गुरुवार, 1 जनवरी 2015

यादें-2014: हर महीने होते रहे आतंकी हमले

भारत में नक्सलवाद भी बना रहा खतरा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
वैसे तो बरसों से पूरी दुनिया में कैंसर से खतरनाक आंतकवाद के खात्मे की आवाज आती रही है, लेकिन साल 2014 में आतंकी संगठनों के हमले जिस तरह जारी रहे उसमें दिन तो बचें हैं लेकिन कोई माह ऐसा नहीं गया जिसमें आतंकी घटना सामने न आई हो।
यदि खूंखार आतंकी हमलों की बात करें तो उसमें पाकिस्तान के पेशावर और भारत में असम के सोनितपुर और कोकराझार जिले में प्रतिबंधित संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ बोड़ोलैंड के ताजा हमले दुनियाभर के लिए किसी चिंता से कम नहीं हैं। वैश्विक पैगाम यही है कि साल 2014 विदाई की और है जिसमें कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक आतंकवाद खत्म होना चाहिए। मसलन इस मौजूदा 2014 के साल के दौरान में कोई ऐसा महीना नहीं, जिसमें आतंकवादी वारदात को अंजाम न दिया गया हो। सरे बाजार से लेकर घरों तक लोग आतंकियों के निशाने बनते रहे और खासकर वर्ष 2014 के दौरान सबसे ज्यादा मुस्लिम देशों के आतंकियों ने दुनियाभर का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। हाल ही में जारी हुई वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2014 की रिपोर्ट भी यही कह रही है, जिसके मुताबिक आतंकी हमलों में मारे गए लोगों में 82 प्रतिशत सिर्फ पांच देशों इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नाइजीरिया और सीरिया के शामिल हैं। हाल ही साल खत्म होते होते आतंकवाद को समर्थन करने वाले देशों में शुमार पाकिस्तान के पेशावर में सेना के स्कूल में कुछ ज्यादा ही घिनौना चेहरा सामने आया, जहां पाकिस्तान तालिबान ने पेशावर के सैनिक स्कूल पर हमला कर 140 बच्चों समेत 145 लोगों की जान ले ली है। इससे एक दिन पहले ही आस्ट्रेलिया जैसे देश के सिडनी शहर में ईरानी मूल के नागरिक मान हारून मोनिस ने लिंड्ट कैफे में ग्राहकों और कर्मचारियों को बंधक बनाया और कुछ बेगुनाह लोगों की जान भी ली। हालांकि ज्यादातर बंधकों को मुक्त कराने में सुरक्षा बल कामयाब भी रहे। इससे पहले दस जून को आत्मघाती जैकेट, रॉकेट लॉन्चर और ग्रेनेड से लैस दस आतंकियों ने पाकिस्तान के कराची के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर हमला किया। इस हमले में 10 दहशतगर्द समेत 36 लोग मारे गए। इसी 25 जून 2014 को नाइजीरिया की राजधानी अबूजा के शॉपिंग मॉल में जबरदस्त धमाके में 21 लोगों की मौत हो गई थी। धमाका ऐसे वक्त हुआ था जब लोग नाइजीरिया और अर्जेंटीना के बीच विश्व कप मुकाबला देखने की तैयारी में जुटे थे। इससे पहले 14 और 15 अप्रैल की दरम्यानी रात नाइजीरिया के पूर्वोत्तरी शहर चिबोक के सरकारी स्कूल के सामने कई ट्रक आकर खड़े हो गए। ट्रक में आतंकवादी दल बोको हरम के लड़ाके सवार थे। इन्होंने लड़कियों को नींद से जगाया और उन्हें ट्रकों में लाद कर ले गए। इसी प्रकार 24 मई 2014 को एक बंदूकधारी ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसल्स में यहूदी म्यूजियम में ताबड़तोड़ फायरिंग के हमले में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हुई, जबकि एक जख्मी की अस्पताल में कुछ दिनों बाद मृत्यु हो गई.। 30 मई को अल्जीरियाई मूल के फ्रांसीसी नागरिक मेहंदी नेमूशे को पुलिस ने इस हमले के लिए गिरμतार किया। नौ मार्च को इराक के शिया शहर हिल्ला में आत्मघाती हमलावर ने खुद को धमाके से उड़ा दिया। आत्मघाती हमलावर बस में सवार था और धमाके की चपेट में वे आए जो अपनी गाड़ियों में सवार होकर वहां से गुजर रहे थे। इस हमले में 45 लोग मारे गए और 157 के करीब घायल हुए।
खूंखार आतंकी हमले से कम नहीं नक्सलवाद
भारत में इस दौरान कोई आतंकी घटना तो सामने नहीं आई, लेकिन नक्सलवाद जमकर सिर चढ़कर बोला। असम के सोनितपुर और कोकराझार जिले में हुए हमलों के लिए प्रतिबंधित संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ बोड़ोलैंड के हमले में बच्चों समेत करीब 73 लागों की जानें जा चुकी है। हालांकि मोआवादी नक्सलवादियों के हमले रेडकोर यानि नक्सल प्रभावित राज्यों में हर महीने ही होते रहे हैं और इसी साल पिछले महीने छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों ने दो दर्जन से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को अपना काल बनाकर बड़ी घटना को अंजाम दिया था।
26Dec-2014

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