शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

संसद ने लगाई ‘विशेष सुरक्षा ग्रुप’ विधेयक पर मुहर

देश में अब केवल प्रधानमंत्री को ही मिलेगा एसपीजी सुरक्षा कवच
विधेयक के विरोध में मत के दौरान कांग्रेस का सदन से वाकआउट   
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
अब देश में प्रधानमंत्री के अलावा किसी अन्य को एसपीजी सुरक्षा कवच नहीं मिलेगा। इसके लिए संसद ने विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) कानून में संशोधन करने संबंधी विधेयक को पर मुहर लगा दी है। पिछले सप्ताह लोकसभा के बाद मंगलवार को राज्यसभा ने भी एसपीजी कानून के संशोधनों को मंजूरी दे दी है, जिसके विरोध में कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया।
राज्यसभा में मंगलवार का दोपहर बाद दो बजे शुरू हुई कार्यवाही के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी द्वारा पेश किये गये विशेष सुरक्षा समूह (संशोधन) विधेयक को पेश किया, जिस पर चर्चा के बाद गृहमंत्री अमित शाह के विपक्ष खासकर कांग्रेस के एक-एक आरोपों का जवाब देने के बाद इस विधेयक को राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों के विरोध स्वरूप वाकआउट करने के बीच ध्वनिमत के साथ मंजूरी मिल गई। इससे पहले लोकसभा इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दे चुका है। चर्चा के दौरान इस विधेयक पर सरकार को भाजपा व सहयोगी दलों के अलावा बीजद, जदयू, अन्नाद्रमुक, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाईएसआर और कई निर्दलीयों ने भी समर्थन किया है।
गांधी परिवार की सुरक्षा बरकरार
राज्यसभा में इससे पहले चर्चा के दौरान कांग्रेस उनके समर्थक विपक्षी दलों ने सरकार पर इस विधेयक में संशोधन करने का निर्णय राजनीतक विद्वेष बताया और आरोप लगाया कि गांधी परिवार की सुरक्षा हटाकर मोदी सरकार विपक्ष को खत्म करना चाहती है। इसी प्रकार के आरोपों का जवाब  देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों की उन चिंताओं और आशंकओं को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि सरकार को गांधी परिवार की नहीं है जैसे आरोप भी लगाए गये। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक गांधी परिवार के लिए नहीं लाया गया और न ही इस विधेयक से गांधी परिवार का कोई संबन्ध है। बल्कि शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि इससे पहले इस विधेयक में चार संशोधन गांधी परिवार को ध्यान में रखते हुए ही हुए हैं? उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने गांधी परिवार की सुरक्षा को हटाया नहीं गया, बल्कि बदला गया है, जिसमें जेड प्लस सीआरपीएफ कवर, एएसएल और एम्बुलेंस के साथ सुरक्षा दी गई है। इस जवाब से अंतुष्ट कांग्रेस, वाम और द्रमुक के सदस्यों ने सदन से वाक आउट कर दिया।
गांधी परिवार को क्यों चाहिए एसपीजी सुरक्षा
अमित शाह ने कहा कि केवल गांधी परिवार को ही एसपीजी सुरक्षा कवच कयों चाहिए, जिसके बदलने से बवाल मचा रखा है, जो उनकी समझ से बाहर है। उन्होंने कहा कि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्रियों चंद्रशेखर, वीपी सिंह, नरसिंहा रॉव, एचडी देवगौडा और अब डा. मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटाकर उन्हें जेड प्लस सुरक्षा कवच दिया गया, उसके लिए तो कांग्रेस ने कोई हाएतौबा नहीं मचाया। केवल एक परिवार को लेकर विरोध किया जा रहा है, जबकि हम परिवार का नहीं परिवारवाद का विरोध करते हैं। इसलिए सरकार को गांधी परिवार की नहीं, बल्कि देश के 130 करोड़ लोगों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। उन्होंने खासकर कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि जो रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति को सुरक्षा मिली है, वही गांधी परिवार को भी मिली है
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प्रियंका गांधी के यहां की घटना पर बोले शाह
राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि प्रियंका वाड्रा के घर सुरक्षा में चूक की एक घटना को लेकर भी स्पष्ट किया और कहा कि प्रियंका गांधी के घर जो सुरक्षा है इसमें राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा सुरक्षा जांच के बिना अंदर आते हैं सुरक्षाकर्मियों के पास एक सूचना आई कि राहुल गांधी एक काली सफारी गाड़ी में आने वाले हैं ठीक उसी समय एक काली सफारी गाड़ी आई और उसमें शारदा त्यागी कांग्रेस कमिटी खरगोरा मेरठ की नेता थीं चूंकि समय भी वही था, इसलिए वह गाडी बिना सिक्यॉरिटी जांच के अंदर चली गईं समय वही था और गाड़ी भी काली थी तो सिक्यॉरिटी एजेंसियों ने उन्हें जाने दिया। उन्होंने कहा कि यह एक इत्तेफाक था। इसके बावजूद सरकार ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच का आदेश देते हुए तीन सुरक्षाकर्मियों को निलंबित भी किया गया है। उन्होंने कांग्रेस को इशारों में ही सियासत करने पर यह नसीहत भी दी कि इस तरह की की चीजों को गोपनीय रखा जाता है, जिसकी जानकारी प्रेस को नहीं देनी चाहिए थी, बल्कि गृहमंत्रालय के संज्ञान में लानी चाहिए थी, लेकिन कांग्रेस को तो इसमें राजनीति करनी थी।
दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव के विलय का रास्ता साफ
संसद ने दी केंद्र शासित प्रदेशों का विलय संबन्धी विधेयक को मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।                                                            
संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव का विलय करने संबधी दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव (केंद्र शासित प्रदेशों का विलय) विधेयक को लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी मंजूरी दे दी है।
राज्यसभा में मंगलवार की शाम को केन्‍द्रीय गृह राज्‍य मंत्री जी. किशन रेड्डी द्वारा पेश किये गये दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव (केंद्र शासित प्रदेशों का विलय) विधेयक पर चर्चा शुरू हुई, जिसके बाद चर्चा के जवाब के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया गया। इस विधेयक को लोकसभा ने पिछले सप्ताह ही मंजूरी दी है, जिसे 20 नवंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने गृहमंत्रालय के प्रस्ताव के तहत मंजूरी दी थी। अब इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगते ही इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के विलय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उच्च सदन में हुई चर्चा के जवाब के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इन संघ शासित प्रदेशों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सार्थक उपयोग, प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने, प्रशासनिक व्‍यय कम करने, बेहतर ढंग से सेवाएं मुहैया कराने और योजनाओं की बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए केन्‍द्र शासित प्रदेशों दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव के विलय के लिए यह विधेयक को संसद में लाने का निर्णय लिया था, जिसे संसद की मंजूरी मिलने के बाद अब कर्मचारियों का बेहतर कैडर प्रबंधन भी सुनिश्चित किया जा सकेगा। वहीं दोनों केन्‍द्र शासित प्रदेशों में दो भिन्‍न संवैधानिक एवं प्रशासनिक निकाय रहने से कामकाज में दोहराव एवं अक्षमता की स्थिति अपव्‍यय रोका जा सकेगाजिसके कारण सरकार पर अनावश्‍यक वित्‍तीय बोझ की समस्या भी दूर होगी। यही नहीं कर्मचारियों के कैडर प्रबंधन और करियर में प्रगति के मार्ग में विभिन्‍न चुनौतियां हैं। यानि अब अपेक्षाकृत अधिक अधिकारियों की उपलब्‍धता के साथ ही ज्‍यादा बुनियादी ढांचागत सुविधाएं मिलने से सरकार की प्रमुख योजनाओं का बेहतर ढंग से कार्यान्‍वयन करने में मदद मिलेगी।
नया नाम ‘दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव
इस विलय संबन्धी विधेयक पर गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि इस नये केन्‍द्र शासित प्रदेश का नाम दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीवहोगा और यह बॉम्‍बे हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार में शासित होगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन एवं सेवा शर्तों और आरक्षण में कोई बदलाव नहीं होगा। इसी तरह समूह तृतीय और चतुर्थ के कर्मचारियों की स्थिति में भी कोई बदलाव नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि विलय से प्रशासन में सहूलियत होगी, त्‍वरित विकास होगा और केन्‍द्र एवं राज्‍य सरकार की योजनाओं का प्रभावकारी कार्यान्‍वयन हो पाएगा। विधेयक में संशोधन करने के औचित्‍य के बारे में जानकारी देते हुए रेड्डी ने कहा कि फिलहाल दो सचिवालय एवं समानांतर विभाग हैं, जो प्रत्‍येक केन्‍द्र शासित प्रदेश की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं और कर्मचारियों एवं अधिकारियों का उपयोग करते हैं। प्रशास‍क, सचिवालय और कुछ विशेष विभागों के प्रमुख वैकल्पिक दिवसों पर दोनों केन्‍द्र शासित प्रदेशों में काम करते हैं, जिससे लोगों तक उनकी उपलब्‍धता और अधीनस्‍थ कर्मचारियों के कामकाज की निगरानी प्रभावित होती है। उन्‍होंने कहा कि दोनों केन्‍द्र शासित प्रदेशों के अधीनस्‍थ कर्मचारी अलग-अलग हैं। इसके अलावा, भारत सरकार के विभिन्‍न विभागों को दोनों केन्‍द्र शासित प्रदेशों के साथ अलग-अलग ढंग से सामंजस्‍य स्‍थापित करना पड़ता है, जिससे कामकाज में दोहराव की स्थिति पैदा होती है।
रेड्डी ने कहा कि दोनों केन्‍द्र शासित प्रदेशों में दो भिन्‍न संवैधानिक एवं प्रशासनिक निकाय रहने से कामकाज में दोहराव एवं अक्षमता की स्थिति पैदा होती है और अपव्‍यय होता है। इसके अलावा, इस वजह से सरकार पर अनावश्‍यक वित्‍तीय बोझ पड़ता है। यही नहीं, कर्मचारियों के कैडर प्रबंधन और करियर में प्रगति के मार्ग में विभिन्‍न चुनौतियां हैं। उन्‍होंने कहा कि अपेक्षाकृत अधिक अधिकारियों की उपलब्‍धता के साथ-साथ ज्‍यादा बुनियादी ढांचागत सुविधाएं मिलने से सरकार की प्रमुख योजनाओं का बेहतर ढंग से कार्यान्‍वयन करने में मदद मिलेगी।
04Dec-2019

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