संसद का शीतकालीन सत्र अनिश्चित काल के लिए
स्थगित
लोकसभा के मुकाबले राज्यसभा ने पारित किये ज्यादा विधेयक
राज्यसभा की तुलना में कामकाज की उत्पादकता में लोकसभा आगे
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद
के शीतकालीन सत्र के अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने से पहले लोकसभा और राज्यसभा
में 15 विधेयकों को मंजूरी मिली है, जो राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून के रूप
में लागू हुए हैं। हालांकि लोकसभा में पारित हुए 14 विधेयकों के मुकाबले राज्यसभा
ने 15 विधेयकों का मंजूरी दी है, जबकि कामकाज की उत्पादकता में लोकसा आगे रही।
संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर को शुरू होकर
13 दिसंबर शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। इस
दौरान 20 बैठकों के दौरान 15 ऐसे महत्वपूर्ण विधेयकों पर दोनों
सदनों की मंजूरी मिली है। जबकि लोकसभा में पेश किये गये 18 विधेयकों में 14 तथा
राज्यसभा में 15 विधेयक पास कराए गये। इनमें संसद की मुहर वाले 15 विधेयकों को
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद उनके प्रावधानों को देश मेंलागू कर दिया जाएगा। संसद
में पारित इन विधेयकों में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, विशेष सुरक्षा समूह(एसपीजी) विधेयक, आयुध (संशोधन) विधेयक, ई-सिगरेट प्रतिबंधित संबन्धी विधेयक, विधि काराधान (संशोधन) विधेयक जैसे कई ऐसे विधेयक शामिल रहे,
जिन्हें विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद मोदी सरकार पारित कराने में कामयाब रही।
हालांकि निजी डाटा संरक्षण विधेयक जैसे विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति के हवाले
करने के साथ कई विधेयक समीक्षा के लिए संसदीय समिति को भी सौंपे गये हैं। संसद के
दोनों सदनों से मंजूर अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों में लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में
एससी/एसटी समुदाय के अगले महीने खत्म होने जा रहे आरक्षण को दस साल के लिए बढ़ाने
वाला संविधान (126वां संशोधन) विधेयक, कर्नाटक में अनुसूचित
जातियों की सूची में उपांतरित करने वाले संविधान अनुसूचित जनजातियां आदेश (दूसरा
संशोधन) विधेयक, चिटफंड विधेयक, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा प्राधिकरण
विधेयक, दिल्ली की अवैध कालोनियों को नियमित करने संबन्धी विधेयक के अलावा
राज्यसभा में पिछले सत्र में लंबित रहे ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों
का संरक्षण) विधेयक और जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट विधेयक
प्रमुख रूप से शामिल रहे।
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राज्यसभा ने ज्यादा बिल पास किये
राज्यसभा के 250वें सत्र को स्थगित करने से पहले सभापति एम.
वेंकैया नायडू ने जानकारी दी कि राज्यसभा में सत्र के दौरान निर्धारित
108 घंटे 33 मिनट के कामकाज होना था,
लेकिन विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के चलते सदन के कामकाज में 11 घंटे 47 मिनट का नुकसान हुआ। इस समय के नुकसान की भरपाई के लिए सदन में सदस्यों ने 10 घंटे 52 मिनट अधिक काम करके सदन की उत्पादकता को करीब 100 प्रतिशत तक पहुंचाया। राज्यसभा ने सत्र
के दौरान उच्च सदन में कुल 15 विधेयक पारित किये
गये और
कुछ विचार करके लौटाये गये। राज्यसभा
में लंबित ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक
और जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट विधेयक के अलावा लोकसभा से पारित होकर
आए नागरिकता (संशोधन) विधेयक,
विशेष सुरक्षा समूह(एसपीजी) विधेयक, ई-सिगरेट प्रतिबंधित संबन्धी विधेयक, चिटफंड, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा प्राधिकरण जैसे कुल 15 विधेयकों को
मंजूरी दी। सत्र के दौरान सदस्यों ने दो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव तथा शून्यकाल
में एवं विशेष उल्लेख के जरिये लोकमहत्व के विभिन्न मुद्दे उठाये। यह सत्र प्रश्नकाल
के लिहाज से भी 1971 के बाद पिछले 49 सालों में सबसे बेहतरीन रहा। इस दौरान कुल
255 मौखिक सवालों में से 171 का जवाब दिया गया, जो कुल
सवालों का 67 प्रतिशत है। इस
प्रकार सत्र के दौरान प्रतिदिन 9.5 मौखिक सवालों का
जवाब दिया गया। सभापति ने राज्यसभा के 250वें सत्र को ऐतिहासिक
सत्र करार देते हुए कहा कि इसकी ‘गंभीरता एवं संक्षिप्तता’ महत्वपूर्ण रही, जो उच्च सदन के
कामकाज के लिए भविष्य में बेहतर साबित होगी।
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लोकसभा में हुआ ज्यादा कामकाज
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को सदन की
बैठक को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले सदन में जानकारी दी कि इस सत्र के दौरान सदन की 20 बैठकों के दौरान 18 विधेयक
पेश किये गये, जिनमें से 14 महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराया गया। सत्र के
दौरान 140 तारांकित प्रश्नों
के मौखिक उत्तर दिये गए। औसतन प्रतिदिन लगभग 7.36 मौखिक तथा 20.42 अनुपूरक प्रश्नों के उत्तर
दिये गए। सदन में प्रतिदिन औसतन 58.37 मामले उठाये गए। नियम 377 के अधीन कुल 364 मामले उठाए गए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार
से सभा की उत्पादकता 116 प्रतिशत दर्ज की
गई।
लोकसभा में 130 घंटे 45 मिनट कामकाज किया गया, जिसमें 28 घंटे 43 मिनट अतिरिक्त कामकाज के लिए सदन की बैठक चलाई गई। जिसमें वर्ष 2019-20 के लिये अनुदान
की अनुपूरक मांगों पर 5 घंटे और 5 मिनट चर्चा हुई। लोकसभा में संसद की स्थायी समितियों ने 48 प्रतिवेदन प्रस्तुत
किये। सत्र के दौरान संबंधित मंत्रियों ने कुल 1,669 पत्र सभा पटल पर रखे। वहीं नियम 193 के तहत दो अल्पकालिक चर्चाएं की गई जिसमें
वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन’
और ‘विभिन्न कारणों से फसल की क्षति और उसका कृषकों
पर प्रभाव’ जैसे महत्वपूर्ण विषय पर लंबी चर्चा कराई गई। निचले सदन में गैर सरकारी सदस्यों
के कामकाज के तहत सदस्यों ने अलग-अलग विषयों पर 28 निजी विधेयक पुन: स्थापित किये और 22 नवंबर को गैर सरकारी ‘अनिवार्य मतदान विधेयक 2019’ के प्रस्ताव पर आगे चर्चा
की गई जो पूरी नहीं हुई। गैर सरकारी सदस्यों के संकल्पों के मामले में 29 नवंबर 2019 को केन बेतवा नदी सम्पर्क परियोजना के माध्यम से नहरों के निर्माण
संबंधी संकल्प पर आगे चर्चा की गई, हालांकि इसे पूरा नहीं कराया जा सका।
14Dec-2019
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