी शामिल है। इसके अलावा पीएम से किसानोे को फसलों का उचित एवं लाभकारी मूल्य देने, शान्ता कुमार कमेटी की सिफारिशों को नामंजूर करने, किसानों का कर्जा पूर्णत: माफ करने, प्राकृतिक आपदाओं पर केन्द्रीय नीति बनाने, किसानों की न्यूनतम आमदनी तय करने, जैव परिवर्तित फसलों पर रोक लगाने, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान कराने तथा कृषि को विश्व व्यापार संगठन से बाहर करने की मांग की जाएगी।
25Jan-2015

शनिवार, 24 जनवरी 2015

हर गांव तक सिंचाई सुविधा देने की तैयारी!

प्रधानमन्त्री कृषि सिंचाई योजना पर माथापच्ची
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
नरेन्द्र मोदी सरकार की देश के हर गांव तक सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने काम शुरू कर दिया है, जिसके लिए पहले ही सरकार ने इस योजना के लिए एक हजार करोड़ रुपये का बजट तय कर दिया है।
जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार की योजना देश के हर गाँव तक सिंचाई सुविधा पहुँचाने की है। इसके तहत सरकार द्वारा एक हजार करोड़ रुपए की सिंचाई योजना की शुरूआत की जा रही है, जिसमें जल संसाधन मंत्रालय के अलावा अन्य संबन्धित मंत्रालयों द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं को इस योजना में समायोजित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए सालाना कोष की भी स्थापना करने का निर्णय किया गया है। इस कोष के तहत राज्यों को सिंचाई क्षेत्र के लिए अधिक धन आवंटित करने का अधिकार होगा। मंत्रालय के अनुसार इस योजना को कार्यान्वित करने की लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। हालांकि इस योजना का कार्यान्वयन प्रमुख रूप से कृषि मंत्रालय द्वारा किया जाएगा, लेकिन जल संसाधन मंत्रालय जल प्रबंधन और नदी बेसिन व अन्य योजनाओं के जरिए जल को नहरों और नदियों तक पहंचाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रही है। सरकार देश में सिंचाई के दायरे के विस्तार के लिए कई केन्द्रीय योजनाओं पर कार्य कर रही है।
चुनौती से कम नहीं टेल तक पानी पहुंचाना
राजग सरकार की इस योजना में टेल तक पानी पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि हर गाँव के खेत में सिंचाई का पानी पहुँचाने का अपेक्षित लक्ष्य अभी भी वास्तविकता से कोसो दूर है, जिसका कारण मौजूदा योजनाओं का अलग-अलग दृष्टिकोण होना भी है। जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक देश में कुछ गांव ऐसे हैं जहां जल का स्तर निरंतर नीचे गिरता जा रहा है जिसके लिए मंत्रालय और जल विशेषज्ञ भूजल के स्तर को सुधारने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। इसके लिए तकनीकी को भी अपनाने पर विचार किया जा रहा है। सरकार की पीएमकेएसवाई की प्रतिबद्धता अधिकतम इस्तेमाल के लिए सिंचाई प्रणाली के तीन महत्वपूर्ण अवयवों जल स्रोत, वितरण नेटवर्क और जमीनी उपयोग को प्रभावी ढंग से जोड़ना है। सूत्रों के अनुसार सरकार का यह नया सिंचाई कार्यक्रम इस मायने में महत्वपूर्ण माना जा सकता है कि देश की कुल 14.2 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि का 65 प्रतिशत भाग अब भी सिंचाई सुविधा से वंचित है, जिसे पाटने के लिए सरकार जल संसाधन, बिजली और कृषि मंत्रालयों के अलावा अन्य संबन्धित विभागों के समन्वय से योजना का खाका तैयार कर रही है।
23Jan-2015

गुरुवार, 22 जनवरी 2015

राज्यों में पानी की जंग पर गंभीर हुआ केंद्र!

हरियाणा,पंजाब व राजस्थान के जल बंटवारे का जल्द होगा समाधान
राज्यों के साथ विचार विमर्श करेंगी उमा भारती
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के बीच पानी की जंग को खत्म करने के इरादे से केंद्र सरकार गंभीर नजर आ रही है। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के बीच जल बंटवारे का सकारात्मक समाधान तलाशने के लिए जल्द ही केंद्रीय जल संसाधान मंत्री सुश्री उमा भारती तीनों राज्यों के साथ बैठक करेंगी और अदालत से बाहर इसका स्थायी हल करने पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगी। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हर बुधवार को मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करती हैं। इस दौरान हरियाणा, पंजाब और राजस्थान राज्यों के बीच जल के बंटवारे को लेकर चले आ रहे विवाद के मुद्दे पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की है। मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पंजाब-राजस्थान सीमा पर हरि के बैराज से बीकानेर कैनाल में पानी का प्रवाह बंद करने की समस्या के कारण राजस्थान को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल पा रहा है। वहीं राजस्थान को यमुना नदी का पानी भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि राजस्थान ने इन राज्यों के खिलाफ मुकदमा दायर कर रखा है जो सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है। राजस्थान ने इस मुकदमे में हरियाणा, पंजाब और केंद्र सरकार के अलावा भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड को भी पक्षकार बनाया हुआ है। इस विवाद को सुलझाने के लिए उमा भारती ने अधिकारियों से विवाद के कारणों और तर्क हासिल कर समाधान के लिए हरि के बैराज या लुधियाना से आगे एक एक नया बांध बनाने का प्रस्ताव रखा। बहराल इस समाधान के लिए फरवरी के पहले सप्ताह में ही सुश्री उमा भारती तीनों राज्यों के साथ इस जल की जंग के समाधान के लिए विचार विमर्श करेंगी।
गिरते भूजल स्तर की चिंता
जल संसाधन मंत्री उमा भारती के साथ अधिकारियों की बैठक में यह भी पाया गया कि पंजाब में धान की फसल के कारण वहां के भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है। पंजाब उत्पादन करके अपनी पैदावार को असम जैसे पूर्वोत्तर और दक्षिण राज्यों को बेच रहे हैं, जबकि असम में भी धान की खेती की जा सकती है। इसलिए उमा भारती गिरते भूजल स्तर को सुधारने के लिए पंजाब को धान की खेती न करने की सलाह भी देने जा रही हैं और उनका मानना है कि धान की खेती को यूपी, बिहार और असम राज्यों में ही किया जाना चाहिए।
समुद्र के पानी का शोधन
जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने अधिकारियों समुद्र के खारे पानी पर भी फीडबैक लिया और समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बनाने के लिए ‘वाटर प्यूरीफिकेशन’ यानि जल शोधन की प्रक्रिया को शुरू करने पर जोर दिया। इसके लिए उमा भारती केरल, तमिलनाडु, गुजरात और लक्षद्वीप की सरकारों के साथ भी फरवरी में ही बैठक करके विचार विमर्श करके एक समेकित योजना को प्रस्ताव को अंतिम रूप देंगी।
अंतराष्ट्रीय  जल नीति
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने खारे पानी को शुद्ध जल में बदलने की विदेशी तकनीक और खारे पानी से कृषि उत्तपादन करने वाले देशों चीन, आस्ट्रेलिया, फीजी व इजराइल जैसे देशों में एक विशेषज्ञ दल भेजने पर विचार कर रही हैं। इसका कारण है कि इन देशों में वाटर कंजरवेशन और भू कंजरवेशन की तकनीक पर भारत में भी काम किया जाना संभव है, ताकि हर खेत को सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराया जा सके।
22Jan-2015

संसद का बजट सत्र 23 फरवरी से

26 फरवरी को रेल व 28 फरवरी को आम बजट
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
संसद का बजट सत्र अगले महीने 23 फरवरी से शुरू होगा और 26 फरवरी को रेल बजट तथा 28 फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा। बजट सत्र दो चरणों में होगा जिसका पहला चरण 23 फरवरी से 20 मार्च तक और दूसरा चरण 20 अप्रैल से आठ मई तक तय किया गया है।
केंद्रीय कैबिनेट की संसदीय मामलों की समिति की बुधवार को हुई बैठक में संसद के बजट सत्र की तारीखों का निर्णय किया गया। समिति के इस फैसले के मुताबिक बजट सत्र 23 फरवरी से आठ मई तक चलेगा, जिसके दो चरण होंगे। पहला चरण 20 मार्च तक चलेगा और एक माह के अंतराल के बाद दूसरा चरण 20 अप्रैल से शुरू होगा। संसदीय मामलों की समिति के मुताबिक 26 फरवरी गुरुवार को रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेल बजट पेश करेंगे, जबकि 27 फरवरी शुक्रवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 28 फरवरी शनिवार को आम बजट पेश किया जाएगा। संसदीय मामलों की समिति ने संसद के बजट सत्र के
कार्यक्रम के प्रस्ताव को राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी को भेज दिया है। इस कार्यक्रम के मुताबिक 23 फरवरी को केंद्रीय कक्ष में लोकसभा व राज्यसभा यानि दोनों सदनों की संयुक्त की बैठक होगी, जिसमें राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण होगा, जिसके साथ ही संसद के बजट सत्र की शुरूआत हो जाएगी। संयुंक्त सदन की बैठक में राष्टÑपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में 24 और 25 फरवरी को चर्चा तय की गई है और इसी दिन धन्यवाद प्रस्ताव को पारित कर दिया जाएगा। बजट सत्र के पहले चरण में 25 बैठकें होने की संभावना है, जबकि दूसरे हिस्से में 19 बैठकें होगी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई संसदीय मामलों से संबन्धित समिति की बैठक में संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू के अलावा कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, रसायन मंत्री अनंत कुमार, अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला, पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर, संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी एवं राजीव प्रताप रूडी ने हिस्सा लिया।
तीसरी बार शनिवार को आम बजट केंद्र सरकार की संसदीय मामलों की समिति में संसद के बजट सत्र का जिस तरह कार्यक्रम तय किया है उसमें 28 फरवरी यानि शनिवार के दिन आम बजट पेश होगा और अधिकांशत: शनिवार को संसद की कार्यवाही नहीं चलती, लेकिन जरूरत पड़ने पर शनिवार को भी सदन की बैठक बुलाई जाती रही हैं। शनिवार को आम बजट पेश करने पर सरकार ने तर्क दिया है कि इससे पहले भी दो बार आम बजट शनिवार के दिन पेश किये गये हैं। बजट सत्र में सरकार के एजेंडे में भारी भरकम विधायी कार्य होगा, जिसमें राज्य सभा में नौ विधेयकों समेत करीब 66 लंबित विधेयकों को पारित कराने का भी प्रयास होगा। ऐसे लंबित विधेयकों में व्ह्सिल ब्लोअर प्रोटेक्शन कानून संशोधन विधेयक, अंतर राज्यीय जल विवाद कानून संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय महिला आयोग कानून संशोधन विधेयक प्रमुख रूप से शामिल है।
अध्यादेशों को कानून बनाना प्राथमिकता
मोदी सरकार के लिए संसद के बजट सत्र में पिछले महीने जारी किये गये करीब छह अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए उनके स्थान पर विधेयक पेश करके उन्हें पारित कराने प्राथमिकता होगी। इसका कारण है कि दो दिन पहले ही राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी ने सरकार के साथ विपक्षी दलों को भी नसीहत देते हुए अध्यादेशों का सहारा लेने से बचने का सुझाव दिया था। इस पर मंगलवार को संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संबन्धित मंत्रियों और उनके वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाकर अध्यादेशों को कानून में बदलने की दिशा में गहन विचार विमर्श करके कुछ रणनीतियां तय की थी। गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में पारित नहीं हो सके कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों के प्रावधान लागू करने के लिए सरकार ने कोयला, खान और खनिज, भूमि अधिग्रहण, ई-रिक्शा, नागरिकता कानून में संशोधन और बीमा क्षेत्र में एफडीआई से संबंधित करीब आधा दर्जन अध्यादेश प्रख्यापित किये थे।
अध्यादेशों पर गरम सरकार
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने बैठक के बाद अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए विधेयक पेश करने के मुद्दे पर कहा कि सरकार नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस सरकारों द्वारा जारी किये गये अध्यादेशों की संख्या को उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा सरकार ने 1996 से 1998 के अपने दो साल के संक्षिप्त कार्यकाल में 77 अध्यादेश जारी किए। उन्होंने कहा कि हमारे वामपंथी साथी संयुक्त मोर्चा सरकार का हिस्सा थे और अध्यादेशों का विरोध करने से पहले उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उन्होंने भी कानून बनाने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल किया।
22Jan-2015

मंगलवार, 20 जनवरी 2015

‘ओबामा शो’ में संग्राम की आखिरी परेड


गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सेदार होंगे बीएसएफ के पांच दस्ते
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
गणतंत्रत दिवस की परेड में सीमा सुरक्षा बल के ऊंटों के दस्ते में पिछले दस सालों से शामिल होते आ रहे 16 वर्षीय संग्राम नामक ऊंट की आखिरी परेड होगी, जो इस साल बीएसएफ से सेवानिवृत्त हो जाएगा। हालांकि गणतंत्र दिवस की परेड में बीएसएफ के पांच
दस्ते हिस्सा ले रहे हैं।
इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में संग्राम(ऊंट) 11वीं बार राजपथ पर मार्च पास्ट में शामिल होगा। 16 वर्षीय संग्राम सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ का ऊंट दस्ते का महत्वपूर्ण प्रशिक्षित ऊंट है, जो ओबामा शो में अपना आखिर करतब दिखाएगा। मसलन ‘संग्राम‘ बीएसएफ के ऊंट दस्ते का सबसे बूढ़ा ऊंट है। 26 जनवरी को होने वाले गणतंत्र समारोह के दौरान यह उसकी 11वीं और आखिरी परेड होगी। निश्चित रूप से हर साल जनवरी की 26 तारीख को राजपथ पर आयोजित की जाने वाली अनेकता में एकता के प्राणतत्व को सहेजे गणतंत्र दिवस की भव्य परेड जिसमें अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि होंगे, वह सीमा सुरक्षा बल के ऊंट दस्ते की परेड में संग्राम नामक ऊंट के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। परेड में एक से बढ़कर एक मार्च-पास्टों और सुन्दरतम झांकियों के बीच सीमा सुरक्षा बल का ऊंट दस्ता या ऊँट वाहिनी सबसे अनूठा और अलग नजारा पेश करता रहा है। रंग-बिरंगे तथा अनूठी साजस ज्जा से सुसज्जित इन ऊंटों पे अत्याधुनिक हथियारधारी जांबाज सीमा प्रहरियों की शोभा और ऊंटों पे सवार बीएसएफ के कैमल बैंड से निकलती स्वर लहरियों के माधुर्य का अनूठा संगम बरबस ही लाखों दर्षकों के दिलो-दिमाग को सम्मोहित सा करेगा।
बीएसएफ के ऊँटों की दास्तान
सीमा सुरक्षा बल के पास ऊँटों की अच्छी खासी तादाद में एक विशाल बेड़ा है जिसमें 1200 नर ऊँट हैं। बीएसएफ में सेवा के लिए ऊंटों की न्यूनतम आयु पांच और अधिकतम 16 साल होती है। आमतौर पर बल में जैसलमेरी (मजबूत कद-काठी), बीकानेरी (तीव्र गति के धावक) तथा नाचना (समारोहों के लिये उपयुक्त देहयष्टि) जैसे ऊँटों की तीन प्रजातियां सेवारत हैं। सीमा सुरक्षा बल के जोधपुर स्थित सहायक प्रशिक्षण केन्द्र में ऊँटों को चहारदीवारी के अन्दर प्रशिक्षण दिया जाता है। देश के कई संवेदनशील सीमातों में ये ऊँट और ऊँट सवार सीमा प्रहरी विभिन्न प्रकार की ड्यूटियों को अंजाम देते हैं। विशेषकर राजस्थान और गुजरात राज्यों की पाकिस्तान से लगतीं अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के नजदीक स्थापित सीमा चैकियों पर ऊँट और ऊँट सवार सीमा प्रहरियों की अच्छी खासी तैनाती है। सीमावर्ती क्षेत्रों में ऊँट दस्तों पर नियमित गश्त, खुरा चेकिंग एवं निगरानी से सम्बधिंत अन्य जिम्मेवारियां भी हैं। ये ऊँट रेगिस्तानी इलाकों में जवानों को एक सीमा चैकी से दूसरी सीमा चैकी तक ले आने-जाने का उपर्युक्त संसाधन भी बनते हैं।
बीएसएफ के ये होंगे दस्ते
आगामी 26 जनवरी को होने वाली गणतंत्र दिवस की भव्य परेड में ‘रक्षा की प्रथम पंक्ति’ के नाम से विख्यात विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल ‘सीमा सुरक्षा बल’ राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी को अपने पांच दलों के साथ सलामी देने राजपथ पर उतरेगा। इसमें सीमा सुरक्षा बल के पांच दल भाग लेंगे, जिनमें मार्चिंग कन्टिन्जेन्ट या पैदल दस्ता, ब्रास बैंड, कैमल कन्टिन्जेन्ट या ऊँट दस्ता, कैमल बैंड तथा मोटर साईकिलों पर हैरत-अंगेज कारनामे दिखाने वाले स्टंटमैन यानि जांबाज दस्ता शामिल है।
जांबाज करेंगे हैरतअंगेज प्रदर्शन
गणतंत्र दिवस की भव्य परेड में बीएसएफ के दस्तों में हैरतअंगेज प्रदर्शन करने वालों में प्रमुख रूप से साईड राइडिंग, डबल लैड़र, नेक राइडिंग, हामोर्नी, एक्सरसाइज, योगा, जांबाज, पैरलर बार, मानव पिरामिड, गुलदस्ता, सीमा प्रहरी प μलैग शो शामिल रहेंगे।
20Jan-2015

हवाई सफर में बढ़ने लगा भरोसा!

नतीजा: 9.7 फीसदी ज्यादा लोगों ने किया हवाई सफर
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
भले ही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया समेत घरेलू विमान कंपनियां आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही हों, लेकिन मोदी सरकार द्वारा हवाई यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जिस तरह के विमानन नियमों में बदलाव करके सख्ती दिखाई है उससे हवाई यात्रा करने वालों में विमान यात्रा करने को लेकर भरोसा बढ़ा है। इसी का नतीजा है कि बीते साल में विमानों में यात्रा करने वालों की संख्या में 9.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
केंद्र में मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद अन्य जनहित के साथ ही हवाई यात्रा को सुरक्षित और संरक्षित बनाने के मकसद से विमानन कंपनियों के लिए नए दिशा निर्देश जारी करके यात्रियों की सुविधाओं को बेहद सरल करने का बीड़ा उठाया था और डीजीसीए ने कुछ नए कदम उठाते हुए विमानन कंपनियों पर सख्ती करते हुए दिशा निर्देशों को जारी किया था। इन दिशा निर्देशों में नागर विमानन मंत्रालय ने एयर इंडिया समेत सभी भारतीय विमानन कंपनियों की आर्थिक सेहत को सुधारने के भी मंत्र फूंके थे और इस बात को सुनिश्चित किया गया था कि यात्रियों में सुरक्षा की भावना पनपे और हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके लिए वेबसाइट और कुछ टोलफ्री नंबर भी जारी किये गये थे। सरकार के इस कदम के बाद भारतीय विमानन सेवा क्षेत्र में यात्रियों का भरोसा बढ़ता नजर आने लगा है। नागर विमानन मंत्रालय के मुताबिक इसी का नतीजा है कि बीते 2014 के पूरे साल यानी जनवरी से दिसम्बर के बीच घरेलू विमानों में कुल 673.83 लाख यात्रियों ने सफर किया है, जो इससे पिछले साल यानि 2013 के दौरान देश में कुल 614.26 लाख लोगों ने हवाई सफर किया था। इस प्रकार वर्ष 2014 के दौरान देश में विमान यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में 9.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हवाई यात्राा करने वाले लोगों में 2014 के दौरान एयर इंडिया के विमानों से देश में 124.25 लाख लोगों ने सफर किया, जबकि निजी विमानन कंपनियों ने इस दौरान 549.58 लाख यात्रियों को अपने विमानों से देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाया। मसलन विमानन सेवा के बाजार मेें एयर इंडिया की हिस्सेदारी 18.4 फीसदी पर ही टिकी रही, जबकि निजी एयरलाइन्स का बाजार हिस्सा 81.6 फीसदी आंका गया।
नए दिशा निर्देशों का असर
भारतीय विमानन सेवा में वर्ष 2014 की पहली तिमाही में यात्रियों की संख्या 153.81 लाख थी, लेकिन मई में केंद्र में आई राजग सरकार के बनने के बाद दूसरी तिमाही यानि अप्रैल से जून के तीन महीने में यह संख्या बढ़ती नजर आई, जो 170.30 लाख रही। जुलाई से सितंबर के बीच बरसात के मौसम के कारण विमान यात्रियों की संख्या में कुछ गिरावट दर्ज हुई और यह संख्या 167.32 लाख आंकी गई, लेकिन अंतिम व चौथी तिमाही में अक्टूबर से दिसंबर के बीच देश में घरेलू विमानन सेवा का यात्रियों ने खूब लाभ उठाया और यह संख्या लंबी छलांग लगाते हुए 182.39 लाख पर थमी। नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि आजकल कोहरे और कडाके की ठंड की तरह बरसात के मौसम में भी विमानन सेवाएं प्रभावित होती हैं, जिसके कारण यह ग्राफ कम हो जाता है।
इंडिगो व एयर इंडिया पर भरोसा
नागर विमानन मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर की जाए तो वर्ष 2014 के दौरान हवाई यात्रा करने वाले कुल 673.82 लाख यात्रियों में से सबसे ज्यादा 214.25 लाख लोगों को घरेलू विमानन कंपनी इंडिगो ने हवाई यात्रा कराई है। इसके बाद सरकारी एयर इंडिया के विमानों में 124.25 लाख यात्रियों ने सफर किया। इसके बाद स्पाइसजेट ने 117.49 लाख, जेट एयरवेज ने 117.43 लाख, गो एयर ने 62.02 लाख, जेट लाइट ने 29.22 लाख, एयर कोस्टा ने 5.88 लाख लोगों को देश भ्रमण कराया है। जून में हवाई सेवा शुरू करने वाली एयर एशिया ने भी दिसंबर तक 3.28 लाख लोगों को अपने विमानों में यात्रा कराई है। समय से उड़ान के मामले में भी इंडिगो ने बाजी मारी है, जिसकी 77.1 प्रतिशत उड़ाने समय से रही, जिसके बाद गो एयर की 73.4 प्रतिशत, जेट एयरवेज व जेट लाइट की 69.9 प्रतिशत, स्पाइसजेट की 64.2 प्रतिशत तथा एयर इंडिया की 59.8 प्रतिशत उडाने समय से रही हैं।
20Jan-2015

सोमवार, 19 जनवरी 2015

दुनिया की दस गंदी नदियों में गंगा व यमुना!

नदियों को प्रदूषणमुक्त रखना बड़ी चुनौती
देश में प्रदूषण की चपेट में हैं डेढ़ सौ नदियां
कर्मकांड से भी दूषित हो रही हैं नदियां
 ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी सरकार द्वारा गंगा और यमुना समेत देश की अन्य नदियों की दिशा और दशा सुधारने के लिए शुरू किये गये अभियान में नदियों को प्रदूषणमुक्त करना हालांकि एक बड़ी चुनौती है। देशभर में प्रदूषण की चपेट में करीब 150 नदियों में गंगा और यमुना नदी दुनिया की दस गंदी नदियों में भी शुमार हैं।
गंगा मिशन के तहत केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरोत्थान मंत्री सुश्री उमा भारती इस कार्यक्रम को जनांदोलन के रूप में चलाते हुए नदियों में प्रदूषण को स्थायी रोकने के लिए परियोजना को अंजाम देने के प्रयास में जुटी हुई हैं। सकारात्मक पहलू यह भी है कि इस अभियान में मोदी सरकार का पूरा तंत्र आपसी समन्वय के साथ उमा भारती की परियोजनाओं को सिरे चढ़ाने में पीछे नहीं हैं। फिर भी देश के 27 राज्यों में 150 नदियां ऐसी हैं जो प्रदूषण की चपेट में हैं, इनमें सबसे ज्यादा 28 नदियां महाराष्ट्र राज्य में हैं तो विकास की मिसाल कायम कर रहे गुजरात की 19 नदियों का भी प्रदूषण के कारण हाल बुरा है। राज्यवार प्रदूषित नदियों की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश तीसरे पायदान है जहां 12 प्रदूषित नदियां समस्या बनी हुई हैं। इसी प्रकार कर्नाटक में11 के अलावा मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में 9-9 नदियां ऐसी हैं, जो प्रदूषण की चपेट में हैं। वहीं राजस्थान की पांच और झारखंड,उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की भी तीन-तीन नदियां प्रदूषित नदियों की सूची में शामिल हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से गुजरने वाली एक मात्र यमुना नदी का प्रदूषण तो अरसे से सुर्खिंयों में बना हुआ है। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों ही 21 राज्यों में 42 नदियों की दशा और दिशा सुधारने के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना और राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के अंतर्गत 10,716 करोड़ रुपये की राशि का अनुमोदन किया है।
दुनिया की सबसे गंदी नदियां
भारत की गंगा और यमुना जितनी पवित्र मानी जाती हैं, उतनी ही प्रदूषित होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय नक्शे पर बनी हुई हैं। मसलन दुनिया की दस प्रदूषित नदियों के दायरे में गंगा और यमुना प्रमुखता से सुर्खियों में हैं। भारत की सबसे पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी देश की सबसे प्रदूषित नदियों में गिनी जाती है, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर माना गया है कि धार्मिक कर्म कांड भी इस नदी को काफी गंदा कर रहे हैं। इसी कारण प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने गंगा पुनर्जीवन नाम का मंत्रालय बनाकर इस अभिशाप को धोने का फैसला किया। गंगा के बाद भारत की दूसरी सबसे पवित्र मानी जाने वाली यमुना नदी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और ताजमहल के शहर आगरा से होकर गुजरने वाली यमुना प्रदूषण से इतनी गंदी हो गई है कि कई जगहों पर सिर्फ नाले की तरह दिखती है। पडोसी देश बांग्लादेश की राजधानी ढाका के लोगों को हर रोज बूढ़ी गंगा के जल प्रदूषण से निपटना पड़ता है, जहां मिलों और फैक्ट्रियों का कचरा सीधा नदी में जाता है और यहां मरे हुए जानवर, नाले, सीवेज और प्लास्टिक भी पहुंचते हैं, जो बूढ़ी गंगा को और गंदी कर रहे हैं। दुनिया में अमेरिका की कुयाहोगा और मिसीसिपी नामक दो नदियों के नाम भी गंदी नदियों के रूप में शुमार हैं। इसके अलावा अर्जेंटीना की माताजा, जॉर्डन के अलावा चीन की पीली नदी भी प्रदूषित नदियों में शामिल है।
गंदगी में पहला पायदान
दुनिया में सबसे गंदी नदियो में इंडोनेशिया की सीटारम नदी को गिना जाता है। पिछले 20 साल में इसके आस पास 50 लाख की आबादी बसी है। इसके साथ ही प्रदूषण और गंदगी भी बढ़ी, जिससे निपटने के उपाय नहीं किए गए। इसके संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति की सेहत खतरे में बताई जाती है।
19Jan-2015

शुक्रवार, 16 जनवरी 2015

फास्ट ट्रैक पर आयी सड़क परियोजनाएं!


निर्माण के लिए दो गुणा बजट को दी मंजूरी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में मोदी सरकार के विकास एजेंडे में सड़कों जाल बिछाने के साथ सुरक्षित यातायात के अभियान को लेकर सड़क परियोजनाएं फास्ट ट्रैक पर आना शुरू हो गई हैं। वहीं सरकार ने सड़क परियोजनाओं के बजट को भी दो गुणा करके निर्माण कार्य में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर कदम उठाने का दावा किया है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्र में मोदी सरकार बनते ही मंत्रालय ने कई नए और अभिनव कदम उठाने शुरू कर दिये थे, जिनमे इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम, पूर्वोत्तर में त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम, पुणे में इंस्टीट्यूट आॅफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च की शुरूआत, राजमार्ग परियोजनाओं की प्रणालियों को व्यवस्थित बनाने और प्रक्रियाओं को फास्ट ट्रैक पर लाने के लिए कदम उठाए गए हैं। सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्बाध यात्रा के साथ प्रदूषण में कमी और ईंधन की बचत लिए इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम (ईटीसी) की शुरूआत करते हुए देश में कुल 350 में से 103 टोल प्लाजा पहले से ही ‘फास्ट टैग’ से लैस कर दिये गये और शेष टोल प्लाजों को भी मार्च 2015 तक इस सुविधा से लैस करने का लक्ष्य साधा है। परियोजनाओं को मंजूरी देने में वृद्धि करते हुए इसके लिए 500 करोड़ की सीमा को दो गुणा करके 1000 करोड़ रुपये से अधिक की पीपीपी और ईपीसी यानी दोनों परियोजनाओं का साथ में मूल्यांकन करने के लिए मंत्रालय को अधिकृत किया गया है। मंत्रालय का दावा है कि लगभग 4000 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण का काम में अभी तक दौरान 2000 किलोमीटर से अधिक दूरी के सड़क का निर्माण पूरा किया जा चुका है। सरकार ने 30 सड़क निर्माण के कार्य को एक साल के भीतर 30 किमी प्रतिदिन का लक्ष्य रखा है। सरकार की वैकल्पिक ईंधन और हाइब्रिड इंजन को बढ़ावा देने की योजना है। भारत जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है ताकि कच्चे तेल के आयात में कमी लाई जा सके। जैव ईंधन से कार्बन डाइआॅक्साइड का उत्सर्जन कम होता है। इससे प्रदूषण में कमी
आएगी।
सड़कों पर मौतें रोकना चुनौती
दुनियाभर में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है, जिन्हें रोकना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती होगी। हालांकि मंत्रालय ने सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के नि:शुल्क इलाज के लिए दो पायलट परियोजनाओं के लिए समझौता पत्र
पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत वडोदरा-मुंबई राजमार्ग-8 और रांची-रारगांव-महुलिया(जमशेदपुर) राजमार्ग-33 पर हर 25 किलोमीटर पर जीपीएस युक्त एम्बुलेंस तैनात करने का प्रावधान किया गया है। घायल के भर्ती करने की स्थिति में पैनल में शामिल निजी अस्पतालों में शुरू के 48 घंटों तक 30 हजार रुपये तक उपचार नि:शुल्क होगा।
नए मोटर अधिनियम का मकसद
मोदी सरकार द्वारा नए मोटर अधिनियम लागू करने का मकसद याताया व्यवस्था को दुरस्त करना और सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकना है। इस अधिनियम के तहत सरकार ने मानवीय हस्तक्षेप के बिना ही ड्राइविंग की गुणवत्ता की तकनीकी तौर पर
आंकलन करने की दिशा में पुणे में इंस्टीट्यूट आॅफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च शुरू किया गया, जहां कैमरा आधारित ड्राइविंग प्रणाली विकसित होने लगेगा। इस तकनीक से ड्राइविंग लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में भी सक्षम बनाया जा सकेगा।
पूर्वोत्तर में विकास
सरकार की योजना असम के गुवाहाटी से मेघालय में शिलांग के रास्ते ढाका तक दिसंबर में शुरू की गई बस सेवा को नियमित करने के लिए मार्गों को अंतिम रूप देने काम किया जा रहा है। मंत्रालय ने पूर्वोत्तर में मेगा सड़क विकास की दिशा में विशेष त्वरित सड़क
विकास कार्यक्रम शुरू करने का दावा किया गया है। पूर्वात्तर में सड़कों को जाल बिछाने के मिशन के तहत फेज-ए के तहत सरकार ने सड़कों की विभिन्न श्रेणियों के 6418 किलोमीटर के 2/4 लेन को बनाने के लिए मंजूरी दे दी है। समूचे पूर्वोत्तर के करीब 33,500 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश में एसएआरडीपी-एनई के अरुणाचल का पैकेज भी शामिल है। सरकार ने फेज-बी के तहत सड़कों के 3723 किलोमीटर के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए स्वीकृति दे दी है। 
सुरक्षा का ढांचा 
सरकार यात्री कारों के लिए आॅफसेट फ्रंटल क्रैश परीक्षण और इम्पैक्ट क्रैश परीक्षण को अनिवार्य बनाने की योजना बना रही है। इस परीक्षण को पूरा करने के लिए नेशनल आॅटोमेटिव टेस्टिंग एंड रिसर्च एंड डेवलेपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के तहत बुनियादा ढांचा विकसित किया जा रहा है। इन बुनियादी ढांचों के तैयार हो जाने के बाद इन्हें लागू कर दिया जाएगा। इन नियमों को पूरा करने के लिए कार निमार्ताओं के लिए एयर बैग सहित कई सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक हो जाएगा।


गुरुवार, 15 जनवरी 2015

ब्रह्मा होंगे नए मुख्य चुनाव आयुक्त?

आज पदमुक्त होंगे वीएस संपत
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधारात्मक उपलब्धियों के साथ-साथ विवादों से घिरे रहे मुख्य चुनाव आयुक्त कल गुरुवार का अपना कार्यकाल पूरा करके पदमुक्त होने जा रहे हैं, तो उनके स्थान पर केंद्रीय चुनाव आयोग के वरिष्ष्ठ चुनाव आयुक्त हरिशंकर ब्रह्मा मुख्य
चुनाव आयुक्त बनाए जा सकते हैं।
आंध्र प्रदेश कैडर में 1975 बैच के आईएएस अधिकारी वीरावल्ली सुंदरम संपत 15 जनवरी को 65 साल के होने के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से मुक्त होने जा रहे हैं, जिनके स्थान पर तीन सदस्य चुनाव आयुक्त में उनके बाद वरिष्ठ चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा को मुख्य चुनाव आयुक्त का पद सौंपे जाने की संभावना है। यदि ब्रह्मा मुख्य निर्वाचन आयुक्त बने तो वे मई 2015 तक इस पद पर बने रहेंगे। हालांकि अभी तक उनके नाम की राष्टÑपति सचिवालय से अधिसूचना जारी नहीं की गई है। जहां तक वीएस संपत का सवाल है उन्होंने पंद्रहवी लोकसभा चुनाव के अंत मार्च 2009 में मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था और तब से अब तक चुनाव सुधार की दिशा में उन्होंने राष्टÑीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्टÑीय स्तर पर भी उपलब्धियां हासिल की है। हालांकि सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन में विभिन्न नेताओं पर कार्यवाही को लेकर कई दलों ने सवाल भी खड़े किये तो खासकर नरेंद्र मोदी के चुनावी क्षेत्र की वाराणसी में रैली और पूजा के कार्यक्रम को लेकर भाजपा के विरोध-प्रदर्शनों पर मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने टिप्पणी की थी कि संपत ने कहा कि चुनाव आयोग लोकतंत्र का स्तंभ है और चुनाव आयोग को किसी दल का डर नहीं...। मसलन ‘न किसी से दोस्ती, न किसी से बैर’ तर्क देकर उन्होंने निष्पक्ष चुनाव कराने का दावा किया था। 1975 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के अधिकारी संपत जिलाधिकारी बने और उन्होंने राज्य प्रशासन के विभिन्न विभागों में काम किया। 90 के दशक में राज्य में बिजली सेक्टर में बड़े पैमाने पर हुए सुधार का रास्ता उन्होंने ही तैयार किया। इसके बाद संपत केंद्र में आए और ग्रामीण विकास और बिजली मंत्रालयों में सचिव पद का सफर करते हुए पदोन्नत होकर वह चुनाव आयोग तक पहुंचे।
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
संपत के कार्यकाल में चुनाव आयोग ने कई महत्वपूर्ण फैसले किए जिसमें मतदाता के दरवाजे तक फोटो के साथ मतदाता पहचान पर्ची का वितरण, लोकसभा चुनावों में अब तक के सबसे ज्यादा, 11 घंटे मतदान की इजाजत और मतदान में भागीदारी के लिए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए भारतीय सूचना सेवा अधिकारियों से जागरूकता पर्यवेक्षक की नियुक्ति के फैसले शामिल रहे। इसका नतीजा रहा कि मतदान के दिनों में बड़ी संख्या में मतदाता घरों से निकले और 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान का रिकॉर्ड 66.4 प्रतिशत को छू गया, जबकि इससे पहले 2009 में यह 58.9 प्रतिशत ही रहता था। वहीं सात लोकसभा क्षेत्रों में वेरिफायबल वोटर पेपर आॅडिट ट्रेल (वीवीपीएटी)की शुरूआत और सोशल मीडिया को मीडिया कानून और नियमन के दायरे में लाने का भी फैसला भी उनकी उपलब्धियों में शामिल है। यदि नहीं उन्होंने देश के लोकतंत्र में जिस प्रकार की उपलब्धियों को पटरी पर चढ़ाया, उसका लोहा विदेशों में गूंजा और लोकसभा चुनावों को देखने के लिए 37 देशों के प्रतिनिधि भारत आ धमके और चुनाव प्रक्रिया को जानने का प्रयास किया।
कौन हैं एचएस ब्रह्मा
पूर्वोत्तर क्षेत्र के असम के रहने वाले आंध्र प्रदेश कैडर के 1975 बैच के आईएएस अधिकारी ब्रह्मा (64) हरि शंकर ब्रह्मा केंद्रीय उर्जा सचिव के पद के बाद हरि शंकर ब्रह्मा उस समय चुनाव आयोग भेजे गये, जब मुख्य निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला के बाद शाहबुद्दीन याकूब कुरैशी ने मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार ग्रहण किया और वीएस संपत के साथ दूसरे चुनाव आयुक्त के रूप में एचएस ब्रह्मा नियुक्त हुए। ब्रह्मा आंध्र प्रदेश में चार साल तक जिला मजिस्टेट के रूप में तैनात रहे और साढे तीन साल हैदराबाद म्युनिसपिल्टी कारपोरेशन के आयुक्त रहे। जहां से वे केंद्र में विभिन्न मंत्रालयों में सचिव रहे। जब कुरैशी के बाद संपत मुख्य चुनाव आयुक्त बने तो उनका रिक्त स्थान नागर विमानन सचिव रहे डा. नसीम जैदी को सौंपा गया।मुख्य चुनाव आयुक्त बने तो हरि शंकर ब्रह्मा का कार्यकाल 19 अप्रैल तक तीन महीने से कुछ अधिक समय का होगा, जब वह 65 वर्ष के हो जाएंगे। इस पद के लिए अधिकतम उम्र सीमा संविधान के तहत 65 साल है। चुनाव आयोग के सदस्य बनाए जाने से पहले वह केंद्र में उर्जा सचिव थे। उन्होंने 25 अगस्त 2010 को तीन चुनाव आयुक्तों में से एक के तौर पर पदभार संभाला था। जेएम लिंगदोह के बाद सीईसी के पद पर पूर्वोत्तर से नियुक्त होने वाले ब्रह्मा दूसरे अधिकारी होंगे।
15jan-2015

बुधवार, 14 जनवरी 2015

देश में पुलिसकर्मियों के मुकाबले भारी एनजीओ !

कागजी संगठनों पर लगाम लगाने में जुटी सरकार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की ऐसे स्वयं सेवी संगठनों यानि एनजीओ पर तीखी नजर है, जो कागजों पर जन सेवा करके सरकारी कोष का दुरुपयोग करती आ रही है। हालांकि सरकार समय-समय पर ऐसी संस्थाओं को जांच के बाद काली सूची में डालने की सतत् कार्यवाही करती आर रही है। यह भी हैरत की बात है कि देशभर में जितने पुलिसकर्मी हैं उनसे कहीं ज्यादा एनजीओ विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित कराने के नाम पर पंजीकृत हैं।
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए एनजीओ का सहारा भी लिया जाता है, लेकिन अब कागजी काम करने वाली एनजीओ की खैर नहीं है। केंद्र सरकार ने ऐसी एनजीओ पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली हैं, हालांकि पिछले पांच साल में हजरों की संख्या में एनजीओ को काली सूची में डाला जा चुका है। दिलचस्प पहलू यह भी है कि कैग भी एनजीओ के पंजीकरण पर अपनी रिपोर्ट में सवाल खड़े कर चुकी है। वहीं केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाल ही में देश के भीतर एनजीओ की भारी संख्या को लेकर सवाल सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी है। सीबीआई की इस रिपोर्ट में 20 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों का ब्योरा जुटाने की बात कही गई है, जहां 22 लाख 45 हजार 655 एनजीओ काम कर रहे हैं। यह भी संभावना जताई गई है कि एनजीओ की वास्तविक संख्या इससे भी काफी अधिक हो सकती है, क्योंकि इस रिपोर्ट में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक और तमिलनाडु जौसे राज्यों के एनजीओ शामिल नहीं हैं। रिपोर्ट में शािमल एनजीओ में से 2 लाख 23 हजार 478 ने सोसायटी रजिस्ट्रार के पास अपना रिटर्न दाखिल किया है, जो करीब दस प्रतिशत आंका जा सकता है। यानि ऐसी संस्थाएं 10 प्रतिशत से भी कम अनुदान और खर्चे को लेकर बैलेंस शीट का ब्योरा जमा करवाते हैं। एक अनुमान के अनुसार 1.25 अरब की आबादी वाले भारत में औसतन 535 लोगों पर एक एनजीओ है, जबकि गृहमंत्रालय के आंकड़ों की माने तो देशभर में एक पुलिसकर्मी के हिस्से में 940 लोग ही आ रहे हैं। संसद के पिछले सत्र के दौरान एनजीओ को लेकर उठे सवालों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थांवर चंद गहलोत ने भी स्वीकार किया था एनजीओ द्वारा सरकारी फंड में हेर फेर कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने की गतिविधियों में लिप्त हैँ जिन पर नकेल कसने के लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। उनके अनुसार सरकारी धन का दुरुपयोग करने वाली एनजीओ के 26 मामले सामने आए थे, जिनमें से जांच के बाद चार एनजीओ को काली सूची मेें डाल दिये गये हैं और सरकार ऐसे एनजीओ को दंडित करने की तैयारी भी कर रही है।
एनजीओ में यूपी अव्वल
एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक 5.48 लाख एनजीओ उत्तर प्रदेश में हैं, जिसके बाद महाराष्ट्र में 51.8 लाख एनजीओ पंजीकृत है, जिन्हे सरकारी अनुमदान दिया जाता है। इनके अलावा केरल में 3.69 लाख, राजस्थान में 1.36 लाख, पश्चिम बंगाल में 2.34 लाख, असम में 97,437, पंजाब में 84,752, उत्तराखंड में 62,632, गुजरात में 61,959 और बिहार में 33,781 एनजीओ शामिल हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ में सबसे ज्यादा 3981 एनजीओ है, जहां किसी ने भी अधिकारियों के सामने अपना लेखा-जोखा जमा नहीं कराया है। इसी प्रकार पुडुचेरी का रिकॉर्ड बेहतर है जहां 60 पंजीकृत एनजीओ में से 46 एनजीओ द्वारा सक्षम अधिकारी के सामने अपने अकाउंट का ब्योरा जमा कराया है।
14Jan-2015

मंगलवार, 13 जनवरी 2015

दिल्ली में बजा चुनावी बिगुल!

सात फरवरी को वोटिंग, दस फरवरी को नतीजे
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
आखिर इंतजार के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने दिल्ली में मध्यावधि चुनाव कराने की तारीखों को ऐलान कर दिया है। चुनावी कार्यक्रम के अनुसार 7 फरवरी को दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान कराया जाएगा और दस फरवरी को चुनावी नतीजे घोषित हो जाएंगे।
सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्य निर्वाचन आयुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत ने दिल्ली विधानसभा चुनाव कार्यक्रम का ऐलान करते हुए कहा कि चुनाव का ऐलान होने के साथ ही दिल्ली में आचार संहिता लागू हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत की घोषणा के अनुसार 14 जनवरी से नामांकन प्रकिया शुरू हो जाएगी और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 जनवरी तय की गई है। 22 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 24 जनवरी को प्रत्याशी अपने नामांकन पत्र वापिस ले सकेंगे। चुनाव आयोग ने इस चुनावी ऐलान में सात फरवरी को मतदान कराने का फैसला किया है और दस फरवरी को मतगणना करायी जाएगी। आयोग के मुताबिक 12 फरवरी 2015 तक चुनाव प्रकिया संपन्न कराया जाना है। मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार दिल्ली विधानसभा की कुल 70 में से 12 सीटें आरक्षित हैं, और नामांकन पत्र में उम्मीदवारों के लिए सभी कॉलम भरना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आयोग माइक्रो आॅब्जर्वरों की नियुक्ति करेगा। इससे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि वर्तमान टीम 10वें चुनाव की घोषंणा कर रही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा भंग के बाद से आयोग के पास चुनाव कराने के लिए छह महीने थे, लेकिन दिल्ली में राष्टÑपति शासन लागू होने के कारण 15 फरवरी तक चुनावी प्रक्रिया खत्म की जानी जरूरी थी। उन्होंने कहा कि  परीक्षाओं और दूसरे कार्यक्रमों के मद्देनजर चुनाव की तारीख तय की गई है।चुनावों का ऐलान करने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त संपत ने सोमवार को सुबह उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर चुनाव की तैयारियों का एक बार फिर से जायजा लिया और चुनाव की विधिवत कार्यक्रम तय करके चुनावों का ऐलान करने का फैसला किया।
चुनावी व्यवस्था
चुनाव आयोग ने कहा कि दिल्ली में 1 करोड़ 30 लाख वोटर है जो इस बार के चुनाव में वोट डाल सकेंगे। दिल्ली में 11 हजार से ज्यादा पोलिंग स्टेशनों पर चुनाव होंगे। दिल्ली में 11763 पोलिंग स्टेशन है। वोटिंग के लिए ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। विकलागों के लिए अलग से वोट डालने का इंतजाम होगा। फोटो आई कार्ड के बगैर वोड नहीं डाला जा सकेगा। इस बार के चुनाव में एसएमएस के जरिए मतदाता के पोलिंग स्टेशन की जानकारी दी जाएगी। संपत ने कहा कि दिल्ली में पूरी तरह निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे। इस चुनाव में नोटा का भी विकल्प होगा जिसे वोटर इस्तेमाल कर सकेंगे। आयोग का मानना है कि वोटिंग के दौरान अर्द्धसैनिक बलों की उपलब्धता को लेकर भी कोई समस्या नहीं है। सुरक्षा जानकारों की मानें तो दिल्ली में चुनाव के लिए सीआरपीएफ की 100 कंपनियां पर्याप्त होंगी।
राजनीतिक दलों में हलचल
दिल्ली विधानसभा चुनावों का ऐलान होने की संभावना पर सोमवार को ही चार बजे कांग्रेस ने अपनी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाई और अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी करने के लिए नामों को अंतिम रूप दिया। कांग्रेस दिल्ली विधानसभा के लिए कांग्रेस 24 नामों की लिस्ट पहले ही जारी कर चुकी है। जबकि आम आदमी पार्टी ने लगभग सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिये थे। इसी प्रकार भाजपा को अपने उम्मीदवारों पर विचार विमर्श करना होगा, जिसके लिए भाजपा में गतिविधियां तेज हो गई हैं। गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा का पिछला चुनाव दिसंबर 2013 में हुआ था, जिसमें चुनाव नतीजे भाजपा को 32, आप को 28, कांग्रेस को 8 और दो अन्य सीटे अन्य दलों के खाते में गई थी। यहां यह भी बताना जरूरी है कि दिल्ली के निर्वाचित तीन भाजपा विधायकों प्रवेश वर्मा, डा. हर्षवर्धन और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने पर इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले दिल्ली के खंडित जनादेश के बाद कांग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, जिसमें अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने, लेकिन 49 दिन बाद लोकसभा चुनाव से पहले ही 14 फरवरी 2014 को केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और विधानसभा निलंबित हो गई थी, जहां राज्यपाल शासन के बीच ही सरकार बनाने की कवायद भी होती रही, लेकिन सरकार बनाने की सभी संभावनाओं के बाद 4 नवंबर 2014 को राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली विधानसभा को भंग कर दिया गया था, जिसके कारण तीन विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव कराने की अधिसूचना को भी चुनाव आयोग को रद्द करना पड़ा था।
चुनाव कार्यक्रम
अधिसूचना- 14 जनवरी 2015 बुधवार
नामांकन की अंतिम तिथि- 21 जनवरी 2015 बुधवार
नामांकन जांच प्रक्रिया- 22 जनवरी 2015 गुरुवार
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि- 24 जनवरी 2015 शनिवार
मतदान- 07 फरवरी 2015 शनिवार
मतगणना- 10 फरवरी 2015
चुनाव प्रक्रिया का समापन- 12 फरवरी 2015
दिल्ली की तस्वीर
कुल विधानसभा क्षेत्र- 70
सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र- 12
कुल मतदाता- 1.30 करोड़
कुल मतदाता केंद्र 11763
मौजूदा दलीय स्थिति
भाजपा- 29
आप- 28
कांग्रेस- 08
अन्य- 02
रिक्त- 03 (भाजपा के तीन विधायकों ने सांसद बनने पर इस्तीफा दिया था)
13Jan-2015

सोमवार, 12 जनवरी 2015

नक्सल प्रभावित राज्यों में बिछेगा सड़कों का जाल!


लाल आतंक खौफ के बिना सडक परियोजना पूरी करने की कवायद
मंगलवार को रायपुर में गडकरी संग होगी आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में विकास के एजेंडे पर मोदी की सरकार के सामने रेड कॉरिडोर यानि नक्सलवादी प्रभावित राज्यों में भी सड़कों की परियोजनाओं को पूरा करने का इरादा है, जिसके लिए सरकार सुरक्षित पहलुओं के साथ ऐसे उपाय तलाशने में जुटी है जिससे सड़क निर्माण पर हावी लाल आतंक का साया न रहे। इसी मकसद से केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नक्सल प्रभावित आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की 13 जनवरी मंगलवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बैठक बुलाई है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की 13 जनवरी को रायपुर में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में इन राज्य के लोक निर्माण विभाग के जरिए किये जाने वाले सड़क निर्माण के त्वरित कार्यान्वयन में आ रही समस्याओं पर विचार किया जाएगा, जिसमें प्रमुख रूप से नक्सलियों का खौफ सड़क परियोजनाओं के बीच सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है और कोई निर्माण एजेंसी व ठेकेदार नक्सलवादियों द्वारा घटनाओं को अंजाम देने के कारण सामने आने से कतराते हैं। हालांकि केंद्र सरकार के सामने लाल आतंकी खौफ को दूर करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। रायपुर में गडकरी के साथ होने वाली इस बैठक में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के अलावा इन राज्यों के राज्यों के लोकनिर्माण मंत्री भी शामिल होंगे। यही नहीं नक्सल प्रभावित राज्यों में सड़क परियोजनाओं के निरंतर लंबित रहने के कारणों और समस्याओं से निपटने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, गृह मंत्रालय, राज्य पीडब्ल्यूडी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और अन्य संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों से भी गहन विचार किये जाने की संभावना हैं।
छग को सुरक्षा मुहैया
केंद्र में मोदी की नई सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या को लेकर बुलाई गई पहली उच्च स्तरीय बैठक में नक्सली समस्या के उन्मूलन को लेकर कई ठोस निर्णय लिए गए। खासकर बस्तर में अधर में लटके दो बड़े राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण के अलावा छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में सड़क जैसे निर्माण कार्य कराने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा दो तकनीकी बटालियन समेत अर्धसैनिक बलों की 12 बटालियन की तैनाती को मंजूरी दी गई है, यह सुरक्षा मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी कर दी गई है।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित कार्य
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार देश के इन राज्यों में वामपंथी उग्रवाद से बुरी तरह प्रभावित 34 जिलों में सड़क संपर्क सुधारने के लिए कुल 5,474 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर रहा है। इसकी सड़क आवश्यकता योजना (आरआरपी) आठ राज्यों को कवर करती है, ये राज्य तेलंगाना, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश हैं। आवंटित 5,469 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण में से 4,908 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया गया है, लेकिन उस पर नक्सली खौफ हावी है। हालांकि इस योजना के तहत अब तक 3,299 किलोमीटर यानि 67 प्रतिशत सड़क निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
नियमों में ढील के बावजूद अटकी परियोजनाएं
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इससे पहले केंद्र की यूपीए सरकार ने छत्तीसगढ़, ओडिशा व झारखंड जैसे नक्सल प्रभावित राज्यों में सुरक्षा संबंधी खतरों तथा परियोजनाओं के क्रियान्वयन बढ़ाने के मकसद से निर्माण कंपनियों को नियमों के तहत उपयोग में आने वाले उपकरण क्षमता, गैर-मशीनीकृत कार्यों का ठेका दूसरे को देने जैसे मामलों में कंपनियों के लिए छूट दी थी। नियमों में दी गई छूट के के अलावा उस समय बिल्डरों को आकर्षित करने के लिए पात्रता मानदंडों में ढील दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद खासकर छत्तीसगढ, झारखंड, ओडिशा तथा महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी कारणों से कंपनियों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई और ये परियोजना नक्सलवादी खौफ के साय में अधर में लटका रहा। इसमें छत्तीसगढ के बस्तर क्षेत्र, महाराष्ट्र में गढचिरौली, ओडिशा में मलकानगिरी तथा झारखंड में पलामू, गढवा, दुमका तथा सिमडेगा ऐसे क्षेत्र रहे जहां कई निर्माण कंपनियां कुछ सड़क परियोजनाएं बीच में ही छोड भाग खड़ी हुई।
निर्माण पर हावी नक्सलवाद
दरअसल माओवादी अपने प्रभाव वाले इलाकों में पुल, पुलिया और सड़क निर्माण में बाधाएं खड़ी कर रहे हैं। इसी कारण कई सैकड़ा सड़क परियोजनाएं अधर में लटकी हुई है। नक्सलियों के हस्तक्षेप की सबसे बड़ी वजह सड़क निर्माण करने वाली कंपनी से मिलने वाली रंगदारी है, जिसे वे अपनी भाषा में 'लेवी' कहते हैं। जिस कंपनी ने इससे इन्कार किया या पुलिस को सूचना दी उसे खामियाजा भी भुगतना पड़ा। यह भी देखने मे आया है कि नक्सलियों के विभिन्न समूह वर्चस्व जमाने की होड़ में इन कंपनियों के शिविर पर हमला कर जानमाल की भारी क्षति पहुंचाते हैं। ऐसे दर्जनों वारदातों की लंबी फेहरिस्त है। वहीं नक्सली समूहों को इस बात का डर सताता है कि यदि आवागमन सुगम हो गया तो उनकी गतिविधियां प्रभावित हो जाएंगी और नक्सली समूह आस-पास के गांव के लोगों को भी अपने प्रभाव में रखते हैं।
12Jan-2015

रविवार, 11 जनवरी 2015

एयर इंडिया की आर्थिक सेहत सुधारने में जुटी सरकार!

एयर इंडिया की आर्थिक सेहत सुधारने में जुटी सरकार!
निजी विमानन कंपनियों के लिए भी आएगी योजनाएं
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार भारतीय विमानन क्षेत्र की आर्थिक सेहत सुधारने में जुटी हुई है, जिसके लिए सरकारी विमानन कंपनी ‘एयर इंडिया’ के अलावा निजी विमानन कंपनियों के लिए भी ऐसी योजनाएं बनाई जा रही है, ताकि आर्थिक संकट से उबरकर वे हवाई सेवाओं का सुरक्षित और संरक्षित उपयोग कर सकें।
मोदी सरकार ने केंद्र की सत्ता संभालने के बाद हवाई यात्रा को सुगम बनाने के साथ सुरक्षित और संरक्षित बनाने के लिए नए दिशा निर्देश जारी कर विमानन अधिकारियों और विमानन कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। स्टार अलायंस में शामिल होने के बावजूद आर्थिक संकट के दौर में फंसी एयर इंडिया की आर्थिक सेहत को सुधारने में जुटी केंद्र सरकार की ओर से नागरिक उड्डयन मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा ने एक दिन पहले इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का औचक निरक्षण करने की जानकारी देते हुए बताया कि हवाई अड्डे पर एयर इंडिया के दμतर और हैंगर के हालत बेहद चिंताजनक हैं। इसके लिए उन्होेंने संबंधित अधिकारियों से इस बाबत रिपोर्ट मांगी है। वहीं एयर इंडिया के अधिकारियों के आर्थिक संकट का रोना रोने पर एयर इंडिया कर्मचारियों को भरोसा दिलाया कि एयर इंडिया को आर्थिक संकट से उबारने के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है, वहीं निजी विमान कंपनियों को भी आर्थिक संकट से उबारने के लिए सरकार योजना पर काम कर रही है। डा. शर्मा का कहना है कि कुछ माह बाद एयर इंडिया की आर्थिक सेहत को काफी हद तक ठीक कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि फिलहाल एयर इंडिया पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के घाटे में चल रही है। निजी कंपनियों की आर्थिक हालत ज्यादा ही खराब है जिसका कारण रहा कि पिछले महीने स्पाइसजेट की उड़ाने रद्द रही हैं, जिन पर सरकार गौर तो कर रही है, लेकिन सरकार पहले ही निजी विमानन कंपनियों को कोई राहत पैकेज देने से इंकार भी कर चुकी है।
सुरक्षित हवाई यात्रा पर जोर
नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार डीजीसीए ने हवाई यात्रा में सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने के लिए पायलटों और क्रू मेंबरों पर भी नरमी नहीं बरती और अयोग्य पायलटों को लाइसेंस तक निरस्त किये गये। नागर विमान मंत्रालय के सामने प्रमुख भारतीय विमानन कंपनी एयर इंडिया की आर्थिक स्थिति को सुधारने की बड़ी चुनौती है। नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति पशुपति राजू ने पिछले छह महीनों में एयर इंडिया के प्रदर्शन की समीक्षा की, जिसमें पाया कि इसके मार्केट शेयर और फाइनैंशनल प्रदर्शन पर सुधार हुआ है, लेकिन एयर इंडिया को अभी तेज टर्नअराउंड प्राप्त करने के मकसद से लाभ अर्जित करने की क्षमता में सुधार करने की बेहद जरूरत है। खासकर जब जेट ईंधन की कीमत में भारी गिरावट आ रही हो। इसके लिए पिछले महीने ही सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया को केंद्र सरकार द्वारा अपने आॅपरेशनल हेड पर खर्च में 10 प्रतिशत कटौती करने और अपने परफॉर्मेंस व यात्री सुविधा में सुधार करने का निर्देश दिया गया है।
11Jan-2015

शनिवार, 10 जनवरी 2015

ताज के अस्तित्व को बचाने की शुरू हुई कवायद!

सुब्रह्मण्यम कमेटी पर संसदीय समिति हुई गंभीर
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
दुनिया के अजूबों में शामिल विश्वप्रसिद्ध पुरातात्विक धरोहर ताजमहल को पर्यावरणीय प्रकृति और मनुष्य से दोतरफा खतरे से बचाने की कवायद में संसदीय स्थायी समिति आगे आ गई है, जिसमें पर्यावरण खतरों से निपटने के लिए गठित टीएसआअर सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों पर विचार विमर्श करके ताज के अस्तित्व को बचाने के उपाय पर जोर दिया है।
राज्यसभा की विभाग संबन्धी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबन्धी समिति ने पर्यावरण के खतरे से निपटने के लिए टीएसआर सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों का अध्ययन शुरू कर दिया है। शनिवार को संसद की यह समिति यूपी के आगरा में ताज महल जैसे विश्वप्रसिद्ध धरोहर ताज महल के अस्तित्व को बचाने के लिए विचार करेगी, जिसमेें उन्होंने पर्यावरणविदें और उन संस्थाओं को आमंत्रित किया है, जो ताज महल को प्रदूषण से बचाने के लिए पर्यावरण संबन्धी गतिविधियों पर काम कर रहे हैं। संसदीय समिति इन समितियों और विशेषज्ञों की राय लेकर उनके बयानों को भी दर्ज करेगी। यह बात यहां संसद की पर्यावरण संबन्धी स्थायी समिति के सभापति अश्विनी कुमार ने कहते हुए कहा कि ताज महल कार्बन जैसे प्रदूषण के कारण पीला पड़ने लगा है जो एक बेहद चिंता का विषय है। इसके लिए सुब्रह्मण्यम कमेटी ने भी ताज महल के अस्तित्व को बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की है। समिति अध्ययन करके सरकार से सिफारिशें करेगी कि किन उपायों और कानून बनाने से ताज महल को प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
दो गुणा हो जाएगा शहरीकरण
संसदीय स्थायी समिति की सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों में शुक्रवार को अध्ययन शुरू किया है। बैठक के बाद समिति के सभापति अश्विनी कुमार ने बताया कि सुब्रह्मण्यम कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों में कहा गया है कि यदि शहरीकरण की गति इसी प्रकार बढ़ती गई तो आने वाले 20-25 साल में भारत के शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या 300 मिलियन हो जाएगी। उन्होंने कहा कि 2001 में शहरों की आबादी 28 प्रतिशत आंकी गई थी, जो 20 साल बाद यह बढ़कर 56 प्रतिशत यानि दो गुणा हो जाएगी और पर्यावरण की समस्या एक बड़ी चुनौती होगी। सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों के तीन विषयों पर हुए विचार के बाद कमेटी ने तय किया है कि वह मुंबई, विशाखापत्तन, अमृतसर और लुधियाना का दौरा करेगी। समिति ने पर्यावरण की समस्या की चुनौतियों से निपटने के लिए सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों के आधार पर अलग-अलग उपायों पर भी विचार किया है। संसदीय समिति उन अटकलों पर भी विचार कर रही है जिनमें सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों के लागू करने से पर्यावरणीय कानून बेअसर हो जाएंगे।
10Jan-2015