गुरुवार, 22 जनवरी 2015

संसद का बजट सत्र 23 फरवरी से

26 फरवरी को रेल व 28 फरवरी को आम बजट
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
संसद का बजट सत्र अगले महीने 23 फरवरी से शुरू होगा और 26 फरवरी को रेल बजट तथा 28 फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा। बजट सत्र दो चरणों में होगा जिसका पहला चरण 23 फरवरी से 20 मार्च तक और दूसरा चरण 20 अप्रैल से आठ मई तक तय किया गया है।
केंद्रीय कैबिनेट की संसदीय मामलों की समिति की बुधवार को हुई बैठक में संसद के बजट सत्र की तारीखों का निर्णय किया गया। समिति के इस फैसले के मुताबिक बजट सत्र 23 फरवरी से आठ मई तक चलेगा, जिसके दो चरण होंगे। पहला चरण 20 मार्च तक चलेगा और एक माह के अंतराल के बाद दूसरा चरण 20 अप्रैल से शुरू होगा। संसदीय मामलों की समिति के मुताबिक 26 फरवरी गुरुवार को रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेल बजट पेश करेंगे, जबकि 27 फरवरी शुक्रवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 28 फरवरी शनिवार को आम बजट पेश किया जाएगा। संसदीय मामलों की समिति ने संसद के बजट सत्र के
कार्यक्रम के प्रस्ताव को राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी को भेज दिया है। इस कार्यक्रम के मुताबिक 23 फरवरी को केंद्रीय कक्ष में लोकसभा व राज्यसभा यानि दोनों सदनों की संयुक्त की बैठक होगी, जिसमें राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण होगा, जिसके साथ ही संसद के बजट सत्र की शुरूआत हो जाएगी। संयुंक्त सदन की बैठक में राष्टÑपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में 24 और 25 फरवरी को चर्चा तय की गई है और इसी दिन धन्यवाद प्रस्ताव को पारित कर दिया जाएगा। बजट सत्र के पहले चरण में 25 बैठकें होने की संभावना है, जबकि दूसरे हिस्से में 19 बैठकें होगी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई संसदीय मामलों से संबन्धित समिति की बैठक में संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू के अलावा कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, रसायन मंत्री अनंत कुमार, अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला, पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर, संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी एवं राजीव प्रताप रूडी ने हिस्सा लिया।
तीसरी बार शनिवार को आम बजट केंद्र सरकार की संसदीय मामलों की समिति में संसद के बजट सत्र का जिस तरह कार्यक्रम तय किया है उसमें 28 फरवरी यानि शनिवार के दिन आम बजट पेश होगा और अधिकांशत: शनिवार को संसद की कार्यवाही नहीं चलती, लेकिन जरूरत पड़ने पर शनिवार को भी सदन की बैठक बुलाई जाती रही हैं। शनिवार को आम बजट पेश करने पर सरकार ने तर्क दिया है कि इससे पहले भी दो बार आम बजट शनिवार के दिन पेश किये गये हैं। बजट सत्र में सरकार के एजेंडे में भारी भरकम विधायी कार्य होगा, जिसमें राज्य सभा में नौ विधेयकों समेत करीब 66 लंबित विधेयकों को पारित कराने का भी प्रयास होगा। ऐसे लंबित विधेयकों में व्ह्सिल ब्लोअर प्रोटेक्शन कानून संशोधन विधेयक, अंतर राज्यीय जल विवाद कानून संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय महिला आयोग कानून संशोधन विधेयक प्रमुख रूप से शामिल है।
अध्यादेशों को कानून बनाना प्राथमिकता
मोदी सरकार के लिए संसद के बजट सत्र में पिछले महीने जारी किये गये करीब छह अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए उनके स्थान पर विधेयक पेश करके उन्हें पारित कराने प्राथमिकता होगी। इसका कारण है कि दो दिन पहले ही राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी ने सरकार के साथ विपक्षी दलों को भी नसीहत देते हुए अध्यादेशों का सहारा लेने से बचने का सुझाव दिया था। इस पर मंगलवार को संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संबन्धित मंत्रियों और उनके वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाकर अध्यादेशों को कानून में बदलने की दिशा में गहन विचार विमर्श करके कुछ रणनीतियां तय की थी। गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में पारित नहीं हो सके कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों के प्रावधान लागू करने के लिए सरकार ने कोयला, खान और खनिज, भूमि अधिग्रहण, ई-रिक्शा, नागरिकता कानून में संशोधन और बीमा क्षेत्र में एफडीआई से संबंधित करीब आधा दर्जन अध्यादेश प्रख्यापित किये थे।
अध्यादेशों पर गरम सरकार
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने बैठक के बाद अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए विधेयक पेश करने के मुद्दे पर कहा कि सरकार नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस सरकारों द्वारा जारी किये गये अध्यादेशों की संख्या को उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा सरकार ने 1996 से 1998 के अपने दो साल के संक्षिप्त कार्यकाल में 77 अध्यादेश जारी किए। उन्होंने कहा कि हमारे वामपंथी साथी संयुक्त मोर्चा सरकार का हिस्सा थे और अध्यादेशों का विरोध करने से पहले उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उन्होंने भी कानून बनाने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल किया।
22Jan-2015

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