शनिवार, 10 जनवरी 2015

ताज के अस्तित्व को बचाने की शुरू हुई कवायद!

सुब्रह्मण्यम कमेटी पर संसदीय समिति हुई गंभीर
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
दुनिया के अजूबों में शामिल विश्वप्रसिद्ध पुरातात्विक धरोहर ताजमहल को पर्यावरणीय प्रकृति और मनुष्य से दोतरफा खतरे से बचाने की कवायद में संसदीय स्थायी समिति आगे आ गई है, जिसमें पर्यावरण खतरों से निपटने के लिए गठित टीएसआअर सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों पर विचार विमर्श करके ताज के अस्तित्व को बचाने के उपाय पर जोर दिया है।
राज्यसभा की विभाग संबन्धी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबन्धी समिति ने पर्यावरण के खतरे से निपटने के लिए टीएसआर सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों का अध्ययन शुरू कर दिया है। शनिवार को संसद की यह समिति यूपी के आगरा में ताज महल जैसे विश्वप्रसिद्ध धरोहर ताज महल के अस्तित्व को बचाने के लिए विचार करेगी, जिसमेें उन्होंने पर्यावरणविदें और उन संस्थाओं को आमंत्रित किया है, जो ताज महल को प्रदूषण से बचाने के लिए पर्यावरण संबन्धी गतिविधियों पर काम कर रहे हैं। संसदीय समिति इन समितियों और विशेषज्ञों की राय लेकर उनके बयानों को भी दर्ज करेगी। यह बात यहां संसद की पर्यावरण संबन्धी स्थायी समिति के सभापति अश्विनी कुमार ने कहते हुए कहा कि ताज महल कार्बन जैसे प्रदूषण के कारण पीला पड़ने लगा है जो एक बेहद चिंता का विषय है। इसके लिए सुब्रह्मण्यम कमेटी ने भी ताज महल के अस्तित्व को बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की है। समिति अध्ययन करके सरकार से सिफारिशें करेगी कि किन उपायों और कानून बनाने से ताज महल को प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
दो गुणा हो जाएगा शहरीकरण
संसदीय स्थायी समिति की सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों में शुक्रवार को अध्ययन शुरू किया है। बैठक के बाद समिति के सभापति अश्विनी कुमार ने बताया कि सुब्रह्मण्यम कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों में कहा गया है कि यदि शहरीकरण की गति इसी प्रकार बढ़ती गई तो आने वाले 20-25 साल में भारत के शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या 300 मिलियन हो जाएगी। उन्होंने कहा कि 2001 में शहरों की आबादी 28 प्रतिशत आंकी गई थी, जो 20 साल बाद यह बढ़कर 56 प्रतिशत यानि दो गुणा हो जाएगी और पर्यावरण की समस्या एक बड़ी चुनौती होगी। सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों के तीन विषयों पर हुए विचार के बाद कमेटी ने तय किया है कि वह मुंबई, विशाखापत्तन, अमृतसर और लुधियाना का दौरा करेगी। समिति ने पर्यावरण की समस्या की चुनौतियों से निपटने के लिए सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों के आधार पर अलग-अलग उपायों पर भी विचार किया है। संसदीय समिति उन अटकलों पर भी विचार कर रही है जिनमें सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों के लागू करने से पर्यावरणीय कानून बेअसर हो जाएंगे।
10Jan-2015

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