शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

साहसी बच्चे : जो खेल गए अपनी जान पर

इनके आदम्य साहस के सामने सब नतमस्तक
ओ.पी. पाल 
भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) की ओर से अदम्य साहस और वीरता का परिचय देने वाले देश के 24 बच्चों को वर्ष 2014 के राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार 6 से 18 वर्ष के बीच के बच्चों को ही दिया जाता है। इनमें 8 लड़कियां और 16 लड़के शामिल हैं। चार बच्चों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया जाएगा। प्रतिष्ठित भारत पुरस्कार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली रेशम फातमा को दिया जाएगा। 16 वर्षीय रेशम ने अद्भुत साहस का परिचय देते हुए तेजाब से हमला करने वाले अपने चचेरे मामा का सामना किया और जैसे-तैसे खुद को बचाकर पुलिस तक पहुंचीं। जबकि गीता चोपडा पुरस्कार के लिए असम की गुंजन शर्मा को चुना गया है। गुंजन ने अपनी दोस्त को अपहरणकर्ता से बचाया था। इसके साथ संजय चोपडा पुरस्कार मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) के देवेश कुमार को दिया जाएगा। देवेश ने अपनी जान की परवाह न करते हुए बदमाशों का तीन किलोमीटर तक पीछा किया और उन्हें लात मारकर गिरा दिया। इससे घबराए बदमाशों ने देवेश के ऊपर गोली चलाई, जो उसकी पीठ में लगी। इसके बाद दोनों बदमाश भाग खड़े हुए। वहीं तीन बच्चों को बापू गैधानी पुरस्कार के लिए अरुणाचल प्रदेश के रूमो मीतो, मुजμफरनगर (यूपी) की रिया चौधरी और चमोली (उत्तराखंड) की मोनिका उर्फ मनीषा को मिलेगा। रिया और मोनिका को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जा रहा है।
सम्मान व आर्थिक मदद
पुरस्कार स्वरूप बच्चों को पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। इसके साथ ही इन बच्चों को पढाई पूरी करने के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इसके अलावा भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) की ओर से इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप इंजीनियरिंग और मेडिकल पढ़ने वाले विद्यार्थियों को दी जाती है। भारत सरकार की ओर पुरस्कार विजेता को मेडिकल, इंजीनियरिंग और पोलीटेक्निक में कुछ सीटें आरक्षित की गई हैं। आईसीसीडब्ल्यू वर्ष 1957 से अब तक 895 बच्चों को इस पुरस्कार से नवाज चुकी है, जिनमें 634 लड़के और 261 लडम्कियां शामिल रही हैं। वर्ष 1957 में पहली बार दो बच्चों (एक लड़के और एक लड़की) को पुरस्कार दिया गया था।
इन वर्गो में मिलेंगे अवार्ड
वर्ग- नाम - उम्र - राज्य
भारत अवार्ड- रेशम फातमा - 16 साल 9 महीने- उत्तर प्रदेश
गीता चोपड़ा अवार्ड- गुंजन शर्मा - 13 साल 9 महीने- असम
संजय चोपड़ा अवार्ड- देवेश कुमार - 16 साल 10 महीने- उत्तर प्रदेश
बापू गैधानी अवार्ड- रूमो मीतो - 13 साल 6 महीने- अरुणाचल प्रदेश
बापू गैधानी अवार्ड- स्वर्गीय रिया चौधरी - 15 साल 4 महीने- उत्तर प्रदेश
बापू गैधानी अवार्ड- स्वर्गीय मोनिका उर्फ मनीषा -16- उत्तराखंड
वीरता पुरस्कार से सम्मानित
बलराम डनसेना- 11 साल 8 माह - छत्तीसगढ़
स्वर्गीय गौरव कुमार भारती- 15 साल 7 माह - उत्तर प्रदेश
लाभांशु-15 साल 8 माह - उत्तराखंड
जील जितेंद्र मराठे- 13 साल 11 महीने- गुजरात
विशाल बेचरभाई कटोसना-10 साल 2 माह - गुजरात
हीरल जीतू भाई हलपति- 17 साल 8 माह - गुजरात
अश्विनी बंडु उघड़े- 13 साल, 2 माह - महाराष्ट्र
साहनेश आर- 13 साल 9 माह - कर्नाटक
अंजित पी- 12 साल 7 माह - - केरल
अकिल मोहम्मद एन के - 9 साल - केरल
मिधुन पी पी- 14 साल 2 माह - केरल
राजदीप दास- 16 साल 9 माह - झारखंड
एल ब्रेनसन सिंह - 10 साल- मणिपुर
जी तूलदेव शर्मा- 9 साल 4 माह - मणिपुर
स्टीवेनसन लारिनियांग- 14 साल 6 माह - मेघालय
रीपा दास- 7 साल- त्रिपुरा
स्वर्गीय मेसक के रेमनाललडंहाक- 14 साल 7 माह - मिजोरम
मोनबेनी इजुंग- 8 साल- नागालैंड
बच्चों के साहस की दास्तान
दोस्तों को बचाया
रायगढ़ (छत्तीसगढ़) निवासी बलराम डनसेना 19 अप्रैल 2014 को अपने दोस्त के साथ 15फुट गहरे तालाब में तैराकी सीख रहा था। तभी वहां 8 वर्षीय चंद्रकांत एवं उसके दोस्त भी आ गए। अचानक चंद्रकांत एवं उसका दोस्त डूबने लगे। इस पर बलराम ने जान की परवाह ना कर छलांग लगा दोनों की जान बचाई।
लड़कियों की जान बचाई
झारखंड के जमतारा निवासी राजदीप दास 20 अक्टूबर 2013 की सुबह लक्ष्मी विसर्जन के लिए गया था। विसर्जन के उपरांत काफी बच्चे वापस लौट गए थे। राजदीप को किसी ने बताया कि कुछ लड़कियां तालाब में डूब गई है। थके होने के बावजूद राजदीप ने 8 फुट गहरे तालाब में कूद गया एवं बच्चियों की तलाश करने लगा। इस दौरान वह थक गया लेकिन वह तब तक बाहर नहीं निकला जब तक कि बच्चियों को बाहर नहीं निकाल लिया। बच्चियों को बाहर निकाल उन्हें उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल में भी राजदीप ने ही भर्ती कराया।
मामा के चंगुल से बचकर बचाई जान
लखनऊ (उप्र) की 16 वर्षीय रेशम फातमा 1 फरवरी 2014 को कोचिंग क्लास जा रही थी। रास्ते में मामा रियाज अहमद (38) ने चाकू की नोंक पर जबरन कार में धकेला। उसने शादी का प्रस्ताव नहीं मानने पर रेशम को धमकी दी। जब रेशम टस से मस नहीं हुई और विरोध करने लगी तो मामा ने बाल पकड़कर खींचा एवं सिर पर तेजाब डाल दिया। 15 मिनट तक रेशम बचने के लिए संघर्ष करती रही। आखिरकार उसने मामा को तेजी से धक्का दिया और कूद कर भागी। रियाज ने पीछा किया लेकिन वह एक आॅटो में बैठकर पुलिस स्टेशन पहुंची एवं फिर वहां से अस्पताल में भर्ती कराया गया। रेशम का चेहरा, हाथ, बाल बुरी तरह से जल गया। रेशम को भारत अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
पिता को बचाने में गंवाई जान
मुजμफरनगर (उप्र) निवासी स्वर्गीय रिया चौधरी 10 मार्च 2014 को घर पर ही परीक्षा की तैयारी कर रही थी। तभी उसने बाहर से कुछ आवाज सुनी। बाहर जाकर उसने देखा कि माता-पिता एवं ताऊ को कुछ बदमाशों ने घेर रखा था। उन लोगों के हाथों में हथियार थे। अचानक उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। एक बदमाश ने पिता को निशाना बनाते हुए गोली चला दी। रिया पिता के सामने खड़ी हो गई। गोली उसे लगी। दो गोली रिया की मां को लगी। रिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
झपटमारों का पीछा करने के दौरान लगी गोली
मैनपुरी (उप्र) निवासी देवेश 15 मई 2014 को अपने पिता को उनके स्कूल छोड़ने गए थे। जैसे ही वहां पहुंचे तो प्रधानाध्यापिका के चिल्लाने की आवाज सुनी। देवेश मौके पर पहुंचे तो प्रधानाध्यापिका ने बताया कि बाइक सवार दो बदमाशों ने उनकी सोने की चेन झपट ली है। देवेश ने बाइक से पीछा किया एवं बाइक चला रहे बदमाश को पैर से धक्का मार गिराने की कोशिश की। इस पर बाइक चला रहे बदमाश ने अपने साथी को देवेश को गोली मारने के आदेश दिया। गोली देवेश की कमर में लगी और वह जमीन पर गिर गया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। देवेश को संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
दोस्त को बचाने में गई जान
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला के स्वर्गीय गौरव कुमार भारती दोस्त को बचाते समय नदी में डूब गया। 11 मार्च 2014 की सुबह गौरव के मित्र विकास एवं देवा सरयू नदी में स्नान कर रहे थे। अचानक विकास डूबने लगा। यह देखते ही गौरव ने 30 फुट गहरे पानी में छलांग लगा दी। उसने विकास को नदी के किनारे तक पहुंचा दिया लेकिन शरीर अनियंत्रित होने से वह गहरे भंवर में फंस गया। उसके दोस्त देवा ने मदद के लिए एक नाविक को बुलाया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। हादसे में गौरव की मृत्यु हो गई।
बच्चे को डूबने से बचाने में हुई मौत
उत्तराखंड के चमोली जिला की स्वर्गीय मोनिका उर्फ मनीषा कालेश्वर गांव में 15 जून 2014 को दो छोटी बहनों के साथ अलकनंदा नदी के किनारे कपड़े धो रही थी। अचानक उसने देखा कि पड़ोस में रहने वाला 10 वर्षीय साहिल 8 फुट गहरे पानी में फिसल गया और डूबने लगा। यह देखते ही मोनिका ने नदी में छलांग लगा दी। उसने साहिल को बचा लिया लेकिन इस दौरान वह तेज बहाव में बह गई एवं उसकी मौत हो गई।
गंगा नदी से डूबते युवकों को बचाया
उत्तराखंड के ऋषिकेश निवासी लाभांशु 24 मई 2014 को गंगा नदी के किनारे कुश्ती का अभ्यास कर रहा था। एक व्यक्ति पानी पीने के लिए नीचे उतरा लेकिन वह डूबने लगा। एक शख्स उसे बचाने उतरा तो वह भी डूबने लगा। लाभांशु ने जान की परवाह ना कर 40 फुट गहरी गंगा नदी में छलांग लगा दी एवं दोनों को बाहर निकाला।
10 छात्रों की बचाई जान
असम के सिमलुगुड़ी में 4 दिसंबर 2013 को अचानक दो बदमाश होटल से निकले एवं हवा में गोली चलाते हुए एक स्कूल वैन को अगवा कर लिया। वैन में गुंजन शर्मा समेत11 बच्चे सवार थे। अपहरणकर्ता ने चालक को गाड़ी घुमाकर मथुरापुर की तरफ जाने के लिए बाध्य किया। गुंजन ने अनुरोध किया कि बदमाश सभी बच्चों को छोड़ दें एवं उसे बंधक बना लें। सांतक बार्डर के पास अचानक वैन गहरे खड्ढे में गिर गई। अपहरणकर्ता बच्चों को छोड़ गुंजन को बंधक बनाकर साथ ले गए। सुबह करीब पौने चार बजे गुंजन को जंगलों में छोड़ अपहरणकर्ता भाग खड़े हुए। एक घंटा पैदल चलने के बाद गुंजन एक झोपड़ी तक पहुंची, जहां से उसने फोन कर पुलिस को बुलाया। गुंजन को गीता चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
अब तक 895 बच्चों को मिल चुका है पुरस्कार
आईसीसीडब्ल्यू वर्ष 1957 से अब तक 895 बच्चों को इस पुरस्कार से नवाज चुकी है, जिनमें 634 लड़के और 261 लड़कियां शामिल रही हैं।
- 1957 में शुरू हुए थे बच्चों के लिए वीरता पुरस्कार
- 1978 में शुरू हुए थे गीता चोपड़ा और संजय चोपड़ा पुरस्कार
- 1987 में शुरू हुए था भारत पुरस्कार
- 1988 में शुरू हुए थे बापू गैधानी पुरस्कार
इस तरह होता है बच्चों का चुनाव
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) की ओर से दिए जाते हैं। पुरस्कार के लिए बच्चों का चयन एक उच्च स्तरीय कमेटी करती है। इस कमेटी में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और गैर सरकारी संगठनों के साथ आईसीसीडब्ल्यू के
पदाधिकारी शामिल होते हैं।
30Jan-2015

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