गुरुवार, 1 जनवरी 2015

भारतीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड


                        


                                  भारतीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 
                                     Bharatiya Board of Secendary Education                                                                 
उद्देश्य
* प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा के स्तर में सुधार लाने, आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ भारतीय अध्यात्म, दर्शन व विज्ञान संबन्धी मूल्यों एवं सिद्धांतों को विकसित करने एवं उनकी जानकारी देने, वैज्ञानिक सोच एवं तार्किक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने, आधुनिक तकनीक को उपयोग में लाने के लिए प्रोत्साहित करने, कौशल को बढ़ाने ((Skill Development), सभी प्रमुख धर्मों के मौलिक तत्वों की जानकारी देकर सांप्रदायिक सद्भाव एवं सहिष्णुता की प्रवृत्ति को संवर्धित करने तथा श्रम की महत्ता (Dignity of labour) को छात्रों के मन में प्रतिष्ठापित करने के लिए इस बोर्ड का गठन किया गया है।
* इस पाठ्यक्रम में महर्षि दयानंद की आर्ष शिक्षा प्रणाली, महात्मा गांधी की रोजगारोन्मुखी एवं स्वदेशी पर आधारित बुनियादी शिक्षा तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू की आधुनिक शिक्षा का एक समन्वित रूप देखने को मिलेगा।
* इस पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों में क्षेत्रीय, भाषायी एवं सांप्रदायिक संकीर्णताओं से ऊपर उठकर राष्ट्र के प्रति गौरव का भाव, सभी धर्मों के प्रति आदर व सम्मान की अनुभूति एवं मानवीय मूल्यों के प्रति निष्ठा का भाव जागृत करने का प्रयास किया जाएगा।
* भारतीय संविधान में वर्णित मूल्यों के प्रति छात्रों में विशेष जागरूकता पैदा की जाएगी।
* दि राइट आफ चिल्ड्रन टु फ्री एंड कम्पलसरी एजुकेशन एक्ट-2009 (RTE)  में दिये गये शिक्षा संबन्धी आवश्यक प्रावधानों को लागू किया जाएगा।
* संस्कृत, हिंदी, एवं अंग्रेजी भाषाओं को समान रूप से प्राथमिकता दी जाएगी।
* संबन्धित राज्यों में वहां की स्थानीय भाषा का भी अध्ययन कराया जायेगा।
बोर्ड का गठन
उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये पाठ्यक्रम निर्धारित करने, परीक्षायें संपादित करने व अन्य सम्बन्धित आवश्यक कार्यों को पूर्ण करने हेतु भारतीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Bharatiya Board of Secendary Education) के नाम से एक बोर्ड का निम्नानुसार गठन किया जाता है।
बोर्ड के निम्न पदाधिकारी होंगे
अध्यक्ष
उपाध्यक्ष
सचिव
वित्त अधिकारी
साथ ही बोर्ड के निम्न सदस्य होंगे-
मानव संसाधन मंत्रालय का एक प्रतिनिधि-पदेन सदस्य
सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेण्डरी एजुकेशन का एक प्रतिनिधि-पदेन सदस्य
इंडियन सर्टिफिकेट आफ सेकेण्डरी एजुकेशन का एक प्रतिनिधि-पदेन सदस्य
पतंजलि योगपीठ के तीन प्रतिनिधि
गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार का एक प्रतिनिधि
लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत संस्थान दिल्ली का एक प्रतिनिधि
बोर्ड के अंतर्गत मान्यता प्राप्त संस्थाओं के प्राचार्य-पांच प्रतिनिधि (महिला प्रतिनिधि को मिलाकर)
श्रीमद् दयानंद आर्ष विद्यापीठ, झज्जर, हरियाणा का एक प्रतिनिधि
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक, हरियाणा का एक प्रतिनिधि
शासकीय अथवा अशासकीय सेवाओं में कार्यरत अथवा सेवा निवृत्त संस्कृत, वैदिक दर्शन व वैदिक विज्ञान के प्रख्यात विशेषज्ञ-तीन प्रतिनिधि
योग एवं आयुर्वेद के प्रमुख विशेषज्ञ- दो प्रतिनिधि
विज्ञान, तकनीक व आईटी के प्रख्यात विशेषज्ञ- तीन प्रतिनिधि
मनोविज्ञान, स्वास्थ्य एवं खेलों के प्रमुख विशेषज्ञ-तीन प्रतिनिधि
दूरस्थ शिक्षा (Distance Education) का एक प्रतिनिधि  
व्यावसायिक शिक्षा के विशेषज्ञ-एक प्रतिनिधि

*  बोर्ड के पदाधिकारियों व सदस्यों को मिलाकर बोर्ड की गवर्निंग बोडी (प्रबन्धन समिति) कहलाएगी।
*  आवश्यकता होने पर अस्थायी रूप से विभिन्न विषयों के अन्य विशेषज्ञ सदस्य के रूप में चयनित किये जा सकेंगे, लेकिन वे गवर्निंग बोडी (प्रबन्धन समिति) के सदस्य नहीं होंगे।
* बोर्ड के सदस्यों के चयन अथवा मनोनयन का अधिकार बोर्ड के अध्यक्ष को होगा।
* यह गवर्निंग बोडी (प्रबन्धन समिति) परीक्षाओं के संचालन, उसका परिणाम घोषित करने व उत्तीर्ण छात्रों को प्रमाण-पत्र देने, शिक्षण संस्थाओं की मान्यता संबन्धी, छात्रों के अनुशासन संबन्धित व्यवस्थाओं को सम्पन्न करने व तत्संबन्धी नियम, उप नियम व प्रक्रिया बनाने के लिए उत्तरदायी होगी।
कार्य क्षेत्र
भारत व भारत से बाहर विदेशों में स्थित शिक्षा केन्द्र, जो बोर्ड के साथ सम्बद्ध होकर छात्रों को पढ़ाना व परीक्षाएं दिलाना चाहते हैं वे बोर्ड की सेवाओं का लाभ मान्यता प्राप्त कर उठा सकेंगे।
मुख्य कार्यालय
* इस बोर्ड का मुख्य कार्यालय पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार में रहेगा। दिल्ली व अन्य स्थानों पर आवश्यकता अनुसार इसके अन्य कार्यालय स्थापित किये जा सकेंगे।
* बोर्ड एक स्वायत्तशासी संस्थान होगा तथा आचार्य कुलम् शिक्षण संस्थान के नियंत्रण में रहकर कार्य करेगा।
* यह बोर्ड सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट-1860 के अंतर्गत रजिस्टर्ड होकर केंद्रीय सरकार द्वारा राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना की तिथि से प्रभावी होगा।
अध्यक्ष का कार्यकाल
* बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति प्रथम बार पांच वर्ष के लिए की जाएगी। पांच वर्ष पूर्ण होने पर पुनर्नियुक्ति चार वर्ष के लिए की जा सकेगी।
* शिक्षा के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ, विशेष रूप से वैदिक विषयों में निष्णात अथवा प्रशासनिक अनुभवी व्यक्तियों में से अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की जा सकेगी।
* बोर्ड के संचालन की पूर्ण जिम्मेदारी अध्यक्ष की होगी, जिसे मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)  के रूप में भी जाना जाएगा।
बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल
* बोर्ड के सदस्यों तथा अन्य समितियों के सदस्यों का कार्यकाल, मनोनयन अथवा चयन के दिनांक से तीन वर्ष के लिए होगा।
* बोर्ड का कोई भी सदस्य अध्यक्ष को पत्र लिखकर त्याग पत्र दे सकेगा।
* अध्यक्ष द्वारा स्वीकृत किये गये दिनांक से त्याग पत्र प्रभावी माना जाएगा।
* यदि नियंत्रणकर्ता अधिकारी (आचार्य कुलम् शिक्षण संस्थान) के मत में किसी मनोनीत अथवा चयनित सदस्य का पद पर बने रहना बोर्ड के हित में प्रतीत नहीं होता है तो वह अधिकारी उपयुक्त आदेश जारी कर ऐसे सदस्य का मनोनयन अथवा चयन समाप्त कर सकेगा।
* कार्यकाल पूर्ण होने पर संबन्धित सदस्यों के योग्य पाए जाने पर उनका पुन: चयन अथवा मनोनयन किया जा सकेगा।
बोर्ड की शक्तियां एवं कार्य
बोर्ड के पास निम्न शक्तियां होंगी-
* परीक्षाओं का आयोजन करना तथा ऐसे उत्तीर्णध्सफल छात्रों को डिप्लोमा अथवा प्रमाण-पत्र प्रदान करना, जो कि बोर्ड से मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत हों।
* बोर्ड द्वारा संचालित परीक्षाओं के लिए उपयुक्त दिशा निर्देश जारी करना।
* छात्रों को परीक्षाओं में बैठने के लिए प्रवेश देने तथा ऐसी परीक्षाओं के लिए शर्तें निर्धारित करना, परीक्षाएं आयोजित करने के लिए शिक्षण संस्थानों को बोर्ड के साथ संबन्धित करना।
* शिक्षण संस्थानों की स्थापना व उनका संचालन करना।
* संबन्धित शिक्षण संस्थाओं से नियमों के अंतर्गत निर्धारित शुल्क प्राप्त करना।
* बोर्ड द्वारा मनोनीत सदस्य अथवा सदस्यों द्वारा मान्यता प्राप्त व मान्यता चाहने वाली शिक्षण संस्थाओं का निरीक्षण करना/करवाना।
* मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के छात्रों के शारीरिक, आत्मिक, मानसिक और नैतिक विकास के लिए प्रयत्न करना तथा उनके आवास, स्वास्थ्य एवं अनुशासन संबन्धी गतिविधियों का पर्यवेक्षण करना।
* माध्यमिक स्तर की शिक्षा के विकास के लिए व्याख्यानों का आयोजन, प्रदर्शन देना तथा शिक्षा संबन्धी प्रदर्शनी आयोजित करना और इस प्रकार के अन्य प्रयास करना।
* निर्धारित शर्तों के अधीन छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, मेडल तथा पुरस्कारों की स्थापना करना तथा उनको प्रदान करना।
* पाठ्यक्रम की पुस्तकों को निर्धारित करने एवं उनके प्रकाशन की व्यवस्था करना।
* अनुचित व्यवहार करने वाले छात्रों, शिक्षकों, परीक्षकों, परीक्षार्थियों एवं अन्य संबन्धित व्यक्तियों के विरुद्ध दंड देने के लिए नियम बनाना।
* बोर्ड से मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की पद स्थापना के लिए संबन्धित अर्हताएं/योग्यता निर्धारित करना।
* शिक्षकों के पढ़ाने के स्तर को बढ़ाने के लिये उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
* पाठ्यक्रम में विषयों का निर्धारण करते हुए बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि पाठ्यक्रम भारतीय संविधान में वर्णित मूल्यों के प्रति अनुकूल हो और छात्रों का पूर्ण विकास करने में सक्षम हो, छात्रों की अंतर्निहित शक्तियों एवं प्रतिभा का विकास कर सकता हो, पढ़ने-पढ़ाने का तरीका छात्रों के अनुकूल हो, जहां कि छात्र बिना भय, दबाव व आशंका के अपने विचार प्रकट कर सकते हों।
* बोर्ड व शिक्षण संस्थाओं के संचालन के लिये चल-अचल संपत्ति प्राप्त करना तथा उसका रख रखाव व संरक्षण करना।
अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की नियुक्ति, शक्तियां एवं कर्तव्य
* अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की नियुक्ति नियंत्रणकर्ता अधिकारी द्वारा की जाएगी।
* अध्यक्ष का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा, उसकी पुनर्नियुक्ति चार वर्ष के लिए की जा सकेगी।
* अध्यक्ष का यह कर्तव्य होगा कि बोर्ड के संविधान व उसके अंतर्गत बनाए गये नियमों का सही तरह से पालन सुनिश्चित करे ध्कराए तथा ऐसा करने के लिए अध्यक्ष के पास पूरी शक्तियां होंगी।
* अध्यक्ष उचित सूचना देकर बोर्ड की मीटिंग बुला सकेगा, किसी आपात स्थिति में यदि अध्यक्ष को यह प्रतीत होता है कि तुरंत कार्यवाही करना आवश्यक है तो अध्यक्ष उचित कार्यवाही करके नियंत्रण अधिकारी को तथा बोर्ड को अगली मीटिंग में संसूचित करेगा।
* अध्यक्ष मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)  के रूप में भी जाना जाएगा तथा बोर्ड के विभिन्न कार्यों के सफल संपादन के लिए उत्तरदायी होगा।
* अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष मीटिंग की अध्यक्षता करेगा तथा वह सभी प्रशासनिक एवं शैक्षणिक विषयों में अध्यक्ष की सहायता करेगा।
सचिव की नियुक्ति, शक्तियां एवं कर्तव्य
* नियंत्रणकर्ता अधिकारी द्वारा सचिव की नियुक्ति की जाएगी।
* सचिव बोर्ड का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होगा तथा वह अध्यक्ष के निर्देशन में काम करते हुए यह सुनिश्चित करेगा कि बोर्ड के आदेशों का भली भांति पालन हो। वह बोर्ड की ओर से अन्य संस्थाओं व व्यक्तियों से अनुबन्ध करने के लिए उत्तरदायी होगा।
* सचिव यह भी सुनिश्चित करेगा कि स्वीकृत धन का उपयोग उन्हीं कार्यो के लिए किया जा रहा है जिसके लिए उसे आबंटित किया गया है। सचिव, वित्त अधिकारी की सहायता से वार्षिक आय-व्यय विवरण(बजट) तैयार कर बोर्ड को प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदार होगा।
* सचिव ऐसी अन्य शक्तियों का उपयोग करने के लिए जिम्मेदार होगा जिसका नियम व उपनियम के अंतर्गत निर्धारण किया हो।
समितियों का गठन
* बोर्ड अपने विभिन्न कार्यो को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आवश्यकता अनुसार विभिन्न समितियों का गठन कर सकेगा-जैसे मान्यता समिति, पाठ्यक्रम समिति, परीक्षा समिति तथा वित्त समिति आदि।
* इन समितियों में बोर्ड के सदस्य नियुक्त किये जाएंगे, किन्तु आवश्यकता होने पर बोर्ड से बाहर के अन्य विशेषज्ञों को भी नियुक्त किया जा सकेगा।
* इन समितियों के सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
सदस्यता की समाप्ति
निम्न परिस्थितियों में बोर्ड व समितियों के चयनित व मनोनीत सदस्यों की सदस्यता समाप्त की जा सकेगी-
* यदि न्यायालय द्वारा आपराधिक प्रकरणों में विशेष रूप से नैतिक कदाचार के लिये दंडित किया गया हो।
* जिस पर देनदारी हो तथा दिवालिया घोषित हो चुका हो।
* मानसिक दृष्टि से अक्षम हो।
* जिसका शासकीय अथवा अशासकीय सेवा से बर्खास्त किया गया हो।
नियम-उप नियम बनाने हेतु बोर्ड की शक्तियां
बोर्ड निम्नलिखित विषयों पर नियम-उप नियम बनाने के लिए सक्षम हैः-
* बोर्ड अपने संविधान को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए नियम व उप नियम बनाने के लिए सक्षम होगा।
* बोर्ड विशेष रूप से निम्न विषयों पर नियम बना सकेगाः-
* बोर्ड की मीटिंग बुलाने की प्रक्रिया तथा सदस्यों के कोरम को निर्धारित करने के संबन्ध में।
* परीक्षाओं का संचालन तथा परीक्षकों की नियुक्ति, उनके कर्तव्य, शक्तियां व पारिश्रमिक के संबन्ध में।
* वे शर्तें जिनके अंतर्गत छात्रों को बोर्ड की परीक्षाएं देने के लिए प्रवेश दिया जाएगा।
* वे शर्तें जिनके अंतर्गत बोर्ड शिक्षा केंद्रों को परीक्षा देने के लिए मान्यता देगा।
* अध्ययन के विषय जो कि उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं तथा बोर्ड द्वारा आयोजित अन्य परीक्षाओं के लिए हों।
* बोर्ड द्वारा प्रमाण-पत्र देने की शर्तों के संबन्ध में।
* छात्रवृत्ति एवं पुरस्कार स्थापित करने के संबन्ध में।
* बोर्ड एवं समितियों के सदस्यों के चयन व मनोनयन के संबन्ध में।
* बोर्ड द्वारा गठित समितियों के संविधान, शक्तियां व कर्तव्य के संबन्ध में।
* शिक्षण संस्थानों की स्थापना व संचालन के संबन्ध में।
* शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के संबन्ध में।
* बोर्ड तथा उसके द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों की नियुक्ति तथा उनकी सेवा शर्तों के संबन्ध में।
* बोर्ड तथा उसके द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों के हित के लिये भविष्य निधि की स्थापना के संबन्ध में।
* चल-अचल सम्पत्ति प्राप्त करने तथा उसके रख रखाव के संबन्ध में।
* ऐसे सभी विषय जिसका कि बोर्ड के संविधान में उल्लेख किया गया हो।
नियंत्रणकर्ता अधिकारी की शक्तियां
* बोर्ड आचार्य कुलम् शिक्षण संस्थान के पर्यवेक्षण एवं मार्ग दर्शन में कार्य करेगा। आवश्यकता होने पर संस्थान ऐसे निर्देश, जो कि बोर्ड के संविधान के अनुकूल हों, दे सकेगा तथा बोर्ड उन दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करेगा।
* आपात् परिस्थितियों में जब कि बोर्ड अपने संविधान अथवा उसके अंतर्गत बनाए गये नियमों व उप नियमों के विपरीत काम करता है तथा नियंत्रणकर्ता अधिकारी द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन नहीं करता है तो ऐसी स्थिति में बोर्ड को निलंबित किया जा सकता है तथा बार्ड का कार्य करने के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया जा सकेगा।
वार्षिक लेखा-परीक्षण
* हर वर्ष बोर्ड अपने आय-व्यय का लेखा परीक्षण चार्टर्ड एकाउंटेंट के द्वारा कराएगा।
* लेखा परीक्षण के समय आय-व्यय का पूरा विवरण (ब्यौरा) संबन्धित रजिस्टर एवं प्रपत्र लेखा परीक्षक को उपलब्ध कराएगा।
* लेखा परीक्षक की रिपोर्ट नियंत्रणकर्ता अधिकारी को भेजी जाएगी तथा वह अपनी टिप्पणियों के साथ बोर्ड को वापस भेज देगा।
बोर्ड के संविधान में संशोधन की प्रक्रिया
* यदि बोर्ड अपने संविधान के किसी अंश को संशोधित करना चाहता है तो अध्यक्ष प्रबन्धन समिति की विशेष मीटिंग बुलाकर संशोधन कर सकता है, परंतु यह संशोधन तभी लागू होगा, जब कि सभी सदस्यों को मीटिंग दिनांक से दस दिन पहले लिखित में सूचित कर दिया गया हो तथा मीटिंग में उपस्थित सदस्यों में से दो तिहाई सदस्यों द्वारा उस प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया है।
* इस प्रकार के संशोधन को नियंत्रणकर्ता अधिकारी की स्वीकृति मिलने के बाद ही संबन्धित संशोधन लागू हो सकेंगे।
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