शनिवार, 3 जनवरी 2015

अब नीति आयोग बनाएगा योजना!

नयी संस्था में नई सोच व नई दिशा: केंद्र
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
आखिर नरेंद्र मोदी सरकार ने नये साल के पहले दिन ही एक बड़ा फैसला लेते हुए योजना आयोग के स्थान 'नीति आयोग' नामक संस्था की स्थापना करने की घोषणा कर दी है। नीति आयोग नामक संस्था बनते ही करीब साढ़े छह दशक पुराने योजना आयोग इतिहास के पन्नों में सिमट गया है।
केंद्र सरकार ने योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) नामक नया संस्थान बनाया है। यह संस्थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएं प्रदान करेगा और उसे निदेर्शात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करेगा। मसलन तत्काल प्रभाव से ही योजना आयोग अब नीति आयोग के नाम से जाना जाएगा। इससे पहले अपने 65 साल के इतिहास में 200 लाख करोड़ रुपए से अधिक की 12 पंचवर्षीय और 6 सालाना योजनाएं शुरू करने वाला योजना आयोग इतिहास के पन्नों में सिमट गया है। मोदी सरकार ने नए साल के पहले ही दिन इसकी घोषणा करते हुए वर्ष 1950 के एक फैसले में बदलाव किया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करीब तीन सप्ताह पहले ही योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था के गठन के बारे में गत सात दिसंबर को ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करके विचार विमर्श भी किया था। इस बैठक के दौरान ज्यादातर समाजवादी दौर की इस संस्था के पुनर्गठन के पक्ष में थे, लेकिन कुछ कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने मौजूदा ढांचे को खत्म करने का विरोध किया था। नीति आयोग राज्यों के संपूर्ण आर्थिक विकास के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करेगा। किसी राज्य को फंड मैनेजमेंट से लेकर विकास कार्यों में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तो नीति आयोग इस काम में भी राज्यों की खुले दिल से सहायता करेगा और उनकी आवश्यक्ताओं का पूरा ध्यान रखेगा। एक मंत्रीमंडलीय प्रस्ताव के जरिए 15 मार्च 1950 को गठित योजना आयोग में करीब 65 साल बाद देश ने खुद में एक अर्द्ध विकसित अर्थव्यवस्था से एक उभरते वैश्विक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में आमूल-चूल परिवर्तन किया है।
ऐसा होगा नीति आयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योजना आयोग को खत्म करके उसके स्थान पर नई संस्था गठित करने में सफल रहे हैं। नई संस्था के रूप में नीति आयोग के रूप में तैयार किये गये ढांचे में सरकार ने इसके नए आकार के साथ ही नई आत्मा, नई सोच और नयी दिशा देने जैसे कई बदलाव किये हैं, जिन्हें सरकार पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत और अधिक शक्तिशाली होने का दावा भी कर रही है। नीति आयोग के प्रमुख प्रधानमंत्री होंगे। सूत्रों के अनुसार नीति आयोग में उपाध्यक्ष के अलावा केंद्र सरकार की तरफ से चार विशेषज्ञ सदस्य और करीब 4 या 5 विशेषज्ञ सदस्य राज्य सरकार की ओर से शामिल किये जाने का प्रावधान रखा गया है। वहीं नीति आयोग में तीन विभाग होंगे, जिसमें पहला विभाग इंटर-स्टेट काउंसिल की तर्ज पर होगा, तो दूसरा विभाग लंबे समय की योजना बनाने और उसकी निगरानी का काम करेगा। इसके अलावा इसका तीसरा और अंतिम विभाग डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर और यूआईडीएआई को मिलाकर विभाग बनाया जाएगा। इस आयोग में सचिव स्तर का अधिकारी हर विभाग का प्रमुख होगा और प्रधानमंत्री इस आयोग के प्रमुख होंगे और सीधे आयोग और इसके कार्यों पर नजर रखेंगे। नीति आयोग, केन्द्र और राज्य स्तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक महत्वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराएगा। इसमें आर्थिक मोर्चे पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयात, देश के भीतर, साथ ही साथ अन्य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार नए नीतिगत विचारों का समावेश और विशिष्ट विषयों पर आधारित समर्थन से संबंधित मामले शामिल होंगे।
पहले भी हुए बदलाव के प्रयास
सूत्रों के अनुसार योजना आयोग के स्वरूप को बदलने का यह पहला प्रयास नहीं था, इससे पहले भी आयोग के पुनर्गठन के प्रयास होते रहे हैं। मसलन कांग्रेस भले ही सरकार के इस फैसले के पक्ष में न हो, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने योजना आयोग को जोकरों का समूह करार देते हुए इसे भंग करने का प्रयास किया था। उसके बाद 1998 में भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि हमारे देश की बदल रही विकास जरूरतों के मद्देनजर योजना आयोग में सुधार तथा इसका पुनर्गठन किया जाएगा। वहीं योजना आयोग से जुड़े रहे के.सी. पंत और यहां तक कि मनमोहन सिंह जैसे योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्षों ने इसमें बदलाव के प्रयास करते हुए इस तरह की वकालत की है।
02Jan-2015

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