बुधवार, 14 जनवरी 2015

देश में पुलिसकर्मियों के मुकाबले भारी एनजीओ !

कागजी संगठनों पर लगाम लगाने में जुटी सरकार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की ऐसे स्वयं सेवी संगठनों यानि एनजीओ पर तीखी नजर है, जो कागजों पर जन सेवा करके सरकारी कोष का दुरुपयोग करती आ रही है। हालांकि सरकार समय-समय पर ऐसी संस्थाओं को जांच के बाद काली सूची में डालने की सतत् कार्यवाही करती आर रही है। यह भी हैरत की बात है कि देशभर में जितने पुलिसकर्मी हैं उनसे कहीं ज्यादा एनजीओ विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित कराने के नाम पर पंजीकृत हैं।
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए एनजीओ का सहारा भी लिया जाता है, लेकिन अब कागजी काम करने वाली एनजीओ की खैर नहीं है। केंद्र सरकार ने ऐसी एनजीओ पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली हैं, हालांकि पिछले पांच साल में हजरों की संख्या में एनजीओ को काली सूची में डाला जा चुका है। दिलचस्प पहलू यह भी है कि कैग भी एनजीओ के पंजीकरण पर अपनी रिपोर्ट में सवाल खड़े कर चुकी है। वहीं केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाल ही में देश के भीतर एनजीओ की भारी संख्या को लेकर सवाल सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी है। सीबीआई की इस रिपोर्ट में 20 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों का ब्योरा जुटाने की बात कही गई है, जहां 22 लाख 45 हजार 655 एनजीओ काम कर रहे हैं। यह भी संभावना जताई गई है कि एनजीओ की वास्तविक संख्या इससे भी काफी अधिक हो सकती है, क्योंकि इस रिपोर्ट में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक और तमिलनाडु जौसे राज्यों के एनजीओ शामिल नहीं हैं। रिपोर्ट में शािमल एनजीओ में से 2 लाख 23 हजार 478 ने सोसायटी रजिस्ट्रार के पास अपना रिटर्न दाखिल किया है, जो करीब दस प्रतिशत आंका जा सकता है। यानि ऐसी संस्थाएं 10 प्रतिशत से भी कम अनुदान और खर्चे को लेकर बैलेंस शीट का ब्योरा जमा करवाते हैं। एक अनुमान के अनुसार 1.25 अरब की आबादी वाले भारत में औसतन 535 लोगों पर एक एनजीओ है, जबकि गृहमंत्रालय के आंकड़ों की माने तो देशभर में एक पुलिसकर्मी के हिस्से में 940 लोग ही आ रहे हैं। संसद के पिछले सत्र के दौरान एनजीओ को लेकर उठे सवालों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थांवर चंद गहलोत ने भी स्वीकार किया था एनजीओ द्वारा सरकारी फंड में हेर फेर कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने की गतिविधियों में लिप्त हैँ जिन पर नकेल कसने के लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। उनके अनुसार सरकारी धन का दुरुपयोग करने वाली एनजीओ के 26 मामले सामने आए थे, जिनमें से जांच के बाद चार एनजीओ को काली सूची मेें डाल दिये गये हैं और सरकार ऐसे एनजीओ को दंडित करने की तैयारी भी कर रही है।
एनजीओ में यूपी अव्वल
एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक 5.48 लाख एनजीओ उत्तर प्रदेश में हैं, जिसके बाद महाराष्ट्र में 51.8 लाख एनजीओ पंजीकृत है, जिन्हे सरकारी अनुमदान दिया जाता है। इनके अलावा केरल में 3.69 लाख, राजस्थान में 1.36 लाख, पश्चिम बंगाल में 2.34 लाख, असम में 97,437, पंजाब में 84,752, उत्तराखंड में 62,632, गुजरात में 61,959 और बिहार में 33,781 एनजीओ शामिल हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ में सबसे ज्यादा 3981 एनजीओ है, जहां किसी ने भी अधिकारियों के सामने अपना लेखा-जोखा जमा नहीं कराया है। इसी प्रकार पुडुचेरी का रिकॉर्ड बेहतर है जहां 60 पंजीकृत एनजीओ में से 46 एनजीओ द्वारा सक्षम अधिकारी के सामने अपने अकाउंट का ब्योरा जमा कराया है।
14Jan-2015

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