मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

देश में आतंकी साजिशों को नाकाम करने में केंद्रीय बलों की अहम भूमिका


सीआरपीएफ मुख्‍यालय के शिलान्‍यास समारोह में बोले गृहमंत्री अमित शाह
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में पडोसी देशों की अस्थिरता फैलाने और आतंकवाद जैसी साजिशों को नाकाम करने में केंद्रीय सुरक्षा बलों की अहम भूमिका रही है, जिसमें खासकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 1980 और 1990 के दशकों में पंजाब और त्रिपुरा से आतंकवाद को समाप्‍त करने के साथ अन्य सीमावर्ती राज्‍यों मे पूरी शांति बहाल करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह बात रविवार को यहां नई दिल्ली में सीआरपीएफ मुख्‍यालय के शिलान्‍यास समारोह में कही है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों ने देश को विखंडित करने के लिए युवाओं को दिग्‍भ्रमित करके इन दो राज्‍यों में आतंकवाद भड़काने की कोशिश को बेअसर करने में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का अहम योगदान है। शाह ने कहा कि चाहे नक्‍सलवाद या दंगे की स्थिति से निपटना हो या जम्‍मू-कश्‍मीर में शांतिपूर्ण तरीके से अमरनाथ यात्रा का संचालन करना हो या भारत की संसद को सुरक्षाचक्र उपलब्‍ध कराना हो, सीआरपीएफ के जवान हमेशा आग्रणी बने रहते हैं। उन्होंने कहा कि रक्त को जमा देनी वाली ठंड में, अनिश्चितताओं के बीच जब हमारे जवान आतंकवाद का सामना कर रहे होते थे तो उन्हें कोई पदक का लालच या ड्यूटी की मजबूरी, ऐसा करने के लिए विवश नहीं करती। सिर्फ भारत माता के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव उन्हें इसके लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि देश में किसी भी तरह के दंगों को नियंत्रित करने में भी सीआरपीएफ सबसे आगे होती है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र हो, जहां आदिवासी तबके को विकास से महरूम रख कर, सरकार के खिलाफ उन्हें गुमराह करने का प्रयास चल रहा है तो वहां भी सीआरपीएफ ही उनका सामना करती है। चाहे अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए अभेद घेरा बनाने की बात हो, संसद को सुरक्षा प्रदान करने की बात हो, दंगा फैलाकर शांति भंग करने के षड्यंत्र को नाकाम करना हो, इन सभी में सीआरपीएफ का अहम योगदान है।
सुरक्षाबलों के कल्याण के प्रतिबद्ध सरकार
अमित शाह ने केंद्रीय सुरक्षा बालों के कल्‍याण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की प्रतिबद्धता का उल्‍लेख करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि अगस्‍त-सितम्‍बर 2020 तक ऐसी सभी योजनाओं को अंतिम रूप दे दिया जाएगा, जिनमें सभी जवान 365 दिनों में से कम से कम 100 दिन अपने परिजनों के साथ व्‍यतीत कर सकेंगे। इस योजना पर एक समिति काम कर रही है, जिसमें अर्द्ध सैनिक बलों के महानिदेशकों के सुझाव लिये जा रहे हैं। शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय जवानों के परिजनों को स्‍वास्‍थ्‍य जांच और अन्‍य सुविधाएं प्रदान करने के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड हेतु एम्‍स के साथ बातचीत कर रहा है। वहीं यात्रा एवं परिवहन के लिए एयर कैरियर सुविधाओं का विस्‍तार, त्‍वरित पदोन्‍नति के लिए 35 हजार से अधिक रिक्तियों का सृजन, नए पुरस्‍कारों का गठन और सीआरपीएफ के महानिदेशक को अधिक प्रशासनिक और वित्‍तीय अधिकारों की घोषणा इस दिशा में उठाए गए महत्‍वपूर्ण कदम हैं। शाह ने कहा कि मोदी सरकार का यह मंत्र है कि जवान सरहदों की सुरक्षा का ध्‍यान रखें, उनके परिवार के कल्‍याण का ध्‍यान रखना सरकार की जिम्‍मेदारी है।
सबसे बहादुर सीआरपीएफ
शाह ने अक्‍तूबर 1959 में चीन के साथ और 1965 में गुजरात के कच्‍छ की सरदार चौकी पर युद्ध सहित आंतरिक सुरक्षा कर्तव्‍यों पर लगभग 2184 सीआरपीएफ जवानों द्वारा सर्वोच्‍च बलिदान का स्‍मरण करते हुए कहा कि उन्‍हें विश्‍व के सबसे बड़े और सबसे बहादुर बल के नए मुख्‍यालय का उद्घाटन करते हुए बहुत प्रसन्‍नता हो रही है। उन्‍होंने बताया कि 2019 में भी सीआरपीएफ ने 75 बहादुरी पदक प्राप्‍त किए, जो किसी भी बल के लिए सर्वाधिक है। शाह ने कहा कि 280 करोड़ की लागत से बने नए भवन में सभी आधुनिक और हरित सुविधाएं होंगी। इसके अतिरिक्‍त, साढ़े तीन लाख संख्‍या वाले इस बल की संचालनगत क्षमता को बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रशिक्षण मॉड्यूल के साथ प्रभावी नियंत्रण एवं कमान प्रणाली भी होगी। गृह मंत्री ने आम जनों तथा बेहद महत्‍वपूर्ण व्‍यक्तियों (वीआईपी) को सुरक्षा प्रदान करने में लगे जवानों के लिए एक नया लोगो गरुड़भी लॉन्‍च किया और कहा कि यह उन्‍हें एक नई पहचान देगा। 
30Dec-2019

सीमा पर भारत-बंग्लादेश सुरक्षा बलों में तालमेल पर बल


बीएसएफ और बीजीबी के बीच सीमा समन्वय सम्मेलन का आयोजन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली। 
भारत-बंग्लादेश सीमा पर सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में भारतीय अर्द्धसैनिक बल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बंग्लादेश के बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के बीच 49वें महानिदेशक स्तरीय सीमा समन्वय सम्मेलन में सीमाओं की सुरक्षा के लिए तालमेल को मजबूत बनाने पर बल दिया जा रहा है।
यहां नई दिल्ली स्थित छावला में बीएसएफ के परिसर में 25 से 30 दिसंबर तक आयोजित 49वें महानिदेशक स्तरीय सीमा समन्वय सम्मेलन (बॉर्डर कोऑर्डिनेशन कांफ्रेंस) के तहत रविवार को भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व बीएसएफ के महानिदेशक विवके जौहरी व बंग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बीजीबी के मेजर जनरल मोहम्मद शफीनुल इस्लाम ने किया। भारत व बांग्लादेश के बीच होने वाली महानिदेशक समन्वय सम्मेलन का आयोजन बीते कई दशकों से लगातार किया जा रहा है। वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में दोनों देशों द्वारा क्रमवार मेजबानी के कर्तव्य का निर्वहन किया जाता है। पिछले सम्मेलन का आयोजन  बांग्लादेश की राजधानी, ढाका में किया गया था। समान सांस्कृतिक विरासतों व मानवीय कारकों को ध्यान में रखते हुए दोनों पड़ोसी देश आपसी सदभाव व सौहार्द की भावना के साथ समस्याओं के समाधान के क्रम में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। इसी आधार पर दोनों देशों के सीमा रक्षक बलों द्वारा सीमा पर एक मजबूत सुरक्षा प्रणाली की स्थापना की गई है। जिसके माध्यम से ही सीमा रक्षा व सीमा प्रबंधन से जुड़े मुद्दों का उचित निदान आपसी सहयोग व समन्वय स्थापित कर सुनिश्चित किया जा रहा है।
तस्करी के साथ विद्रोहियों के खिलाफ एकजुटता पर बल
इस मौके पर वार्ता के दौरान विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों के महानिदेशकों द्वारा हस्ताक्षर कर कुछ महत्वपूर्ण समझौतें भी किये। इनमें दोनों पक्षों के बीच हुई यह बातचीत ड्रग्स, सोना, नकली मुद्रा व मवेशियों की तस्करी तक ही सीमित नहीं रही, इस दौरान सीमा सुरक्षा बल द्वारा भारतीय विद्रोही समूहों के खिलाफ कार्रवाई, अंतर्राष्ट्रीय के 150 गज के भीतर बाड़ का निर्माण, नागरिकों का अवैध आव्रजन, सीमा सुरक्षा बल कार्मिकों पर हमले व उनकी हत्याओं जैसे गंभीर विषयों पर विस्तारपूर्वक विचार विमर्श के बाद सहमति बनाई गई। दोनों पक्ष अवैध सीमा पार की रोकथाम के लिए मजबूत कदम उठाने और कमजोर क्षेत्रों में एक साथ समन्वित गश्त तेज करने पर भी सहमत हुए। वहीं भौगोलिक परिस्थितियों व प्राकृतिक कठिनाईयों के चलते उत्पन्न समस्याओं पर भी गहन अध्ययन किया गया। 
30Dec-2019

नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में रेलवे को लगी करोड़ो की चपत


रेलवे की 90 करोड़ की संपत्ति को पहुंचा नुकसान, 85 मुकदमे दर्ज
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के अलग-अलग हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में चल रहे हिंसक प्रदर्शन के कारण भारतीय रेलवे को हुए  नुकसान से करीब 90 करोड़ रुपये की चपत लगी हैं। रेलवे सुरक्षा बल ने रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं में 85 मुकदमे दर्ज करके कार्यवाही शुरू कर दी है।
शनिवार को यहां रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के कारण भारतीय हुए रेलवे के नुकसान की जानकारी देते हुए बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक प्रदर्शनों के कारण रेलवे की करीब 90 करोड़ रुपए की सपंत्ति को नष्ट किया गया है। रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालो के खिलाफ अभी तक 85 मुकदमे दर्ज किये गये हैं, जिनमें 57 एफआईआर आरपीएफ ने दर्ज की हैं। उन्होंने रेलवे के अलग-अलग जोनों में रेलवे को हुए नुकसान का जिक्र करते हुए बताया कि सबसे ज्यादा पूर्वी रेलवे जोन में 72.19 करोड़ रुपये के अलावा दक्षिण पूर्व रेलवे को करीब 13 करोड़ और उत्तर पूर्व रेलवे को तीन करोड़ के साथ उत्तर रेलवे को करीब 2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अब तक 85 एफआईआर दर्ज की गईं जिनमें 57 एसफआईआर आरपीएफ के तहत दर्ज की गईं। पूर्वी रेलवे जोन में सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल के सियालदाह और मालदा डिवीजन में उपद्रवियों ने रेलवे की संपत्ति को हिंसा करके नुकसान पहुंचाया है, जहां रेलवे कर्मचिरयों के साथ भी मारपीट कर उन्हें घायल करने का मामला सामने आया है।
सख्त कार्रवाई के मूड में रेलवे
भारतीय रेलवे ने उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की योजना तैयार की है, जिसके लिए रेलवे मीडिया में आए फोटो और वीडियो, रेलवे के पास मौजूद सबूतों के आधार पर उपद्रवियों को नामज़द अभियुक्त बनाएगा। रेलवे के एक अधिकारी का कहना है कि ऐसे मामलों में अज्ञात लोगों के खिलाफ़ केस होने से केस कमज़ोर हो जाता है, इसलिए रेलवे अपने खुफिया तंत्र से वीडियो, सीसीटीवी और तस्वीरों से उपद्रवियों की पहचान कर हर एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ केस करने के लिए पूरी तरह से सक्रिय है। इसी आधार पर सख्त कार्रवाई के तहत रेलवे की संपत्ति के नुकसान की भरपाई उपद्रवी की पहचान कर उनसे ही करने की योजना पर काम कर रहा है। रेलवे ने यह भी संकेत दिये हैं कि रेलवे भारतीय रेलवे एक्ट-151 के अलावा इस बार अदालत में भी उप्रदवियों के खिलाफ मामले दर्ज कराएगी।
22Dec-2019

राग दरबार: नागरिकता कानून पर गुमराह करने की सियासत

बेवजह की रार
देश में संशोधित नागरिकता कानून को संसद में विपक्षी एकता का दम भरने वाली कांग्रेस जिस प्रकार से औंधे मुहं गिरती नजर आई, शायद उसकी भड़ास निकालने के मकसद से मोदी सरकार को घेरने के लिए अब सड़कों पर लोगों को भड़काने की रणनीति अपनाकर देश में अस्थिरता का माहौल पैदा कर रही है, उसमें उसका दोहरा चरित्र साफतौर से उजागर होने लगा है। देश के अलग अलग हिस्सों में हो रहे प्रदर्शन और छात्रों के आंदोलन के लिए तमाम भाजपा नेता तो कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पीएम मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर असम के हिमंता बिस्वा सरमा तक सभी आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस ही लोगों को उकसा रही है और लोगों को नागरिकता कानून पर गुमराह कर छात्रों से आंदोलन करा रही है। यदि यूं कहा जाए तो इस कानून को लेकर जो भ्रम फैलाने में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष जानबूझकर अनभिज्ञ होकर जनता को अज्ञानता का पाठ पढ़ा रहा है सच्चाई तो उसके एकदम विपरीत है। जबकि कांग्रेस अटल सरकार में राजीव गांधी सरकार की इस मुहिम को आगे बढ़ाने की वकालत करती नजर आई थी। क्योंकि वह भी जानती है कि इस कानून में कहीं भी ऐसा प्रावधान नही है, जिससे ये कहा जाए कि मुस्लिम समेत किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने जा रही है, बल्कि कानून में तीन देशों के छह अल्पसंख्यक समुदायों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम होगा, इस बात को सभी सियासी दल और देश के प्रबुद्ध लोग भी जानते हैं। इस कानून को लेकर मचे हिंसात्मक बवाल के बीच मुस्लिमों की सियासत में मशगूल कांग्रेस और उसके पिछलगू बने अन्य राजनीतिक विपक्षी दलों से तो बेहतर एक बयान देकर दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने ही सकारात्मक संकेत देकर प्रदर्शन करने वालों खासकर मुसलमानों को सचेत करने का प्रयास किया है कि इस कानून से किसी भी भारतीय मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं है। फिर भी कांग्रेस विपक्षी दलों का गैंग बनाकर अपना सियासी खेल करना चाह रही है। सियासी गलियारों में हो रही चर्चा में तो यहां तक कहा जा रहा है कि इस मुद्दे पर कहीं गेंहू के साथ घुन न पिस जाए। मसलन मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विपक्षी दलों के लिए वो कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है कि हम तो डूबेंगे सनम...तुम्हे भी ले डूबेंगे.!
बिगाड़ा सियासी स्वाद
भाजपा के खिलाफ महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ कांग्रेस व राकांपा गठबंधन की सरकार में क्या सबकुछ ठीक नहीं है? यही सवाल राहुल गांधी के कुछ बयानों और विपक्षी एकता की राजनीति के प्रति गंभीरता के अभाव से नाराज शिवसेना और राकांपा की और से कुछ ऐसे ही संकेत मिले हैं, जिसकी वजह से विपक्षी एकता का स्वाद बिगड़ता दिख रहा है। जब देश में नागरिकता कानून और नागरिक रजिस्टर को लेकर आंदोलन चल रहा है और झारखंड में चुनाव हो रहे हैं तो भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी विदेश में हैं, तो ऐसे में राकांपा प्रमुख शरद पवार जो आमतौर पर किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करते, लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर उनके भी मन के भाव उजागर हो गये हों और पवार ने पिछले दिनों राहुल गांधी के विदेश दौरे को लेकर निशाना साधने में कोई हिचकिचहाट नहीं की। दरअसल हाल ही में पवार ने राहुल के बारे में व्यंग्य के लहजे में यहां तक कह दिया कि नेता ऐसा होना चाहिए जो देश में रहे और राहुल गांधी ऐसे माहौल में देश से बाहर हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि महाराष्ट्र में गठबंधन की डोर में कुछ लोचा है। यह इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि नागरिकता कानून जैसे मुद्दे पर संसद में जिस प्रकार से राज्यसभा में शिवसेना ने कांग्रेस से किनारा करके वाकआउट कर इस बिल पर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया तो कांग्रेस की नाराजगी नजर आई और इसके बाद राहुल गांधी के सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी से नाराज शिवसेना नेता कांग्रेस से खफा नजर आए, जिसके लिए उन्होंने तीखी टिप्पणी भी की, जो इन विपरीत विचारधाराओं वाले दलों के संतुलन राहुल गांधी एक पहेली बने हुए हैं, जिनकी सियासी गंभीरता को लेकर शिवसेना और राकांपा की चिंता करना जगजाहिर है।
22Dec-2019


रेल परिवहन में क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने की कवायद


रेलवे ने किया बर्मिंघम विश्वविद्यालय से समझौता
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार देश में रेल और परिवहन क्षेत्र के विकास की दिशा में क्षमता निर्माण की कवायद में जुट गई है। इसके लिए रेल मंत्रालय के विश्वविद्यालय के रूप में कार्य कर रहे राष्ट्रीय रेल परिवहन संस्थान ने बर्मिंघम विश्वविद्यालय के साथ एक ऐसा समझौत किया है, जिसमें केंद्रीकृत प्रशिक्षण संस्थानों और अनुसंधान संगठनों के जरिए सीधे स्वामित्व डेटा, पेशेवर विशेषज्ञता, अतिरिक्त उपकरण और अन्य उपलब्ध संसाधन प्रदान हो सकेंगे।
रेल मंत्रालय के अनुसार नई दिल्ली के रेल भवन में बर्मिंघम विश्वविद्यालय के साथ रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय रेल परिवहन संस्थान के चांसलर विनोद कुमार यादव ने बर्मिंघम विश्वविद्यालय तथा सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च एंड एजुकेशन के प्रमुख प्रोफेसर क्लाइव रॉबर्ट्स के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और पेशेवर सेवाओं के कर्मचारियों के लिए बर्मिंघम सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च एंड एजुकेशन के रुप में वैश्विक रेल उद्योग में विश्व स्तर के अनुसंधान, शिक्षा और नेतृत्व करने वाले बर्मिंघम विश्वविद्यालय के साथ हुए इस करार के तहत भारत में रेल और परिवहन क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत के रेल परिवहन क्षेत्र में मदद मिलेगी। भारत में स्थापित इस केंद्र में पोस्ट-ग्रेजुएट, डॉक्टरल और पोस्ट-डॉक्टरल कार्यक्रम, इन-सर्विस पेशेवरों के लिए अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रम, सिग्नलिंग, संचार जैसे क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं शामिल हो सकेगी। इसके अलावा परिसंपत्ति रखरखाव, कर्षण और सुरक्षा और विशेष कौशल के लिए मानक, मानक और प्रमाणपत्र विकसित करने की दिशा में सुलभ शिक्षा, परिवहन क्षेत्र में रुझानों, नवीनतम अनुसंधान, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और विकास को प्रसारित करने के लिए विभिन्न सम्मेलनोंकार्यशालाओं का मिलकर आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में अन्य उद्योग और शैक्षणिक संगठनों से की भागीदारी को भी आमंत्रित किया जाएगा। गौरतलब है कि राष्ट्रीय रेल परिवहन संस्थान की स्थापना विश्वविद्यालय के रूप में की गई, जिसमें 2018 से पाठ्यक्रम चालू है। विभिन्न विषयों में स्कूलों और विभागों के अलावा, एनआरटीआई का उद्देश्य अंतःविषय केंद्रों को विकसित करना है जो अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सहयोगी निर्माण होंगे।
दिल्ली के स्टेशनों के विकास पर करार
रेल मंत्रालय के अनुसार शुक्रवार को यहां रेल भूमि विकास प्राधिकरण, दिल्ली विकास प्राधिकरण और भारतीय रेलवे स्टेशनों के विकास निगम लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस करार के तहत राजस्व बंटवारे के आधार पर आनंद विहार और बिजवासन रेलवे स्टेशनों, नई दिल्ली स्टेशन के विकास और पुनर्विकास की योजनाओं को आगे बढ़ाया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार इन रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तरीय बनाने की दिशा में पीपीपी मोड पर आधुनिकीकरण किया जा रहा है, जिससे यात्रियों की सुविधाओं में इजाफा होगा और उन्हें हवाई अड्डे जैसी सुविधाएं दी जा सकेगी।
21Dec-2019